25 दिसंबर 1950 रीवा मध्य प्रदेश में जन्म लेने वाले सभी संदीप द्विवेदी ने अपने लेखन प्रतिभा से सभी को अचंभित कर दिया है| उनकी प्रमुख रचनाएं मैं व्यथा का कवि नहीं हूं, उलझे उलझे पथ कैसे सुलझाऊं, मैं धन्य हूं जन्मा यहां, द्रोण को पहचानिए आदि बहुचर्चित कविताएं हैं|
यह कविता आपको इस आधार पर प्रेरित करेगी और ईश्वर के प्रति आपका विश्वास तथा प्रेम बढायेगी कि कई बार ईश्वर को जब निखारना होता है तो वो आपको हमें मुश्किलों से घेर देते हैं। क्योंकि तभी हम निकलने का प्रयास करेंगे और इस परीक्षा से निकलने के बाद एक अलग ही ऊर्जा रहेगी। सफलता का अलग ही आनंद होगा।। इसके लिए हमने भगवान् श्री कृष्ण और महारथी कर्ण के बीच की गाथा को लिया है। कर्ण कौरव पक्ष की ओर होकर भी इसलिए वंदनीय है क्योंकि उसने सब बहुत संघर्ष से हासिल किया है। अपने आपको कई गुणों से सज्जित किया है। भगवान् कृष्ण भी कर्ण की प्रशंसा करते नही थकते लेकिन उन्होंने कभी अधिक पक्ष नही लिया और फिर भी कर्ण की कीर्ति सारे संसार में है।। और यह कविता कर्ण की कीर्ति का कारण श्री कृष्ण को मानते हुए बढ़ती है। अब ये किस तरह.. यह कविता सुनते हुए स्पष्ट होगा। आशा है यह कविता आपको प्रेरित करेगी। महाकवि दिनकर जी की ‘रश्मिरथी’ और शिवा जी सावंत जी की ‘मृत्युंजय’और बी आर चोपड़ा जी की ‘महाभारत’ से कर्ण का त्यागी जीवन परिचय मिला है मुझे।इनको पढ़ता हूँ।प्रेरित होता हूँ।।। बस वही से कर्ण को जो समझा।। उसी से ये कल्पना भीतर बढ़ी और प्रयास किया।
क्या आप जानते हैं कि जिस परीक्षा के नाम से हम सभी को इतना भय लगता है ,असल में परीक्षा की वह प्रक्रिया हमारी जिंदगी में कौन सा गुण विकसित करती है ? निश्चित तौर पर संदीप द्विवेदी के द्वारा पास- फेल से ऊपर परीक्षा का उद्देश्य को सुनकर , परीक्षा को लेकर भय की स्थिति पर भी एक सकारात्मक बदलाव महसूस करेंगे…
विपरीत परिस्थितियों में जब सारे रास्ते बंद हो जाए ,ऐसे में आपको उन परिस्थितियों से कौन बाहर निकाल सकता है? इसके बारे में क्या कहते हैं संदीप द्विवेदी…
क्या आप जानते हैं कि जीवन में बड़ी सफलता कहाँ छुपी होती है और हमें वह कैसे प्राप्त होती है? इस संदर्भ में सुनते हैं संदीप द्विवेदी को…
बहुत से सपनें हैं, पर वह पूरे कैसे हों क्योंकि हर बात हमारें मुताबिक भी तो नहीं? तो फिर क्या करें? सुने संदीप द्विवेदी को और जाने…
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