कामता प्रसाद जी के द्वारा लिखी गई कहानी मकान जिसमें शंकर कई वर्षों के बाद अपने उस मकान में आता है जहां उसने 30 -32 साल गुजारे हैं उसकी बहुत सारी यादें उस मकान से जुड़ी हुई है अब उस मकान की अवस्था जर्जर सी हो रही है शंकर की मकान को लेकर क्या योजना है कौन-कौन सी यादें उसके साथ जुड़ी हुई है और अंत में अपने मकान को लेकर क्या निर्णय लेता है जाgने के लिए सुनते हैं तिवारी जी की आवाज में कहानी मकान
शीतला प्रसाद जी की सीमित आमदनी है| जैसे ही वह खाना खाने जा रहे होते हैं तभी उनके दरवाजे की घंटी बजती है |दामाद रामअवतार जी के आने की आशंका से जैसे- तैसे उनकी खातिरदारी की तैयारियां शुरू हो जाती है किंतु क्या वास्तव में वह मेहमान राम अवतार जी है या कोई और ?कामतानाथ के द्वारा लिखी गई इस रोचक कहानी को सुनते हैं पूजा श्रीवास्तव जी की आवाज
धीरे-धीरे दोनों के बीच का फासला कम होता गया। जगदेई ने बेटी को किनारे कर लिया था। उसका हृदय तेजी से धड़क रहा था। दोनों व्यक्ति बराबर से निकले तो एक चुभती हुई दृष्टि उन्होंने सोनपती के गठे हुए सुडौल, मांसल शरीर पर डाली। सोनपती को शरीर में झुरझुरी-सी अनुभव होने लगी। हल्की-पीली चांदनी में उसके चेहरे का रंग तपे हुए तांबे के समान चमक उठा। बड़ा संभाल-संभालकर उसे कदम रखने पड़ रहे थे ताकि कड़े आपस में टकराने न पाएं। जगदेई और उसकी बेटी सोनपती एक रास्ते से गुजर रही है उसी रास्ते में दो अनजान व्यक्ति उन्हें अपना पीछा करते हुए लग रहे हैं| इससे दोनों भयभीत हो जाती हैं |बाद में क्या होता है पूरी कहानी जाने के लिए सुनते हैं कहानी भय
एक नवविवाहित जोड़ा पूरी रात एक दूसरे के अतीत को जाने के लिए बात करते हैं उनकी बातचीत का क्या आशय है जानने के लिए सुनते हैं कामतानाथ के द्वारा लिखी कहानी सारी रात अमित तिवारी जी की आवाज में
पूरी सत्कार कालोनी में मरघट जैसा सन्नाटा छाया था। आज खन्ना साहब के खाली प्लॉट पर किसी तरह का शोर नहीं था। कल तक तो इस प्लॉट पर हर समय कालोनी के बच्चों की धमाचौकड़ी मची रहती थी। बच्चों के मां-बाप लाख समझाते, डांटते-डपटते, यहां तक कि पीटते भी, पर बच्चे यहां आना न छोड़ते। किसी न किसी बहाने इस प्लॉट पर पहुंच जाते। वे प्रतिदिन इस प्लॉट पर इस तरह पहुंचते मानो उनके लिए यह मंदिर-मस्जिरद-गुरुद्वारा हो। बचपन कितना मासूम होता है इस संदर्भ में कहानी में दर्शाया गया है कि किस प्रकार कॉलोनी के छोटे-छोटे बच्चे अपनी कॉलोनी के पिल्लो पर अपनी जान रखते हैं छिड़कते हैं इसी मासूमियत को दर्शाती है कहानी बचपन
भोलाराम 60 वर्ष का एक वृद्ध है कि अचानक से मृत्यु हो जाती है धर्मराज के दूत भोलाराम की आत्मा को स्वर्ग ले जाने के लिए आते हैं किंतु रास्ते से ही भोलाराम की आत्मा कहीं गायब हो जाती है यह बात दूत धर्मराज और नारद जी को बतलाते हैं नारद जी पुनः पृथ्वी लोक में भोलाराम की आत्मा को ढूंढने के लिए आते हैं क्या नारद जी को भोलाराम की आत्मा मिल पाती है आखिर भोलाराम की आत्मा गायब कहां हो गई हरिशंकर परसाई द्वारा लिखी रोचक व्यंग कहानी भोलाराम का जीव सुनते हैं अमित तिवारी जी की आवाज में
कहानी में मनसुख कवि बनना चाहता है किंतु कविता लिखने का उसे कोई अभ्यास नहीं है वह अपने गुरु से कविता लिखने के गुण सीखता है उसे भाव विहीन शब्दों से उसके द्वारा लिखी गई कविता को पुरस्कार भी प्राप्त हो जाता है इसी बात पर व्यंग करते हुए पल्लवी त्रिवेदी जी की एक कहानी मनसुख कवि कैसे बने अमित तिवारी जी की आवाज में
मिताली और प्रियंका अपने कैंपस के दिनों में एक ही लड़के परितोष से प्रेम करती हैं किंतु परितोष दोनों के ही प्रेम को अस्वीकार कर देता है आज 40 के उम्र के पड़ाव पर भी अपने कैंपस लव को भूल नहीं पा रही है पूरी कहानी को जानने के लिए सुनते हैं आकांक्षा पारे की लिखी कहानी कैंपस लव अमित तिवारी जी की आवाज में
बद्री प्रसाद अपनी सरकारी नौकरी के कारण मुंबई में रहते हैं जबकि उनकी पत्नी उमा अपने दोनों बच्चों के साथ एक अलग शहर में है उमा एक अध्यापिका है बद्री प्रसाद चाहते हैं अपनी नौकरी छोड़कर उनके साथ मुंबई में रहे किंतु उमा अपनी नौकरी छोड़ना नहीं चाहती है बद्री प्रसाद इन परिस्थितियों में क्या निर्णय लेते हैं जाने के लिए सुनते हैं कहानी फैसले
गाय के नेत्रों में हिरन के नेत्रों-जैसा विस्मय न होकर आत्मीय विश्वास रहता है। उस पशु को मनुष्य से यातना ही नहीं, निर्मम मृत्यु तक प्राप्त होती है, परंतु उसकी आंखों के विश्वास का स्थान न विस्मय ले पाता है, न आतंक। महादेवी वर्मा जी के द्वारा लिखित प्रसिद्ध कहानियों में से है कहानी गौरा गाय |महादेवी जी के स्नेह पाकर गौरा गाय हष्ट-पुष्ट हो गई थी, किंतु एक समय ऐसा भी आया गौरा अपने बछड़े को छोड़कर सदा के लिए चल बसी |आखिर क्या हुआ था गौरा के साथ ?जानते हैं नयनी दीक्षित की आवाज में कहानी गौरा गाय….
पखेरू वन में जंगल के राजा मोर द्वारा घोंसला बनाओ प्रतियोगिता आयोजित की जाती है कालू कौवा आलस के कारण जैसे -तैसे एक घोंसला बनाता है जब उसे एहसास होता है कि बाकी पक्षियों के घोंसले उससे कहीं ज्यादा सुंदर है तो वह उन्हें नुकसान पहुंचाने का उपाय सोचता है लेकिन क्या यह उसकी चाल सफल हो पाएगी क्या उसे इस अपराध के लिए दंड मिलेगा माधवी गुप्ता द्वारा लिखी गई कहानी घोसले की कहानी कौवे की जुबानी सुनते हैं नयनी दीक्षित दीक्षित की आवाज में
पत्नि के भाग्य से जुड पति का भाग्य प्रखर होता है। मीनू तू भाग्यलक्ष्मी है मीनू जब मात्र 19 वर्ष की थी तब अपने से उम्र में काफी बड़े साइंटिस्ट विलास जी से उसका विवाह करा दिया गया था | शादी से पूर्व मीनू इस बेमेल विवाह से खुश नहीं थी | किंतु क्या हुआ विवाह के उपरांत मीनू के साथ? क्या वे उस घर की भाग्यलक्ष्मी बन पाई? पूरी कहानी जानने के लिए सुनते हैं मनीषा कुलश्रेष्ठ द्वारा लिखी गई कहानी भाग्य लक्ष्मी ,पूजा श्रीवास्तव की आवाज में…
70 वर्ष की सोना घोष का जीवन कभी वैभवशाली रहा है लेकिन अपने पति की मृत्यु के बाद उसका जीवन भजनाश्रम में गुजर रहा है दीपांकर को उसने अपने बेटे की तरीके से पाला है दीपांकर आज उससे मिलने तो आया है पर क्या दीपांकर सोना घोष के अंतिम पड़ाव में उसे अपने साथ रखता है हरिवंश राय बच्चन जी की भावुक कर देने वाली कहानी अंतिम पड़ाव पूजा श्रीवास्तव जी के द्वारा
बनवारी जो पत्नी से बेहद प्रेम करता है, अपने हालदार परिवार के के बड़े बेटे होने का फर्ज न निभाते हुए केवल उसकी खुशी के लिए ही सब करता है लेकिन परिस्थिति तब बदल जाती है जब उसे पता चलता है कि उसकी पत्नी किरण की नज़र में उसका कोइ मोल नहीं और वह जी जान से अपने देवर के पुत्र हरिदास की देखभाल करते हुए कब उसकी पत्नी से ज्यादा हालदार परिवार की बड़ी बहू बन गई बनवारी को पता ही नहीं चला।
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