कहानी बृहस्पति देव के बेटे कच की है, जो शंकराचार्य के पास अमर जीवन का रहस्य प्राप्त कर स्वर्ग-लोक को जाने के लिए तैयार हैं |जाने से पहले गुरु पुत्री उसकी तथा देवयानी से भेंट करने के लिए आता है, किंतु देवयानी कच को समझाने का प्रयत्न करती है कि संसार में यह मिथ्या होगा कि केवल शिक्षा का मूल है परंतु प्रेम का कोई मूल्य नहीं है | क्या वह देवयानी के प्रेम का उपहास करता है ? क्या वह नारी हृदय की वेदना को समझ पाता है? क्या वह प्रेम के मूल्य को समझ पाता है ? इसे जानने के लिए सुनते हैं रविंद्र नाथ ठाकुर के द्वारा लिखी गई कहानी प्रेम का मूल्य ,शिवानी आनंद की आवाज में…
A kabuliwala, an merchant from Kabul used to sell the dry fruits in a village. He developed a fatherly relationship with a little girl and used to provide nuts and resins free of cost. That’s the way he was trying to remember his own little daughter. One day he went to jail for stabbing a villager. After returning from jail he figured out the fact that time flew by then and the little girl is not little anymore. He felt lost and depressed thinking that he will have the same experience with his own little daughter and it would be hard to connect with her following the same reason.
कहानी की मुख्य नायिका शशिकला है |जिसका विवाह जयगोपाल बाबू से हुआ है |शशिकला अपनी पिता की एकमात्र लाडली लड़की थी |जयगोपाल वास्तव में एक साधारण सी नौकरी करते हैं किंतु भविष्य को लेकर निश्चिंत है यह सोचकर उसके ससुर के पास पर्याप्त चल- अचल संपत्ति है, जो अंत में उसकी ही हो जाएगी| यहां कहानी में एक नया मोड़ आता है शशिकला की वृद्ध पिता के यहां पुत्र का जन्म होता है| जयगोपाल बाबू की सारी आशाएं चकनाचूर हो जाती है| इधर शशि के मां-बाप दोनों की मृत्यु हो जाती है शशि अपने छोटे नाबालिक अनाथ भाई की देखभाल करना चाहती हैं किंतु पति और भाई दोनों के बीच चल रहे अपने मानसिक द्वंद में बुरी तरह से उलझ कर रह जाती है| कहानी में आगे क्या घटित होता है इसे जान ने के लिए सुनते हैं रविंद्र नाथ ठाकुर के द्वारा लिखी गई कहानी अनाथ, जिसे आवाज दी है शिवानी आनंद ने..
यह कहानी हर उस पत्नी की है जो पढ़ी- लिखी और विवेकशील होने के कारण परिस्थितियों से समझौता नहीं कर पाती बल्कि उनसे लड़ती है तब -तक, जबतक कि वह लड़ सकती हैं…
विवाह एक ऐसा बंधन है जिसमें बंधकर हर लड़की को अपने प्रियजनों से विदा लेनी पड़ती है। हेम भी इसी बंधन में बंध कर अपने पिता से दूर अपने ससुराल चली आई थी किंतु तब ये किसने जाना था कि यह विदा एक दिन अनंत कालीन विदा बन जाएगी|
कहानी की नायिका निरुपमा पांच भाइयों में इकलौती बहन है। पिता रामसुन्दर ने उसका विवाह एक बड़े खानदान में तय किया किंतु ससुराल पक्ष के द्वारा जो दहेज़ की मांग की गई थी वह राम सुंदर जी पूरी नहीं कर पाए ।ऐसे में क्या निरुपमा का विवाह हो पाता है? क्या निरुपमा भी दहेज़ की भेंट चढ़ जाती है? या निरुपमा इस संदर्भ में कोई ठोस कदम उठाती है? बेहद भावुक कर देने वाली रविंद्र नाथ टैगोर जी की कहानी दहेज़ में जानते हैं उतने ही भावुक अंदाज में शिवानी आनंद के द्वारा..
कीचक, विराट नरेश का साला था| अज्ञातवास के समय पांडू पुत्रों ने विराट की राजधानी में निवास किया था |उनके साथ उनकी पत्नी द्रौपदी भी थी |ऐसे में कीचक की कामुक दृष्टि द्रौपदी के ऊपर पड़ी| द्रौपदी ने इस बात को भाँप लिया अब कीचक को किस प्रकार इस बात का दंड मिला? महाभारत की कहानियों में से एक कहानी कीचक का वध के पूरे प्रसंग को सुनते हैं शिवानी आनंद की आवाज में …
“पाठक चक्रवर्ती – मुहल्ले का नायक, अपने छोटे-से साम्राज्य का बादशाह। मगर जब वही नायक अपने घर से दूर, नए शहर और अनजान रिश्तों के बीच घुटने लगता है, तो क्या होता है उसके ‘अहम’ का, उसके मासूम बचपन का? क्या ‘घर वापसी’ केवल शरीर की होती है या आत्मा की भी?”
रवींद्रनाथ ठाकुर की यह मार्मिक कहानी एक बच्चे की मानसिक यात्रा, परिवार से जुड़ाव, और अहंकार से आत्मबोध की कथा है।
बचपन के खेलों से शुरू होकर, एक अनजाने शहर में तिरस्कार, मां की याद, और बीमारी के सन्नाटे तक पहुंचती यह कहानी —
हर उस दिल को छूती है, जिसने कभी घर की गर्माहट खोई हो।
“क्या घर लौटने के लिए सिर्फ रास्ता काफी होता है? या एक लंबी पीड़ा भी ज़रूरी है?”
सुनिए रवींद्रनाथ ठाकुर की संवेदनशील और आत्मा को छू लेने वाली कहानी — ‘घर वापसी’, सिर्फ गाथा पर।
कहानी में दो कबाड़ उठाने वाले दो दोस्त लिबॉयस और मेलचॉन,एक स्त्री से पांच ट्रेंट में 5 फ्रै़ंक मिनट में एक गधा खरीदते हैं और सिर्फ अपने आमोद -प्रमोद के लिए उस गधे को बड़ी क्रूरतासे उसका वध करते हैं लेकिन इसके बाद कहानी में बहुत मरे हुए गधे से क्या करते हैं? इसे जानने के लिए सुनते हैं गाय दी मोपासां की कहानी गधा ,नयनी दीक्षित की आवाज में …
कहानी का नायक एक मेहनती गरीब क्लर्क है ,जबकि उसका मित्र ईश्वरी एक बड़े जमीदार का लड़का है |नायक को अपने अमीर दोस्त के साथ कुछ दिन बिताने को मिलते हैं ईश्वरी के ठाठ- बाट, शानो- शौकत से नायक भी अपने को अछूता नहीं रख पाता है |कहीं ना कहीं नायक के मन में भी अमीरी का नशा चढ़ने लगता है| नायक के चरित्र में आए इस बदलाव को जानने के लिए सुनते हैं प्रेमचंद्र जी के द्वारा लिखी गई कहानी नशा भूपेश पांडे जी की आवाज में…
यह कहानी हर उस पत्नी की है जो पढ़ी लिखी और विवेकशील होने के कारण परिस्थितियों से समझौता नहीं कर पाती बल्कि उनसे लड़ती है तबतक जबतक कि वह लड़ सकती हैं…
एक कोठरी में एक अस्थि-पंजर के रूप में दिख रही हालत में एक स्त्री अपने सूखे हुए स्तनों से अपने गोद में लिए हुए 8 माह का बालक को स्तनपान करा रही है उसी के बगल में उसी की एक आठ वर्ष का बालक बैठा हुआ वह भी भूख से बिलख रहा है है आज से 5 माह पूर्व इस परिवार की यह दयनीय स्थिति नहीं थी |ऐसा क्या हुआ कि आज स्त्री इतनी विचलित अवस्था में है ? पूरी कहानी जानने के लिए सुनते हैं आचार्य चतुरसेन शास्त्री द्वारा लिखी गई कहानी फंदा ,सुमन वैद्य की आवाज में
दीनानाथ को एक कार्यालय में जब₹50 की नौकरी मिल जाती है, तो उसकी ईश्वर के प्रति श्रद्धा और बढ़ जाती है| कहानी के एक प्रसंग में दीनानाथ द्वारा गलत कार्य हो जाता है जिसके कारण ईश्वर से दंड मिलने की शंका से दीनानाथ के मन में भय व्याप्त हो जाता है | क्या दीनानाथ का भय वास्तव में सत्य हो जाता है ?क्या दीनानाथ उसी प्रकार ईश्वर में आस्था रख पाता है पूरी कहानी जानने के लिए सुनते हैं प्रेमचंद द्वारा लिखी गई कहानी बासी भात में खुदा का साझा ,सुमन वैद्य जी की आवाज में….
Reviews for: Prem ka mulya (प्रेम का मूल्य)