25 दिसंबर 1950 रीवा मध्य प्रदेश में जन्म लेने वाले सभी संदीप द्विवेदी ने अपने लेखन प्रतिभा से सभी को अचंभित कर दिया है| उनकी प्रमुख रचनाएं मैं व्यथा का कवि नहीं हूं, उलझे उलझे पथ कैसे सुलझाऊं, मैं धन्य हूं जन्मा यहां, द्रोण को पहचानिए आदि बहुचर्चित कविताएं हैं|
कर्नल होशियार सिंह ( 5 मई, 1937- 6 दिसम्बर, 1998) परमवीर चक्र से सम्मानित भारतीय व्यक्ति है।1971 की भारत-पाकिस्तान की जंग भारतीय सैनिकों की वीरता और पराक्रम का एक शानदार उदाहरण है। इस जंग से जुड़े जवानों के बहादुरी के कई किस्से हैं। इस युद्ध में यूं तो चार जांबाजों को सर्वोच्च वीरता पुरस्कार परमवीर चक्र से नवाजा गया था, मगर सिर्फ एक जांबाज मेजर होशियार सिंह ऐसे थे जिन्हें यह पुरस्कार जीवित रहते मिला।
3 नवंबर 1947 को, जब देश अभी आजाद हुआ था, पाकिस्तान ने श्रीनगर पर हमला बोल दिया था। इस हमले का मकसद था श्रीनगर एयरबेस को कब्जे में करना। 700 दुश्मन आक्रमणकारी थे, लेकिन हमारे 50 जवानों ने उन्हें बहादुरी से रोका। उन्होंने सिर्फ छह घंटे में आगे बढ़ने से रोका और 200 आतंकवादी को नर्क पहुंचा दिया। इस युद्ध में हमारे 22 जवान शहीद हो गए, लेकिन उनकी बलिदानी चेतना हमें आगे बढ़ने का साहस देती है। इस कहानी का मुख्य किरदार, देश के पहले परमवीर चक्र विजेता मेजर सोमनाथ शर्मा (Major Somnath Sharma) है।
अब्दुल हमीद मसऊदी (1 जुलाई 1933 – 10सितम्बर 1965)भारतीय सेना की 4 ग्रेनेडियर में एक सिपाही थे जिन्होंने 1965 के भारत-पाक युद्ध के दौरान खेमकरण सैक्टर के आसल उत्ताड़ में लड़े गए युद्ध में अद्भुत वीरता का प्रदर्शन करते हुए वीरगति प्राप्त की जिसके लिए उन्हें मरणोपरान्त भारत का सर्वोच्च सेना पुरस्कार परमवीर चक्र मिला।युद्ध में शहीद होने से पहले पाकिस्तानी सेना के आठ पैटन टैंको को नष्ट कर लड़ाई का रुख पलट दिया था| पाकिस्तान को भागना पड़ा था और इस तरह से भारतीय सेना को विजय मिली थी
कैप्टन गुरबचन सिंह सलारिया परमवीर चक्र (29 नवंबर 1935 – 5 दिसंबर 1961) एक भारतीय सैन्य अधिकारी और संयुक्त राष्ट्र शांति अभियान के सदस्य थे। वह परमवीर चक्र प्राप्त करने वाले एकमात्र संयुक्त राष्ट्र शांतिरक्षक हैं। वह किंग जॉर्ज के रॉयल मिलिट्री कॉलेज और राष्ट्रीय रक्षा अकादमी के पूर्व छात्र थे।
सूबेदार जोगिंदर सिंह शूरसैनी राजपूत (26 सितंबर 1921 – 23अक्टूबर1962) सिख रेजिमेंट के एक भारतीय सैनिक थे। इन्हें 1962 के भारत-चीन युद्ध में असाधारण वीरता के लिए मरणोपरांत परमवीर चक्र से सम्मानित किया गया।साल 1962 का भारत-चीन युद्ध में एक हीरो ऐसा भी था जिसने गोली लगने के बाद भी हार नहीं मानी और युद्ध के मैदान में डटा रहा. ये हीरो कोई और नहीं बल्कि सूबेदार जोगिंदर सिंह थे,जोगिंदर सिंह ने ‘जो बोले सो निहाल, सत श्री अकाल’ के नारे लगाते हुए चीनी सेना पर हमला किया था और अकेले फौज पर भारी पड़े|
फ्लाइंग ऑफिसर निर्मलजीत सिंह सेखों (17 जुलाई 1943 – 14 दिसंबर 1971) भारतीय वायु सेना के एक अधिकारी थे। भारत-पाकिस्तान युद्ध 1971 के दौरान पाकिस्तानी वायु सेना के हवाई हमले के खिलाफ श्रीनगर एयर बेस के बचाव में शहीद हो गए थे। उन्हें मरणोपरांत भारत के सर्वोच्च सैन्य सम्मान परमवीर चक्र से वर्ष 1972 में सम्मानित किया गया।
कंपनी हवलदार मेजर पीरू सिंह (श्री पीरू सिंह शेखावत भी) (20 मई 1918 – 18 जुलाई 1948) भारतीय सैनिक थे। उनका 1947 के भारत-पाक युद्ध में निधन हुआ। उन्हें 1952 में मरणोपरांत परमवीर चक्र से सम्मानित किया गया जो शत्रु के सामने वीरता प्राप्त करने के लिए दिया जाने वाला सर्वोच्च भारतीय सम्मान है।
कुमाऊं रेजीमेंट की 13वीं बटालियन, जिसमें 123 वीर जवान थे, भारत-चीन 1962 युद्ध में अद्भुत पराक्रम दिखाते हुए एक महान योद्धा, मेजर शैतान सिंह भाटी के नेतृत्व में, उच्च शिखरों पर भयंकर मुश्किलों का सामना किया। उनकी अद्वितीय साहस, प्रेरणादायक नेतृत्व और अनन्त बलिदान ने चीनी सैनिकों को अंधेरे में डाल दिया। मेजर शैतान सिंह को आखिरी सांस तक हारने का सोचना तक नहीं था, और उन्होंने दुश्मनों को उल्टे पैर भागते देखा। उन्हें इस अद्वितीय पराक्रम के लिए परमवीर चक्र (मरणोपरांत) से सम्मानित किया गया।
अल्बर्ट एक्का ने 1971 के भारत-पाक युद्ध में भाग लिया था, जहां वह दुश्मनों से लड़ते हुए वे शहीद हो गए थे| मरणोपरांत उन्हें देश की सर्वश्रेष्ठ सम्मान परमवीर चक्र से सम्मानित किया था|बता दें कि जंग के दौरान उन्हें 20 से 25 गोलियां लगी थी| उनका पूरा शरीर दुश्मन की गोलियों से छलनी हो गया था|
जदुनाथ सिंह परमवीर चक्र विजेता (21 नवंबर 1916 -6 फरवरी 1948 )नौशेरा के झांगर पोस्ट में मात्र अपने 9 सिपाहियों के साथ डटे इस नौजवान ने सैकड़ों पाकिस्तानी सैनिकों को अपने जोश और ज़ज़्बे से कामयाब नहीं होने दिया। पाकिस्तानी सैनिकों ने लगातार तीन बार कोशिश की लेकिन अपने सारे साथियों के वीरगति प्राप्त होने के बावजूद अकेले- दम सीने पर 11 गोलियां खाकर भी पाकिस्तानी सैनिकों को तब तक मुंह -तोड़ जवाब दिया जब तक हिंदुस्तानी सेना वहां नहीं आ गयी। 6 फरवरी 1948 को हमारा यह वीर सैनिक शहीद हो गया ।भारत सरकार की ओर से अपने सर्वोच्च सैन्य अलंकरण परमवीर चक्र से मरणोपरांत इन्हें सम्मानित किया गया।
अक्टूबर 1962 में चीन -भारत युद्ध में पैन्गाॅग झील के उत्तर में मेजर धन सिंह थापा ने 8 गोरखा राइफल्स के प्रथम बटालियन की कमान संभाली। चीनी सेना ने जब इस पोस्ट को घेर लिया था ,ऐसे में मेज़र थापा और उनके साथियों ने इस पोस्ट पर होने वाले तीनों आक्रमणों को असफल कर दिया। युद्ध के दौरान उनके सराहनीय प्रयास के कारण इन्हें परमवीर चक्र से सम्मानित किया गया।
लेफ्टिनेंट राम राघोबा राणे को 1948 में परमवीर चक्र से सम्मानित किया गया था। भारत-पाकिस्तान युद्ध के दौरान राणा की भूमिका आव्दितीय थी। बारूदी सुरंग हमारी बटालियन की उन्नति में बाधा बन रही थी। ऐसे में राणे के नेतृत्व में गोलियों की बौछार के बीच बारूदी सुरंग को साफ़ करने का जिम्मा राणे ने बखूबी निभाया ।यह परमवीर चक्र पाने वाले पहले जीवित व्यक्ति थे। 11 जुलाई 1994 को इनका निधन हो गया।
जदुनाथ सिंह परमवीर चक्र विजेता (21 नवंबर 1916 -6 फरवरी 1948 )नौशेरा के झांगर पोस्ट में मात्र अपने 9 सिपाहियों के साथ डटे इस नौजवान ने सैकड़ों पाकिस्तानी सैनिकों को अपने जोश और ज़ज़्बे से कामयाब नहीं होने दिया। पाकिस्तानी सैनिकों ने लगातार तीन बार कोशिश की लेकिन अपने सारे साथियों के वीरगति प्राप्त होने के बावजूद अकेले- दम सीने पर 11 गोलियां खाकर भी पाकिस्तानी सैनिकों को तब तक मुंह -तोड़ जवाब दिया जब तक हिंदुस्तानी सेना वहां नहीं आ गयी। 6 फरवरी 1948 को हमारा यह वीर सैनिक शहीद हो गया ।भारत सरकार की ओर से अपने सर्वोच्च सैन्य अलंकरण परमवीर चक्र से मरणोपरांत इन्हें सम्मानित किया गया।
दीपक के पाँच संदेश – भाग 5
दिवाली पर संदीप द्विवेदी के पाँच संदेश.
दीपक के पाँच संदेश – भाग 4
दिवाली पर संदीप द्विवेदी के पाँच संदेश.
दीपक के पाँच संदेश – भाग 3
दिवाली पर संदीप द्विवेदी के पाँच संदेश.
दीपक के पाँच संदेश – भाग 2
दिवाली पर संदीप द्विवेदी के पाँच संदेश.
दीपक के पाँच संदेश - भाग 1 दिवाली पर संदीप द्विवेदी के पाँच संदेश.
यह कविता आपको इस आधार पर प्रेरित करेगी और ईश्वर के प्रति आपका विश्वास तथा प्रेम बढायेगी कि कई बार ईश्वर को जब निखारना होता है तो वो आपको हमें मुश्किलों से घेर देते हैं। क्योंकि तभी हम निकलने का प्रयास करेंगे और इस परीक्षा से निकलने के बाद एक अलग ही ऊर्जा रहेगी। सफलता का अलग ही आनंद होगा।। इसके लिए हमने भगवान् श्री कृष्ण और महारथी कर्ण के बीच की गाथा को लिया है। कर्ण कौरव पक्ष की ओर होकर भी इसलिए वंदनीय है क्योंकि उसने सब बहुत संघर्ष से हासिल किया है। अपने आपको कई गुणों से सज्जित किया है। भगवान् कृष्ण भी कर्ण की प्रशंसा करते नही थकते लेकिन उन्होंने कभी अधिक पक्ष नही लिया और फिर भी कर्ण की कीर्ति सारे संसार में है।। और यह कविता कर्ण की कीर्ति का कारण श्री कृष्ण को मानते हुए बढ़ती है। अब ये किस तरह.. यह कविता सुनते हुए स्पष्ट होगा। आशा है यह कविता आपको प्रेरित करेगी। महाकवि दिनकर जी की ‘रश्मिरथी’ और शिवा जी सावंत जी की ‘मृत्युंजय’और बी आर चोपड़ा जी की ‘महाभारत’ से कर्ण का त्यागी जीवन परिचय मिला है मुझे।इनको पढ़ता हूँ।प्रेरित होता हूँ।।। बस वही से कर्ण को जो समझा।। उसी से ये कल्पना भीतर बढ़ी और प्रयास किया।
क्या आप जानते हैं कि जिस परीक्षा के नाम से हम सभी को इतना भय लगता है ,असल में परीक्षा की वह प्रक्रिया हमारी जिंदगी में कौन सा गुण विकसित करती है ? निश्चित तौर पर संदीप द्विवेदी के द्वारा पास- फेल से ऊपर परीक्षा का उद्देश्य को सुनकर , परीक्षा को लेकर भय की स्थिति पर भी एक सकारात्मक बदलाव महसूस करेंगे…
विपरीत परिस्थितियों में जब सारे रास्ते बंद हो जाए ,ऐसे में आपको उन परिस्थितियों से कौन बाहर निकाल सकता है? इसके बारे में क्या कहते हैं संदीप द्विवेदी…
क्या आप जानते हैं कि जीवन में बड़ी सफलता कहाँ छुपी होती है और हमें वह कैसे प्राप्त होती है? इस संदर्भ में सुनते हैं संदीप द्विवेदी को…
बहुत से सपनें हैं, पर वह पूरे कैसे हों क्योंकि हर बात हमारें मुताबिक भी तो नहीं? तो फिर क्या करें? सुने संदीप द्विवेदी को और जाने…
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