समय द्वारा अपने मनोरंजन के लिए वायु. जल, अग्नि और कई प्रकार के जीवों के उपरांत मनुष्य के बनाए जाने की कथा।
ये कहानी एक बकरी के बेचने और खरीदने के बहुत ही सरल माध्यम से हमे यह सिखाती है कि हमे यूं तो कभी किसी का बुरा नहीं करना चाहिए लेकिन अगर कोई आपके साथ बुरा करे तो उसे सबक ज़रूर सिखाना चाहिए।
समय द्वारा अपने मनोरंजन के लिए वायु. जल, अग्नि और कई प्रकार के जीवों के उपरांत मनुष्य के बनाए जाने की कथा।
यह कहानी गड़बड़ और सड़बड़ नाम के दो भाईयों की है जो हैं तो जुड़वा लेकिन आदतों से एकदम विपरीत।
एक था नन्हा खरगोश, जिसेअपने लंबे कान अपने पूरे शरीर में सबसे अधिक पसंद थे, लेकिन एक दिन झाड़ियों में भेड़िए से बचते हुए उसके कान ज़ख्मी हो गए जिससे वह बेहद दुखी रहने लगा। लेकिन अपनी बहादुरी से उसने कुछ ऐसा किया की सभी उसे नन्हा बहादुर कहकर पहले से भी ज्यादा प्रेम करने लगे।
ये कहानी एक बकरी के बेचने और खरीदने के बहुत ही सरल माध्यम से हमे यह सिखाती है कि हमे यूं तो कभी किसी का बुरा नहीं करना चाहिए लेकिन अगर कोई आपके साथ बुरा करे तो उसे सबक ज़रूर सिखाना चाहिए।
विक्रमादित्य के राज्य में एक गरीब दरिद्र ब्राह्मण और भाट रहते थे |दोनों की पुत्रियों के विवाह के लिए उन दोनों के पास धनराशि नहीं थी | विक्रमादित्य ने दोनों की पुत्रियों के विवाह के लिए धन प्रदान किया| किंतु भाट को 1000000 स्वर्ण मुद्राएं ,जबकि ब्राह्मण को कुछ सौ स्वर्ण मुद्राएँ ही प्रदान की | विक्रमादित्य ने इस प्रकार का पक्षपात क्यों किया? इसे जानने के लिए सुनते हैं सिंहासन बत्तीसी की कहानियों में से एक कहानी पच्चीसवीं पुतली त्रिनेत्री ईश्वर से आस ,शिवानी आनंद की आवाज में..
महाभारत की कहानियों में से एक कहानी’ युधिष्ठिर द्वारा दुर्योधन की रक्षा ‘ ,उस समय का प्रसंग है जब पांडवों के वनवास को 11 वर्ष हो चुके थे| दुर्योधन पांडवों को जान से मारने की मंशा से उस जगह जा पहुंचता है जहां पांडवों का वास है ,किंतु ऐसी कुछ घटित होता है कि दुर्योधन को ही युधिष्ठिर की शरण में आना पड़ता है और युधिष्ठिर दुर्योधन के प्राणों की का संरक्षण करते हैं| ऐसा क्या घटित हुआ था कि दुर्योधन को युधिष्ठिर की शरण लेनी पड़ी? शिवानी आनंद की आवाज में सुनते हैं कहानी का पूरा प्रसंग…
राजा विक्रमादित्य की गुणग्राहिता का कोई जवाब नहीं था। वे विद्वानों तथा कलाकारों को बहुत सम्मान देते थे। उनके दरबार में एक से बढ़कर एक विद्वान तथा कलाकार मौजूद थे, फिर भी अन्य राज्यों से भी योग्य व्यक्ति आकर उनसे अपनी योग्यता के अनुरुप आदर और पारितोषिक प्राप्त करते थे। एक दिन विक्रम के दरबार में दक्षिण भारत के किसी राज्य से एक विद्वान आया उसका मानना था कि विश्वासघात विश्व का सबसे नीच कर्म है। उसने राजा को अपना विचार स्पष्ट करने के लिए एक कथा सुनाई। वह कथा क्या थी इसे जानने के लिए सुनते हैं सिंहासन बत्तीसी की कहानियों में से एक कहानीअठारहवीं पुतली तारामती विक्रमादित्य और विद्वानों तथा कलाकारों का सम्मान ,शिवानी आनंद की आवाज में…
महाभारत की कहानी में से एक कहानी जिसमें कुरु वंश की उत्पत्ति के बारे में बताया गया है इसे जानने के लिए सुनते हैं शिवानी आनंद की आवाज में
एक ही मां के अंश यानी सिबलिंग्स,यह रिश्ता बहुत खास होता है वह छोटी-छोटी नोकझोंक, वह साथ-साथ हंसना ,रोना और और अपनी कुछ खास बातों को सिर्फ उनके साथ बांटना |समय की रफ्तार में अगर यह रिश्ते आप से दूर चले गए हैं ,तो फिर से उन्हें अपने नजदीक जरूर लाइए |कैसे? जानते हैं इस खूबसूरत एहसास को, अंगोना साहा के साथ..
शल्य पर्व में कर्ण की मृत्यु के पश्चात कृपाचार्य द्वारा सन्धि के लिए दुर्योधन को समझाना, सेनापति पद पर शल्य का अभिषेक, मद्रराज शल्य का अदभुत पराक्रम, युधिष्ठिर द्वारा शल्य और उनके भाई का वध, सहदेव द्वारा शकुनि का वध, बची हुई सेना के साथ दुर्योधन का पलायन, दुर्योधन का ह्रद में प्रवेश, व्याधों द्वारा जानकारी मिलने पर युधिष्ठिर का ह्रद पर जाना, युधिष्ठिर का दुर्योधन से संवाद, श्रीकृष्ण और बलराम का भी वहाँ पहुँचना, दुर्योधन के साथ भीम का वाग्युद्ध और गदा युद्ध और दुर्योधन का धराशायी होना, क्रुद्ध बलराम को श्री कृष्ण द्वारा समझाया जाना, दुर्योधन का विलाप और सेनापति पद पर अश्वत्थामा का अभिषेक आदि वर्णित है। महाभारत की कहानियों में से एक कहानी शल्य पर्व में. जिसे सुनते हैं शिवानी आनंद की आवाज में…
पांडवों को मृत समझकर दुर्योधन को हस्तिनापुर का युवराज घोषित कर दिया गया, तत्पश्चात पांडवों के जीवित होने का पता चला | युद्ध में के संकट से बचने हेतु कौरवों द्वारा खंडहर स्वरूप खांडव वन उन्हें आधे राज्य के रूप में दे दिया गया| किंतु किस प्रकार पांडवों के द्वारा वैभव से परिपूर्ण इंद्रप्रस्थ राज्य की स्थापना हुई ?यह एक रोचक घटना है| इस प्रसंग को जानने के लिए सुनते हैं महाभारत की कहानियों में से एक कहानी इंद्रप्रस्थ की स्थापना, शिवानी आनंद की आवाज में…
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