Poetry -Kavita (All Audios)
Sapne
Sapne
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Sapne
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अमृता अपने सपने लिखतीं थीं अपनी डायरी में।
उनींदे सपने, गहरी नींद के सपने, जागती आंखों के सपने…
ये कुछ सपने जो उन्होंने 2001 से ले कर 2003 के बीच देखे और लिखे। कुछ सपनों पर कविता या नज़्म लिखी, कुछ को बस उड़ने के लिए छोड़ दिया।
उनकी आत्मा की चेतना तक पहुंचाते हैं ये सपने
सुनते हैं, मैं तुम्हें फिर मिलूँगी काव्य संग्रह में दर्ज़ अमृता के कुछ सपने, गाथा ऐप्प पे, पल्लवी गर्ग की आवाज़ में
Prem
Prem
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Prem
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मैं तुम्हें फिर मिलूँगी इस कविता से शुरुवात होती है इस शीर्षक प्रेम की कविताओं की।
मैं तुम्हें फिर मिलूँगी आखिरी कविता थी जो अमृता ने लिखी थी। प्रेम से लबरेज़ ये कविता, आंखे नम कर देती है। बेइन्तहां प्रेम में डूबी अमृता, बेहद बीमार अमृता पूरे प्रेम और समर्पण से अपने आप को तैयार कर लेती हैं अपनी आने वाली अन्त यात्रा के लिए।
प्रेम शीर्षक के अंतर्गत जी कविताएँ हैं, उनमें न सिर्फ उनका अपने साथी के लिए प्रेम उमड़ता है, बल्कि, उंस ईश्वर के लिए भी प्रदर्शित होता है जिसके आगे उन्होंने समर्पण कर दिया है।
सुनते हैं शीर्षक प्रेम के अंतर्गत, आत्मा की परमात्मा के लिए प्रेम में डूबी मैं तुम्हें फिर मिलूँगी की कुछ कविताएँ गाथा ऐप्प पर, पल्लवी गर्ग की आवाज़ में
Mulakaat
Mulakaat
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Mulakaat
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मैं तुम्हे फिर मिलूँगी काव्य संग्रह की कुछ कविताओं को शीर्षक दिया है मुलाक़ात।
अमृता बीमार थीं, बहुत बीमार। अपने नग्मों, अपनी कविताओं के माध्यम से वो कभी अपनी माँ को याद करतीं, कभी सभी बंधनों के परे जा, कृष्ण से, गणेश से, साईं से मिलतीं, कभी बस अपने प्रेमी से मुलाक़ात के लिए किसी भी सीमा को पार करने की बात करतीं।
सुनते हैं शीर्षक मुलाक़ात के अंतर्गत समाहित मैं तुम्हे फिर मिलूँगी की कुछ कविताएँ गाथा ऐप्प पे, पल्लवी गर्ग की आवाज़ में
Dard
Dard
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Dard
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Narrator
अमृता बहुर्मुखी प्रतिभा की धनी रहीं। उनके अंदर जितना अनुराग रहा,उतना ही दर्द छुपा रहा। बंटवारे का दर्द उन्हें बहुत तकलीफ देता था। जीवन के अंतिम पड़ाव पर थीं अमृता जब पाकिस्तान से तौसीफ़ उनसे मिलने आईं। मिलने की खुशी से अधिक, उनके उस वक़्त लिखे गद्य काव्य में बचपन की यादों का दर्द, अपने साथियों से, बंटवारे के कारण या मृत्यु के कारण बिछड़ने का दर्द, समाज के बदलते स्वरूप का दर्द बड़ी सरलता से व्यक्त हुआ और दिल की गहराइयों तक उतर गया।
सुनते हैं दर्द शीर्षक के अंतर्गत, अमृता के इस दर्द को उकेरती मैं तुम्हें फिर मिलूँगी काव्य संग्रह की कुछ कविताएँ गाथा ऐप्प पे,पल्लवी गर्ग की आवाज़ में
Introduction
Introduction
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Samapan
Samapan
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Samapan
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Narrator
समापन – भाग -5
Dr. Dharmveer भर्ती जी द्वारा रचित कृति कनुप्रिया का ये समापन है
कनु की प्रिया जिसके हृदय में प्रतिक्षण कनु ही व्याप्त रहता है, ऐसी कनुप्रिया सम्पूर्ण रचना में छाई हुई है. राधा को कभी कनु अपना अन्तरंग सखा लगता है तो कभी रक्षक, कभी लीला बन्धु कभी आराध्य और कभी लक्ष्य.
कनुप्रिया के समापन में राधा कृष्ण की पुकार की प्रतीक्षा में जन्मांतरों की अनंत पगडंडी के कठिनतम मोड़ पर अडिग खड़ी है!
जन्मांतरों से, जन्मांतरों तक…
चलिए गाथा पर सुनते हैं कनुप्रिया का समापन, पल्लवी की आवाज़ में
Itihaas
Itihaas
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Itihaas
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Narrator
इतिहास खण्ड – भाग -4
Dr. Dharmveer भर्ती जी द्वारा रचित कृति कनुप्रिया का ये चतुर्थ खंड है
इतिहास खंड में 7 कविताएँ हैं।
महाभारत का युद्ध समापन की ओर है।
राधा, आम्र मंजरी से अपनी मांग भरे, उसी अशोक वृक्ष के नीचे खड़ी प्रतीक्षा कर रही है की महाभारत की अवसान बेला में, अपनी अठारह अक्षोहिणी सेनाओं के विनाश के बाद, खिन्न, उदासीन और आहत कृष्ण, अगर वापस आये, तो वो पुनः उन्हें नन्हे बालक सा अपने आँचल में समेट लेगी
सम्पूर्ण रचना राधा के आधार पर चलती है, परन्तु वह प्रश्नों के माध्यम से आधुनिक नारी की मानसिकता को भी व्यक्त करती है
अस्तित्व की समस्या, युद्ध की समस्या को कहीं कहीं व्यंग्य और मानवीकरण के रूप में उठाया गया है इन् कविताओं में
चलिए गाथा पर सुनते हैं कनुप्रिया का तृतीय खंड- सृष्टि संकल्प, पल्लवी की आवाज़ में
Srishti Sankalp
Srishti Sankalp
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Srishti Sankalp
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सृष्टि संकल्प – भाग -3
Dr. Dharmveer भर्ती जी द्वारा रचित कृति कनुप्रिया का ये तृतीय खंड है
सृष्टि संकल्प में तीन कविताएँ हैं
कृष्ण जा चुके हैं
राधा विरह के दर्द से उद्वेलित है। वो नही समझ पा रही है कि अगर वो अपने कनु के मन में बसती है, और निखिल सृष्टि वो खुद है, यदि महासाग, हिमशिखर, मेघ घटाएं, सबमें वो ही व्याप्त है, तो फिर वो एकांत में भयभीत क्यों हो जाती है?
राधा विरह के क्षणों में वेदना से, आग्रह से, दर्द से अपने कनु को बार बार यही ज्ञात करने में प्रयत्नशील रहती है कि समस्त सृष्टि में बस राधा है और उसका कनु
राधा का मानसिक उद्वेलन व द्वंद अत्यंत खूबसूरती से इन तीनो कविताओं से व्यक्त होता है
Manjri Parinay
Manjri Parinay
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Manjri Parinay
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Narrator
मंजरी परिणय – भाग -2
Dr. Dharmveer भर्ती जी द्वारा रचित कृति कनुप्रिया का ये द्वितीय खंड है
मंजरी परिणय में तीन कविताएँ है।
इन कविताओं में, राधा के प्रश्नों का, कनु की व्याकुलता का, निजता के द्वंद का; मन को द्रवित करने वाला बेहद सुंदर चित्रण है।
राधा, कृष्ण के चले जाने के पश्चात, विव्हल हो कर स्मरण करती है कि किस प्रकार आम्र बौर के नीचे खड़े हो, कनु उसकी प्रतीक्षा करते थे, परंतु लोक लाज से बंधी राधा अपने कनु के पास उस क्षण नही पहुंच पाती थी।
कनु का आम्र बौर की मंजरी से राधा संग परिणय कर लेना, राधा का बेचैन हो जाना और अपने कनु के समीप न आ पाने की व्यथा बताना। और आम्र बौर का ठीक ठीक अर्थ न समझ पाने में अपनी असमर्थता दिखाना… फिर कनु से मासूमियत से पूछ लेना… की तुम मेरे कौन हो ?
मंजरी परिणय की कविताएँ प्रेम में पड़ी राधा की आकुलता का सुंदर चित्रण है
चलिए गाथा पर सुनते हैं कनुप्रिया का द्वितीय खंड- मंजरी परिणय, पल्लवी की आवाज़ में
Purvraag
Purvraag
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Purvraag
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पूर्वराग – भाग -1
Dr. Dharmveer भर्ती जी द्वारा रचित कृति कनुप्रिया का ये प्रथम खंड है
पूर्वराग के पांचों गीत राधा के निश्चल मन की सम्वेदना को प्रकट करते हैं.
भोली राधा, प्रतीक्षा में खड़े छायादार अशोक वृक्ष से असमंजस्य से पूछती है कि वह क्यों उसकी, यानी कनुप्रिया की प्रतीक्षा में कई जन्मों से पुष्पहीन खड़े हैं? राधा के सौन्दर्य, नारी सुलभ लज्जा एवं पुलक का खूबसूरत चित्रण है.
कनु अर्थात कृष्ण का प्रेम आत्मा का प्रेम है, समर्पण का प्रेम है.
इन गीतों में राधा के प्रेम की सुन्दर अभिव्यक्ति है. राधा के प्रेम में निश्छल भावनाओं की स्थिति है. प्रकृति के कण कण में कनु की छवि देखना, यमुना में नहाते समय कृष्ण को निहारना, गृहकार्य से अलसाकर कदम्ब की छांह में शिथिल अनमनी पड़ी रहना- जैसे अनेक भाव प्रेषण चित्रण इन गीतों में झिलमिलाए हैं.
चलिए गाथा पर सुनते हैं कनुप्रिया का पहला खंड पूर्वराग, पल्लवी की आवाज़ में
रक्षा बंधन पर एक भाव पूर्ण कविता
रक्षा बंधन पर एक भाव पूर्ण कविता
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रक्षा बंधन पर एक भाव पूर्ण कविता
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भावना तिवारी की आवाज़ में भाई बहन के भावों को प्रदर्शित करती रक्षा बंधन पर एक भाव पूर्ण कविता, जो आपकी आँख नाम कर देगी
लौट सके हम अपने घर, कुदरत कोई करिश्मा कर
लौट सके हम अपने घर, कुदरत कोई करिश्मा कर
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kai dino tak
kai dino tak
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kai dino tak
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कई दिनों तक – Arvind saxena – Priya bhatia
एक ऐसा एहसास जब सारी बातें, सारे लोग ब़ेगाने से लगने लगे,जो कभी हमारी ज़िंदगी का एक अहम हिस्सा हुआ करते थे। ऐसा कब होता है ?और यह एहसास कब जन्म लेता है ?खूबसूरत शब्दों में पिरोया हुआ यह एहसास अरविंद सक्सेना की कविता कई दिनों से में सुनते हैं प्रिया की आवाज़ में..
Na bujha tu battiya
Na bujha tu battiya
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Na bujha tu battiya
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न बुझा तू बत्तिया – Arvind saxena – Priya bhatia
लुटी है एक बेटी, तो लुटा सम्मान सबका है!!
Tum muje kabhi bhula na paoge
Tum muje kabhi bhula na paoge
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Tum muje kabhi bhula na paoge
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तुम मुझे कभी भुला न पाओगे – Arvind saxena – Priya bhatia
हमरी किस्मत में तो सिर्फ यादें हैं तुम्हारी, जिसके नसीब में तू है उसे ज़िन्दगी मुबारक।
Bhun ke apne dil ko
Bhun ke apne dil ko
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Bhun ke apne dil ko
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भून के अपने दिल को – Arvind saxena – Priya bhatia
तेरे रोने से उन्हें कोई फर्क नहीं पड़ता ऐ दिल.. जिनके चाहने वाले ज्यादा हो.. वो अक्सर बे दर्द हुआ करते हैं….
Mai kaisi lagti hu
Mai kaisi lagti hu
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Mai kaisi lagti hu
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मैं कैसी लगती हूँ – Arvind saxena – Priya bhatia
“मुझको मालूम नहीं… हुस़्न की तारीफ, मेरी नज़रों में हसीन ‘वो’ है, जो तुम जैसा हो..”
Tum ho ya chand
Tum ho ya chand
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Tum ho ya chand
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तुम हो या चाँद – Arvind saxena – Priya bhatia
कल मिरे मेहबूब क्या आ गए छत पर, जला चाँद तमाम रात चमक चमक कर।
Dhue ke challe
Dhue ke challe
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Dhue ke challe
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धुंए के छल्ले – Arvind saxena – Priya bhatia
जो तूने_दिया उसे हम याद करेंगे, हर पल तेरे मिलने की #फ़रियाद करेंगे, चले_आना जब कभी ख्याल आये मेरा, हम रोज़ खुदा से पहले “तुझे” याद करेंगे।
Ek tanha sa mai tha
Ek tanha sa mai tha
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Ek tanha sa mai tha
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एक तन्हा सा मै था – Arvind saxena – Priya bhatia
मैं हूँ, दिल है, तन्हाई है तुम भी होते अच्छा होता|
Scissors | कैंची
Scissors | कैंची
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Scissors | कैंची
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Thank you ! धन्यवाद ! Shukriya! for giving me so much Love
Thank you ! धन्यवाद ! Shukriya! for giving me so much Love
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Thank you ! धन्यवाद ! Shukriya! for giving me so much Love
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Narrator
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Thank you everyone for giving me so much love . मुझे इतना प्रेम देने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद
S01E17 : THE 30 SECOND PROJECT
S01E17 : THE 30 SECOND PROJECT
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S01E17 : THE 30 SECOND PROJECT
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Narrator
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30 seconds of positive energy, positive poetry.
S01E16 : THE 30 SECOND PROJECT
S01E16 : THE 30 SECOND PROJECT
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S01E16 : THE 30 SECOND PROJECT
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Narrator
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30 seconds of positive energy, positive poetry.
S01E15 :THE 30 SECOND PROJECT
S01E15 :THE 30 SECOND PROJECT
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S01E15 :THE 30 SECOND PROJECT
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30 seconds of positive energy, positive poetry.
S01E14 :THE 30 SECOND PROJECT
S01E14 :THE 30 SECOND PROJECT
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S01E14 :THE 30 SECOND PROJECT
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30 seconds of positive energy, positive poetry.
S01E13 :THE 30 SECOND PROJECT
S01E13 :THE 30 SECOND PROJECT
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S01E13 :THE 30 SECOND PROJECT
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30 seconds of positive energy, positive poetry.
S01E12 : THE 30 SECOND PROJECT
S01E12 : THE 30 SECOND PROJECT
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S01E12 : THE 30 SECOND PROJECT
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Narrator
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30 seconds of positive energy, positive poetry.
S01E11:THE 30 SECOND PROJECT
S01E11:THE 30 SECOND PROJECT
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S01E11:THE 30 SECOND PROJECT
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30 seconds of positive energy, positive poetry.
S01E10 :THE 30 SECOND PROJECT
S01E10 :THE 30 SECOND PROJECT
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S01E10 :THE 30 SECOND PROJECT
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Narrator
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30 seconds of positive energy, positive poetry.
Dharti ke Bhagwan (धरती के भगवान)
Dharti ke Bhagwan (धरती के भगवान)
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Dharti ke Bhagwan (धरती के भगवान)
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Narrator
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आज इस वैश्विक महामारी में चिकित्सा जगत से जुड़े सभी लोगों की जो भूमिका रही है उसके लिए गाथा उन सभी का हार्दिक अभिनंदन करता है ।धर्म, जाति और अपना निजी स्वार्थ को त्याग कर मानवता की सेवा करना ही जिनका एक मात्र उद्देश्य है।कमल मुस्सद्दी की यह कविता उन सभी को समर्पित है ।
शह और मात ! | Check- Mate
शह और मात ! | Check- Mate
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शह और मात ! | Check- Mate
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Narrator
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Check Mate, remains a dear poem to me. Written in dark times, this poem reminds me of courage, resilience and hope. I hope it gives you the same. Originally penned in 2010.
संदूक | Treasure Chest
संदूक | Treasure Chest
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संदूक | Treasure Chest
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Narrator
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कभी कभी हमें खुद नहीं पता होता की हम अपने संदूकों में क्या क्या अद्भुत छुपाए बैठे हैं
मैं अपना दिल किराये पे चढ़ाना चाहता हूँ | I want to rent my heart
मैं अपना दिल किराये पे चढ़ाना चाहता हूँ | I want to rent my heart
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मैं अपना दिल किराये पे चढ़ाना चाहता हूँ | I want to rent my heart
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मैं अपना दिल किराये पे चढ़ाना चाहता हूँ ! यह कविता इस युग के प्रेमियों के लिए है !
लकीरें | Lines
लकीरें | Lines
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लकीरें | Lines
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Narrator
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लकीरें तो उनकी भी होती हैं, जिनके हाथ नहीं होते !
गुब्बारे में ब्रह्माण्ड | Universe in a balloon
गुब्बारे में ब्रह्माण्ड | Universe in a balloon
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गुब्बारे में ब्रह्माण्ड | Universe in a balloon
Writer
Narrator
दोस्तों, हम सब के जीवन में कई सीखें हैं | मैं भी ऐसी ही एक सीख को कविता के रूप में आपके साथ साझा कर | आशा करता हूँ कि आपको यह कविता पसंद आएगी | आनंद लीजिये और मेरे इस चैनल पर आते रहिये ऐसी ही प्रेरणा से भरी कविताओं के लिए | धन्यवाद |
आवाज़ ! | The Voice
आवाज़ ! | The Voice
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आवाज़ ! | The Voice
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A poet tells all, undiluted, un-afraid! My salute to all poets!
अकेला भगीरथ | Alone Bhageerath
अकेला भगीरथ | Alone Bhageerath
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अकेला भगीरथ | Alone Bhageerath
Writer
Narrator
Genre
A poem penned during a dark period in my life. A poem reminding me that even in the dark times, Poetry is the respite. When hope is lost, when one feels alone, when one feels like giving up, poetry can revive you.
छुट्टियां आने वाली हैं | Holiday Season is here
छुट्टियां आने वाली हैं | Holiday Season is here
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छुट्टियां आने वाली हैं | Holiday Season is here
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Have you every wanted a vacation from being a Human. I have. कभी आपको मनुष्य बनने से छुट्टी की इच्छा हुई है मुझे हुई है !
S01 E05 THE 30 SECOND PROJECT with Anupam Dhyani
S01 E05 THE 30 SECOND PROJECT with Anupam Dhyani
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S01 E05 THE 30 SECOND PROJECT with Anupam Dhyani
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Narrator
Genre
30 seconds of positive energy, positive poetry.
S01 E04 THE 30 SECOND PROJECT with Anupam Dhyani
S01 E04 THE 30 SECOND PROJECT with Anupam Dhyani
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S01 E04 THE 30 SECOND PROJECT with Anupam Dhyani
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Narrator
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30 seconds of positive energy, positive poetry.
S01 E03 THE 30 SECOND PROJECT with Anupam Dhyani
S01 E03 THE 30 SECOND PROJECT with Anupam Dhyani
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S01 E03 THE 30 SECOND PROJECT with Anupam Dhyani
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Narrator
30 seconds of positive energy, positive poetry.
S01 E02 THE 30 SECOND PROJECT with Anupam Dhyani
S01 E02 THE 30 SECOND PROJECT with Anupam Dhyani
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S01 E02 THE 30 SECOND PROJECT with Anupam Dhyani
Writer
Narrator
Genre
30 seconds of positive energy, positive poetry.
S01 E01 THE 30 SECOND PROJECT with Anupam Dhyani
S01 E01 THE 30 SECOND PROJECT with Anupam Dhyani
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S01 E01 THE 30 SECOND PROJECT with Anupam Dhyani
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Narrator
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30 seconds of positive energy, positive poetry.
Tum mujhe mud kar ek bar to dekhogi (तुम मुझे मुड़ कर एक बार तो देखोगी)
Tum mujhe mud kar ek bar to dekhogi (तुम मुझे मुड़ कर एक बार तो देखोगी)
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Tum mujhe mud kar ek bar to dekhogi (तुम मुझे मुड़ कर एक बार तो देखोगी)
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Narrator
सीने में उठने वाला वो दर्द जब अलग हो जाए हमसे वो इंसान जिससे हम बेहद मोहब्बत करते हैं। उसी दर्द को दर्शाती है यह कविता।
जश्न-ए -बहारा | Celebrating Life
जश्न-ए -बहारा | Celebrating Life
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जश्न-ए -बहारा | Celebrating Life
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Narrator
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जश्न-ए -बहारा | Celebrating Life | Hindi Kavita | हिंदी कविता | Poems by Anupam Dhyani
It is so IMPORTANT to pause, reflect, savor the moments that we just let go because we are running this race of life. When you pause is when you realize that the same things that you see is obstacles or impediments or even defeats , were actually life’s most important moment that you so conveniently ignored because you were running a race looking at others.
Jashn-e-bahara jaisi honi chahiye zindagi.
भूमि पूजन | Bhoomi Poojan
भूमि पूजन | Bhoomi Poojan
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भूमि पूजन | Bhoomi Poojan
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Narrator
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Meri or se RAM JANM BHOOMI POOJAN ke shubh uplaksh par bhent kee hui ek EENT.
Jai Shri Ram! Jai Maa Bhaarati ! Jai Hind !
जज़्बा | Passion
जज़्बा | Passion
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जज़्बा | Passion
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Narrator
जज़्बा |Passion| جازبہ | Hindi Kavita | हिंदी कविता | Motivational Poems by Anupam Dhyani
Passion is an ingredient , if missing, can dilute the hard work, talent, luck and focus put in winning.
Make passion the most important thing in your toolbox.
संदेह | Doubt
संदेह | Doubt
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संदेह | Doubt
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Narrator
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संदेह | Doubt |Hindi Kavita |हिंदी कविता | Motivational Hindi Poems by Anupam Dhyani
Doubt Everything. A curious mind is doubtful. Not cynical. But doubtful till the true nature of the truth is perceived.
I hope in the current scenario in India Justice is meted out and the perpetrators are punished
JAI HIND!
तो क्या जिए | To Kya Jiye
तो क्या जिए | To Kya Jiye
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तो क्या जिए | To Kya Jiye
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Narrator
Genre
तो क्या जिए | To Kya Jiye |Hindi Kavita |हिंदी कविता | Motivational Hindi Poems by Anupam Dhyani
There is no recipe for life, but it is important to live each moment as if it is your last. Easier said than done ! But you can try.
To Kya jiye is asking questions to myself. You can ask these or other questions as well.
A curious, unafraid life is a life well lived.
सुनहरी चिड़िया | Sunehri Chidiya
सुनहरी चिड़िया | Sunehri Chidiya
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सुनहरी चिड़िया | Sunehri Chidiya
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Narrator
Genre
सुनहरी चिड़िया | Sunehri Chidiya | Hindi Poem | हिंदी कविता | Motivational Poems by Anupam Dhyani
Let India shine in its original Glory! Jai Hindi! The Golden Bird!
प्रज्ज्वलित | Prajjwalit
प्रज्ज्वलित | Prajjwalit
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प्रज्ज्वलित | Prajjwalit
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Narrator
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प्रज्ज्वलित | Prajjwalit | Hindi Kavita | Motivational Hindi Poems by Anupam Dhyani
Let that lamp be always lit in you. No matter how hard the battle is, it’s only won if you keep going. And those who do, never lose. So keep that faith, keep that little lamp in you always alive.
Jai Hind
मानवता – वरदान या अभिशाप ?
मानवता – वरदान या अभिशाप ?
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मानवता – वरदान या अभिशाप ?
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Narrator
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मानवता- वरदान या अभिशाप ? |Hindi Kavita | हिंदी कविता | Motivational Poems by Anupam Dhyani
Maanavta- kho rahi hai!
SSR ki mrityu aur Bollywood ki underbelly – bhayaavah chehre- ko dekh kar aisa man hua ki kuch shabd likhun.– maanavta par- Humanity par. sawaal uthaun ki vilupt hoti maanavta kaise hame kha rahi hai!
Jai Hind!
Main Chhabbees Hoon (मैं छब्बीस हूँ)
Main Chhabbees Hoon (मैं छब्बीस हूँ)
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Main Chhabbees Hoon (मैं छब्बीस हूँ)
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I am 26 ! I am the date that India became a Republic, but like my brother 15, I too am cursed to be remembered just one day! I am the pain of the nation! This Republic day, let us pledge to keep India- Bharat in us every single day! May the Tricolor hoist everyday in our hearts!
Ban Jao (बन जाओ)
Ban Jao (बन जाओ)
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Ban Jao (बन जाओ)
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बन जाओ | Hindi Kavita |हिंदी कविता | Motivational Hindi Poems by Anupam Dhyani If you cannot become this- become that!
Padatee hai ! (पड़ती है !)
Padatee hai ! (पड़ती है !)
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Padatee hai ! (पड़ती है !)
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पड़ती है !|Hindi Kavita |हिंदी कविता | Motivational Hindi Poems by Anupam Dhyani Before starting something new one must shed the old! One must be patient for victory and always understand that all good things come in time.
Aaj avakaash hai ( आज अवकाश है )
Aaj avakaash hai ( आज अवकाश है )
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Aaj avakaash hai ( आज अवकाश है )
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Kya kabhi kabhi aisa nahin lagta ki aapko khud se hi khud ki sifarish karni padti hai..? Apne man ko kuch karne ke liye thoda rishwad deni padti hai jaise exercise ka man banana, junk food se parhez karna ya us ex ka number apni phone book se delete karna! Aap poori yogjna banate ho… aur man…. man ka kya hai….man to sarkaar hai…
इस बरस.. |This Year| Hindi Kavita| हिंदी कविता | Poems by Anupam Dhyani
इस बरस.. |This Year| Hindi Kavita| हिंदी कविता | Poems by Anupam Dhyani
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इस बरस.. |This Year| Hindi Kavita| हिंदी कविता | Poems by Anupam Dhyani
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This year. 2020.. Has been a testing one! Not all that was dreamt off, materialized. Not all that was thought of came to fruition. But what remained was our lives, our health and our hope. I feel that is enough. Let’s welcome the new year with vigor, vivacity and a vibe of victory! Stay safe, Happy Holidays, Merry Christmas, Happy New Year!
ग़ुलाबी |PINK| Hindi Kavita| हिंदी कविता | Poems by Anupam Dhyani
ग़ुलाबी |PINK| Hindi Kavita| हिंदी कविता | Poems by Anupam Dhyani
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ग़ुलाबी |PINK| Hindi Kavita| हिंदी कविता | Poems by Anupam Dhyani
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2021 hai.. aur 2020 mein ham sab nein kuch na kuch aisa mehsoos kiya jiski na to hum vyakhya kar sakte hain na khudh samajh sakte hain..poora.. maine bhi kuch aisa hi mehsoos kiya kisi ek din pichle saal.. aaiye is saal ka shubhaarambh karte hain is kavita se.. kavita ka aanand lein.. aur pasand aaye to channel ko subscribe zaroor karein This is 2021, in 2020 we all felt somethings that we either don’t understand fully or can’t explain. I did too. This is a small effort to express it.
Dharmraj ya Parth? |Thinker or Doer? Hindi Kavita Poems by Anupam Dhyani
Dharmraj ya Parth? |Thinker or Doer? Hindi Kavita Poems by Anupam Dhyani
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Dharmraj ya Parth? |Thinker or Doer? Hindi Kavita Poems by Anupam Dhyani
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Is it always important to think and do? Or is it important to just go ahead and do it? This poem compares to giants of history – Dharmraj- Yudhishthira and Mighty Arjuna.
Become Sharpness Hindi Kavita Poems by Anupam Dhyani
Become Sharpness Hindi Kavita Poems by Anupam Dhyani
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Become Sharpness Hindi Kavita Poems by Anupam Dhyani
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Narrator
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Let the people be what they be. You become the best version of yourself! Chase excellence and let people say what they have to.
With the speed of a bullet Hindi Kavita Poems by Anupam Dhyani
With the speed of a bullet Hindi Kavita Poems by Anupam Dhyani
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With the speed of a bullet Hindi Kavita Poems by Anupam Dhyani
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Sometimes life moves as slow as a tortoise ( or 2020) or speeds like a tracer bullet, but it moves, it always does. So should we.So do what you must in this life as well as you can and as soon as you can. Life is not going to wait for you.
Hand Bag Hindi Kavita Motivational Hindi Poems by Anupam Dhyani
Hand Bag Hindi Kavita Motivational Hindi Poems by Anupam Dhyani
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Hand Bag Hindi Kavita Motivational Hindi Poems by Anupam Dhyani
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Genre
So what is in ladies’s hand bag. Find out. A poem written in the days when I initially started dating and was curious to find out after all what the hell is in women’s hand bags.
Parwaz ( परवाज़)
Parwaz ( परवाज़)
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Parwaz ( परवाज़)
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खूबसूरत नज़्म परवाज़ इस बात का एहसास दिला रही है जब ऐसे वक्त में जब खामोशी आपका साथी बन रही हो और जिन -जिन बातों पर नाज़ करते हो वह आपका साथ छोड़ने लगे, ऐसे उदासीन वक्त में फिर से एक बार कोई आके उन उदासीन पलों को फिर से रंगीन कर दें और जिंदगी फिर से एक नई उड़ान भरने लगे ।सुनते हैं राकेश रविकांत टाक की नज़्म परवाज़, नयनी दीक्षित की आवाज में …
Akaal mein saras (अकाल में सारस)
Akaal mein saras (अकाल में सारस)
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Akaal mein saras (अकाल में सारस)
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अकाल की स्थिति में सारस का झुंड पानी की तलाश में इधर- उधर भटक रहा है एक बुढ़िया पानी का कटोरा उनके लिए रखती है लेकिन सारस का झुंड इस बात से अनजान है केदारनाथ सिंह के द्वारा लिखी गई कविता अकाल में सारस सुनते हैं पवन मिश्रा जी की आवाज में
Rasta Rasta (रस्ता रस्ता)
Rasta Rasta (रस्ता रस्ता)
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Rasta Rasta (रस्ता रस्ता)
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दर्वेश जी केअल्फ़ाज़ों ने मानवीय एहसासों को बेहद खूबसूरती से पिरोया है जिसे आवाज दी है नयनी दीक्षित ने
Gar talaash teri jari hai (गर तलाश तेरी जारी है)
Gar talaash teri jari hai (गर तलाश तेरी जारी है)
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Gar talaash teri jari hai (गर तलाश तेरी जारी है)
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हमें हर मुमकिन कोशिश करनी है किसी भी जंग को जीतने के लिए |’काश ‘ के लिए कोई गुंजाइश नहीं रखनी है इसी प्रेरणा को अपनी कविता गर तलाश तेरी जारी है के माध्यम से तराशा है अनुपम ध्यानी जी ने अपनी आवाज से
Man mein kohra, kohram hriday mein (मन में कोहरा, कोहराम हृदय में )
Man mein kohra, kohram hriday mein (मन में कोहरा, कोहराम हृदय में )
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Man mein kohra, kohram hriday mein (मन में कोहरा, कोहराम हृदय में )
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मन और हृदय अलग-अलग संवेदना से क्यों गुजर रहे हैं? अगर मन स्थिर और शांत है फिर क्यों हृदय में संग्राम छिड़ा हुआ है ?बेहद खूबसूरत शब्दों से पिरोया है इस दुविधा को अनुपम ध्यानी जी ने अपनी कविता मन में कोहरा, कोहराम हृदय में अपनी स्वयं की आवाज से
Kya Matlab (क्या मतलब)
Kya Matlab (क्या मतलब)
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Kya Matlab (क्या मतलब)
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Narrator
Khoob padhte jana (खूब पढ़ते जाना)
Khoob padhte jana (खूब पढ़ते जाना)
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Khoob padhte jana (खूब पढ़ते जाना)
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साक्षर होना जीवन में सबसे बड़ा वरदान होता है अतः कविता के माध्यम से यह संदेश प्रेरित किया गया है पढ़ना लिखना हमारे जीवन के लिए कितना आवश्यक है कविता खूब पढ़ते जाना पल्लवी जी की मधुर आवाज
Dharti ke Bhagwan (धरती के भगवान)
Dharti ke Bhagwan (धरती के भगवान)
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Dharti ke Bhagwan (धरती के भगवान)
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आज इस वैश्विक महामारी में चिकित्सा जगत से जुड़े सभी लोगों की जो भूमिका रही है उसके लिए गाथा उन सभी का हार्दिक अभिनंदन करता है ।धर्म, जाति और अपना निजी स्वार्थ को त्याग कर मानवता की सेवा करना ही जिनका एक मात्र उद्देश्य है।कमल मुस्सद्दी की यह कविता उन सभी को समर्पित है ।
Aashna (आशना)
Aashna (आशना)
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Aashna (आशना)
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सकारात्मक सोच से जटिल से जटिल समस्याओं का निदान संभव है कुछ ऐसी ही विचारधारा को प्रेरित करती हुई पल्लवी के द्वारा लिखी एक कविता आशना
Dadi (दादी)
Dadi (दादी)
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Dadi (दादी)
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बड़े बुजुर्ग घर की शान होते हैं उनकी बातों में एक तजुर्बा होता है उनके सानिध्य में सब कुछ कितना सरल हो जाता है बच्चों के लिए उनकी दादी तो पूरा स्नेह का खजाना होती है इसी रिश्ते के मधुर संबंधों काअवलोकन कराती हुई कविता है दादी पल्लवी की आवाज में