उस दिन से चचा और चची में अक्सर यही चर्चा होती कभी सलाह के ढंग से, कभी मजाक के ढंग से। उस अवसर पर मैं तो शर्माकर बाहर भाग जाता था; पर तारा खुश होती थी। दोनों परिवारों में इतना घराव था कि इस सम्बन्ध का हो जाना कोई असाधारण बात न थी। तारा के माता-पिता को तो इसका पूरा विश्वास था कि तारा से मेरा विवाह होगा। मैं जब उनके घर जाता, तो मेरी बड़ी आवभगत होती। तारा की माँ उसे मेरे साथ छोड़कर किसी बहाने से टल जाती थीं। किसी को अब इसमें शक न था कि तारा ही मेरी ह्रदयेश्वरी होगी। तारा और कृष्णा बचपन से ही एक दूसरे से प्रेम करते थे और कहीं ना कहीं उनके और उनके परिवार के मन में उन्हें पति पत्नी के रूप में स्वीकार किया गया था किंतु जब वास्तव में वे शादी योग्य हुए उस समय कृष्णा के परिवार ने चंद हजार रुपयों की खातिर तारा से शादी का प्रस्ताव ठुकरा दिया | ऐसी परिस्थिति में तारा का विवाह संपन्न परिवार में हुआ | इस बात से कृष्णा आहत हुआ और क्या तारा उस रिश्ते को स्वीकार कर पाई
सामाजिक व्यवस्था के उस रूप को देखकर गरीब व्यक्ति की उस मनोदशा को दर्शाती यह कहानी जब वह श्रमजीवी लोगों को अपनी जैसी स्थिति में पाता है तो वह बिना श्रम के ही अपना जीवन व्यतीत करना चाहता है ऐसे में वह सारे मानवीय और आत्मीय रिश्तो को दफन कर देता है वो संवेदनाओ से विहीन होकर किसी अपने की मृत्यु का भी शौक नहीं करता अपितु उस बात का फायदा उठाकर अपनी जिंदगी का लुत्फ उठाना चाहता है । हृदयस्पर्शीऔर मार्मिक कहानी है मुंशी प्रेमचंद्र की कफन।
मिस पदमा एक प्रभावशाली वकील है |उसकी अच्छी प्रैक्टिस भी चल रही है |यूं तो मिस पर पदमा के पास रिश्तो की कोई कमी नहीं है, किंतु मिस पदमा ऐसे व्यक्ति को अपना जीवनसाथी बनाना चाहती हैं जो पूरी तरीके से आत्मसमर्पण कर दें |ऐसे में प्रसाद से उसे प्रेम हो जाता है| क्या मिस पदमा को जीवन की वो खुशी प्रसाद के द्वारा प्राप्त होती है ?प्रसाद किस प्रकार का इंसान है ?पूरी कहानी जानने के लिए सुनते हैं प्रेमचंद जी की कहानी मिस पद्मा सुमन वैद्य जी की आवाज में
हीरा और मोती नाम के दो बैलों की कहानी है दोनों एक साथ रहते हैं और एक दूसरे के बहुत अच्छे मित्र हैं झूरी उनका मालिक है झूरी का साला इन दोनों बैलों को अपने साथ ले जाता है वहां जमकर काम करवाता है और खाने को कुछ भी नहीं देता है दोनों बैल वहां से भाग जाते हैं यहां से शुरू हो जाती है उनके संघर्ष की कहानी क्या फिर से अपने मालिक के पास पहुंच पाते हैं उनके साथ क्या होता है पूरी कहानी जानने के लिए सुनते हैं प्रेमचंद्र जी के द्वारा लिखी गई कहानी दो बैलों की कथा सुमन वैद्य जी की आवाज में
पूस की अँधेरी रात में आकाश पर तारे भी ठिठुरते हुए मालूम हो रहे हैं । ऐसी ठंडी रात में हल्कू अपने खेत के किनारे ऊख के पतों की एक छतरी के नीचे बॉस के खटाले पर अपनी पुरानी गाढ़े की चादर ओढ़े पड़ा है |कड़कड़ाती ठंडी रात में हल्कू और उसका वफादार कुत्ता जबरा किस प्रकार ठंड से बचने के लिए जद्दोजहद करते रहे और उनके खेतों का क्या हुआ ? पूरी कहानी जानने के लिए सुनते हैं प्रेमचंद द्वारा लिखी गई कहानी पूस की रात ,अमित तिवारी की आवाज में …
छकौड़ी एक कपड़े का गरीब व्यापारी है स्वदेशी आंदोलन के तहत विलायती चीजों को बेचने पर तावान (हर्जाना) लगता है छकौड़ी अपनी गरीब हालत से तंग आकर विलायती कपड़े बेच देता है जब कांग्रेसियों को इस बात का पता चलता है तो वह छकौड़ी से तावान मांगते हैं क्या छकौड़ी अपनी गरीबी स्थिति में तावान दे पाता है प्रेमचंद्र जी के द्वारा लिखी गई कहानी तावान में जानते हैं भूपेश पांड्या की आवाज में
कहानी में सास और बहू की बिल्कुल नहीं बनती है`| सास अपने बेटे से बहू की बुराई करती है| इधर बहू भी हमेशा अपनी सास से परेशान रहती है |बेटे ने इस समस्या को सुलझाने के लिए एक युक्ति निकाली और उस युक्ति के प्रभाव से सास- बहू में प्रेम रहने लगा| क्या थी बेटे की युक्ति जाने के लिए सुनते हैं प्रेमचंद द्वारा लिखी गई कहानी गृह नीति,सुमन वैद्य जी की आवाज में
पति -पत्नी के बीच में शक की भावना उनके वैवाहिक जीवन को नष्ट कर सकती है |ऐसा ही कुछ सलीमा के साथ होता है सलीमा बादशाह का बेसब्री से इंतजार कर रही है| इंतजार की घड़ियां नहीं कट पाती तो मैं अपनी बाँदी बीन भीम सुनाने का आदेश देती है | बाँदी स्त्री के भेष में एक पुरुष होता है बादशाह इस दृश्य को देखकर सलीमा पर आरोप लगाता है |कहानी में आगे क्या होता है क्या सलीमा इस आरोप को सहन कर पाती है? क्या होता है बादशाह के साथ? पूरी कहानी जानने के लिए सुनते हैं दुखवा मैं कासे कहूँ मोरी सजनी ,सुमन वैद्य की आवाज में
हेमंत और सुधा 3 वर्ष के वैवाहिक जिंदगी के बाद एक दूसरे से अलग होने का निर्णय ले रहे हैं| उनकी वैवाहिक जिंदगी में तलाक लेने की नौबत क्यों आ रही है ?यह निर्णय उनकी जिंदगी में क्या प्रभाव डालता है ? उनकी जिंदगी को समझने के लिए सुनते हैं अज्ञेय जी के द्वारा लिखी गई कहानी वे दूसरे ‘सुमन वैद्य जी की आवाज में…
लीला ,लाला डंगामल पहली पत्नी है| जो पूरा जीवन लाला जी के लिए समर्पित कर देती है |किंतु लालाजी हमेशा उसकी उपेक्षा करते रहते हैं और अंत में मिला यही दर्द लेकर लीला मृत्यु को प्राप्त हो जाती है |अब लालाजी ने दूसरा विवाह कर लिया है| क्या लाला जी के जीवन में कुछ बदलाव आएगा या उनका व्यवहार वैसा ही रहेगा? पूरी कहानी जानने के लिए सुनते हैं प्रेमचंद्र जी के द्वारा लिखी गई कहानी नया विवाह ,सुमन वैद्य की आवाज में
कहानी का नायक काफी समय के अंतराल के बाद अपने मामा के यहां गांव आया है|आज उसे वहां की सभी परिस्थितियां पहले से बहुत भिन्न नजर आ रही है| क्या है वह परिस्थितियां? नायक किन पुरानी बातों को स्मरण कर रहा है पूरी कहानी जानने के अंतराल ,सुमन वैद्य की आवाज में
“ये दुनिया के अकेले लोग होते हैं जो आपकी ख़ुशी में ख़ुश होते हैं नहीं तो दुनिया का हर रिश्ता आपकी ख़ुशी से खुद को जोड़ कर ही ख़ुश होता है।”शिखंडी नाम था उसका, इस संसार में वह तीसरा स्वरूप ले कर पैदा हुई थी। उसकी नाराज़गी इस पूरे समाज से थी बदरूप के साथ-साथ ही वह बदज़ुबान भी थी। नाचने- गाने में उसका मन रमता ही न था, तो टोली के सरदार ने उसे ताली बजाने और नेग की वसूली के वक्त ज़बान चलाने का काम सौंप दिया था।क्या है पूरी कहानी जानने के लिए सुनते हैं ज्योत्सना सिंह के द्वारा लिखी कहानी रिवाजों की साँकल….
आश्वासन दे देकर यहां पर लोगों को झूठी आशा दी जाती है ऐसा ही इस कहानी में है जब लोगों को गाड़ी में पंखा और बिजली का आश्वासन दिया जाता है कि वह अगले स्टेशन पर ठीक होगा क्या उनका अगला स्टेशन कभी आता है इसी पर व्यंग कसते हुए केशव वर्मा द्वारा लिखी गई कहानी अगला स्टेशन अमित तिवारी जी की आवाज में
उन तमाम टुकड़े-टुकड़े घटनाओं को एक दिन कहानी में पिरोकर ‘साप्ताहिक हिन्दुस्तान’ में दे दिया तो तुम जैसे बौखला गये थे। यहाँ तक लिखा तुमने कि तुम्हारी इन नितान्त अन्तरंग बातों के साथ यह सब क्यों किया मैंने, और करने ही चला तो क्यों वसुधा के बारे में सारी बातें सच-सच नहीं लिखीं-वह तो इससे हज़ार गुना उदार थी ! यह कहानी वसुधा और देवेंद्र की है जो एक टाइप इंस्टिट्यूट में एक साथ होते हैं वसुधा के जीवन की कहानी एक सप्ताहिक पत्रिका में छपती है जिसे पढ़कर लोगों में अपनी जीवन की छाया मिलती
ताहदे नज़र एक बयाबान सा क्यू हैं – Malti Joshi (मालती जोशी) – Arti Srivastava
एक औरत जीवन साथी से धोखा खाने के बाद अपनी औलाद से उम्मीदें रखती है । लेकिन वही औलाद जब मुँह मोड़ ले , तो उसके पास जीने के लिए क्या रह जाता है ? रेखा ने हिम्मत नहीं हारी है । उसे उम्मीद है कि शायद एक दिन उसका बेटा ,सक्षम उसके पास लौट आएगा ।
यह कहानी हिंदुस्तान- पाकिस्तान बंटवारे के समय की है |एक वृद्ध मुसलमान महिला अपनी बेटी की तलाश कर रही है उसे अपने ऊपर पूरा विश्वास है कि उसकी बेटी अभी जीवित है |यही बात उसे जीने का हौसला दे रही है |किंतु क्या उसका यह विश्वास सत्य है? पूरी कहानी जानने के लिए सुनते हैं सआदत हसन मंटो के द्वारा लिखी गई कहानी खुदा की कसम अनुपम ध्यानी जी की आवाज में…
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