पचासी – छियासी साल के लखनऊ के हाजी मियां बुलाकी अपने पुत्र- पुत्री की मृत्यु के पश्चात हौसला नहीं छोड़ते और इस उम्र में भी परिवार के सभी लोगों के साथ – साथ, अन्य लोगों का भी ध्यान रखते हैं | जानते हैं यह सब कैसे संभव हो पाता है | कहानी हाजी कुल्फी वाला में…….
इस दुराचारी ने अपने स्वार्थ के लिए न मालूम कितनी बालाओं का जीवन नष्ट कराया है उन्हें पथभ्रष्ट कर दिया है। जिस आदरणीय दृष्टि से इस नीच समाज में देखा जाता है वास्तव में यह नीच उसके योग्य नहीं, वरन यह नर पशु है, लोलुपी है, लम्पट है। सिंह की खाल ओढ़े हुए तुच्छ गीदड़ है-रंगा सियार है। मुक्ता पंडित जी से संगीत की शिक्षा ले रही है किंतु पंडित जी दलाली जैसा घिनौना कृत्य करते हैं मुक्ता को भी इसी प्रयोजन का हिस्सा बनाने के आशय से मुक्ता की मुलाकात मणिधर से करवाते हैं मुक्ता जब गर्भ से हो जाती है तो समाज सारा दोष मुक्ता पर मढ़ देता है किंतु क्या पंडित जी और मणिधर को अपने कृत्य पर कोई अफसोस होता है और क्या वे प्रायश्चित करते हैं जानने के लिए सुनते हैं अमृतलाल नागर द्वारा लिखी गई कहानी प्रायश्चित सुमन वैद्य की आवाज में
56 वर्षीय विधुर एक 18 वर्षीय युवती रीता से विवाह कर लेते हैं किंतु रीता कभी भी उन्हें अपना पति के रूप में स्वीकार नहीं कर पाती है बल्कि उनके पुत्र रमेश को अपना पति स्वीकार करती है अब यह स्थिति धर्म संकट में डालती है ऐसी स्थिति में समाज इस बात को स्वीकृति देगा कि नहीं पूरी कहानी जाने के लिए सुनते हैं अमृतलाल नागर की लिखी कहानी धर्म संकट सुमन की आवाज में सुमन वैद्य जी की आवाज में
इस दुराचारी ने अपने स्वार्थ के लिए न मालूम कितनी बालाओं का जीवन नष्ट कराया है उन्हें पथभ्रष्ट कर दिया है। जिस आदरणीय दृष्टि से इस नीच समाज में देखा जाता है वास्तव में यह नीच उसके योग्य नहीं, वरन यह नर पशु है, लोलुपी है, लम्पट है। सिंह की खाल ओढ़े हुए तुच्छ गीदड़ है-रंगा सियार है। मुक्ता पंडित जी से संगीत की शिक्षा ले रही है किंतु पंडित जी दलाली जैसा घिनौना कृत्य करते हैं मुक्ता को भी इसी प्रयोजन का हिस्सा बनाने के आशय से मुक्ता की मुलाकात मणिधर से करवाते हैं मुक्ता जब गर्भ से हो जाती है तो समाज सारा दोष मुक्ता पर मढ़ देता है किंतु क्या पंडित जी और मणिधर को अपने कृत्य पर कोई अफसोस होता है और क्या वे प्रायश्चित करते हैं जानने के लिए सुनते हैं अमृतलाल नागर द्वारा लिखी गई कहानी प्रायश्चित सुमन वैद्य की आवाज में
एक दिन जमीलन की लड़की शकीला, दो घण्टे में अपनी मौसी के यहाँ से लौट आने की बात कह, किसी के साथ कहीं चल दी। इस पर घर में चख-चख और तोबा-तोबा मचा, उसे देखने में लोगों को बड़ा मजा आया। दिन-भर बाजार के मनचले दुकानदारों की जबान पर शकीला की ही चर्चा रही और, तीसरे दिन सबेरे, आश्चर्य-सी वह लौट भी आई।अमृतलाल नागर द्वारा लिखी गई कहानी शकीला की माँ,सुमन वैद्य की आवाज में
बड़े-बूढ़े कुछ झूठ नहीं कह गए हैं कि परदेश जाए तो ऐसे चौकन्ने रहें, जैसे बुढ़ापें में ब्याह करने वाला अपनी जवान जोरू से रहता है। हम चौकन्नेपन क्या, दसकन्नेपन की सिफारिश करते हैं, वरना ईश्वर न करे किसी पर ऐसे बीते, जैसी परदेश में हम पर बीती, यानी हम साढ़े पांच हाथ के जीते-जागते मौजूद रहे और परदेश ने हमारे मुंह पर कानूनी तमाचा मारकर कुछ देर के लिए यह साबित कर दिया कि हम फौत शुद यानी मर गए।कहानी का पात्र जो परदेश में है वहां उसके साथ क्या घटना घटती है पूरा वृतांत जानने के लिए सुनते हैं अमृतलाल नागर जी के द्वारा लिखी गई कहानी जब बात बनाए ना बनी,अमित तिवारी जी की आवाज में
हमारे पूर्व के साहित्य में और पश्चिम के साहित्य में स्पष्ट अंतर है उसे लेखक निर्मल वर्मा जी के द्वारा अपनी विचारधारा में साफ तौर पर स्पष्ट किया गया है उसे समझने का प्रयास करते हैं इस विचार गाथा में पूर्व एवं पश्चिम सुमन वैद्य जी की आवाज में
कहानी में किसान सिरचन को लोग बेकार ही नहीं बल्कि बेगार समझते हैं लेकिन एक समय ऐसा था कि एक सिरचन कुशल कारीगर था लोग उसकी खुशामद करते थे लेकिन वह कलाकार आज बेकार या बेगार क्यों है ?क्या उसे किसी बात की ठेस लगी है? पूरी कहानी जानने के लिए सुनते हैं फणीश्वर नाथ रेणु द्वारा लिखी गई कहानी ठेस सुमन वैद्य जी की आवाज में
मंगल भंगी भूँगी दाई का बेटा है ,जबकि सुरेश जमीदार बाबू महेशनाथ का बेटा है |एक समय भूँगी ने अपने बेटे मंगल से ज्यादा सुरेश को अपना दूध पिला कर उसकी देखभाल की, किंतु क्या भूँगी की मृत्यु के बाद मंगल को जमीदार महेश नाथ के यहां से अपनी मां द्वारा सुरेश को पिलाया दूध का दाम मिल पाता है या फिर उसे एक अछूत के रूप में देखा जाता है| प्रेमचंद जी की बेहद भावपूर्ण कहानी है दूध का दाम, जिसे आवाज दी है सुमन वैद्य जी ने
हीरा और मोती नाम के दो बैलों की कहानी है दोनों एक साथ रहते हैं और एक दूसरे के बहुत अच्छे मित्र हैं झूरी उनका मालिक है झूरी का साला इन दोनों बैलों को अपने साथ ले जाता है वहां जमकर काम करवाता है और खाने को कुछ भी नहीं देता है दोनों बैल वहां से भाग जाते हैं यहां से शुरू हो जाती है उनके संघर्ष की कहानी क्या फिर से अपने मालिक के पास पहुंच पाते हैं उनके साथ क्या होता है पूरी कहानी जानने के लिए सुनते हैं प्रेमचंद्र जी के द्वारा लिखी गई कहानी दो बैलों की कथा सुमन वैद्य जी की आवाज में
मक्रील का दृश्य बेहद सुहावना है वहां एक वृद्ध कवि अपने स्वास्थ्य सुधार के लिए आता है | मक्रील में कवि का भव्य स्वागत होता है| वृद्ध कवि मक्रील की नदी देखना चाहता है |तभी उसकी मुलाकात उसी होटल में खूबसूरत युवती से होती है| इसके बाद कहानी में एक बहुत बड़ा बदलाव आता है| वृद्ध कवि और उस खूबसूरत युवती के बीच क्या हुआ ?यशपाल जी के द्वारा लिखी गई कहानी मक्रील में जानते हैं, सुमन वैद्य जी की आवाज में
निशिकांत एक सरकारी दफ्तर में कार्यरत है |12 साल की नौकरी में बहुत खुश नहीं है| अपनी योग्यता के हिसाब से ही पद की इच्छा रखता है | वास्तव में उसकी इच्छा अपने देश की स्वतंत्रता में योगदान देने की है| ऐसे में आखिर उसके साथ क्या होता है ?क्या होता है आगे निशिकांत की जीवन में ?जानने के लिए सुनते हैं विष्णु प्रभाकर की द्वारा लिखी गई कहानी अरुणोदय, नयनी दीक्षित की आवाज में
मंटो की ये कहानी जीवन के कई पहलुओं पर नज़र डालती है , जैसा की हम जानते हैं मंटो ने उन औरतो और गलियों के बारे में बहुत लिखा है , जिन्हे लोगो बाज़ारू कहते हैं, पर इंसान वो भी हैं और एहसास उनके दिलों में भी होते हैं , ये कहानी भी एक ऐसी ही औरत की है , जो जवानी से बुढ़ापे की ओर बढ़ती है तो उसके जीवन में बहुत कुछ बदल जाता है
हर नशा बुरा नही होता। कुछ नशे ऐसे भी हैं जिनकी ज़रूर हर व्यक्ति को होती है कुछ ऐसा ही नशा करने वाले जगदीश भाई की कहानी।
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