बिंदा लेखिका की की बचपन की सहेली है| जो लेखिका के पड़ोस में ही रहती है| बिंदा की सौतेली मां उसे खूब सताती है और घर का सारा काम करवाती है |बिंदा का मातृप्रेम से वंचित रहना और अपनी सौतेली मां के क्रूर व्यवहार को सहन करने के कारण क्या बिंदा का बचपन खिलने से पहले ही मुरझा जाएगा ? महादेवी वर्मा जी की बेहद हृदयस्पर्शी कहानी बिंदा मे जानिए ,जिसे विनीता श्रीवास्तव ने अपनी आवाज दी है…
रोजी मेरे पिताजी के राजकुमार विद्यार्थी द्वारा दी गई एक कुत्ती थी। एक रोज जब हम आम की डाल पर झूल – झूल कर अपने संग्रहालय का निरीक्षण कर रहे थे, तब हमने देखा कि रोजी़ मुँह में किसी जीव को दबाए हुए ऊपर आ रही है। आकार में वह गिलहरी से बढ़ा न था पर आकृति में स्पष्ट अंतर था। रामा उसे रुई की बत्ती से दूध पिलाता। कुछ ही दिनों में वह स्वस्थ और पुष्ट होकर हमारा साथी हो गया। बाबू जी से यह सुनकर कि हमारे लिए टट्टू आया है , हम उससे रुष्ट और अप्रसन्न ही घूमते रहे पर अंत में उसने हमारी मित्रता प्राप्त कर ही ली। नाम रखा गया रानी। फिर हमारी घुड़सवारी का कार्यक्रम आरंभ हुआ। एक छुट्टी के दिन दोपहर में सबके सो जाने पर हम रानी को खोलकर बाहर ले आए। मेरे बैठ जाने पर भाई ने अपने हाथ की पतली संटी उसके पैरों में मार दी। इससे ना जाने उसका स्वाभिमान आहत हो गया या कोई दुखद स्म्रति उभर आयी । वह ऐसे वेग से भागी मानो सड़क पर नदी- नाले सब उसे पकड़कर बाँध रखने का संकल्प किए हो। कुछ दूर मैंने अपने आप को उस उड़न खटोले पर सँभाला परंतु गिरना तो निश्चित था !
उनकी देहयष्टि में ऐसा कुछ उग्र या रौद्र नहीं था, जिसकी हम वीर गीतों की कवियत्री में कल्पना करते हैं। बहन सुभद्रा का चित्र बनाना कुछ सहज नहीं है। गोल मुख , चौड़ा माथा , सरल भ्रकुटियाँ , बड़ी भावस्वात आँखें, छोटी सुडौल नासिका, हँसी को जमा कर गढ़े हुए से होंठ, दृढ़ता सूचक ठुड्डी, सब कुछ मिलकर अत्यंत निश्चल, कोमल, उदार व्यक्तित्व वाली भारतीय नारी। एक बार मृत्यु की चर्चा चल पड़ी थी। उन्होंने कहा ,”मेरे तो मन में मरने के बाद भी धरती छोड़ने की कल्पना नहीं है । मैं चाहती हूँ मेरी समाधि हो। जिसके चारों ओर नित्य मेला लगता रहे। बच्चे खेलते रहे ।स्त्रियाँ गाती रहे और कोलाहल होता रहे।
चीनी फेरीवाला फाटक से बाहर आता दिखाई दिया । उसके कंधे पर भूरे कपड़े का गट्ठर था। मैंने कहा कि मैं फॉरेन नहीं खरीदती, तो सरल विस्मय के साथ उसने कहा कि हम क्या फारन है ? हम तो चाइना से आता है । मैंने अपनी नहीं को और अधिक कोमल बनाकर कहा, मुझे कुछ नहीं चाहिए भाई । चीनी भी विचित्र निकला,’ हमको भाई बोला है ।तुम जरूर लेगा। बहुत अच्छा सिल्क आता है सिस्तर। और उस दिन से उसे मेरे घर में आने जाने की परवानगी मिल गई
पश्चिम में रंगो का उत्सव देखते देखते जैसे ही मुँह फेरा कि नौकर सामने आ खड़ा हुआ, कि एक वृद्ध मुझसे मिलने की प्रतीक्षा कर रहे हैं। मेरी कविता की पहली पंक्ति ही लिखी गई थी । मैं खिसिया गई ।कुछ खींझी सी उठी। कण्व ऋषि जैसे सफेद बाल और दूधफेनी जैसी सफेद दाढ़ी वाला मुख । मैंने कहा कि आपको पहचानती नहीं ? तो उन्होंने उत्तर दिया कि जिस के द्वार पर आया है उसका नाम जानता है, इससे अधिक माँगने वाले का परिचय क्या होगा? मेरी पोती आपसे मिलने के लिए विकल है । मैं आश्चर्य से वृद्ध की ओर देखती रह गई।
यह कहानी बाल मन की व्यथा है |एक छोटी सी बच्ची घर से दूर अध्ययन हेतु छात्रावास के कड़े अनुशासन में रह रही है| अपने अतीत में बिताए घर के समय को स्मरण कर रही हैऔर अपने आने वाले अवकाश का बेसब्री से इंतजार करती है ,ताकि उसी बचपन में लौट सकें| अंजना वर्मा की भावुक कर देने वाली कहानी लेकिन कब ,सुनते हैं विनीता श्रीवास्तव की आवाज में..
कार्तिक और केशव दोनों मित्र हैं कार्तिक जब आईआईटी की परीक्षा में टॉप करता है तो उसके अंदर कहीं ना कहीं अहंकार आ जाता है और इसी कारण वह केशव से कुछ ऐसा कह देता है जिससे केशव का आत्मविश्वास और भी कम हो जाता है और वह फेल हो जाता है लेकिन हमेशा जीतने वाले को क्या कभी हार का सामना नहीं करना पड़ता और हमेशा हारने वाला क्या कभी जिंदगी में सफल नहीं हो सकता इस बात को दर्शाती है कहानी हार में भी जी जीत है
नौ साल छोटी पत्नी – रवींद्र कालिया – विनीता श्रीवास्तव
कुशल और तृप्ता पति -पत्नी है। तृप्ता, कुशल से 9 साल छोटी है। तृप्ता का कुछ अतीत है जो कुशल को लगता है शायद तृप्ता उससे छुपा रही है किंतु कुशल, तृप्ता की इस मासूमियत को समझता है और इस बात को लेकर ज्यादा गंभीर भी नहीं है। किंतु तृप्ता इस बारे में क्या सोचती है? पति-पत्नी की छोटी-छोटी, मीठी-मीठी नोंक झोंक से सजी लेखक रविंद्र कालिया की कहानी 9 साल छोटी पत्नी सुनिए विनीता श्रीवास्तव की आवाज़ में
पेड़ पौधे बिना कुछ कहे बहुत कुछ महसूस कर सकते हैं |उनके अंदर बहुत ही जिजीविषा होती है लेखिका ने बेहद सरल और सजीव शब्दों में एक अनाम पेड़ के भीतर चल रहे कौतूहल को बड़ी खूबसूरती के साथ वर्णन किया है| जो पढ़ने और सुनने में बेहद रोचक है ,अंजना वर्मा जी के द्वारा लिखी गई कहानी पेड़ का तबादला सुनते हैं विनीता श्रीवास्तव की आवाज में ….
त्रास – रवींद्र कालिया – विनीता श्रीवास्तव
एक लड़का जो काफी समय से अपने मां-बाप ,परिवार से दूर अलग रह रहा है ।अब अलग और अकेले रहने पर उसकी ज़िन्दगी कुछ उदासीन हो गई है लेकिन जब उसके मां-बाप उससे मिलने आते हैं और उसके जीवन का विश्लेषण करते हैं तो बहुत सी बातें निकल कर आती है ।कहानी में मां अपने बेटे की इस स्थिति से अवगत हो रही है किंतु अपने को उसके सामने सामान्य दिखाने की कोशिश में लगी है ।कहानी में मां और बेटे के कई प्रसंग आपको इमोशनल कर देते हैं ।सुनिए रवींद्र कालिया की लिखी कहानी त्रास, विनीता श्रीवास्तव की आवाज़ में
बचपन कितना मासूम होता है | कहानी 6- 7 साल की छोटी बच्ची की है जिसका खुद का दिया हुआ नाम है रानी मुखर्जी |बच्ची को एक परिवार गोद लेने के लिए आता है किंतु बच्ची इस बात से पूरी तरीके से अनभिज्ञ है | क्या होता है आगे कहानी में जाने के लिए सुनते हैं संध्या त्रिपाठी जी के द्वारा लिखी गई कहानी रानी मुखर्जी की गुड़िया,पूजा श्रीवास्तव की आवाज में आवाज में
A superstitious man believed that the only purpose of having wife is to ensure his future heir.
He quit his pregnant wife as his maid made a big issue about her character while playing cards with her friends and relatives.
The irony is that many years later when during famine his wife and only son came to him asking for food, he turned them down. But his whole life has been spent in marrying many ladies and pleasing the priests spending enormous amount of money for the sake of having his own kids as a future generation.
पाषाणी मृगमयी नाम की एक लड़की की कहानी है, जिससे अपूर्व नाम के लड़के को प्रेम होता है तथा वह उससे विवाह भी करता है। किंतु मृगमयी की प्रकृति से बचपना है की जाने का नाम नहीं लेता। परिस्थितियां विपरीत तब होती हैं जब अपूर्व कई वर्षो के लिए कलकत्ता चला जाता है और लौट कर नहीं आता…
श्रीमती ने बालपन में ही खेल -खेल में मंदिर के एक मुनि को अपना पति स्वीकार कर लिया | अब श्रीमती सयानी हो चुकी है तो उसके सामने विवाह के कई प्रस्ताव आ रहे हैं और वह सब को अस्वीकार कर रही है| क्या वास्तव में श्रीमती को मुनि पति के रूप में प्राप्त होते हैं? क्या मुनि गृहस्थ जीवन स्वीकार करते हैं ? इंद्र चंद्र शास्त्री जी के द्वारा लिखी गई कहानी प्रेम के धागे जानते हैं सुमन वैद्य जी की आवाज में …
द्रौपदी स्वाभिमानिनी है। वह अपमान सहन नहीं कर सकती। वह अपना अपमान नारी जाति का अपमान समझती है। वह नारी के स्वाभिमान को ठेस पहुँचाने वाली किसी भी बात को स्वीकार नहीं कर सकती। वह अन्यायी और अधर्मी पुरुषों से संघर्ष करने वाली है। जानते हैं कैसे ?द्वारिका प्रसाद महेश्वरी के द्वारा लिखी गई सत्य की जीत ( भाग – 2),नयनी दीक्षित की आवाज़ में
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chhayasrivastava.alld@gmail.com
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