the writers is involved in extra marital affair and makes her life कहानी की नायिका अपने बॉस शिंदे से प्रेम करने लगती है |शिंदे एक शादीशुदा आदमी है |शिंदे नायिका को लुभावने सपने दिखाता है |क्या नायिका को इस बात का एहसास होता है कि वह एक खिलौना मात्र है जिसे जब तक मन चाहा खेला और फिर ठुकरा दिया नायिका समाज में औरतों को अपने अनुभवों से क्या समझाना चाहती है पूरी बात जानने के लिए सुनते हैं मन्नू भंडारी जी के द्वारा लिखी गई कहानी स्त्री सुबोधिनी आरती श्रीवास्तव जी की आवाज में
सौंदर्य की देवी और प्रसिद्ध रंजना को पहली बार किसी ने अनदेखा किया था। वह बर्दाश्त नहीं कर पाई ,लेकिन इसी अदा ने उसे दिलीप की ओर आकर्षित किया । वह एक- दूसरे को बेपनाह चाहने लगे और सुनहरे भविष्य के सपने संजोने लगे । दिलीप काम के सिलसिले में 15 दिन के लिए देहरादून गया और फिर उसका कोई खत ना आया। रंजना परेशान होकर उसके घर गई तो उसके ड्रावर में रेखा नाम की लड़की के प्रेम पत्र हाथ लगे। वह सन्न रह गई। फिर एक पत्र मिला जो दिलीप के पिताजी का था। जिसमें उन्होंने दिलीप की पत्नी और एक बच्ची का जिक्र किया था। यह खत देखकर रंजना को गहरा धक्का लगा। और वह फूट-फूट कर रोने लगी।
सयानी बुआ का नाम वास्तव में ही सयानी था या उनके सयानेपन को देखकर लोग उन्हें सयानी कहने लगे थे, । बचपन में ही वे समय की जितनी पाबंद थीं, अपना सामान संभालकर रखने में जितनी पटु थीं, और व्यवस्था की जितना कायल थीं, उसे देखकर चकित हो जाना पडता था| कहानी में सयानी बुआ के चरित्र को और अच्छे से समझने के लिए मनु भंडारी जी के द्वारा लिखी गई कहानी सयानी बुआ सुनते हैं माधवी शंकर जी की आवाज में
बेहद भावुक कर देने वाली मनु भंडारी जी के द्वारा लिखी गई कहानी जिसमें समाज बीमार व्यक्ति की चिंता करता है किंतु उस व्यक्ति का कोई ख्याल नहीं रखता जो उसकी दिन-रात सेवा करता है कहानी में अम्मा जो अपने खाने-पीने और सोने का ध्यान ना रखते हुए अपने अपने कैंसर से पीड़ित बीमार पति की दिन-रात सेवा करती है उनके पति की मृत्यु हो जाती है तब भी क्या किसी का ध्यान अम्मा के ऊपर जाता है जानते हैं आरती श्रीवास्तव की आवाज में कहानी मुक्ति
तीसरा आदमी उस जिम्मेदार मध्यवर्गीय व्यक्ति की कहानी है, जो रोज़-रोज़ की तौल-मटोल में कहीं खो गया है।
घर में, दफ्तर में, हर जगह अपनी जगह जमी रही “दूसरी आवाज़” ने उसकी पहचान का हिस्सा बन लिया। लेकिन अब वह उसी आवाज़ से बाहर आकर अपनी सच्ची पहचान तलाशना चाहता है।
मन्नू भंडारी ने इस कहानी में उस तीसरे आदमी को उतारा है — जो न पूरी तरह ‘पहला’ है, न ‘दूसरा’। वो है उस खुद की आवाज़ की तलाश में…
📋 सारांश
शेरा बाबू दफ्तर में छोटे-क्लर्क की नौकरी करता है; घर में पत्नी, ससुराल, बेहतर दर्जे की नौकरी — सब उसका वजूद घेर लेते हैं।
उस पर लगातार दबाव बनता रहा, उसकी भूखें, उसकी आवाज़ों, उसकी आत्मा की कहानियाँ दबती गईं।
वो एक पत्रिका निकालने की योजना बनाता है — लेकिन एक स्व-सृजित आवाज़ बनने का सपना पूरा नहीं हो पाता।
कहानी का “तीसरा आदमी” वह है — वह आवाज़ जो उसने दबाई है, वह व्यक्ति जो उसने बनने से इंकार कर दिया है।
अंत में, वो उसी स्थिति में है — पूरे अस्तित्व के साथ ज़िंदा, लेकिन अपनी आवाज़ खो चुका — अपने भीतर उभरे प्रश्नों के साथ।
🔍 सुनने की वजह
इस कहानी में आपको मिलेगा अपने अंदर की आवाज़ का प्रतिबिंब — जो रोज़ कोई ‘दूसरा’ बनकर खामोश हो जाता है।
कहानी की भाषा सरल लेकिन बहुत गहरी है — मन्नू भंडारी की विशिष्ट शैली में, आप महसूस कर सकते हैं जीवन-थकान, चाह लेकिन चुप्पी, और अंत में एक सशक्त विरोध।
Gaatha पर सुनना विशेष इसलिए होगा क्योंकि रूप-रेखा नहीं, भावना-दस्ताना सुनाई देगी — शब्दों के हल्के काँप-सकते स्वर, भीतर की हलचल, और वहीं-वहीं ठहरी हुई पहचान की आवाज़।
गर्मियों का मौसम है टी हाउस में काफी भी है गे-लॉर्ड भी भरा हुआ है वहां बैठे युवक-युवतियों और अन्य सभी लोगों के बीच अलग-अलग तरह की बातचीत हो रही है क्या है टी- हाउस का माहौल ?किस प्रकार की बातचीत वहां चल रही है ?इसका पूरा आनंद लेने के लिए मन्नू भंडारी की कहानी एक प्लेट सैलाब सुनते हैं आरती श्रीवास्तव जी की आवाज में
लड़की शादी के बाद ससुराल जाते समय अपने साथ बहुत कुछ ले जाती है। उसके रंगीन सपने, उसकी उम्मीदें, उसके अरमान और उसकी इच्छाएँ। लेकिन सभी के सभी सपने, उम्मीदें, अरमान पूरे नहीं होते। कभी-कभी साथ जीना भी दुष्कर हो जाता है। तब आपसी समझौते से अलग होना ही बेहतर होता है। लेकिन क्या अलग होकर भी सब कुछ अलग हो जाता है ? शायद नही।
सोमा बुआ एक बूढ़ी, गरीब और अकेली महिला है जिसका जवान पुत्र 20 साल पहले गुजर गया है |पति भी घर-बार त्याग कर तीरथ वासी बन गया है किंतु सोमा बुआ दूसरों की खुशियों में बढ़-चढ़कर हिस्सा लेकर अपनी खुशी और अपना अकेलापन दूर करने की कोशिश करती है किंतु क्या समाज भी उन्हें उसी रूप में स्वीकार कर पाता है और वह प्यार व सम्मान दे पाता है जैसा वह दूसरों को देना चाहती है भावुक कर देने वाली देने वाली मन्नू भंडारी की कहानी है अकेली आरती श्रीवास्तव जी की आवाज में |
भरे पूरे परिवार में जन्मी शम्मन को उसके मामूली रंग रूप की वजह से कोई तवज्जो ना दी जाती। जिंदगी में दिल को चकनाचूर कर देने वाले कई हादसे भी पेश आए। एक स्कॉटिश फौजी से की गई बेमेल शादी भी न चली। वह शम्मन को छोड़कर विदेश चला गया। लेकिन कुछ ऐसा दे गया कि वह उसे भुला ना पाई।
“मिथाली राज: महिला क्रिकेट का आइकॉन! उनकी उपलब्धियों ने न केवल खेल को नया आयाम दिया है, बल्कि युवाओं को भी प्रेरित किया है। उनके संघर्ष और सफलता की कहानी को जानने के लिए Gaatha ऐप डाउनलोड करें और Navratri स्पेशल ‘उड़ान हौसलों की’ में जाकर बस क्लिक कर सुनिए Arti Srivastava की खूबसूरत आवाज़ में!””
रामअवतार लाम पर से वापस आ रहा था। बूढ़ी मेहतरानी अब्बा मियां से चिट्ठी पढ़वाने आई थी। अभी उसकी शादी को रचाए साल भर भी न बीता था कि राम अवतार की पुकार आ गई। ब्याह कर आई तो क्या मसमसी थी गौरी नाम की गौरी थी पर कमबख्त स्याह बहुत थी। हाँ आवाज में बला की कूक थी। गौरी क्या थी, बस एक मरखना लंबे सींग वाला बजार था, कि छुटा फिरता था । रत्तीराम के आने के बाद वह बिल्कुल बदल गई ।लेकिन गाँव वालों को दाल में कुछ काला नजर आ रहा था। सब राम अवतार के लौटने का इंतजार कर रहे थे।
गुलियाना का एक ख़त ….जिसके नाम का अर्थ है फूलों सी औरत ……पर वह लोहे के पैरों से लगातार दो साल चल कर युगोस्लाविया से चल कर अमृता तक आ पहुंची | गुलियाना की कहानी इस दुनिया के किसी भी देश की नारी की कहानी है। ये कहानी अमृता प्रीतम ने दशकों पहले लिखी थी लेकिन आज भी ख़त के वो सवाल वहीं खड़े हैं
प्रेम में विरह की भावना को दर्शा रही है ये कविता
दिन भर कवि शहर की तमाम गलियों में इधर से उधर चक्कर लगाता रहा; किंतु किसी ने उस पर ध्यान नहीं दिया। उसने कभी किसी की खुशामद नहीं की थी और न किसी भद्रलोक का स्वागत गान ही बनाया था। न तो उसने किसी राजा की प्रशंसा में कोई कविता की थी और न किसी बाबू साहब के विवाहोत्सव में कोई छंद पढ़ा था। फिर उसे पूछता ही कौन?
मां बाप के लिए अपने बच्चे ना कोई बोझ होते हैं ना कोई अवसाद होते हैं वह अपने बच्चों को पूरे स्नेह के साथ उनका लालन-पालन करते हैं क्या कभी बच्चे भी अपने मां-बाप कीउसी प्रकार उनकी देखभाल कर पाते हैं इसी भावना से ओतप्रोत है मालती जोशी जी की लिखी कहानी वो तेरा घर यह मेरा घर ,सुनते हैं पूजा श्रीवास्तव की आवाज में
Reviews for: Stri subodhini (स्त्री सुबोधिनी)
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Omkar Gupta
Keerthi Saxena
Pankaj Ramesh
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Hema Chauhan