नारी ईश्वर की की सबसे सुंदर कृति है, किंतु समाज में नारी को क्या वह स्थान मिला है, जो उसे मिलना चाहिए |जब एक घर बनाने के लिए अपना सर्वस्व समर्पित करने वाली नारी से यह कहा जाता है कि तुम क्या करती हो? यह भाव कितना असहनीय होता है | इसी संदर्भ में डॉक्टर राजीव राय की यह गीत इस हकीकत को उजागर करता है
अतीत की यादों की ओर ले जाने वाला यह गीत, जिसमें कवि जब एकांत बैठकर अपने बीते हुए कल को याद करता है और उसका चित्र उसके शब्दों में समाहित हो जाता है
किसी भी कवि की यह नैतिक जिम्मेदारी होती है कि वह समाज को अपने गीतों के माध्यम से समाज को मानवता का संदेश दे | इसी तरह की भावनाओं से ओतप्रोत है राजीव राज के द्वारा लिखा हुआ यह गीत
मैं कैसी लगती हूँ – Arvind saxena – Priya bhatia
“मुझको मालूम नहीं… हुस़्न की तारीफ, मेरी नज़रों में हसीन ‘वो’ है, जो तुम जैसा हो..”
स्थिरता और स्थायित्व सुनने और समझने में एक जैसे लगते हैं किंतु स्थिरता हम यह कह सकते हैं जैसे उसने कभी हार ना मानी हो स्थायित्व जिसने कभी लड़ा ही ना हो….. , इसके मूल रूप को समझने के लिए सुनते हैं अनुपम ध्यानी की आवाज में यह कविता….
Nazm Subhash ji ki likhi kahani adhoori khwaahish, badi khoobsoorti se, Umrao Jaan, jinke husn aur adaaon ke laakhon deewaane thei, unke dard aur unki man mein dafn ho chuki khwaahishon ka sajeev chitran karti hai. Unki ekAdhoori khwaahish jo bas un
Reviews for: Yaad aae phele phele pyar ki (याद आए पहले पहले प्यार की )
Average Rating
9935194004