Inspirational
5 Golden Rules – To Start A Startup Or Work In A Corporate – Daksh Sethi
5 Golden Rules – To Start A Startup Or Work In A Corporate – Daksh Sethi
5 Golden Rules – To Start A Startup Or Work In A Corporate – Daksh Sethi
5 Golden Rules – To Start A Startup Or Work In A Corporate – Daksh Sethi -Josh Talks
बड़े सपनों की शुरुआत करने का सही समय है आज – @Talk with Abdul – Abdul Sattar
बड़े सपनों की शुरुआत करने का सही समय है आज – @Talk with Abdul – Abdul Sattar
बड़े सपनों की शुरुआत करने का सही समय है आज – @Talk with Abdul – Abdul Sattar
बड़े सपनों की शुरुआत करने का सही समय है आज 🔥 – @Talk with Abdul – Abdul Sattar – Josh Talks Hindi
आंसू नहीं रूकेंगे उम्मीद की ये अनोखी कहानी सुनकर – Powerful Story – Ajeya Raj
आंसू नहीं रूकेंगे उम्मीद की ये अनोखी कहानी सुनकर – Powerful Story – Ajeya Raj
आंसू नहीं रूकेंगे उम्मीद की ये अनोखी कहानी सुनकर – Powerful Story – Ajeya Raj
आंसू नहीं रूकेंगे उम्मीद की ये अनोखी कहानी सुनकर – Powerful Story 🔥 – Ajeya Raj – Josh Talks Hindi
अब जीतने की बारी हमारी है – Learn English With Josh – 9th August – 12th August
अब जीतने की बारी हमारी है – Learn English With Josh – 9th August – 12th August
अब जीतने की बारी हमारी है – Learn English With Josh – 9th August – 12th August
अब जीतने की बारी हमारी है 🔥 – Learn English With Josh – 9th August – 12th August – Josh Talks Hindi
Learn English- English सीखने का पूरा निचोड़ सिर्फ 17 मिनट में – Neetu Singh
Learn English- English सीखने का पूरा निचोड़ सिर्फ 17 मिनट में – Neetu Singh
Learn English- English सीखने का पूरा निचोड़ सिर्फ 17 मिनट में – Neetu Singh
Learn English- English सीखने का पूरा निचोड़ सिर्फ 17 मिनट में – Neetu Singh – Josh Talks Hindi
‘English कैसे सीखें – इसका आसान जवाब है इस IAS के पास – IAS Anupma V. Chandra
‘English कैसे सीखें – इसका आसान जवाब है इस IAS के पास – IAS Anupma V. Chandra
‘English कैसे सीखें – इसका आसान जवाब है इस IAS के पास – IAS Anupma V. Chandra
‘English कैसे सीखें – इसका आसान जवाब है इस IAS के पास – IAS Anupma V. Chandra – Josh Talks Hindi
Dukham sharnam gachchhami (दुक्खम शरणम गच्छामि!)
Dukham sharnam gachchhami (दुक्खम शरणम गच्छामि!)
Dukham sharnam gachchhami (दुक्खम शरणम गच्छामि!)
Narrator
कहानी दुखम शरणम गच्छामि में, इस जिंदगी में उम्र के और समय के हर पड़ाव पर तरह-तरह के दो खाते हैं ,निर्भर करता है कि हम उन दुखों से आत्मसात कैसे करते हैं? दुखों से किस प्रकार सामना करते हैं?कहीं दुख प्रेम का होता है ,कहीं दुख कैरियर को लेकर होता है, कहीं दुख शारीरिक होता है ,कहीं दुख पर पारिवारिक होता है और मानसिक होता है| अपने सारे दुखों से भागकर आप संन्यास नहीं ले सकते| उन दुखों की शरण में जाना, उन्हें आत्मसात करना उन दुखों से डील करना ही मानव का धर्म है| उसी पर यह कहानी आधारित है
Jo Maare Jayege (जो मारे जाएंगे)
Jo Maare Jayege (जो मारे जाएंगे)
Jo Maare Jayege (जो मारे जाएंगे)
Narrator
जीवन में फैशन, पैसे की प्रति एक-दूसरे से होड़ , पाश्चात्य संस्कृति को हमेशा फॉलो करते रहना जैसी कई बातें बहुत शीघ्रता से हावी हो जाती है |हर सिक्के के 2 पहलू होते हैं कहीं कुछ कम, तो कहीं कुछ ज्यादा| तो उसी तरीके से मीडिया एक इतनी खतरनाक चीज है कि जिसमें आज की तारीख में कोई संस्कृति और सभ्यता कोई समाज के प्रति लगाव जैसी चीज नहीं रह गई हैं | मीडिया नाम की संस्था वही लोग चला रहे हैं जिनके पास सिर्फ दंगा भड़काऊ बातें हैं, इन बातों से समाज में क्या प्रभाव पड़ेगा इस बात से बेफिक्र होकर समाज को किस गर्त में पहुंचा रहे हैं ? जानिए इन बातों को कहानी जो मारे जाएंगे में…
Uss dhoosar sannate mai ( उस धूसर सन्नाटे में )
Uss dhoosar sannate mai ( उस धूसर सन्नाटे में )
Uss dhoosar sannate mai ( उस धूसर सन्नाटे में )
Narrator
कहानी “जो है उस धूसर सन्नाटे में “,धीरेंद्र अस्थाना जी ने बहुत ही सजीव ढंग से प्रस्तुत किया है कि आज की दुनिया में किसी भी तरह की संवेदना लोगों में नहीं बची है| खासतौर पर मीडिया, अखबार और किसी भी तरह के सोशल अकाउंट पर| आज की तारीख में किसी का जीना- मरना इस बात का मायने नहीं रखता कि वह इंसान इंपॉर्टेंट था या नहीं |लोग मरते हैं ,मर जाते हैं इस तरह की स्टेटमेंट हमें अक्सर सुनने को मिल जाते हैं |आज का समय जिसमें हम लोग जी रहे हैं, बहुत ही असंवेदनशील है | इस पूरे समाज में जो असंवेदनशील है ,उसमें एक ऐसा इंसान जो किसी एक की मृत्यु होने पर अपना खुद का व्यक्तित्व ही भूल जाता है इस बात पर आधारित है यह कहानी…
Khuda ki madad (खुदा की मदद)
Khuda ki madad (खुदा की मदद)
Khuda ki madad (खुदा की मदद)
Narrator
हजूर नौकरी करता हूं, जान दे कर सरकार का नमक हलाल कर सकता हूँ पर ईमान नहीं बेच सकता,सरकार मालिक है। मैंने गद्दारी नहीं की, है………. नहीं की, लेकिन खुदा के रूबरू दरोगहलफी करके आकबत नहीं बिगाड़ सकता। यहाँ आप मालिक है, वहाँ वो मालिक है…। ऐसा कुछ कहानी का नायक उबेद कह रहा है | जो बचपन से बस यही सोचता था की मेहनत और सब्र का फल एक दिन मिलेगा ,खुदा सब कुछ देखता है किंतु क्या वाकई उसकी यह सोच सही साबित हुई? क्या वह अपने जीवन की कशमकश में कभी ऐसे मुकाम पर पहुंचा ,जहां उसे वाकई खुदा की मदद मिली हो| पूरी कहानी जानने के लिए सुनते हैं यशपाल जी के द्वारा लिखी गई कहानी खुदा की मदद, नयनी दीक्षित की आवाज में…
Mehal (महल)
Mehal (महल)
Mehal (महल)
Narrator
एकता का पाठ घर से ही शुरू होता है तो विषम परिस्थितियों में कैसे परिवार अलग हो जाते हैं ये कविता बखूबी बता रही है।
Nend ke Bahar (नींद के बाहर)- Part- 2
Nend ke Bahar (नींद के बाहर)- Part- 2
Nend ke Bahar (नींद के बाहर)- Part- 2
Narrator
तिलिस्मी दुनिया जहां बड़े लोग, बड़े व्यापार, बड़ी पार्टियां, बड़ी सुंदरता ,बड़ी मारकाट ,बड़ी सफलता और चकाचौंध कर देने वाली जिंदगी को पाने के लिए इंसान ऐसी नींद के आगोश में चला जाता है कि उसके कारण वह अपने सच्चे रिश्ते, सच्चा प्यार और यहां तक की अपने से भी प्यार करना भूल जाता है |वह समझ नहीं पाता है कि उस नींद के बाहर की दुनिया अब उसके लिए कितनी अजनबी हो चुकी है ?एक आम -इंसान की रोजमर्रा की जिंदगी में आए हुए कई बदलावों को चित्रित करती हुई धीरेंद्र अस्थाना की कहानी नींद के बाहर ,सुनते हैं नयनी दीक्षित की आवाज में
Neend ke Bahar (नींद के बाहर)- Part-1
Neend ke Bahar (नींद के बाहर)- Part-1
Neend ke Bahar (नींद के बाहर)- Part-1
Narrator
तिलिस्मी दुनिया जहां बड़े लोग, बड़े व्यापार, बड़ी पार्टियां, बड़ी सुंदरता ,बड़ी मारकाट ,बड़ी सफलता और चकाचौंध कर देने वाली जिंदगी को पाने के लिए इंसान ऐसी नींद के आगोश में चला जाता है कि उसके कारण वह अपने सच्चे रिश्ते, सच्चा प्यार और यहां तक की अपने से भी प्यार करना भूल जाता है |वह समझ नहीं पाता है कि उस नींद के बाहर की दुनिया अब उसके लिए कितनी अजनबी हो चुकी है ?एक आम -इंसान की रोजमर्रा की जिंदगी में आए हुए कई बदलावों को चित्रित करती हुई धीरेंद्र अस्थाना की कहानी नींद के बाहर ,सुनते हैं नयनी दीक्षित की आवाज में
kissa ek trasand fantasi ka (किस्सा एक त्रासद फंतासी का)
kissa ek trasand fantasi ka (किस्सा एक त्रासद फंतासी का)
kissa ek trasand fantasi ka (किस्सा एक त्रासद फंतासी का)
Narrator
इंसान ना जाने क्यों अपने आपको मशीन समझने लगा है ?बस दिन-रात बिना रुके,संभले दौड़ता चला जा रहा है | इंसान यह नहीं समझ पा रहा कि वास्तव में मशीन में लगी जंग को तो मिटाया जा सकता है किंतु इंसान के अंदर जो जंग लग जाती है वह कैसे हटाई जा सकती है? दुनिया में एक दूसरे से आगे निकलने की होड़ और कंपैरिजन ने आज इंसान को किस दहलीज पर लाकर खड़ा कर दिया है ? यह बात किस हद तक सही है ?इस तथ्य को रखती हुई कहानी है किस्सा एक त्रासद फंतासी का ,सुनते हैं नयनी दीक्षित की आवाज़ में….
Gufaayen (गुफाए)
Gufaayen (गुफाए)
Gufaayen (गुफाए)
Narrator
कभी -कभी दूसरे की खुशियां इंसान खुद जब महसूस करता है, तब वह जान पाता है कि अपने अंदर की खाली गुफा से या अपने अंदर के खालीपन से वह कैसे बाहर आ सकता है ? जब इंसान अपने स्टैंडर्ड को बहुत बहुत ही ऊंचा समझने लगता है और उसे लगता है कि उसके साथ तालमेल बैठाने के लिए दूसरे इंसान को उस तक पहुंचना होगा |तो कभी-कभी अपने दंभ से बहुत अकेला पड़ जाता है | इस कहानी का महेंद्र अपने दिल की इस खाली गुफा से कैसे बाहर निकलता है?
Orangutan (औरांग उटांग)
Orangutan (औरांग उटांग)
Orangutan (औरांग उटांग)
Narrator
धीरेंद्र अस्थाना जी की कहानी ओरंगउटान इस ओर संकेत करती है कि क्या एक मनुष्य अपने आप को एक ऐसे जीव से तुलना कर सकता है जिसमे की वह अपना अक्स देखता हो? उसी तरह जिस तरह जंगल मे रहने वाला ओरंगउटान काफी बुद्धिमान वनमानुष है किंतु इसके बावजूद भी अकेला रहता है| कभी-कभी इंसान में धीरे-धीरे ऐसी प्रवृत्ति सामाजिक दबाव के चलते उत्पन्न हो जाती है |मनुष्य एक सामाजिक प्राणी है और अपने आप को अकेला महसूस करता है और धीरे-धीरे मानव जाति का हर इंसान ओरंगउटान होता जा रहा|
Mery fernandis kya tum tak meri Awaaz pohocht hai (मेरी फ़र्नाडीज़ क्या तुम तक मेरी आवाज़ पहुँचती है)
Mery fernandis kya tum tak meri Awaaz pohocht hai (मेरी फ़र्नाडीज़ क्या तुम तक मेरी आवाज़ पहुँचती है)
Mery fernandis kya tum tak meri Awaaz pohocht hai (मेरी फ़र्नाडीज़ क्या तुम तक मेरी आवाज़ पहुँचती है)
Narrator
धीरेंद्र अस्थाना के द्वारा लिखी गई एक कहानी जिसमें एक इंसान से जाने- अनजाने एक गलती हुई है जिसका उसे पश्चाताप भी है | उस गलती के कारण वह अपनों से नजर भी नहीं मिला पा रहा और आज उसकी उस गलती के कारण वह एक बड़ी बीमारी से ग्रसित हो चुका है |जिसे वह किसी को बता भी नहीं पा रहा है | ऐसे में वह इंसान क्या करें ?क्या वह इंसान घुट घुट कर यूं ही जीता रहे या फिर उसे फिर एक मौका मिलना चाहिए ?ऐसे ही प्रश्नों को लेकर कहानी का ताना-बाना बुना गया है सुनते हैं कहानी Meri Fernadis क्या तुम तक मेरी आवाज पहुंचती है? नयनी दीक्षित की आवाज में
Muhim ( मुहिम)
Muhim ( मुहिम)
Muhim ( मुहिम)
Narrator
धीरेंद्र अस्थाना की कहानी मुहिम में, समाज में जो निर्धन और धनी के बीच बीच में जो भेदभाव है| उसी के चलते एक बालक मन ना चाहते हुए भी किस तरह जाने -अनजाने में गलत रास्ते पर, क्राइम की राह पर चल पड़ता है?किस तरह उसके मन में क्राइम को सच समझ लेने की मुहिम पैदा हो जाती है