बनवारी जो पत्नी से बेहद प्रेम करता है, अपने हालदार परिवार के के बड़े बेटे होने का फर्ज न निभाते हुए केवल उसकी खुशी के लिए ही सब करता है लेकिन परिस्थिति तब बदल जाती है जब उसे पता चलता है कि उसकी पत्नी किरण की नज़र में उसका कोइ मोल नहीं और वह जी जान से अपने देवर के पुत्र हरिदास की देखभाल करते हुए कब उसकी पत्नी से ज्यादा हालदार परिवार की बड़ी बहू बन गई बनवारी को पता ही नहीं चला।
बनवारी जो पत्नी से बेहद प्रेम करता है, अपने हालदार परिवार के के बड़े बेटे होने का फर्ज न निभाते हुए केवल उसकी खुशी के लिए ही सब करता है लेकिन परिस्थिति तब बदल जाती है जब उसे पता चलता है कि उसकी पत्नी किरण की नज़र में उसका कोइ मोल नहीं और वह जी जान से अपने देवर के पुत्र हरिदास की देखभाल करते हुए कब उसकी पत्नी से ज्यादा हालदार परिवार की बड़ी बहू बन गई बनवारी को पता ही नहीं चला।
बनवारी जो पत्नी से बेहद प्रेम करता है, अपने हालदार परिवार के के बड़े बेटे होने का फर्ज न निभाते हुए केवल उसकी खुशी के लिए ही सब करता है लेकिन परिस्थिति तब बदल जाती है जब उसे पता चलता है कि उसकी पत्नी किरण की नज़र में उसका कोइ मोल नहीं और वह जी जान से अपने देवर के पुत्र हरिदास की देखभाल करते हुए कब उसकी पत्नी से ज्यादा हालदार परिवार की बड़ी बहू बन गई बनवारी को पता ही नहीं चला।
बनवारी जो पत्नी से बेहद प्रेम करता है, अपने हालदार परिवार के के बड़े बेटे होने का फर्ज न निभाते हुए केवल उसकी खुशी के लिए ही सब करता है लेकिन परिस्थिति तब बदल जाती है जब उसे पता चलता है कि उसकी पत्नी किरण की नज़र में उसका कोइ मोल नहीं और वह जी जान से अपने देवर के पुत्र हरिदास की देखभाल करते हुए कब उसकी पत्नी से ज्यादा हालदार परिवार की बड़ी बहू बन गई बनवारी को पता ही नहीं चला।
विवाह एक ऐसा बंधन है जिसमें बंधकर हर लड़की को अपने प्रियजनों से विदा लेनी पड़ती है। हेम भी इसी बंधन में बंध कर अपने पिता से दूर अपने ससुराल चली आई थी किंतु तब ये किसने जाना था कि यह विदा एक दिन अनंत कालीन विदा बन जाएगी|
यह एक ऐसे व्यक्ति की कहानी है जो अपनी बाल विधवा पड़ोसन से प्रेम तो करता है किंतु समाज और अन्य भय से कह नहीं पाता। वहीं उसका एक मित्र जो कि उसी से कविताएं सीखने आता है, उसी की लिखी कविताएं सुनाकर उसकी पड़ोसन से प्रेम विवाह कर लेता है।
यह एक ऐसे व्यक्ति की कहानी है जिसका विवाह मामा द्वारा दहेज की मांग करने से टूट जाता है और उसके लंबे समय बाद उसे जिस अपरिचित लड़की से प्रेम होता है, वह लड़की कोई और नहीं बल्कि वही होती है।
रायचरण जो कि अनुकूल बाबू के यहां नौकर है बड़े ही चाव और अपनेपन से उनके छोटे बच्चे को संभालता है। एक दिन बच्चा ज़िद करके उसे फूल तोड़ने को भेज स्वयं नदी में चला जाता है और फिर कभी वापस नहीं आता। रायचरण जिसे नौकरी से निकाल दिया गया है अपने बच्चे को अपने मालिक के बच्चे की तरह पाल कर उन्हें उसे भेंट कर देता है।
कादम्बिनी में प्राण तब वापस आए जब उसे जलाने के लिए शमशान में रखकर, लोग लकड़ी लेने चले गए। अपने आस पास किसी को ना पाकर कादंबनी को लगा कि वह मर चुकी है और जीवन तथा मृत्यु के बीच लटक रही है, उसकी इसी जीवन और मृत्यु के बीच की यात्रा की कहानी।
एक बार पाँचों पाण्डव आवश्यक कार्यवश बाहर गये हुए थे। आश्रम में केवल द्रौपदी, उसकी एक दासी और पुरोहित धौम्य ही थे। उसी समय सिन्धु देश का राजा जयद्रथ, जो विवाह की इच्छा से शाल्व देश जा रहा था, उधर से निकला। अचानक आश्रम के द्वार पर खड़ी द्रौपदी पर उसकी दृष्टि पड़ी और वह उस पर मुग्ध हो उठा। किन्तु कामान्ध जयद्रध ने बलपूर्वक द्रौपदी को खींचकर अपने रथ में बैठा लिया| भीम ने जयद्रथ की इस दुर्भावना का सबक किस प्रकार जयद्रथ को सिखलाया ?सुनते हैं महाभारत की कहानी भीम द्वारा जयद्रथ की दुर्गति, शिवानी आनंद की आवाज में…
मीनाक्षी और सुचेता कम समय में ही गहरी मित्र बन चुकी थी। एक दूसरे के मन को समझती थी और हर बात सांझा भी करती। मीनाक्षी को पति से प्रेम न मिलने की बात तो सुचेता जानती थी लेकिन मीनाक्षी किसी और को चाहने लगी है और अपने को पूरी तरह उसके चरणों में समर्पित कर चुकी है ये बात वो सुचेता को कैसे बताए वो समझ नही सकी।
उस दिन मैं बिना कुछ सोचे हुए ही भाई निराला जी से पूछ बैठी थी,” आपके किसी ने राखी नहीं बांधी?” ” कौन बहन हम जैसे भुक्कड़ को भाई बनावेगी?” मे, उत्तर देने वाले के एकांकी जीवन की व्यथा थी, या चुनौती ? यह कहना कठिन है ।पर जान पड़ता है किसी अन्य चुनौती के आभास ने ही मुझे उस हाथ के अभिषेक की प्रेरणा दी। उनके अस्त-व्यस्त जीवन को व्यवस्थित करने के असफल प्रयास का स्मरण कर मुझे आज भी हंसी आ जाती है। संयोग से उन्हें कहीं से ₹300 मिले। उन्होंने मुझे अपने खर्च का बजट बनाने का आदेश दिया। अस्तु : नमक से लेकर नापित तक और चप्पल से लेकर मकान के किराए तक का अनुमान- पत्र मैंने बनाया। उन्हें पसंद आया ।पर दूसरे ही दिन वह सवेरे आ पहुँचे। ₹50 चाहिए किसी विद्यार्थी की परीक्षा शुल्क भरना है वरना—–
हकीम जिला का किसी प्रयोजन से लेखक को अपने घर आने का निमंत्रण दिया जाता है |अब पूरी जगह यह चर्चा होने लगती है कि लेखक और हकीम जिला की बहुत गहरी दोस्ती है| अब इस बात का प्रभाव लेखक के जीवन पर किस प्रकार पड़ता है ,जानने के लिए सुनते हैं प्रेमचंद्र जी के द्वारा लिखी गई कहानी मुफ्त का यश ,सुमन वैद्य जी की आवाज में
निशिकांत एक सरकारी दफ्तर में कार्यरत है |12 साल की नौकरी में बहुत खुश नहीं है| अपनी योग्यता के हिसाब से ही पद की इच्छा रखता है | वास्तव में उसकी इच्छा अपने देश की स्वतंत्रता में योगदान देने की है| ऐसे में आखिर उसके साथ क्या होता है ?क्या होता है आगे निशिकांत की जीवन में ?जानने के लिए सुनते हैं विष्णु प्रभाकर की द्वारा लिखी गई कहानी अरुणोदय, नयनी दीक्षित की आवाज में
जबसे निशीथ साथ चलते- चलते अचानक अजाने मोड पर मुड ग़या था तो ठिठक कर उस चौराहे पर उसके आस-पास फुरसत ही बाकि रह गई थी और एक अंधेरा खाली कोना। बस एक सप्ताह और वह उबर आई थी नई जीजिविषा के साथ.. एक आत्मनिर्भर आत्मविश्वासी लड़की के व्यक्तित्व मे एक चुंबकत्व होता है। केतकी रेडियो स्टेशन मे काम करती थी. खूबसूरत थी । बस अगर शादी नहीं करी तो लोगों को बाते बनाने का मौका मिल जाता है। जानिए नायिका केतकी के जीवन मे आने वाले कई उतार-चढ़ावों को और उसका हर बार परिस्थिति को हरा कर आगे बढ़ने की यात्रा , जानने के लिए सुनते हैं मनीषा कुलश्रेष्ठ की लिखी कहानी एक नदी ठिठकी सी”, पूजा श्रीवास्तव की आवाज में…
Reviews for: Haldar parivar part-3 (हलदार परिवार -भाग -3)