राजा भोज को राजा विक्रमादित्य के देवताओं वाले गुणों की कथाएँ सुनकर उन्हें ऐसा लगा कि इतनी विशेषताएँ एक मनुष्य में असम्भव हैं और मानते हैं कि उनमें बहुत सारी कमियाँ है। अत: उन्होंने सोचा है कि सिंहासन को फिर वैसे ही उस स्थान पर गड़वा देंगे जहाँ से इसे निकाला गया है। सिंहासन के गड़वा पुनः देने के पश्चात आगे क्या हुआ ?इसे जानने के लिए सुनते हैं सिंहासन बत्तीसी की कहानियों में से एक कहानी बत्तीसवीं पुतली रानी रूपवती, शिवानी आनंद की आवाज में..
कुसुम जिसे घाट पर बैठकर घंटो पानी की लहरें देखना अच्छा लगता था, अपने वैधव्य के बाद प्रेम में पड़कर उसे न पा सकने के दुख को बर्दाश्त न करते हुए उसी घाट पर उन्ही लहरों में समा गई।
विक्रमादित्य के द्वारा मृग के रूप में श्रापित राजकुमार को मृग रूप से मुक्ति दिला कर, पुनः राजकुमार को उसका राज्य वापस दिलाने की एक रोचक घटना है| जिसे सुनते हैं सिंहासन बत्तीसी की कहानियों में से एक कहानी तीसवीं पुतली जयलक्ष्मी मृग रूप से मुक्ति, शिवानी आनंद की आवाज में..
Reviews for: Apne Apne Karam (अपना अपना कर्म)