अब्दुल हमीद मसऊदी (1 जुलाई 1933 – 10सितम्बर 1965)भारतीय सेना की 4 ग्रेनेडियर में एक सिपाही थे जिन्होंने 1965 के भारत-पाक युद्ध के दौरान खेमकरण सैक्टर के आसल उत्ताड़ में लड़े गए युद्ध में अद्भुत वीरता का प्रदर्शन करते हुए वीरगति प्राप्त की जिसके लिए उन्हें मरणोपरान्त भारत का सर्वोच्च सेना पुरस्कार परमवीर चक्र मिला।युद्ध में शहीद होने से पहले पाकिस्तानी सेना के आठ पैटन टैंको को नष्ट कर लड़ाई का रुख पलट दिया था| पाकिस्तान को भागना पड़ा था और इस तरह से भारतीय सेना को विजय मिली थी
कंपनी हवलदार मेजर पीरू सिंह (श्री पीरू सिंह शेखावत भी) (20 मई 1918 – 18 जुलाई 1948) भारतीय सैनिक थे। उनका 1947 के भारत-पाक युद्ध में निधन हुआ। उन्हें 1952 में मरणोपरांत परमवीर चक्र से सम्मानित किया गया जो शत्रु के सामने वीरता प्राप्त करने के लिए दिया जाने वाला सर्वोच्च भारतीय सम्मान है।
सूबेदार जोगिंदर सिंह शूरसैनी राजपूत (26 सितंबर 1921 – 23अक्टूबर1962) सिख रेजिमेंट के एक भारतीय सैनिक थे। इन्हें 1962 के भारत-चीन युद्ध में असाधारण वीरता के लिए मरणोपरांत परमवीर चक्र से सम्मानित किया गया।साल 1962 का भारत-चीन युद्ध में एक हीरो ऐसा भी था जिसने गोली लगने के बाद भी हार नहीं मानी और युद्ध के मैदान में डटा रहा. ये हीरो कोई और नहीं बल्कि सूबेदार जोगिंदर सिंह थे,जोगिंदर सिंह ने ‘जो बोले सो निहाल, सत श्री अकाल’ के नारे लगाते हुए चीनी सेना पर हमला किया था और अकेले फौज पर भारी पड़े|
कर्नल होशियार सिंह ( 5 मई, 1937- 6 दिसम्बर, 1998) परमवीर चक्र से सम्मानित भारतीय व्यक्ति है।1971 की भारत-पाकिस्तान की जंग भारतीय सैनिकों की वीरता और पराक्रम का एक शानदार उदाहरण है। इस जंग से जुड़े जवानों के बहादुरी के कई किस्से हैं। इस युद्ध में यूं तो चार जांबाजों को सर्वोच्च वीरता पुरस्कार परमवीर चक्र से नवाजा गया था, मगर सिर्फ एक जांबाज मेजर होशियार सिंह ऐसे थे जिन्हें यह पुरस्कार जीवित रहते मिला।
अल्बर्ट एक्का ने 1971 के भारत-पाक युद्ध में भाग लिया था, जहां वह दुश्मनों से लड़ते हुए वे शहीद हो गए थे| मरणोपरांत उन्हें देश की सर्वश्रेष्ठ सम्मान परमवीर चक्र से सम्मानित किया था|बता दें कि जंग के दौरान उन्हें 20 से 25 गोलियां लगी थी| उनका पूरा शरीर दुश्मन की गोलियों से छलनी हो गया था|
फ्लाइंग ऑफिसर निर्मलजीत सिंह सेखों (17 जुलाई 1943 – 14 दिसंबर 1971) भारतीय वायु सेना के एक अधिकारी थे। भारत-पाकिस्तान युद्ध 1971 के दौरान पाकिस्तानी वायु सेना के हवाई हमले के खिलाफ श्रीनगर एयर बेस के बचाव में शहीद हो गए थे। उन्हें मरणोपरांत भारत के सर्वोच्च सैन्य सम्मान परमवीर चक्र से वर्ष 1972 में सम्मानित किया गया।
“किरण मजूमदार शॉ ने साबित कर दिया है कि सच्ची लगन, कठिन मेहनत, और समझदारी से कोई भी सफलता के शिखर को छू सकता है। बॉयोकॉन की फाउंडर और बायोटेक्नोलॉजी के क्षेत्र में अग्रणी होने के बावजूद, उनका सफर चुनौतियों से भरा रहा है। उन्होंने बायोकॉन की शुरुआत एक छोटे से गैराज से की और आज इसे वैश्विक पहचान दिलाई। भारत की सबसे ताकतवर महिलाओं में शामिल किरण की कहानी उनकी अटूट इच्छाशक्ति और अद्वितीय प्रबंधन कुशलता की मिसाल है।
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इस गाथा में हम कुंभ मेले के प्रकारों की रोचक और विस्तृत कहानी साझा करेंगे। दरअसल, कुंभ मेला चार प्रकार का होता है- कुंभ, अर्ध कुंभ, पूर्ण कुंभ और महाकुंभ। पूर्ण कुंभ: 12 वर्षों में एक बार
अर्ध कुंभ: हर 6 साल में
महाकुंभ: 144 वर्षों में एक बार
कुंभ स्नान: विशेष ग्रह-नक्षत्र योग में
हर कुंभ का अपना महत्व, अपनी महिमा है
कुंभ मेले में स्नान का महत्व: पवित्रता की ओर एक कदम
कुंभ मेले में नदियों में स्नान करना सिर्फ एक परंपरा नहीं, यह आत्मा की शुद्धि और मोक्ष प्राप्ति का माध्यम है। मान्यता है कि गंगा, यमुना और सरस्वती जैसे पवित्र नदियों में डुबकी लगाने से पापों का नाश होता है और जीवन में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है।
धार्मिक ग्रंथों के अनुसार, कुंभ के दौरान इन नदियों का जल अमृतमय हो जाता है। स्नान करने से केवल शरीर ही नहीं, मन और आत्मा भी शुद्ध होती है। यह एक ऐसा अनुभव है, जो व्यक्ति को अपने भीतर की गहराइयों को समझने और आध्यात्मिक शांति पाने में मदद करता है।
गाथा के साथ जानिए, कुंभ मेले में स्नान से जुड़ी कहानियां और धार्मिक रहस्यों की गहराई।
कहते हैं “ अपनी धरती और जड़ों से जुड़कर ही मनुष्य अपने लक्ष्य की प्राप्ति कर सकता है क्योंकि वे जड़े ही उसकी ज़िन्दगी को मज़बूती देती हैं जिनके सहारे वह आगे सदा आगे बढ़ता है और ज़िन्दगी को गहराई से समझता है “ सब उसे प्यार और दुलार से बाला पुकारते थे और बहुत कम उम्र में ही बाला ने इस बात को समझ कर जीवन में धारण कर लिया था इनका जीवन हमारे लिए प्रेरणा का स्रोत है , आइये जानते हैं इनके बारे में
सूबेदार जोगिंदर सिंह शूरसैनी राजपूत (26 सितंबर 1921 – 23अक्टूबर1962) सिख रेजिमेंट के एक भारतीय सैनिक थे। इन्हें 1962 के भारत-चीन युद्ध में असाधारण वीरता के लिए मरणोपरांत परमवीर चक्र से सम्मानित किया गया।साल 1962 का भारत-चीन युद्ध में एक हीरो ऐसा भी था जिसने गोली लगने के बाद भी हार नहीं मानी और युद्ध के मैदान में डटा रहा. ये हीरो कोई और नहीं बल्कि सूबेदार जोगिंदर सिंह थे,जोगिंदर सिंह ने ‘जो बोले सो निहाल, सत श्री अकाल’ के नारे लगाते हुए चीनी सेना पर हमला किया था और अकेले फौज पर भारी पड़े|
दीपक के पाँच संदेश – भाग 2
दिवाली पर संदीप द्विवेदी के पाँच संदेश.
दीपक के पाँच संदेश – भाग 5
दिवाली पर संदीप द्विवेदी के पाँच संदेश.
क्या आप जानते हैं कि जिस परीक्षा के नाम से हम सभी को इतना भय लगता है ,असल में परीक्षा की वह प्रक्रिया हमारी जिंदगी में कौन सा गुण विकसित करती है ? निश्चित तौर पर संदीप द्विवेदी के द्वारा पास- फेल से ऊपर परीक्षा का उद्देश्य को सुनकर , परीक्षा को लेकर भय की स्थिति पर भी एक सकारात्मक बदलाव महसूस करेंगे…
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