बाइबल अनुवादक ‘सेंट जेरोम’ की स्मृति में 30 सितंबर 2018 से अंतरराष्ट्रीय अनुवादक दिवस के रूप में मनाया जाता है। राष्ट्रों को एक साथ लाने तथा भाषा विद अनुवाद में योगदान के साथ-साथ विश्व शांति में अहम भूमिका बनाने के उद्देश्य से संयुक्त राष्ट्र महासभा ने इस दिन की घोषणा की।
भारत संघ में त्रिपुरा राज्य विलय होने से पूर्व एक रियासत थी। त्रिपुरा के अंतिम महाराज बीर विक्रम सिंह की मृत्यु के बाद पत्नी महारानी कंचन प्रभा ने इसकी बागडोर संभाली ।1972 में पूर्ण इसे राज्य का इसको दर्जा मिला ।
4 अक्टूबर 1884 में उत्तर प्रदेश के बस्ती जिले अगोना में राम चंद्र शुक्ला का जन्म हुआ। उन्होंने हिंदी साहित्य में आलोचना और समीक्षा को महत्वपूर्ण स्थान दिलाया। 20वीं शताब्दी के प्रमुख हिंदी साहित्यकारों में वह एक हिंदी के प्रमुख स्तंभ रहे।
डॉ राम मनोहर लोहिया स्वतंत्रता सेनानी, प्रखर चिंतक, और एक लोकप्रिय नेता के रूप में जाने गए। भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन में उन्होंने प्रमुख भूमिका निभाई। स्वतंत्रता आंदोलन के दौरान वह कई बार जेल भी गए। दिल्ली में उनकी स्मृति में राम मनोहर लोहिया अस्पताल की स्थापना की गई।
स्वेज नहर मिस्र में भूमध्य सागर पर बन्दरगाह सईद से दक्षिण की ओर स्वेज शहर (स्वेज की खाड़ी के उत्तरी किनारे पर स्थित) तक 120 मील तक फैली हुई है। नहर मिस्र के बड़े हिस्से को सिनाई प्रायद्वीप से अलग करती है। इसे बनने में 10 साल लगे और इसे आधिकारिक तौर पर 17 नवंबर, 1869 को खोला गया।
स्वतंत्रता आंदोलन में भाग लेने वाले बिपिन चंद्र पाल का जन्म 7 नवंबर, 1858 को अविभाजित भारत के हबीबगंज जिले में (अब बांग्लादेश में) एक संपन्न कायस्थ परिवार में हुआ था।स्वतंत्रता संग्राम के दौरान गरम राष्ट्रवादी विचारों के प्रतीक रहे।
झलकारी बाई (22 नवंबर 1830 – 4 अप्रैल 1857) झाँसी की रानी लक्ष्मीबाई की नियमित सेना में, महिला शाखा दुर्गा दल की सेनापति थीं। वे लक्ष्मीबाई की हमशक्ल भी थीं इस कारण शत्रु को गुमराह करने के लिए वे रानी के वेश में भी युद्ध करती थीं। अपने अंतिम समय में भी वे रानी के वेश में युद्ध करते हुए वे अंग्रेज़ों के हाथों पकड़ी गयीं और रानी को किले से भाग निकलने का अवसर मिल गया।
हजूर नौकरी करता हूं, जान दे कर सरकार का नमक हलाल कर सकता हूँ पर ईमान नहीं बेच सकता,सरकार मालिक है। मैंने गद्दारी नहीं की, है………. नहीं की, लेकिन खुदा के रूबरू दरोगहलफी करके आकबत नहीं बिगाड़ सकता। यहाँ आप मालिक है, वहाँ वो मालिक है…। ऐसा कुछ कहानी का नायक उबेद कह रहा है | जो बचपन से बस यही सोचता था की मेहनत और सब्र का फल एक दिन मिलेगा ,खुदा सब कुछ देखता है किंतु क्या वाकई उसकी यह सोच सही साबित हुई? क्या वह अपने जीवन की कशमकश में कभी ऐसे मुकाम पर पहुंचा ,जहां उसे वाकई खुदा की मदद मिली हो| पूरी कहानी जानने के लिए सुनते हैं यशपाल जी के द्वारा लिखी गई कहानी खुदा की मदद, नयनी दीक्षित की आवाज में…
Dr. Anil Rajvanshi discusses the Nature of desire and its origin. He also talks about how we can resolve or sublimate them so as to live a emotionally happy life.
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