यह उन महिलाओं को समर्पित कविता है ,जो अपना संपूर्ण जीवन अपने परिवार , अपने बच्चों के लिए अर्पित कर देती है, किंतु उन्हें कभी भी इसका प्रतिफल नहीं प्राप्त होता | भावना तिवारी जी की भावपूर्ण आवाज में कविता “ जो बाग लगाया था “……
भावना तिवारी की आवाज़ में भाई बहन के भावों को प्रदर्शित करती रक्षा बंधन पर एक भाव पूर्ण कविता, जो आपकी आँख नाम कर देगी
जीवन बहुत सूक्ष्म होता है और हमें सभी बंधनों से मुक्त होकर अपने जीवन में सिर्फ़ यही कोशिश करनी चाहिए कि हम यहां सब के चेहरे पर खुशी ला सके ,प्रेम फैला सके ।भावना तिवारी की मोहक आवाज़ में सुनिए यह खूबसूरत गीत..
भगवान श्री राम का नाम लेते ही मनुष्य अपने सभी पापों से मुक्त हो जाता है।भगवान श्री राम की महिमा का अद्वितीय गान सुनिए सिर्फ़ गाथा पर ,भावना तिवारी की आवाज़ में.
कश्मीर की सुंदरता जहां एक ओर अपनी तरफ लोगों को आकर्षित कर रही है वहीं उसी कश्मीर में रह रहे लोगों ने कैसे खौफनाक मंजर का सामना किया है उसी व्यथा को भावना ने अपने गीत में बेहद मार्मिक ढंग से उड़ेला है…
यह मधुर गीत उस स्थिति को दर्शाता है ,जब हम नए-नए प्रेम में पड़ते हैं | हमारा तन – मन हमारे काबू में नहीं होता | भावना तिवारी जी की मधुर आवाज में….
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ईश्वर से जब हम अपने को पूरी तरीके से जोड़ लेते हैं तब जीवन में किसी भी वाहय शक्ति का भय से पूर्णतया मुक्त हो जाते हैं |
जब ऐसा व्यक्ति जो कहने को अपनी समस्त प|रिवारिक जिम्मेदारियों को पूर्ण कर चुका है, उसका शरीर कमजोर हो गया हो |तब भी क्या वास्तव में इस सांसारिक संवेदना से परे है ? ऐसी स्थिति में उसकी क्या मनोदशा होती है इस गीत के माध्यम से समझते हैं “ मैं हूं 78 का “….
भगवान श्री राम का नाम लेते ही मनुष्य अपने सभी पापों से मुक्त हो जाता है।भगवान श्री राम की महिमा का अद्वितीय गान सुनिए सिर्फ़ गाथा पर ,भावना तिवारी की आवाज़ में.
तूफान अपने साथ क्या मंजर लेकर आता है इन पंक्तियों में इसका उल्लेख किया गया है
एक अनाथ की मानसिकता क्या हो सकती है? एक वो चाहे तो हमेशा खुद को अनाथ ,अकेला ,बेसहारा महसूस करता रहे और अपनी किस्मत को कोसता रहे|दूसरा वो हर जगह परिवार बनाने के बारे में सोचे , हर जगह परिवार बनाये और अपनी ज़िंदगी में खुशियां भर ले | यह सब आपके ऊपर है कि आप अपनी ज़िंदगी में क्या चाहते हैं? ये कहानी है एक ऐसे शख्श की जिसकी ज़िंदगी की रेल गाडी में कई स्टेशन आये पर वो तलाश में था अपने परिवार के स्टेशन की….
मेला – ममता कालिया – शैफाली कपूर
कहानी में प्रयागराज में लगे कुंभ मेले का दृश्य है जहां दूर-दूर से लाखों की संख्या में लोग अपने पाप को धोने के लिए संगम में डुबकी लगाने आते हैं। क्या मात्र डुबकी लगाकर पाप से मुक्त हुआ जा सकता है ?क्या वास्तव में अध्यात्म को भी एक पेशे की दृष्टि से अपनाया जाता है? आस्था ,परंपरा इन सब बातों का अद्भुत संगम है इस कहानी में। इसी बात को रोचक ढंग से आधार बनाकर ममता कालिया ने कहानी मेला का ताना-बाना बुना है,जिसे शेफ़ाली कपूर ने उतने ही अनोखे अंदाज़ से अपनी आवाज़ से निखारा है।
अभी भगवान् वशिष्ठजी के वचन पूर्ण भी नहीं हुए थे कि सहसा दौड़ता हुआ एक मनुष्य आकर उनके चरणों पर गिर पड़ा, और कहने लगा-”भगवन्! आप ही इस संसार में ‘ब्रह्मर्षि’ कहलाने के योग्य हैं, लोग मुझे वृथा ही महर्षि कहते हैं। इस पूरी कथा को जाने के लिए सुनते हैं जयशंकर प्रसाद के द्वारा लिखी गई कहानी ब्रह्मर्षि ,निधि मिश्रा की आवाज में
वृद्ध पिता की कहानी,जो अपनी सारी जिम्मेदारियां पूरी कर चुका है और उसका शरीर शिथिल हो गया है |इस समय काल में जब उसे अपने बच्चों का सानिध्य प्राप्त होता है ,तो उसके अंदर एक विशेष ऊर्जा का संचार होता है | किंतु यह सानिध्य उसे अल्प समय के लिए प्राप्त
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Pragati Sharma