भारतीय स्वतंत्रता सेनानी और लोकप्रिय राजनेता जयप्रकाश नारायण ने 1942 के ‘भारत छोड़ो आंदोलन’ के दौरान अपनी सक्रिय भूमिका निभाई। वह ‘संपूर्ण क्रांति’ नामक आंदोलन के महानायक रहे। उनकी स्मृति में नाम पर दिल्ली में ‘लोकनायक जयप्रकाश अस्पताल’ की स्थापना की गई। 1965 में समाज सेवा के लिए उन्हें ‘रमन मैग्सेसे’ पुरस्कार से सम्मानित किया गया ।1999 में उन्हें मरणोपरांत ‘भारत रत्न ‘से भी नवाज़ा गया।
खंडू भाई देसाई का जन्म 23 अक्टूबर, 1898 ई. को गुजरात के वलसाड ज़िले में हुआ था। वलसाड में आरंभिक शिक्षा के बाद वे मुम्बई के विलसन कॉलेज में भर्ती हुए। परंतु 1920 में महात्मा गाँधी के असहयोग आंदोलन में कॉलेज का बहिष्कार करके बाहर आ गए।
यतीन्द्रनाथ दास का जन्म 27 अक्टूबर 1904 को कोलकता में हुआ था। जब वे नौ वर्ष के थे तभी उनकी माँ का देहान्त हो गया था। उनके पिता ने उनका पालन पोषण किया। पढ़ाई के दौरान ही जब गांधी जी ने असहयोग आन्दोलन आरम्भ किया तो यतीन्द्र भी आन्दोलन में कूद पड़े थे।
एशिया का एक देश इराक़ 3 अक्टूबर 1932 को ब्रिटेन की गुलामी से स्वतंत्र हुआ। इराक़ की राजधानी बगदाद है। इराक़ की 6 पड़ोसी देश ईरान ,कुवैत जॉर्डन ,सऊदी अरब ,सीरिया और तुर्की है ।आधिकारिक भाषाएं अरबी और कुर्दिश है। 2006 में सद्दाम हुसैन के तानाशाही और मानवता के खिलाफ़ अपराध के लिए उन्हें फ़ासी की सज़ा दी गई।
इस युद्ध को प्रथम कश्मीर युद्ध कहा जाता है। इसकी शुरुआत अक्टूबर 1947 में हुई और इसका परिणाम जम्मू-कश्मीर का भारत में विलय था। पाकिस्तान को डर था कि महाराजा हरि सिंह भारत में शामिल हो जाएंगे
23 अक्टूबर को अंतर्राष्ट्रीय हिम तेंदुआ दिवस के रूप में मनाया जाता है। 23 अक्टूबर 2013 को, किर्गिस्तान के बिश्केक में हिम तेंदुए के संरक्षण के लिए एक घोषणा को अपनाया गया था। सभी 12 हिम तेंदुओं की रेंज के देशों ने इस संकल्प को अपनाया।
3 नवंबर, 1957 की तारीख इतिहास के पन्नों में दर्ज हो गई, जब सोवियत संघ ने पहली बार स्पुतनिक-2 स्पेसक्राफ़्ट से लाइका नाम की स्ट्रीट फ़ीमेल डॉग को अंतरिक्ष में भेजा. वैज्ञानिक दावा करते हैं कि लाइका को स्पेस में भेजने के प्रयोग ने इंसानों के अंतरिक्ष तक पहुंचने का रास्ता साफ किया
सत्येंद्र नाथ बोस एक महान क्रांतिकारी थे। ये अरविंद घोष के प्रभाव से क्रांतिकारियों के संपर्क में आए। स्वदेशी का प्रचार करने के उद्देश्य से “छात्र भंडार” नामक संस्था बनाई जिसमें युवकों को क्रांतिकारी दल से जोड़ने का कार्य किया। 21 नवंबर 1908 को सत्येंद्र नाथ देश के लिए शहीद हुए।
दो मित्र – गाय दी मोपासां – नयनी दीक्षित
कहानी यह दर्शाती है कि चाहे सत्ता की लड़ाई हो ,दो देशों के बीच की लड़ाई हो, या अपने अपने ईगो की लड़ाई हो, सत्ता धारियों को कोई फ़र्क नहीं पड़ता बल्कि इस बात का खामियाजा़ एक आम आदमी ही उठाता है। इस कहानी में लेखक ने दो मित्रों को के द्वारा बेवज़ह मारे जाने वाले लोगों का उल्लेख किया है। वह दो मित्र जो फ्रांस में रह रहे हैं और किस तरह भुखमरी गरीबी और तकलीफ़ से गुजर रहे हैं और किस तरह इस लड़ाई में मारे जाते हैं ?दो मित्रों को केंद्र बनाकर लेखक ने बेवज़ह मारी जा रही जनता का मार्मिक वर्णन किया है,जिसे नयनी दीक्षित ने उसे उतनी ही भाव प्रधान आवाज़ में पेश किया है।
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