लाल क्रॉस – गाय दी मोपासां – नयनी दीक्षित
धर्म जब अंधविश्वास का आवरण ओढ़ लेता है तब समाज में कुरीतियों, अलगाव, भेदभाव की स्थितियां पैदा होती हैं और इसका कारण स्वयं धर्म नहीं होता बल्कि वह लोग होते हैं जो इस का प्रभुत्व रखना चाहते हैं ।धर्म की आड़ लेकर कुछ इसी तरह की कहानी है लाल क्रॉस जिसमें एक वृद्ध व्यक्ति जो कि एक केंद्र किरदार है जब उसकी मृत्यु होती है तो किस प्रकार गांव के लोग अंधविश्वास का आवरण पहनाने के लिए उसमें तरह-तरह की कही -अनकही बातें जोड़ देते हैं। इसके पीछे से यह कारण होता है कि वह वृद्ध व्यक्ति किसी एक धर्म का अनुयाई नहीं होता। पूरी कहानी जानने के लिए सुनते हैं नयनी दीक्षित की आवाज़ में 19वीं शताब्दी के बेहद प्रसिद्ध लेखक guy de maupassant की लिखी कहानी लाल क्रॉस
कहानी में दो कबाड़ उठाने वाले दो दोस्त लिबॉयस और मेलचॉन,एक स्त्री से पांच ट्रेंट में 5 फ्रै़ंक मिनट में एक गधा खरीदते हैं और सिर्फ अपने आमोद -प्रमोद के लिए उस गधे को बड़ी क्रूरतासे उसका वध करते हैं लेकिन इसके बाद कहानी में बहुत मरे हुए गधे से क्या करते हैं? इसे जानने के लिए सुनते हैं गाय दी मोपासां की कहानी गधा ,नयनी दीक्षित की आवाज में …
रेलयात्रा – गाय दी मोपासां – नयनी दीक्षित
एक जवान स्त्री पुरुष का संबंध क्या केवल स्त्री पुरुष के संबंध को ही दर्शाता है या फिर एक जवान स्त्री पुरुष जो लगभग एक ही उम्र के हैं वह अनजाने में मां -बेटे के संबंध में भी बदल सकते हैं। रेल यात्रा कहानी सोसाइटी के स्त्री -पुरुष के संबंध को देखने के नजरिये को चोट करती हुई कहानी है। guy de maupassant द्वारा लिखी कहानी रेल यात्रा में जानिए नयनी दीक्षित की आवाज़ में..
परिवर्तन – गाय दी मोपासां – नयनी दीक्षित
एक जवान स्त्री पुरुष का संबंध क्या केवल स्त्री पुरुष के संबंध को ही दर्शाता है या फिर एक जवान स्त्री पुरुष जो लगभग एक ही उम्र के हैं वह अनजाने में मां -बेटे के संबंध में भी बदल सकते हैं। रेल यात्रा कहानी सोसाइटी के स्त्री -पुरुष के संबंध को देखने के नजरिये को चोट करती हुई कहानी है। guy de maupassant द्वारा लिखी कहानी रेल यात्रा में जानिए नयनी दीक्षित की आवाज़ में..
चुडैल – गाय दी मोपासां – नयनी दीक्षित
एक अविवाहित स्त्री का मां बनना और बच्चा जन्म लेना, उसके चरित्र हीनता की निशानी है।इस कहानी की नायिका अविवाहित है और अपने जन्मे बच्चे के साथ जाने-अनजाने अत्याचार करती है। समाज़ में अपने जीवन-यापन के लिए वह किस तरीके से पाप के गर्त में गिरती चली जाती है और समाज़ उसे चुड़ैल का नाम देता है।एक पुरुष प्रधान समाज़ में ऐसी एक नारी की क्या स्थिति होती है इस पर समाज़ से प्रश्न करती हुई फ्रेंच लेखक Guy de Maupassant की कहानी चुड़ैल ,जिसे भाव प्रधान आवाज़ दी है नयनी दीक्षित ने…
कुवारेपन की वजह – गाय दी मोपासां – नयनी दीक्षित
कई बार कुछ ऐसी घटना एक पुरुष के जीवन में घट जाती हैं जिसके लिए एक महिला जिम्मेदार होती है। उन घटनाओं का यह भी असर होता है जो उसके कुंवारे पन की वजह बन सकता है। हर बार हर मामले में सिर्फ़ पुरुष को ही जिम्मेदार ठहराना यह जरूरी नहीं ।19वीं शताब्दी में फ्रेंच लेखक guy de maupssantने इसी बात को अपनी कहानी का आधार बनाया है ।क्या है पूरी कहानी जानने के लिए सुनिए नयनी दीक्षित की आवाज़ में कहानी कुंवारेपन की वजह..।
रक्त मंडल के 9 भाग में आपने सुना कि किस तरह गोपाल शंकर ने नगेंद्र नरसिंह के आदमियों की आंखों में धूल झोंक दी और मृत्यु किरण के बक्से को बदल दिया? साथ ही उनके पीछे अपने खास नौकर मुरारी को भी लगा दिया। मगर नगेंद्र नरसिंह ने अभी तक हार नहीं मानी और मृत्यु किरण किरण के बक्से के पीछे लगा रहा। आगे का हाल जानने के लिए सुनते हैं रक्त मंडल भाग10 नयनी दीक्षित की आवाज़ में…
पंडित गोपाल शंकर को भी उसी प्रकार की एक चिट्ठी मिली जो रक्त मंडल गिरोह से आई थी रक्त मंडल गिरोह के बारे में जानने के लिए गोपाल दास ने अपनी खुफिया लाइब्रेरी से किताब निकाली और उनके बारे में जानकारी प्राप्त करनी चाहिए किंतु भयानक चार नामक के मुखिया के बारे में अभी तक उसे कोई जानकारी नहीं प्राप्त हो पाई। क्या उन्हें इस किताब के जरिए कुछ पता चल पाएगा? क्या पंडित गोपाल शंकर नेपाल जाने के बाद मिस्टर कैमिन और रोज़ को इसके बारे में और इस किताब के बारे में कुछ बता पाएंगे? इसे जानने के लिए सुनते हैं कहानी का अगला भाग नयनी दीक्षित की आवाज़ में..
छेंददार फीते का रहस्य – Sherlock Holmes (शेरलॉक होम्स ) – Nayani Dixit
छेंददार फीते का रहस्य कहानी में एक बंद अंधेरे कमरे में जहां पर के एक चूहा भी नहीं हो सकता वहां पर मौत हो गई है और क्या शेरलॉक होम्स उस मौत का कारण जान पाएगा और जान पाएगा तो कैसे ?वह ऐसे कौन से सबूत इकट्ठा कर पाएगा कि उसको सजा हो क्योंकि इस बंद कमरे में जहां पर एक चीज भी नहीं घुस सकती वहां घुसकर कोई इंसान कैसे मारा जा सकता है ?एक ऐसे रहस्य का खुलासा करते हैं जो बहुत ही विस्मयकारी है
द्रौपदी रौद्र रूप धारण कर लेती है। उसके दुर्गा-जैसे तेजोद्दीप्त भयंकर रौद्र-रूप को देख दु:शासन घबरा जाता है और उसके वस्त्र खींचने में स्वयं को असमर्थ पाता है। द्रौपदी कौरवों को पुन: चीर-हरण करने के लिए ललकारती है। सभी सभासद द्रौपदी के सत्य, तेज और सतीत्व के आगे निस्तेज हो जाते
शोलागढ़@34km – Kumar Rehman (कुमार रहमान) – Nayani Dixit
शोलागढ़ @34 किलोमीटर कुमार रहमान की एक जासूसी उपन्यास है कहानी की शुरुआत में ही एक फिल्म अभिनेत्री शेयाली की मौत हो जाती है प्रत्यक्षदर्शियों के हिसाब से शेयाली की मौत समुद्र में डूबने से हुई है लेकिन यह सस्पेंस बना हुआ है कि उसने खुदकुशी की है या उसकी हत्या हुई है ।सार्जेंट सलीम और सोहराब इसकी पड़ताल कर रहे हैं लेकिन आखिर लड़की पानी में क्यों चली गई? क्या लड़की मिल सकी? सार्जेंट सलीम ने आखिर मोबाइल में क्या देखा ?ऐसे बहुत से प्रश्न जिनके बारे में जानने लिए सुने शोलागढ़ @ 34 किलोमीटर का पहला भाग नयनी दीक्षित की आवाज़ में…
2 साल पहले की बात है आज करमांवाली, डोली वाली लड़की ,एक औरत बन चुकी है| शादी के बाद करमांवाली के जीवन में जो कुछ भी घटित हुआ वह उसके चेहरे पर साफ -साफ झलक रहा है |आज जब लेखिका की पुनः करमांवाली से मुलाकात होती है तो लेखिका ने करमांवाली के संघर्ष को कहानी का रूप दिया है| करमांवाली के जीवन को अमृता प्रीतम ने किस तरीके से कहानी का रूप दिया है? जानने के लिए सुनते हैं अनुर्वी मेहरा की अवाज़ में कहानी करमांवाली…2 साल पहले की बात है आज करमांवाली, डोली वाली लड़की ,एक औरत बन चुकी है| शादी के बाद करमांवाली के जीवन में जो कुछ भी घटित हुआ वह उसके चेहरे पर साफ -साफ झलक रहा है |आज जब लेखिका की पुनः करमांवाली से मुलाकात होती है तो लेखिका ने करमांवाली के संघर्ष को कहानी का रूप दिया है| करमांवाली के जीवन को अमृता प्रीतम ने किस तरीके से कहानी का रूप दिया है? जानने के लिए सुनते हैं अनुर्वी मेहरा की अवाज़ में कहानी करमांवाली…
लखि बाबुल मोरे एक बेहद ही दिल को छू लेने वाली कहानी है. कैसे एक लड़की अपने दादी दादा के साथ रह कर अपना और अपने पिता के परिचय को ढूंढने की कोशिश करती है? अपने दादा दादी के मनोभावों को किस प्रकार समझने की कोशिश करते हुए उसमे दुनियादारी और समझदारी आती है? उसका चित्रण इस कहानी में बखूबी किया है
एक भावपूर्ण खत एक पुत्र का अपने पिता के लिए इंसान कितना भी बड़ा क्यों ना हो जाए जो इसने हैं जो स्नेह उसे अपने माता-पिता से प्राप्त होता है दुनिया में किसी और से प्राप्त नहीं हो सकता इसी अहसास को प्रेरित करता हुआ यह पत्र जानने के लिए सुनते हैं आकांक्षा पारे द्वारा लिखी गई कहानी डियर पापा अमित तिवारी जी की आवाज में
बड़ी उम्र में शादी होने से क्या अरमान ख़त्म हो जाते है ? क्या शादी का मतलब सिर्फ़ शारीरिक और आर्थिक ज़रूरतों की पूर्ति मात्र होता है ? क्या बड़ी उमर में शादी होने से भावनात्मक जुड़ाव की ज़रूरतें नहीं रह जाती है ? अंजू इन ही सवालों से जूझ रही थी । उमर बढ़ती जा रही थी तो भइया ने दो बच्चों के विधुर पिता से शादी करा के अपनी ज़िम्मेदारी पूरी कर ली। आर्थिक रूप से पूरी तरह आत्मनिर्भर होने के बावजूद समझौते तो उसने भी किए ही थे पर फिर ऐसा क्या हुआ की अंजू को निर्णय लेना ही पड़ा। वो बातें क्या थी जिन्होंने अंजू के स्वाभिमान को झकझोरा था .. सुनिए मल्टी जोशी को कहानी “ बहुरि अकेला”
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