पितामह भीष्म के आहत होने पर आचार्य द्रोण को सेनापति बनाया गया। सेनापति बनने के बाद द्रोण ने प्रतिज्ञा की कि मैं भीष्म की तरह ही कौरव-सेना की रक्षा तथा पांडव-सेना का संहार करूँगा। मुझे केवल धृष्टद्युम्न की चिंता है, क्योंकि उसकी उत्पत्ति ही मेरी मृत्यु के लिए हुई है। इस पूरे प्रसंग में कौरवों और पांडवों के गुरु द्रोणाचार्य को जब कौरवों का सेनापति बनाया जाता है तो महाभारत का युद्ध किस मोड़ तक जा पहुंचता है| इस दरमियान कौन-कौन सी घटनाएं घटित होती है ?और कौन-कौन वीरगति को प्राप्त होता है ?इसे जानने के लिए सुनते हैं महाभारत की कहानियों में से एक कहानी द्रोण पर्व,शिवानी आनंद की आवाज में…
कसक – Alka saini (अल्का सैनी ) – Shivani Anand
शादी के बाद गरिमा ने पूरी कोशिश की अपने को ससुराल के वातावरण में ढाल लेने की और इसके लिए उसने कोई कसर नहीं छोड़ी ,सबका दिल भी जीत लिया। घर और ऑफ़िस दोनों का काम करके उसे ऐसा महसूस होता था जैसे कि वह एक मशीन बन गई है ।मनीष गरिमा को हमेशा एक आदर्श बीबी, आदर्श बहू के रूप में देखना चाहता है किंतु क्या मनीष भी एक आदर्श पति के रूप में गरिमा के सामने अपने आपको रख पाया है ?क्या कभी मनीष पति होने के नाते गरिमा की भावनाओं को वह समझ पाया है ?क्या है पूरी कहानी जानते हैं शिवानी आनंद की आवाज़ में अलका सैनी के द्वारा लिखी गई कहानी कसक में…
कादम्बिनी में प्राण तब वापस आए जब उसे जलाने के लिए शमशान में रखकर, लोग लकड़ी लेने चले गए। अपने आस पास किसी को ना पाकर कादंबनी को लगा कि वह मर चुकी है और जीवन तथा मृत्यु के बीच लटक रही है, उसकी इसी जीवन और मृत्यु के बीच की यात्रा की कहानी।
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