कुत्तों से कौन नहीं डरता ? अच्छों – अच्छों की सिट्टी – पिट्टी गुम हो जाती है। क्योंकि जब तक कुत्ते का मूड अच्छा है , तब तक वह आपका दोस्त है । लेकिन जैसे ही उसका मूड बिगड़ा तो वह ना आव देखता है ना ताव। सब कुछ भूल जाता है । और आपको नौ दो ग्यारह होने पर मजबूर होना पड़ता है।
मां बाप के लिए अपने बच्चे ना कोई बोझ होते हैं ना कोई अवसाद होते हैं वह अपने बच्चों को पूरे स्नेह के साथ उनका लालन-पालन करते हैं क्या कभी बच्चे भी अपने मां-बाप कीउसी प्रकार उनकी देखभाल कर पाते हैं इसी भावना से ओतप्रोत है मालती जोशी जी की लिखी कहानी वो तेरा घर यह मेरा घर ,सुनते हैं पूजा श्रीवास्तव की आवाज में
हर सास को अपनी बहू हमेशा अनुभवहीन, गवाँर और बेअकल ही नजर आती है। उसे तो जैसे कुछ आता- जाता ही नहीं है। लेकिन अपने पोता – पोती पर तो जान छिड़कती है। कहते हैं ना असल से सूद ज्यादा प्यारा होता है । फिर भी दादी को डर सताता रहता है । किस बात का ?
लड़की शादी के बाद ससुराल जाते समय अपने साथ बहुत कुछ ले जाती है। उसके रंगीन सपने, उसकी उम्मीदें, उसके अरमान और उसकी इच्छाएँ। लेकिन सभी के सभी सपने, उम्मीदें, अरमान पूरे नहीं होते। कभी-कभी साथ जीना भी दुष्कर हो जाता है। तब आपसी समझौते से अलग होना ही बेहतर होता है। लेकिन क्या अलग होकर भी सब कुछ अलग हो जाता है ? शायद नही।
भौतिकवादी युग में प्यार भी हिसाब किताब से नापतोल कर किया जाता है भावुकता और संवेदनशीलता जैसी चीजें आउटडेटेड होती जा रही है कहानी में पिंकी और उसका मित्र कार्तिक इसी भावना के साथ जीवन में किसी के साथ संबंध जोड़ना चाहते हैं| कहानी के अंत में कहा गया है टूटकर प्रेम करने वाले लोग अब कहां रहे वह पीढ़ी वक्त कब से इतिहास बन गई है सुनते हैं कहानी कैलकुलेशन
साधारणत: धोबियों का रंग साँवला पर मुख की गठान सुडौल होती है ।बिबिया ने यह विशेषता गेंहएँ रंग के साथ पाई है । उसका हँसमुख स्वभाव उसे विशेष आकर्षण देता है। सुडौल, गठीली शरीर वाली बिबिया को धोबिन समझना कठिन था। पर थी वह धोबिनों में भी सबसे अभागी धोबिन। अपना ही नहीं वह दूसरों का काम करके भी आनंद का अनुभव करती थी। पाँचवें वर्ष में ब्याह हो गया। पर गौने से पहले ही वर की मृत्यु ने इस संबंध को तोड़ दिया। जिस प्रकार उच्च वर्ग की स्त्री का गृहस्थी बसा लेना कलंक है उसी प्रकार नीच वर्ग की स्त्री का अकेला रहना सामाजिक अपराध है। कन्हैया ने उसका दोबारा ब्याह रचा दिया लेकिन——-
चीनी फेरीवाला फाटक से बाहर आता दिखाई दिया । उसके कंधे पर भूरे कपड़े का गट्ठर था। मैंने कहा कि मैं फॉरेन नहीं खरीदती, तो सरल विस्मय के साथ उसने कहा कि हम क्या फारन है ? हम तो चाइना से आता है । मैंने अपनी नहीं को और अधिक कोमल बनाकर कहा, मुझे कुछ नहीं चाहिए भाई । चीनी भी विचित्र निकला,’ हमको भाई बोला है ।तुम जरूर लेगा। बहुत अच्छा सिल्क आता है सिस्तर। और उस दिन से उसे मेरे घर में आने जाने की परवानगी मिल गई
बाँदी यानी दासी, गुलाम। जिसकी अपनी कोई मर्जी नहीं होती, अपना कोई अस्तित्व नहीं होता। वो खरीदी जाती है, घर सँभालने के लिए ।हर जरूरत को पूरा करने के लिए। वह पत्नी की तरह सारे फर्ज निभाती है। लेकिन पत्नी का दर्जा नहीं पाती । उसे वह इज्जत ,वह ओहदा नहीं मिलता । आखिर क्यों ?और नवाबों के शौक, उनकी रंगीन तबीयत , बड़े ऊँचे खानदान की बहू बेटियों की रंगरलियाँ। सब छुप जाते हैं उनके दौलत के परदे के पीछे । तो क्या गरीब होना इतना बड़ा जुर्म है? अभिशाप है?
उनकी देहयष्टि में ऐसा कुछ उग्र या रौद्र नहीं था, जिसकी हम वीर गीतों की कवियत्री में कल्पना करते हैं। बहन सुभद्रा का चित्र बनाना कुछ सहज नहीं है। गोल मुख , चौड़ा माथा , सरल भ्रकुटियाँ , बड़ी भावस्वात आँखें, छोटी सुडौल नासिका, हँसी को जमा कर गढ़े हुए से होंठ, दृढ़ता सूचक ठुड्डी, सब कुछ मिलकर अत्यंत निश्चल, कोमल, उदार व्यक्तित्व वाली भारतीय नारी। एक बार मृत्यु की चर्चा चल पड़ी थी। उन्होंने कहा ,”मेरे तो मन में मरने के बाद भी धरती छोड़ने की कल्पना नहीं है । मैं चाहती हूँ मेरी समाधि हो। जिसके चारों ओर नित्य मेला लगता रहे। बच्चे खेलते रहे ।स्त्रियाँ गाती रहे और कोलाहल होता रहे।
मैं नौकरी की तलाश में था, कि मुझे एक विज्ञापन दिखा’ प्राइवेट सेक्रेट्री’ चाहिए। तुरंत हाँ का तार भेज दिया। वहां पहुँचकर, जब मैं अपने मालिक से मिलने गया, तो मेरे आश्चर्य की सीमा न रही। मेरा मालिक ,एक अति रूपवान ,ज्वाला सी दीप्तिमान रमणी थी। मुझे वहा
कहानी एक 86 साल के एक बूढ़े आदमी की है जो अपनी सेहत को लेकर बड़ा सजग है और बेहद चुस्त -दुरुस्त ,तंदुरुस्त और चंचल ,कर्मठ भी है किंतु अपनी वास्तविक उम्र किसी को नहीं बताता| इस उम्र में होने के बावजूद अपने को वृद्ध नहीं समझता इसके पीछे क्या कारण है ? कहानी को जानने के लिए सुनते हैं गाय दी मोपासां की कहानी एक बूढा व्यक्ति,नयनी दीक्षित की आवाज में
मोहाना रियासत के महाराज की बीमारी भी उनकी प्रतिष्ठा के अनुरूप प्रसिद्ध हो गई थी | देश -विदेश के ना जाने कितने प्रतिष्ठित डॉक्टरों ने महाराज के इलाज में कोई कसर नहीं छोड़ी लेकिन बीमारी ऐसी, जिसका उपचार करने में सभी असफल हुए | अब ऐसे में मुंबई मेडिकल कॉलेज के डॉक्टर संघटिया ने ऐसा क्या कर दिया कि महाराज स्वस्थ हो गए ?व्यंग से भरपूर रोचक यशपाल के द्वारा लिखी गई रोचक कहानी महाराजा का बीमारी, सुनते हैं नयनी दीक्षित की आवाज में….
मनोहर लाल जब मंत्री बने तो उन्होंने जनता के सामने जिन बातों का वादा किया |क्या वह खुद उन बातों पर अडिग रहे? पूरी कहानी जानने के लिए सुनते हैं सुभाष नीरव के द्वारा लिखी गई कहानी रंग परिवर्तन ,शिवानी आनंद की आवाज में
एक महाशय का सिद्धांत यह है किचमड़ी जाए, पर दमड़ी ना जाए| अब ऐसे महाशय को किसी लड़की से प्रेम हो जाता है| अब उनके इस व्यवहार के कारण यह रिश्ता कितनी दूर तक जाता है |जानने के लिए सुनते हैं अर्चना चतुर्वेदी की लिखी कहानी एक कंजूस की प्रेम कहानी ,पूजा श्रीवास्तव की आवाज में….
कहानी का नायक एक मेहनती गरीब क्लर्क है ,जबकि उसका मित्र ईश्वरी एक बड़े जमीदार का लड़का है |नायक को अपने अमीर दोस्त के साथ कुछ दिन बिताने को मिलते हैं ईश्वरी के ठाठ- बाट, शानो- शौकत से नायक भी अपने को अछूता नहीं रख पाता है |कहीं ना कहीं नायक के मन में भी अमीरी का नशा चढ़ने लगता है| नायक के चरित्र में आए इस बदलाव को जानने के लिए सुनते हैं प्रेमचंद्र जी के द्वारा लिखी गई कहानी नशा भूपेश पांडे जी की आवाज में…
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