बड़े बुजुर्ग घर की शान होते हैं उनकी बातों में एक तजुर्बा होता है उनके सानिध्य में सब कुछ कितना सरल हो जाता है बच्चों के लिए उनकी दादी तो पूरा स्नेह का खजाना होती है इसी रिश्ते के मधुर संबंधों काअवलोकन कराती हुई कविता है दादी पल्लवी की आवाज में
साक्षर होना जीवन में सबसे बड़ा वरदान होता है अतः कविता के माध्यम से यह संदेश प्रेरित किया गया है पढ़ना लिखना हमारे जीवन के लिए कितना आवश्यक है कविता खूब पढ़ते जाना पल्लवी जी की मधुर आवाज
अगर अपने प्रेमी से मिलन संसार की सबसे सुखद अनुभूति है उसी प्रकार अपने प्रेमी से हमेशा का विछोह सबसे दुखद अनुभूति होती है। राधा-कृष्ण के विछोह के प्रसंग से संबंधित ये पंक्तियां उसी पीड़ा का अनुभव कराती हैं। *कृष्ण- राधा के विछोह से संबंधित कोई चित्र
सकारात्मक सोच से जटिल से जटिल समस्याओं का निदान संभव है कुछ ऐसी ही विचारधारा को प्रेरित करती हुई पल्लवी के द्वारा लिखी एक कविता आशना
अक्सर हमारा वक्त बीती -बातों को याद करने में चला जाता है| आप कुछ ऐसा ही पल्लवी के द्वारा लिखी गई कविताyad aa gya mujko gujra zamana(याद आ गया मुझको गुज़रा ज़माना) को सुनकर निश्चित तौर पर सब अपने बचपन में जरूर लौट जाएंगे, उन पलों को याद करेंगे, जो हमारे- आपके जीवन का एक खूबसूरत हिस्सा है |
मंजरी परिणय – भाग -2
Dr. Dharmveer भर्ती जी द्वारा रचित कृति कनुप्रिया का ये द्वितीय खंड है
मंजरी परिणय में तीन कविताएँ है।
इन कविताओं में, राधा के प्रश्नों का, कनु की व्याकुलता का, निजता के द्वंद का; मन को द्रवित करने वाला बेहद सुंदर चित्रण है।
राधा, कृष्ण के चले जाने के पश्चात, विव्हल हो कर स्मरण करती है कि किस प्रकार आम्र बौर के नीचे खड़े हो, कनु उसकी प्रतीक्षा करते थे, परंतु लोक लाज से बंधी राधा अपने कनु के पास उस क्षण नही पहुंच पाती थी।
कनु का आम्र बौर की मंजरी से राधा संग परिणय कर लेना, राधा का बेचैन हो जाना और अपने कनु के समीप न आ पाने की व्यथा बताना। और आम्र बौर का ठीक ठीक अर्थ न समझ पाने में अपनी असमर्थता दिखाना… फिर कनु से मासूमियत से पूछ लेना… की तुम मेरे कौन हो ?
मंजरी परिणय की कविताएँ प्रेम में पड़ी राधा की आकुलता का सुंदर चित्रण है
चलिए गाथा पर सुनते हैं कनुप्रिया का द्वितीय खंड- मंजरी परिणय, पल्लवी की आवाज़ में
अमृता अपने सपने लिखतीं थीं अपनी डायरी में।
उनींदे सपने, गहरी नींद के सपने, जागती आंखों के सपने…
ये कुछ सपने जो उन्होंने 2001 से ले कर 2003 के बीच देखे और लिखे। कुछ सपनों पर कविता या नज़्म लिखी, कुछ को बस उड़ने के लिए छोड़ दिया।
उनकी आत्मा की चेतना तक पहुंचाते हैं ये सपने
सुनते हैं, मैं तुम्हें फिर मिलूँगी काव्य संग्रह में दर्ज़ अमृता के कुछ सपने, गाथा ऐप्प पे, पल्लवी गर्ग की आवाज़ में
मैं तुम्हे फिर मिलूँगी काव्य संग्रह की कुछ कविताओं को शीर्षक दिया है मुलाक़ात।
अमृता बीमार थीं, बहुत बीमार। अपने नग्मों, अपनी कविताओं के माध्यम से वो कभी अपनी माँ को याद करतीं, कभी सभी बंधनों के परे जा, कृष्ण से, गणेश से, साईं से मिलतीं, कभी बस अपने प्रेमी से मुलाक़ात के लिए किसी भी सीमा को पार करने की बात करतीं।
सुनते हैं शीर्षक मुलाक़ात के अंतर्गत समाहित मैं तुम्हे फिर मिलूँगी की कुछ कविताएँ गाथा ऐप्प पे, पल्लवी गर्ग की आवाज़ में
धनोल्टी मसूरी के पास एक छोटा खूबसूरत सा हिल स्टेशन है। हिमालय की ऊंची -ऊंची चोटियां यहां की खूबसूरती को और बढ़ा देती है और उसके साथ देवदार के पेड़ धनोल्टी की सुंदरता में चार -चांद लगा देते हैं ।धनोल्टी का इको पार्क पर्यटकों के लिए बस देखते ही बनता है। घुमंतू के साथ इस रोमांचक जगह को और अच्छे से जानने के लिए सुनते हैं संजय शेफर्ड की कवरस्टोरी पल्लवी गर्ग की आवाज़ में…
प्राकृतिक सुंदरता और आध्यात्मिकता का अद्भुत संगम, जो मानसरोवर और कैलाश यात्रा के दुर्गम स्थानों को भी सुगम बना देता है। मानसरोवर और कैलाश की यात्रा के लिए उत्तराखंड के अंतिम छोर पिथौरागढ़ से शुरुआत होती है इसीलिए पिथौरागढ़ को मानसरोवर और कैलाश का द्वार कहते हैं । शिव के उपासकों के लिए उनका यह परमधाम है। घुमंतू के साथ आपको यात्रा कराते हैं संजय शेफर्ड द्वारा लिखी गई कवरस्टोरी से पल्लवी गर्ग की आवाज़ में…
सुनहरी चिड़िया | Sunehri Chidiya | Hindi Poem | हिंदी कविता | Motivational Poems by Anupam Dhyani
Let India shine in its original Glory! Jai Hindi! The Golden Bird!
दुःशासन द्रौपदी के बाल खींचकर भरी सभा में ले आता है और उसे अपमानित करना चाहता है। तब द्रौपदी बड़े साहस एवं निर्भीकता के साथ दुःशासन को निर्लज्ज और पापी कहकर पुकारती है।द्वारिकाप्रसाद माहेश्वरी जी ने इस खंडकाव्य को जितने प्रभावी ढंग से वर्णन किया है ,उतने ही प्रभावी ढंग से नयनी दीक्षित ने आवाज दी है
महाभारत का युद्ध समाप्त होने के पश्चात अश्वत्थामा, कृपाचार्य वन में भटक रहे थे |अचानक अश्वत्थामा की नज़र एक वटवृक्ष पर पड़ी ,जहां एक उल्लू के द्वारा कौऔं के दल पर कपट करके आक्रमण किया जा रहा था यह देख अश्वत्थामा के मन में कपट पूर्ण युक्ति पांडवों को मारने के लिए आई। आखिर क्या थी वह युक्ति ?उसे जानने के लिए सुनते हैं महाभारत की कहानियों में से एक कहानी,अश्वत्थामा का कपटशिवानी आनंद की आवाज में…
उन माता-पिता की स्थिति , जिनके बच्चे विदेशों में जा बसे हैं | वृद्ध माता पिता सिर्फ अपने बच्चों के आने का इंतजार करते -करते थक जाते हैं ,किंतु यह इंतजार उनका खत्म नहीं होता | दिल को छू लेने वाली इस मार्मिक कविता में इस एहसास को समझ सकते हैं| भावना तिवारी जी की मधुर आवाज में …
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