तिलिस्मी दुनिया जहां बड़े लोग, बड़े व्यापार, बड़ी पार्टियां, बड़ी सुंदरता ,बड़ी मारकाट ,बड़ी सफलता और चकाचौंध कर देने वाली जिंदगी को पाने के लिए इंसान ऐसी नींद के आगोश में चला जाता है कि उसके कारण वह अपने सच्चे रिश्ते, सच्चा प्यार और यहां तक की अपने से भी प्यार करना भूल जाता है |वह समझ नहीं पाता है कि उस नींद के बाहर की दुनिया अब उसके लिए कितनी अजनबी हो चुकी है ?एक आम -इंसान की रोजमर्रा की जिंदगी में आए हुए कई बदलावों को चित्रित करती हुई धीरेंद्र अस्थाना की कहानी नींद के बाहर ,सुनते हैं नयनी दीक्षित की आवाज में
तिलिस्मी दुनिया जहां बड़े लोग, बड़े व्यापार, बड़ी पार्टियां, बड़ी सुंदरता ,बड़ी मारकाट ,बड़ी सफलता और चकाचौंध कर देने वाली जिंदगी को पाने के लिए इंसान ऐसी नींद के आगोश में चला जाता है कि उसके कारण वह अपने सच्चे रिश्ते, सच्चा प्यार और यहां तक की अपने से भी प्यार करना भूल जाता है |वह समझ नहीं पाता है कि उस नींद के बाहर की दुनिया अब उसके लिए कितनी अजनबी हो चुकी है ?एक आम -इंसान की रोजमर्रा की जिंदगी में आए हुए कई बदलावों को चित्रित करती हुई धीरेंद्र अस्थाना की कहानी नींद के बाहर ,सुनते हैं नयनी दीक्षित की आवाज में
कहानी का नायक हरीश अपने अतीत से मानसिक रूप से लड़ रहा है |वास्तव में हरीश का अतीत उसे वर्तमान में नहीं रहने दे रहा| क्या है पूरी कहानी जानने के लिए हैं सुनते हैं धीरेंद्र अस्थाना के द्वारा लिखी गई कहानी भूत,नयनी दीक्षित की आवाज में…
कहानी “जो है उस धूसर सन्नाटे में “,धीरेंद्र अस्थाना जी ने बहुत ही सजीव ढंग से प्रस्तुत किया है कि आज की दुनिया में किसी भी तरह की संवेदना लोगों में नहीं बची है| खासतौर पर मीडिया, अखबार और किसी भी तरह के सोशल अकाउंट पर| आज की तारीख में किसी का जीना- मरना इस बात का मायने नहीं रखता कि वह इंसान इंपॉर्टेंट था या नहीं |लोग मरते हैं ,मर जाते हैं इस तरह की स्टेटमेंट हमें अक्सर सुनने को मिल जाते हैं |आज का समय जिसमें हम लोग जी रहे हैं, बहुत ही असंवेदनशील है | इस पूरे समाज में जो असंवेदनशील है ,उसमें एक ऐसा इंसान जो किसी एक की मृत्यु होने पर अपना खुद का व्यक्तित्व ही भूल जाता है इस बात पर आधारित है यह कहानी…
धीरेंद्र अस्थाना की कहानी मुहिम में, समाज में जो निर्धन और धनी के बीच बीच में जो भेदभाव है| उसी के चलते एक बालक मन ना चाहते हुए भी किस तरह जाने -अनजाने में गलत रास्ते पर, क्राइम की राह पर चल पड़ता है?किस तरह उसके मन में क्राइम को सच समझ लेने की मुहिम पैदा हो जाती है
कहानी जीवन की उस सत्यता से परिचय कराती है कि इंसान तभी अपनों की अहमियत का एहसास करता है, जब वह व्यक्ति उसके पास नहीं होता | कहानी में 62 वर्ष के राजीव निगम को जब सुबह यह पता चलता है कि उसकी पत्नी आरती रात में उसे और घर को छोड़कर कहीं चली गई है | तब राजीव निगम एहसास करता है कि आखिर 40 वर्ष साथ गुजारने के बाद, इस उम्र में आरती को यह कठोर फैसला क्यों लेना पड़ा होगा |धीरेंद्र अस्थाना की बेहद रोचक और दिल को छू लेने वाली कहानी है ‘पराधीन ‘,सुनते हैं नयनी दीक्षित की आवाज में…
नहीं, मुझे पूरा सुने बगैर नहीं जा सकतीं तुम। अरविंद ने आदेश सा दिया, तुमने सिर्फ मेरा उजास देखा है। मेरे भीतर के अंधकार और दुर्गंध से परिचय नहीं है तुम्हारा। मेरे भीतर की अँधेरी, घृणित और असहनीय दुनिया में सिर्फ सुनीता ही रह सकती है मानसी तुम्हारा तो दम घुट जाएगा वहाँ। मेरे अशक्त और खोखले हो चुके तन को प्रेमिका की नहीं, परिचारिका की जरूरत है मानसी और परिचारिका मानसियाँ नहीं, सुनीताएँ ही हो सकती हैं। मानसी एक 24 वर्षीय खूबसूरत नव युवती है जिसे अपने से काफी उम्र में एवं शादीशुदा व्यक्ति अरविंद से प्रेम हो जाता है उनका प्रेम सारे बंधनों को तोड़ देना चाहता है किंतु जब अरविंद को इस बात का एहसास होता है मानसी उसके गुणों के प्रति आकर्षित है तब मानसी से अपने संबंधों को विच्छेद कर देना चाहता है ऐसी स्थिति में मानसी की क्या मनोदशा होती है और आगे कहानी में क्या होता है इस पूरी कहानी को जाने के लिए अमित तिवारी जी की आवाज में सुनते हैं कहानी मानसी
सत्यान्वेषी – Byomkesh Bakshi (व्योमकेश बक्शी) – Nayani Dixit
सबसे पहले कहानी ब्योमकेश बक्शी के संकलन में है सत्यान्वेषी कहानी में सबसे पहली बार व्योमकेश और अजीत बंदोपाध्याय का एक दूसरे से मिलते हैं और एक दूसरे के दोस्त हो जाते हैं |लेकिन व्योमकेश बख्शी अपना इतना बड़ा घर छोड़कर एक सराय में रहने के लिए जाते हैं उन्हें ऐसा क्या पता करना है उस सराय के चारों ओर जो उन्हें अपना इतना बड़ा घर छोड़कर जाना मजबूर करता है और अजीत इसमें ब्योमकेश बक्शी का साथ कैसे देते हैं ?
धीरेंद्र अस्थाना की कहानी पतन बोध में, इंसान पूरी दुनिया से झूठ बोल सकता है लेकिन क्या वह अपने आप से झूठ बोल सकता है ?इंसान जब अकेला होता है खासतौर पर मानसिक रूप से अकेला तो वह सारे सच उसके सामने आते हैं जिनसे वह सारी जिंदगी बचता रहा है लेकिन यही सच क्या कभी-कभी उसके पतन का कारण बनते हैं या नहीं ?
अकेलापन – गाय दी मोपासां – नयनी दीक्षित
19वीं शताब्दी के बेहद लोकप्रिय लेखक गाय दी मोपासा की कहानी अकेलापन जिसमें व्यक्ति के उस मेंटल डिसऑर्डर की बात की गई है जिसमें व्यक्ति अपने आपको बेहद अकेला महसूस करता है ।कहानी का नायक भी इसी प्रकार की समस्या से उलझ रहा है। कहानी का नायक अपनी शादी सिर्फ़ इस वज़ह से करना चाहता है क्योंकि वह मानसिक रूप से अपने अकेलेपन से बहुत उलझ चुका है जानिए पूरी कहानी अकेलापन नया नयनी दीक्षित की आवाज़ में…
अब तुम्हारे पास कुछ काम- धाम तो है नहीं, बीमार पड़े -पड़े बिस्तर ही तो गर्म करते रहते हो | यह मुर्गी के कुछ अंडे हैं ,ध्यान रखना बिना टूटे-फूटे मुर्गी के इन अंडों को लेटे-लेटे तुम्हें सेना है | गुस्से और गंभीर मुद्रा में ट्योने की पत्नी ने ट्योने से कहा | बेचारा अपाहिज ट्योने के आस-पास उसकी पत्नी ने अंडों को सेने के लिए रख दिया |क्या वाकई एक मुर्गी की तरह बिस्तर पर पड़े -पड़े ट्योने ने उन अंडों को सेने का काम किया? और क्या वाकई उन अंडों से चूजे निकल पाए ? इस बात से ट्योने को किस बात का एहसास हुआ ?पूरी कहानी जानने के लिए सुनते हैं गाय दी मोपासां की कहानी अपाहिज की ममता,नयनी दीक्षित की आवाज में …
सप्तम सर्ग – कर्ण – बलिदान
यह रश्मिरथी खण्डकाव्य का अंतिम सर्ग है। कर्ण और अर्जुन का दुर्धर्ष युद्ध चरम पर है। एक बार तो कर्ण के बाणों से आहत हो अर्जुन मूर्छित तक हो जाते हैं। परंतु काल के वश कर्ण के रथ का पहिया कीचड़ में फंसता है और उसी क्षण श्रीकृष्ण अर्जुन को ललकारते हैं
खड़ा है देखता क्या मौन भोले?
शरासन तान, बस अवसर यही है।
घड़ी फिर और मिलने की नहीं है,
विशिख कोई गले के पार कर दे।
अभी ही शत्रु का संहार कर दे।
और अर्जुन का एक बाण महापराक्रमी योद्धा को सदैव के लिए काल के हवाले कर देता है। श्रीकृष्ण सभी को सीख देते हैं कि कर्ण का चरित्र निश्चय ही अनुकरणीय है।
समझ कर द्रोण मन में भक्ति भरिये,
पितामह की तरह सम्मान करिये।
मनुजता का नया नेता उठा है।
जगत से ज्योति का जेता उठा है।
Awoman with great look, good taste was still not getting the attention from her husband. Each day the distance was impacting huge among their relationship that prompted the lady to leave her house.
जवान बेटी विधवा है। कितने मरे हुए सपनों को ढो रही है जया। क्या देख पाई थी वह? कुछ भी तो नहीं। घर-संसार, देह-सुख, कुछ भी तो नहीं। चार दिन बाद वापस आ गई थी जया। सारा श्रृंगार धो लाई थी और साथ में ले आई थी जलते हुए सपने, धुएँ होती उमंगे, कितना टूट गई थी वे। किश्त-दर-किश्त जिंदगी से हारी थी जया एक जवान विधवा बेटी है विनय पंत जया की जिंदगी में आना चाहता है किंतु इस रिश्ते के संदर्भ में निर्मला देवी उदासीन है| अंत में कहानी में क्या निर्मला देवी इस रिश्ते को मान्यता दे पाती हैं ,और क्या कारण है कि वह इस रिश्ते के प्रति उदासीन है ?जाने के लिए सुनते हैं कहानी खोई हुई औरत
2 साल पहले की बात है आज करमांवाली, डोली वाली लड़की ,एक औरत बन चुकी है| शादी के बाद करमांवाली के जीवन में जो कुछ भी घटित हुआ वह उसके चेहरे पर साफ -साफ झलक रहा है |आज जब लेखिका की पुनः करमांवाली से मुलाकात होती है तो लेखिका ने करमांवाली के संघर्ष को कहानी का रूप दिया है| करमांवाली के जीवन को अमृता प्रीतम ने किस तरीके से कहानी का रूप दिया है? जानने के लिए सुनते हैं अनुर्वी मेहरा की अवाज़ में कहानी करमांवाली…
कहानी की नायिका बेला है, जो कि कंजरो की बस्ती की एक लड़की है | बेला, गोली से प्रेम करती है| कंजरो के सरदार मैकू जबरन बेला का विवाह भूरे से करवा देता है| किंतु यही मैकू ठाकुर के सामने एक हज़ार की बोहनी के लिए एक इंद्रजाल फैलाता है| क्या है मैकू का वह जाल ?क्या हुआ चंदा ,गोली, भूरे और ठाकुर के साथ ?पूरी कहानी जानने के लिए सुनते हैं जयशंकर प्रसाद द्वारा लिखी गई कहानी इंद्रजाल ,निधि मिश्रा की आवाज
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