Chunauti (चुनौती)
Chunauti (चुनौती)
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Chunauti (चुनौती)
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दृढ़ संकल्प के साथ यह ठान लेना होगा हर असंभव बात को संभव करके दिखाना ही होगा , चाहे कोई भी विषम परिस्थिति हमारे सामने खड़ी क्यों ना हो ,अनुपम ध्यानी की आवाज में कविता ” चुनौती” …
Parwaz (परवाज़)
Parwaz (परवाज़)
Parwaz (परवाज़)
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उन माता-पिता की स्थिति , जिनके बच्चे विदेशों में जा बसे हैं | वृद्ध माता पिता सिर्फ अपने बच्चों के आने का इंतजार करते -करते थक जाते हैं ,किंतु यह इंतजार उनका खत्म नहीं होता | दिल को छू लेने वाली इस मार्मिक कविता में इस एहसास को समझ सकते हैं| भावना तिवारी जी की मधुर आवाज में …
Yudh (युद्ध)
Yudh (युद्ध)
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Yudh (युद्ध)
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जीवन की किसी भी परिस्थिति से हार न मानना और डटकर उसका सामना करना इस बात को जीवंत करती हुई अनुपम ध्यानी की आवाज में यह कविता युद्ध।
Sthir or sthai (स्थिर और स्थाई)
Sthir or sthai (स्थिर और स्थाई)
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Sthir or sthai (स्थिर और स्थाई)
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स्थिरता और स्थायित्व सुनने और समझने में एक जैसे लगते हैं किंतु स्थिरता हम यह कह सकते हैं जैसे उसने कभी हार ना मानी हो स्थायित्व जिसने कभी लड़ा ही ना हो….. , इसके मूल रूप को समझने के लिए सुनते हैं अनुपम ध्यानी की आवाज में यह कविता….
Aham Brahmaismi (अहम् ब्रह्मास्मि)
Aham Brahmaismi (अहम् ब्रह्मास्मि)
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Aham Brahmaismi (अहम् ब्रह्मास्मि)
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हमारे अंदर ईश्वर होता है अतः अपनी शक्ति पर पूर्ण विश्वास कर हम किसी भी परिस्थिति से निपट सकते हैं इस सत्य भावना को सजग करती हुई अनुपम ध्यानी की यह पंक्तियां…
Ban, na Ban (बन , न बन)
Ban, na Ban (बन , न बन)
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Ban, na Ban (बन , न बन)
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रणभूमि का शव tu बन जा, पर रंगमंच की प्रीत ना बन” वास्तविकता में जीवन इसी भांति जीना चाहिए | कविता के शब्दों मे रूप से स्पष्ट रूप से प्रकट किया गया है |अनुपम ध्यानी की आवाज में कविता” Ban, na Ban “…
Jaan kar chalo maan kar nahi (जान कर चलो, मान कर नहीं)
Jaan kar chalo maan kar nahi (जान कर चलो, मान कर नहीं)
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Jaan kar chalo maan kar nahi (जान कर चलो, मान कर नहीं)
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क्या गलत है, क्या सही |बिना जाने -समझे किसी भी बात की रूपरेखा खींच लेना कितना उचित है ?क्या यह उचित नहीं होगा कि जब तक हम किसी भी बात को पूर्ण रूप से ना समझ ले, तब तक किसी भी बात पर अपना निर्णय नहीं बनाना चाहिए | इसी बात को उजागर करती हुई अनुपम ध्यानी की आवाज में कविता जानकर चलो मान कर नहीं..
Jo (जो)
Jo (जो)
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Jo (जो)
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“जो हरदम अपनी मनमानी को आतुर हो ,शायद उन्होंने यमराज के संदेश नहीं देखे “ ,क्या वास्तव में हर एक बात की कोई सीमा है? नहीं ….इस कविता को सुनने के बाद यथार्थ का ज्ञान हो जाता है |अनुपम ध्यानी की आवाज में कविता “जो ‘”….
Mujhe mashalain raas ati hai (मुझे मशालें रास आती हैं)
Mujhe mashalain raas ati hai (मुझे मशालें रास आती हैं)
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Mujhe mashalain raas ati hai (मुझे मशालें रास आती हैं)
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“मुरझाई दिए की बाती पवन का वेग नहीं सहन कर पाती ,मशाल हवा के संग अनूठा नृत्य निर्वाण है “ , हमें अपने को इतना कठोर बना लेना चाहिए कि बड़े से बड़े अवसाद को भी सरलता से झेल सकें ,ना कि जरा से अवसाद में हम बिखर जाएं | कविता “मुझे मशाल रास आती है” के मूल रूप में इसी संदेश को दिया गया है…
Banooga aur banaunga (बनुंगा और बनाउंगा)
Banooga aur banaunga (बनुंगा और बनाउंगा)
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Banooga aur banaunga (बनुंगा और बनाउंगा)
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“बना बनाया कौन आया , सब यही बनते हैं “ ..यह हमारे ऊपर ही निर्भर करता है कि जीवन को हम किस दृष्टि से देखते हैं |
Rakh Banu Dhul Nahi (राख बनु धूल नहीं)
Rakh Banu Dhul Nahi (राख बनु धूल नहीं)
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Rakh Banu Dhul Nahi (राख बनु धूल नहीं)
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“तीखा जीवित कांटा बनू ,शवों पर निर्जीव फूल नहीं “, हमें जीवन इस ढंग से जीना चाहिए कि खुद हम अपने ऊपर गर्व महसूस कर सकें |इसी भावना को सजग करते हुए अनुपम ध्यानी की आवाज में खूबसूरत कविता “राख बनो धूल नहीं”…
Kavi kavva hai (कवि कव्वा है)
Kavi kavva hai (कवि कव्वा है)
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Kavi kavva hai (कवि कव्वा है)
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कवि हमेशा सत्य का परिचय कराता है ,हो सकता है वह सत्य कटु लगे ऐसी स्थिति में हमेशा कवि की उपेक्षा की जा जाती है |
Dohe (दोहे)
Dohe (दोहे)
Muktak (मुक्तक)
Muktak (मुक्तक)
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Muktak (मुक्तक)
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हिंदी साहित्य की विधा मुक्तक जिसमें कम शब्दों में बहुत बड़ी बात बयान की जाती हैहिंदी साहित्य की विधा मुक्तक जिसमें कम शब्दों में बहुत बड़ी बात बयान की जाती है
Ghazal (ग़ज़लें )
Ghazal (ग़ज़लें )
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Yaad aae phele phele pyar ki (याद आए पहले पहले प्यार की )
Yaad aae phele phele pyar ki (याद आए पहले पहले प्यार की )
Yaad aae phele phele pyar ki (याद आए पहले पहले प्यार की )
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Phir Kabir Gayega (फिर कबीर गायेगा )
Phir Kabir Gayega (फिर कबीर गायेगा )
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Phir Kabir Gayega (फिर कबीर गायेगा )
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Narrator
किसी भी कवि की यह नैतिक जिम्मेदारी होती है कि वह समाज को अपने गीतों के माध्यम से समाज को मानवता का संदेश दे | इसी तरह की भावनाओं से ओतप्रोत है राजीव राज के द्वारा लिखा हुआ यह गीत