पति -पत्नी के बीच में शक की भावना उनके वैवाहिक जीवन को नष्ट कर सकती है |ऐसा ही कुछ सलीमा के साथ होता है सलीमा बादशाह का बेसब्री से इंतजार कर रही है| इंतजार की घड़ियां नहीं कट पाती तो मैं अपनी बाँदी बीन भीम सुनाने का आदेश देती है | बाँदी स्त्री के भेष में एक पुरुष होता है बादशाह इस दृश्य को देखकर सलीमा पर आरोप लगाता है |कहानी में आगे क्या होता है क्या सलीमा इस आरोप को सहन कर पाती है? क्या होता है बादशाह के साथ? पूरी कहानी जानने के लिए सुनते हैं दुखवा मैं कासे कहूँ मोरी सजनी ,सुमन वैद्य की आवाज में
एक कोठरी में एक अस्थि-पंजर के रूप में दिख रही हालत में एक स्त्री अपने सूखे हुए स्तनों से अपने गोद में लिए हुए 8 माह का बालक को स्तनपान करा रही है उसी के बगल में उसी की एक आठ वर्ष का बालक बैठा हुआ वह भी भूख से बिलख रहा है है आज से 5 माह पूर्व इस परिवार की यह दयनीय स्थिति नहीं थी |ऐसा क्या हुआ कि आज स्त्री इतनी विचलित अवस्था में है ? पूरी कहानी जानने के लिए सुनते हैं आचार्य चतुरसेन शास्त्री द्वारा लिखी गई कहानी फंदा ,सुमन वैद्य की आवाज में
बंशी रखकर साकी क्षणभर बेगम के पास आकर खडी हुई। उसका शरीर काँपा, ऑंखें जलने लगी, कंठ सूख गया। वह घुटने के बल बैठकर बहुत धीरे-धीरे अपने आंचल से बेगम के मुख का पसीना पोंछने लगी। इसके बाद उसने झुककर बेगम का मुँह चूम लिया। बादशाह जब शिकार से लौटते हैं ,तो अपनी बेगम को बेसुध देखकर बहुत क्रोधित होते हैं |बेगम सलीमा इस बात से अनभिज्ञ होती है ,उसके समीप रहने वाली साकी एक पुरुष है |बादशाह को जब यह ज्ञात होता है तो इसका जिम्मेदार बेगम सलीमा को समझते हैं | बेगम सलीमा बिना किसी खता होने पर भी अपने को इस बात का जिम्मेदार समझते हुए मृत्यु को अपना लेती है | क्या होता है? जब बादशाह को इस बात का पता चलता है कि इस पूरे प्रकरण में उनकी बेगम सलीमा का कोई दोष नहीं था | जानने के लिए सुनते हैं आचार्य चतुरसेन शास्त्री के द्वारा लिखी गई नामालूम सी एक खता ,अमित तिवारी जी की आवाज में…
हेमराज को कन्हैयालाल समझदार मानता था। हेमराज ने समझाया-बहू को प्यार तो करना ही चाहिए, पर प्यार से उसे बिगाड़ देना या सिर चढ़ा लेना भी ठीक नहीं। औरत सरकश हो जाती है, तो आदमी को उम्रभर जोरू का गुलाम ही बना रहना पड़ता है शादी के बाद औरत को काबू में रखने के प्रयोजन से कन्हैयालाल शादी के बाद लाजो पर विभिन्न प्रकार की यातनाएं देने लगता है किंतु जब करवा चौथ का वाले दिन कन्हैयालाल उसी प्रकार लाजो को प्रताड़ित करता है तो लाजो का सब्र टूट जाता है क्या इतना सब कुछ होने के बाद लाजो कन्हैयालाल के लिए व्रत रखेगी? कन्हैयालाल को क्या अपनी गलती का एहसास होगा? क्या होगा उनके वैवाहिक जीवन का ?पूरी कहानी जाने के लिए सुनते हैं यशपाल जी के द्वारा लिखी गई कहानी करवा का व्रत ,सुमन वैद्य की आवाज में
उसके कॉलर का बटन टूटा हुआ था। शेव की दाढ़ी का हरा रंग गर्दन की गोराई से अलग नज़र आता था। जहाँ से हड्डी शुरू होती थी, वहाँ एक गड्ïढा पड़ जाता था जो थूक निगलने या जबड़े के कसने से गहरा हो जाता था। कभी, जब उसकी ख़ामोशी ज़्यादा गाढ़ी होती, वह गड्ïïढा लगातार काँपता। कॉलर के नीचे के दो बटन हमेशा की तरह खुले थे। अन्दर बनियान नहीं थी, इसलिए घने बालों से ढकी खाल दूर तक नज़र आती थी। इतनी लाल कि जैसे किसी बिच्छू ने वहाँ काटा हो। छाती के कुछ बाल स्याह थे, कुछ सुनहरे। पर जो बटनों को लाँघकर बाहर नज़र आ रहे थे, वे ज़्यादातर सफ़ेद थे।
मंगल भंगी भूँगी दाई का बेटा है ,जबकि सुरेश जमीदार बाबू महेशनाथ का बेटा है |एक समय भूँगी ने अपने बेटे मंगल से ज्यादा सुरेश को अपना दूध पिला कर उसकी देखभाल की, किंतु क्या भूँगी की मृत्यु के बाद मंगल को जमीदार महेश नाथ के यहां से अपनी मां द्वारा सुरेश को पिलाया दूध का दाम मिल पाता है या फिर उसे एक अछूत के रूप में देखा जाता है| प्रेमचंद जी की बेहद भावपूर्ण कहानी है दूध का दाम, जिसे आवाज दी है सुमन वैद्य जी ने
कहानी एक एक मां बचन की है| जिसके दो बेटे बिन्नी और लाली है| बचन अपने छोटे बेटे बिन्नी के साथ मुंबई की एक छोटी बस्ती में रह रही है| लाली एक दूसरे शहर में अपनी पत्नी और बच्चों के साथ रह रहा है |लाली के अस्वस्थ होने की खबर जब बचन को मिलती है ,तो वह बड़ी बेचैन होकर लाली को देखने जाती है | किंतु अब यहां उसे बिन्नी की याद सताने लगती है |मोहन राकेश के द्वारा लिखी गई कहानी आर्द्रा में जान सकते हैं मां की ममता को ,जिसे आवाज दी है सुमन वैद्य जी ने
कावसजी जी और शापूरजी दोनों मित्र है| दोनों खूब कमाई करते हैं किंतु दोनों के जीवन में बहुत अंतर है जहां एक और कावसजी के जीवन में अशांति ,कटुता और निराशा है | वहां दूसरी ओर शाहपुर जी के जीवन में शांति ,सहृदयता है |क्या है वास्तविकता इन दोनों के जीवन में ?दोनों के जीवन में क्या कोई ऐसी घटना घटित होती है जो जीवन का श्राप बन जाती है ,बहुत कुछ है ,इस कहानी में जानने के लिए सुनते हैं प्रेमचंद्र जी के द्वारा लिखी गई कहानी जीवन का श्राप, सुमन वैद्य की आवाज
मगर मैं सोचता हूँ – आदमी क्यार चूहे से भी बद्तर हो गया है? चूहा तो अपनी रोटी के हक के लिए मेरे सिर पर चढ़ जाता है, मेरी नींद हराम कर देता है। इस देश का आदमी कब चूहे की तरह आचरण करेगा? लेखक ऐसा क्यों सोच रहा है पूरी कहानी जानने के लिए सुनते हैं हरिशंकर परसाई के द्वारा लिखी गई कहानी चूहा और मैं ,निधि मिश्रा की आवाज में
उर्वशी एक आधुनिक लड़की है जो होशियार होने के साथ ही जीवन में कुछ कर दिखाने की चाहत रखती है। प्रेम विवाह कर पति से उपेक्षित होने के बाद भी उसने हिम्मत न हारते हुए अपनी जिंदगी में कुछ कर दिखाने की चाहत को पूरा करने का प्रयास किया जिसमें उसकी खूबसूरती ही उसके लिए सबसे बड़ी बाधा बन गई। उसकी जिंदगी एक कटी पतंग की तरह झूलने लगी।
योगिता और ऋषभ की नई- नई शादी हुई है| ऋषभ अपने दोस्तों के बीच योगिता को दोस्तों के पत्नियों के समक्ष एक अनजानी सी प्रतिस्पर्धा में खड़ा कर देता है| योगिता को जबरदस्ती के इस थोपे हुए होते हुए संग्राम के ऊपर कैसे विजय हासिल होती है जानते हैं विनीता शुक्ला के द्वारा लिखी गई कहानी एक थोपा हुआ संग्राम ,पूजा श्रीवास्तव की आवाज में..
पाषाणी मृगमयी नाम की एक लड़की की कहानी है, जिससे अपूर्व नाम के लड़के को प्रेम होता है तथा वह उससे विवाह भी करता है। किंतु मृगमयी की प्रकृति से बचपना है की जाने का नाम नहीं लेता। परिस्थितियां विपरीत तब होती हैं जब अपूर्व कई वर्षो के लिए कलकत्ता चला जाता है और लौट कर नहीं आता…
भीष्म पितामह द्रौपदी द्वारा उठाए गए प्रश्नों को सर्वथा उचित मानते हैं किंतु साथ में यह कहते हैं कि धर्मराज युधिष्ठिर धर्म से बंधे हुए हैं अतः इस कारण उन्हें अपनी हार स्वीकार करनी होगी |पत्नी ,पति की अर्धांगिनी होती है इस नाते उनका तुम्हारे ऊपर अधिकार बनता है|
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