लोग ना जाने क्या-क्या बातें करते हैं आलसी लोगों के लिए… किंतु गुलाब राय जी ने आलस्य को जीवन का एक अहम हिस्सा बताया है और ऐसे- ऐसे तर्क दिए हैं जो वाकई इस धारणा को गलत साबित कर देंगे जो आलस्य को बुरा मानते हैं ।जानना नहीं चाहेंगे वह कैसे? आलस्य पर व्यंग कसते हुए गुलाब राय जी ने आलस्य को अपनाने और उसकी उपयोगिता पर खूबसूरत ढंग से अपनी बात रखी है उनके इस वक्तव्य को सुनते हैं अमित तिवारी जी की आवाज़ में..
कामता प्रसाद जी के द्वारा लिखी गई कहानी मकान जिसमें शंकर कई वर्षों के बाद अपने उस मकान में आता है जहां उसने 30 -32 साल गुजारे हैं उसकी बहुत सारी यादें उस मकान से जुड़ी हुई है अब उस मकान की अवस्था जर्जर सी हो रही है शंकर की मकान को लेकर क्या योजना है कौन-कौन सी यादें उसके साथ जुड़ी हुई है और अंत में अपने मकान को लेकर क्या निर्णय लेता है जाgने के लिए सुनते हैं तिवारी जी की आवाज में कहानी मकान
इश्क के फितूर से यह दुनिया अनजान सी है किसे यह बीमारी कब लग जाए ,कुछ कहा नहीं जा सकता ??? 11 वर्ष का एक बच्चा प्रियांक अपनी ही कक्षा में पढ़ने वाली एक लड़की पलछिन के प्रति आकर्षित हो जाता है |इश्क का फितूर उसका क्लास दर क्लास बदलता रहता है | परंतु क्या अपने एहसास को कह पाता है ??या फिर उसके एहसास को पलछिन समझ लेती है??? इसे जानने के लिए बेहद खूबसूरत अंदाज में प्रशांत वैष्णव जी की कहानी अमित तिवारी जी की आवाज में सुनते हैं कहानी इश्को मीटर……
तुम हाथ पर हाथ धरे नामर्दों की भाँति बैठे रहोगे, सरदारनी ने कहा, और लोग एक से एक बढ़िया घर पर कब्जा कर लेंगे। इस्लामाबाद की नयी आबादी के मुसलमान जब सामान का मोह छोड़कर लोग भाग जाते हैं तो उनके खाली मकानों पर कब्जा करने लगते हैं |लहना सिंह भी इसी संदर्भ में एक खाली मकान पर कब्जा करना चाहता है मकान में वह अपने घर का सारा सामान के साथ-साथ अपने चारे की मशीन को भी रखकर अपने पत्नी और अपने बच्चों को लेने जाता है उसके वापस आने पर वह देखता है उस कब्जे वाले घर मकान में अब कोई दूसरा आ चुका है | लहना सिंह के साथ आगे क्या होता है ?जानने के लिए उपेंद्रनाथ अश्क के द्वारा लिखी गई कहानी चारा काटने की मशीन ,अमित तिवारी जी की आवाज में सुनते हैं
उन तमाम टुकड़े-टुकड़े घटनाओं को एक दिन कहानी में पिरोकर ‘साप्ताहिक हिन्दुस्तान’ में दे दिया तो तुम जैसे बौखला गये थे। यहाँ तक लिखा तुमने कि तुम्हारी इन नितान्त अन्तरंग बातों के साथ यह सब क्यों किया मैंने, और करने ही चला तो क्यों वसुधा के बारे में सारी बातें सच-सच नहीं लिखीं-वह तो इससे हज़ार गुना उदार थी ! यह कहानी वसुधा और देवेंद्र की है जो एक टाइप इंस्टिट्यूट में एक साथ होते हैं वसुधा के जीवन की कहानी एक सप्ताहिक पत्रिका में छपती है जिसे पढ़कर लोगों में अपनी जीवन की छाया मिलती
कभी-कभी न्याय व्यवस्था इतनी कमजोर हो जाती है जिससे न्याय पर से आस्था और विश्वास चकनाचूर हो जाता मधु अपने अवैध संबंधों के चश्मदीद अपने दोनों मासूम बच्चों की हत्या अपने रईस प्रेमी माणिक की सहायता से करा देती है इतना घिनौना अपराध करने के बावजूद क्या उन्हें वह दंड मिलता है है जो वास्तव में उन्हें मिलना चाहिए सुनते हैं पूरी कहानी भेड़ अरविंद जैन जी द्वारा लिखी गई ,अमित तिवारी जी की आवाज में …
अमेरिका मुझे क्यों पसंद नहीं है एक व्यंग कहानी है जिसमें भारतीय प्रजातंत्र में मिली स्वतंत्रता का अभाव अमेरिका जैसे देश में देखा जा सकता है कहानी में लेखक ने कई ऐसे उदाहरण प्रस्तुत किए हैं जो भारतीय परिवेश से बिल्कुल भिन्न है जानने के लिए सुनते हैं Hari जोशी का व्यंग अमित तिवारी जी की आवाज में
घासीराम एक सरकारी स्कूल के अध्यापक है उनके प्रत्येक दिन की दिनचर्या एक जैसी है ना ही बदलाव लाने की कोई इच्छा किंतु उन्हें उससे कोई तकलीफ नही सरकारी स्कूल तो उनके आराम करने का विशेष स्थान है जहां पढ़ाई कराने के अलावा सब कुछ करते हैं और घासीराम जी के अनोखे चरित्र और उनकी दिनचर्या और अध्ययन के नाम पर हो रहे सरकारी स्कूलों की स्थिति पर पल्लवी त्रिवेदी जी का व्यंग घासीराम मास्साब सुनते हैं अमित तिवारी जी की आवाज में
दादा जी और दादी की आज के दौर के गैजेट्स के साथ ज्यादा परिचय ना होने के कारण खड़ी हुई कुछ हास्य परिस्थितियों की कहानी।
कहानी में मालकिन के हाथ में सोने का कड़ा ना देखकर, उसकी 17 वर्षीय बेटी मंटू ने कड़े के संदर्भ में अपनी मां से पूछा तो पूरे घर में सोने के कड़े की खोज चालू हो गई| होली के माहौल है ,घर में बहुत से मेहमान भी है ,नौकरानी किलसिया भी है |आखिर कड़ा कहां गया ? किसने लिया वह कड़ा और क्या हुआ? इस मजेदार हास्य- व्यंग से भरपूर यशपाल द्वारा लिखी गई कहानी होली का मज़ाक सुनते हैं ,नयनी दीक्षित की आवाज में …
एक महाशय का सिद्धांत यह है किचमड़ी जाए, पर दमड़ी ना जाए| अब ऐसे महाशय को किसी लड़की से प्रेम हो जाता है| अब उनके इस व्यवहार के कारण यह रिश्ता कितनी दूर तक जाता है |जानने के लिए सुनते हैं अर्चना चतुर्वेदी की लिखी कहानी एक कंजूस की प्रेम कहानी ,पूजा श्रीवास्तव की आवाज में….
Reviews for: Alasya bhakt (आलस्य-भक्त)
Average Rating
animesh
animesh
Parvati Yadav