अलग-अलग जाति से संबंध रखने वाले एक ऐसे प्रेमी युगल की कहानी जो एक दूसरे से प्रेम करते हैं विवाह भी करना चाहते हैं किन्तु सामाजिक बाधाओं के डर से डर कर कायरों की भांति पीछे हट जाते हैं
कहानी प्रारंभ से ही उन संकीर्ण मानसिकता वाले पुरुषों और स्त्रियों की मनोदशा से परिचित कराते हुए आगे बढ़ती है कि किस प्रकार एक अकेली युवती को देखकर बिना यथार्थ जाने लोग उसके चरित्र का विश्लेषण करने लग जाते हैं प्रेमचंद द्वारा लिखी गई कहानी मनोवृति मनोवृति सुनते हैं भूपेश पांडे जी की आवाज में
बरसात ना होने से सारी फसल सूख गई। जाधो राय के फाके के दिन आ गए। वह पत्नी और इकलौते बेटे साधो के साथ मजदूरी करने लगा। साधे अच्छे खाने के लालच में पादरी के साथ चला गया। बेबस माँ-बाप उसे ढूँढते रहे ।अच्छे दिन आए लेकिन साधो नहीं आया। 14 साल बाद साधो वापस आया , लेकिन धर्म- परिवर्तन के उपरांत। गाँव वालों ने उसे अपनाने से इंकार कर दिया। किंतु माँ की ममता इंकार नहीं कर सकी। बहुत रोकने की कोशिश की, लेकिन साधो वापस चला गया। मां-बाप विवश थे।
कहानी के माध्यम से बड़े ही रोचक ढंग से यह समझाने की कोशिश की गई है कि नशा चाहे भांग का हो ,शराब का या कोई और नशा हो हमेशा खराब होता है| नशे के सेवन से मनुष्य सही और गलत निर्णय लेने में अक्षम हो जाता है |कहानी में बहुत अधिक पंडितबाद पर कटाक्ष भी किया गया है| कहानी के मुख्य पात्र राय साहब पंडित घसीटे लाल और जिलाधीश मिस्टर बुल (जोकि विलायत से आये हैं ),उनके बीच नशे को लेकर संवाद पर व्यंग किया गया है | प्रेमचंद्र जी के द्वारा लिखी गई इस रोचक कहानी यह भी नशा, वह भी नशा सुनते हैं , नयनी दीक्षित की आवाज में …
हकीम जिला का किसी प्रयोजन से लेखक को अपने घर आने का निमंत्रण दिया जाता है |अब पूरी जगह यह चर्चा होने लगती है कि लेखक और हकीम जिला की बहुत गहरी दोस्ती है| अब इस बात का प्रभाव लेखक के जीवन पर किस प्रकार पड़ता है ,जानने के लिए सुनते हैं प्रेमचंद्र जी के द्वारा लिखी गई कहानी मुफ्त का यश ,सुमन वैद्य जी की आवाज में
वैवाहिक जीवन के एकपहलू में जितने जितने सुख हैं अगर उसके दूसरे पहलू को देखा जाए तो वह उतना ही हृदय विदारक और भयानक है | कहानी में नायक के जीवन में अपने वैवाहिक जीवन की इस समस्या के समाधान के लिए नायक कौन-कौन से प्रयत्न करता है | जानने के लिए सुनते हैं प्रेमचंद्र जी के द्वारा लिखी गई कहानी आखिरी हीला भूपेश पांडे जी की आवाज में
वैवाहिक जीवन के एकपहलू में जितने जितने सुख हैं अगर उसके दूसरे पहलू को देखा जाए तो वह उतना ही हृदय विदारक और भयानक है | कहानी में नायक के जीवन में अपने वैवाहिक जीवन की इस समस्या के समाधान के लिए नायक कौन-कौन से प्रयत्न करता है | जानने के लिए सुनते हैं प्रेमचंद्र जी के द्वारा लिखी गई कहानी आखिरी हीला भूपेश पांडे जी की आवाज में
“नौं” साल और “चौदह” के दो सगे भाई हैं । स्वभाव से विपरीत। किंतु बड़ा भाई, छोटे भाई को उस समय की लघुता का एहसास दिलाता है जब छोटे भाई को अपनी सफलता पर घमंड होने लगता है । ये सब किस प्रकार होता है और क्या होता है? कहानी बड़े भाईसाहब मे जानेंगे?
कहानी प्रारंभ से ही उन संकीर्ण मानसिकता वाले पुरुषों और स्त्रियों की मनोदशा से परिचित कराते हुए आगे बढ़ती है कि किस प्रकार एक अकेली युवती को देखकर बिना यथार्थ जाने लोग उसके चरित्र का विश्लेषण करने लग जाते हैं प्रेमचंद द्वारा लिखी गई कहानी मनोवृति मनोवृति सुनते हैं भूपेश पांडे जी की आवाज में
कहानी का नायक एक मेहनती गरीब क्लर्क है ,जबकि उसका मित्र ईश्वरी एक बड़े जमीदार का लड़का है |नायक को अपने अमीर दोस्त के साथ कुछ दिन बिताने को मिलते हैं ईश्वरी के ठाठ- बाट, शानो- शौकत से नायक भी अपने को अछूता नहीं रख पाता है |कहीं ना कहीं नायक के मन में भी अमीरी का नशा चढ़ने लगता है| नायक के चरित्र में आए इस बदलाव को जानने के लिए सुनते हैं प्रेमचंद्र जी के द्वारा लिखी गई कहानी नशा भूपेश पांडे जी की आवाज में…
हिंदुस्तान -पाकिस्तान दो झंडो के बीच खड़ा एक व्यक्ति जो लंबी दाढ़ी और फटे हाल में खड़ा हुआ जो मानसिक रूप से अस्वस्थ लग रहा हो
50 की उम्र पार करने के बाद भी नेउर एक मेहनती इंसान है| गांव में वह अपनी बूढ़ी पत्नी के साथ खुशी-खुशी रहता है| एक महात्मा के चक्कर में पड़कर के नेउर अपनी पत्नी के सारे गहने और रुपए गवा देता है ||इसके बाद नेउर की जिंदगी में बहुत बड़ी तब्दीली आ जाती है |वह क्या है? जानने के लिए सुनते हैं प्रेमचंद्र जी की रोचक कहानी नेउर सुमन वैद्य जी की आवाज में
यह कहानी एक बेहद शरारती लकड़े पाठक की है| जिसकी शरारतों से तंग हो,उसकी मां उसे मामा के संग भेज देती हैं। शुरुआत में तो पाठक नई जगह जाने के उत्साह में राज़ी हो जाता है लेकिन वहां घर और अपने लोगों से दूरी पाठक के लिए असहनीय हो जाती है और वह घर वापसी के उपाय करता है।
ठाकुर रणबीर सिंह आज मृत शैय्या पर है।कौशल्या को ठाकुर की पत्नी का दर्जा नहीं मिला है किंतु वो उनके पुत्रों की माँ हैं।आज जब ठाकुर को मुखाग्नि देना हैतब क्या होगा ?क्या उसका पुत्र ठाकुर का उत्तराधिकारी बनेगा?
नारी अपना पूरा जीवन घर बनाने में लगा देती है ।फिर भी उस घर में निर्णय लेने का अधिकार उसे क्यों नहीं दिया जाता ? क्यों हमेशा घर का आदमी ही निर्णय लेने का अधिकारी होता है ? लेकिन छाया को यह बात अब गवारा नहीं है। इसलिए उसने निर्णय लिया और पति को जता भी दिया कि जितना अधिकार उसका है घर पर, उतना ही अधिकार छाया का भी है।
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भोला महाजन जो कि एक सुनार है, पुराने विचारों वाला व्यक्ति है ।उसने अपने खानदानी पेशे में अपने दोनों बेटों को माहिर कर दिया है । उसने उन दोनों के लिए काफी पैसा लगाकर शोरूम बनवाया है किंतु वह पूरी तरह उन पर आश्वस्त नहीं हो पाता है इसलिए खुद भी शोरूम पर
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ani