समय द्वारा अपने मनोरंजन के लिए वायु. जल, अग्नि और कई प्रकार के जीवों के उपरांत मनुष्य के बनाए जाने की कथा।
जहां चाह वहां राह की कहावत को सार्थक करती कहानी। जिसमें चार चोर चोरी की राह छोड़ एक आम इंसान का जीवन बिताते हुए सबके लिए कहानी वाले बाबा बन जाते हैं।
जहां चाह वहां राह की कहावत को सार्थक करती कहानी। जिसमें चार चोर चोरी की राह छोड़ एक आम इंसान का जीवन बिताते हुए सबके लिए कहानी वाले बाबा बन जाते हैं।
ये कहानी एक बकरी के बेचने और खरीदने के बहुत ही सरल माध्यम से हमे यह सिखाती है कि हमे यूं तो कभी किसी का बुरा नहीं करना चाहिए लेकिन अगर कोई आपके साथ बुरा करे तो उसे सबक ज़रूर सिखाना चाहिए।
यह कहानी गड़बड़ और सड़बड़ नाम के दो भाईयों की है जो हैं तो जुड़वा लेकिन आदतों से एकदम विपरीत।
एक था नन्हा खरगोश, जिसेअपने लंबे कान अपने पूरे शरीर में सबसे अधिक पसंद थे, लेकिन एक दिन झाड़ियों में भेड़िए से बचते हुए उसके कान ज़ख्मी हो गए जिससे वह बेहद दुखी रहने लगा। लेकिन अपनी बहादुरी से उसने कुछ ऐसा किया की सभी उसे नन्हा बहादुर कहकर पहले से भी ज्यादा प्रेम करने लगे।
गिन्नी – Rabindranath Thakur (रबीन्द्रनाथ ठाकुर) – Shivani Anand (शिवानी आनंद)
कहानी एक शिक्षक और एक शिष्य की है ।शिक्षक शिवनाथ पंडित बेहद कड़क किस्म के अध्यापक हैं जो अपने शिष्यों को शारीरिक दंड के साथ-साथ अपने तीखे वाक्यों से भी घायल कर देते हैं ।कक्षा का सबसे सरल और सीधा बालक आशु के साथ भी कुछ ऐसा घटित होता है जो उसके अबोध मन में हमेशा के लिए छाप छोड़ जाता है। क्या है वह घटना ?जानने के लिए सुनते हैं रविंद्र नाथ टैगोर के द्वारा लिखी गई कहानी गिन्नी, शिवानी आनंद की आवाज़ में
12 वर्ष बनवास और 1 वर्ष अज्ञातवास पूर्ण करने के पश्चात पांडवों ने अपना राज्य वापस लौटाने के उद्देश्य से श्रीकृष्ण को अपना शान्तिदूत बनाकर हस्तिनापुर भेजा, जिससे वह शान्ति का प्रस्ताव रख सकें। किंतु क्या श्री कृष्ण का शांति प्रस्ताव धृतराष्ट्र और कौरवों को मान्य हुआ ?इसके आगे के प्रसंग को जानने के लिए सुनते हैं कृष्ण का शांति प्रस्ताव ,शिवानी आनंद की आवाज में…
जिससे तुम्हारा नुकसान हो रहा हो, उससे अलग ही रहना अच्छा है, चाहे वह उस समय के लिए तुम्हाहरा दोस्तु भी क्यों न हो।पूरी कहानी जानने के लिए सुनते हैं सूर्यकांत त्रिपाठी जी के द्वारा लिखी गई कहानी दो घड़े, निधि मिश्रा की आवाज में
शल्य पर्व में कर्ण की मृत्यु के पश्चात कृपाचार्य द्वारा सन्धि के लिए दुर्योधन को समझाना, सेनापति पद पर शल्य का अभिषेक, मद्रराज शल्य का अदभुत पराक्रम, युधिष्ठिर द्वारा शल्य और उनके भाई का वध, सहदेव द्वारा शकुनि का वध, बची हुई सेना के साथ दुर्योधन का पलायन, दुर्योधन का ह्रद में प्रवेश, व्याधों द्वारा जानकारी मिलने पर युधिष्ठिर का ह्रद पर जाना, युधिष्ठिर का दुर्योधन से संवाद, श्रीकृष्ण और बलराम का भी वहाँ पहुँचना, दुर्योधन के साथ भीम का वाग्युद्ध और गदा युद्ध और दुर्योधन का धराशायी होना, क्रुद्ध बलराम को श्री कृष्ण द्वारा समझाया जाना, दुर्योधन का विलाप और सेनापति पद पर अश्वत्थामा का अभिषेक आदि वर्णित है। महाभारत की कहानियों में से एक कहानी शल्य पर्व में. जिसे सुनते हैं शिवानी आनंद की आवाज में…
कर्ण और दुर्योधन की मित्रता का उल्लेख महाभारत में मिलता है। कर्ण दुर्योधन के आश्रय में रहता था। दुर्योधन और कर्ण की मित्रता किस प्रकार हुई? दुर्योधन का कर्ण से मित्रता करने के पीछे क्या प्रयोजन रहा और कर्ण ने किस प्रकार अपनी यह मित्रता निभाई |इस पूरे प्रसंग को जानने के लिए सुनते हैं महाभारत की कहानियों में से एक कहानी कर्ण दुर्योधन की मित्रता शिवानी आनंद की आवाज में…
कहानी में बड़ी सहजता के साथ ही समझा जा सकता है कि आखिर सत्य क्या है ?खाना, कपड़ा और मकान जिंदगी का सबसे बड़ा सत्य है| इसी बीच मनुष्य की धूर्तता उतना ही बड़ा सच है ,किस तरह मनुष्य अपने जोड़-तोड़ से इस संसार को चला रहा है और यही जोड़-तोड़ से युगों -युगों तक संसार में चलता रहेगा लेकिन रोटी, कपड़ा और मकान का सत्य कभी नहीं बदलेगा कैसे ? सुनते हैं हैं रांगेय राघव के द्वारा लिखी गई कहानी ‘बिल और दाना ‘,नयनी दीक्षित की खूबसूरत आवाज में …
अनुशासन पर्व में कुल मिलाकर 168 अध्याय हैं। अनुशासन पर्व के आरम्भ में 166 अध्याय दान-धर्म पर्व के हैं। इस पर्व में भी भीष्म के साथ युधिष्ठिर के संवाद का सातत्य बना हुआ है। भीष्म युधिष्ठिर को नाना प्रकार से तप, धर्म और दान की महिमा बतलाते हैं और अन्त में युधिष्ठिर पितामह की अनुमति पाकर हस्तिनापुर चले जाते हैं। भीष्मस्वर्गारोहण पर्व में केवल 2 अध्याय (167 और 168) हैं। इसमें भीष्म के पास युधिष्ठिर का जाना, युधिष्ठिर की भीष्म से बात, भीष्म का प्राणत्याग, युधिष्ठिर द्वारा उनका अन्तिम संस्कार किए जाने का वर्णन है। इस अवसर पर वहाँ उपस्थित लोगों के सामने गंगा जी प्रकट होती हैं और पुत्र के लिए शोक प्रकट करने पर श्री कृष्ण उन्हें समझाते हैं।महाभारत की कहानियों में से एक कहानीअनुशासन पर्व में ,जिसे सुनते हैं शिवानी आनंद की आवाज में…
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