Patni ka patra (पत्नी का पत्र) – Part-1
Patni ka patra (पत्नी का पत्र) – Part-1
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Patni ka patra (पत्नी का पत्र) – Part-1
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यह कहानी हर उस पत्नी की है जो पढ़ी लिखी और विवेकशील होने के कारण परिस्थितियों से समझौता नहीं कर पाती बल्कि उनसे लड़ती है तबतक जबतक कि वह लड़ सकती हैं…
Pashani (पाषाणी) – Part-4
Pashani (पाषाणी) – Part-4
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Pashani (पाषाणी) – Part-4
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पाषाणी मृगमयी नाम की एक लड़की की कहानी है, जिससे अपूर्व नाम के लड़के को प्रेम होता है तथा वह उससे विवाह भी करता है। किंतु मृगमयी की प्रकृति से बचपना है की जाने का नाम नहीं लेता। परिस्थितियां विपरीत तब होती हैं जब अपूर्व कई वर्षो के लिए कलकत्ता चला जाता है और लौट कर नहीं आता…
Pashani (पाषाणी) – Part-3
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Pashani (पाषाणी) – Part-3
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पाषाणी मृगमयी नाम की एक लड़की की कहानी है, जिससे अपूर्व नाम के लड़के को प्रेम होता है तथा वह उससे विवाह भी करता है। किंतु मृगमयी की प्रकृति से बचपना है की जाने का नाम नहीं लेता। परिस्थितियां विपरीत तब होती हैं जब अपूर्व कई वर्षो के लिए कलकत्ता चला जाता है और लौट कर नहीं आता…
Pashani (पाषाणी) – Part-2
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Pashani (पाषाणी) – Part-2
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पाषाणी मृगमयी नाम की एक लड़की की कहानी है, जिससे अपूर्व नाम के लड़के को प्रेम होता है तथा वह उससे विवाह भी करता है। किंतु मृगमयी की प्रकृति से बचपना है की जाने का नाम नहीं लेता। परिस्थितियां विपरीत तब होती हैं जब अपूर्व कई वर्षो के लिए कलकत्ता चला जाता है और लौट कर नहीं आता…
Pashani (पाषाणी) – Part-1
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Pashani (पाषाणी) – Part-1
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पाषाणी मृगमयी नाम की एक लड़की की कहानी है, जिससे अपूर्व नाम के लड़के को प्रेम होता है तथा वह उससे विवाह भी करता है। किंतु मृगमयी की प्रकृति से बचपना है की जाने का नाम नहीं लेता। परिस्थितियां विपरीत तब होती हैं जब अपूर्व कई वर्षो के लिए कलकत्ता चला जाता है और लौट कर नहीं आता…
kali ki pichkari (कली की पिचकारी)
kali ki pichkari (कली की पिचकारी)
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kali ki pichkari (कली की पिचकारी)
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होली का मौसम ऐसा सुहावना होता है, ना केवल इंसान ही नहीं अपितु प्रकृति भी तरह-तरह के रंगों से रंग जाती है….
Sampadak ki holi (सम्पादक की होली)
Sampadak ki holi (सम्पादक की होली)
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Sampadak ki holi (सम्पादक की होली)
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व्यंग के बिना होली अधूरी है और हमारे संपादक जी पर क्या बीत रही है इस होली में?काम का बोझ तो बहुत ज्यादा है पर तनख्वाह 3 महीने से नहीं मिली। बीवी अलग परेशान करती है.. बेचारे संपादक जी..
Muthi mai hai lal gulaal (मुट्ठी में है लाल गुलाल)
Muthi mai hai lal gulaal (मुट्ठी में है लाल गुलाल)
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Muthi mai hai lal gulaal (मुट्ठी में है लाल गुलाल)
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बच्चों के बगैर होली की कल्पना भी नहीं की जा सकती ।बच्चों का पसंदीदा त्योहार है होली ।कोई रंग-बिरंगे कपड़े पहनने के लिए मचल रहा है तो कोई खुद ही अपने आपको रंग से पोत ले रहा है। बचपन की याद दिलाती है शानदार कविता मुट्ठी में गुलाल…
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Holi Pichkari (होली पिचकारी)
Holi Pichkari (होली पिचकारी)
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Holi Pichkari (होली पिचकारी)
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होली के खूबसूरत माहौल को इस उर्दू कविता में बड़े ही सुंदर तरीके से बताया गया है। होली के अवसर पर पिचकारी को कौन भूल सकता है? इस पिचकारी के अनेक रूपों को कितने सुंदर तरीके से बताया गया है जरा आप भी इस रंग में डूब जाइए…
Hori khelat hai girdhari (होरी खेलत हैं गिरधारी)
Hori khelat hai girdhari (होरी खेलत हैं गिरधारी)
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Hori khelat hai girdhari (होरी खेलत हैं गिरधारी)
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होली का नाम सुनते ही मन में कृष्ण और राधा की लीलाएं उभर आती हैं। इसी भाव को जब मीराबाई ने अपने भजन में व्यक्त किया है तो उसमें चार -चांद और लग जाते हैं। किस तरह मीराबाई ने कृष्ण की होली का बखान किया है ?आइए सुनते हैं…https://gaathaonair.com/wp-content/uploads/2021/03/Hori-khelat-hain-girdhari-by-meerabai..wav
Holi ke chand (होली के छंद)
Holi ke chand (होली के छंद)
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Holi ke chand (होली के छंद)
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ब्रज की होली की बात किए बगैर होली की बात अधूरी है। देश-विदेश से लोग ब्रज की होली का आनंद उठाने आते हैं।इस कविता में छंद के माध्यम से आप भी आनंद लीजिए कि किस तरह कन्हैया और उनके साथी मिलकर गोपियों को परेशान कर उनके संग होली खेल रहे हैं?
Gale mujhko laga lo ae dildar holi me (गले मुझको लगा लो ए दिलदार होली में)
Gale mujhko laga lo ae dildar holi me (गले मुझको लगा लो ए दिलदार होली में)
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Gale mujhko laga lo ae dildar holi me (गले मुझको लगा लो ए दिलदार होली में)
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होली का रंग-बिरंगा त्योहार,प्यार और रोमांस का के बिना अधूरा है। प्रेमी किस तरह अपनी प्रेमिका को अपने साथ होली खेलने के लिए मना रहा है ?प्यार और मोहब्बत के इसी भाव को बड़े ही शायराना अंदाज में पेश किया है भारतेंदु हरिश्चंद्र ने…
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Holi- Harivanshrai (होली / हरिवंशराय बच्चन)
Holi- Harivanshrai (होली / हरिवंशराय बच्चन)
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Holi- Harivanshrai (होली / हरिवंशराय बच्चन)
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होली का त्योहार रंग ही नहीं प्रेम और विश्वास का भी त्यौहार है। होली के इस अवसर पर दोस्त ही नहीं बल्कि सारे भेदभाव,लड़ाई- झगड़े भूलकर,दुश्मन भी गले मिल जाते हैं ।यही संदेश देती हुई हरिवंश राय बच्चन के द्वारा लिखी गई यह कविता…
Kavya manch par holi (काव्य मंच पर होली)
Kavya manch par holi (काव्य मंच पर होली)
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Kavya manch par holi (काव्य मंच पर होली)
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होली के अवसर पर हंसी -ठिठोली आम बात है और इस मौसम में लोग एक-दूसरे को बिल्कुल भी छेड़ने से नहीं चूकते । एक कवि सम्मेलन में किस तरह सारे कवि,एक कवियत्री को छेड़ते हैं और कवियत्री ने किस तरीके से इस छेड़खानी का उत्तर दिया ?आनंद लीजिए इस व्यंग का इस कविता में..
khele masane me hori digambar (खेलैं मसाने में होरी दिगंबर)
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khele masane me hori digambar (खेलैं मसाने में होरी दिगंबर)
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शिव एक युगपुरुष है।आदि और अंत वही है। यह अनूठी होली की दास्तान है जोकि शमशान में खेली जाती है। जहां कवि ने शिव के माध्यम से जीवन के आरंभ और अंत का बखूबी से वर्णन किया है…
Khun Ka Rista (ख़ून का रिश्ता)
Khun Ka Rista (ख़ून का रिश्ता)
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Khun Ka Rista (ख़ून का रिश्ता)
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मनुष्य भौतिकवादी जब बनता चला जाता है ,तो वो रिश्तों को भूलता चला जाता है , या दूसरे शब्दों कहें तो इंसान रिश्तों को पैसे से और ताकत से तोलने लगता है |क्या यह सही होगा कि इंसान की ईमानदारी उसके अमीर या गरीब होने से आकी जाये ?
Aakl Aur Bhains (अक्ल और भैंस)
Aakl Aur Bhains (अक्ल और भैंस)
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Aakl Aur Bhains (अक्ल और भैंस)
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अकल बड़ी या भैंस , ये तो हम कई सालो से और युगो से सुनते आ रहे हैं , पर आज तक इसका सही उतार नहीं मिला,,,एक नजर में तो ऐसा लगता है की अकाल बड़ी है पर दूसरे ही पल कोई कहता है की जिसके पास जिस चीज़ की कमी होगी वो इंसान उसी को चुनेगा ,,ये बात मज़ाकिया लग सकती है , पर सवाल भी कुछ ऐसा ही है ,,,आइये इस कहानी को सुनते हैं ,,और आनंद लेते हैं अकाल और भैंस का
Ek Admi Ratri ki Maheak (एक आदिम रात्रि की महक)
Ek Admi Ratri ki Maheak (एक आदिम रात्रि की महक)
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Ek Admi Ratri ki Maheak (एक आदिम रात्रि की महक)
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एक अनाथ की मानसिकता क्या हो सकती है? एक वो चाहे तो हमेशा खुद को अनाथ ,अकेला ,बेसहारा महसूस करता रहे और अपनी किस्मत को कोसता रहे|दूसरा वो हर जगह परिवार बनाने के बारे में सोचे , हर जगह परिवार बनाये और अपनी ज़िंदगी में खुशियां भर ले | यह सब आपके ऊपर है कि आप अपनी ज़िंदगी में क्या चाहते हैं? ये कहानी है एक ऐसे शख्श की जिसकी ज़िंदगी की रेल गाडी में कई स्टेशन आये पर वो तलाश में था अपने परिवार के स्टेशन की….


