सिंहासन बत्तीसी-तेरहवीं पुतली – कीर्तिमती एक बार राजा विक्रमादित्य ने एक महाभोज का आयोजन किया। उस भोज में असंख्य विद्धान, ब्राह्मण, व्यापारी तथा दरबारी आमन्त्रित थे। भोज के मध्य में इस बात पर चर्चा चली कि संसार में सबसे बड़ा दानी कौन है। इस धरा पर सर्वश्रेष्ठ दानवीर कौन है? इसे जानने के लिए सुनते हैं सिंहासन बत्तीसी की कहानियों में से एक कहानी सिंहासन बत्तीसी-तेरहवीं पुतली – कीर्तिमती शिवानी आनंद की आवाज में
इंसान की उस फितरत को दर्शाती यह कहानी, जिसमें इंसान अपने फायदे के लिए अपना रंग बदलने से परहेज नहीं करता |ऐसा ही कुछ बेटे -बहू ने अपने वृद्ध पिता के साथ किया |क्या किया और कैसे? जानने के लिए सुनते हैं सुभाष नीरव के द्वारा लिखी गई कहानी कमरा ,शिवानी आनंद की आवाज में
राजा विक्रमादित्य न सिर्फ अपना राजकाज पूरे मनोयोग से चलाते थे, बल्कि त्याग, दानवीरता, दया, वीरता इत्यादि अनेक श्रेष्ठ गुणों के धनी थे। वे किसी तपस्वी की भाँति अन्न-जल का त्याग कर लम्बे समय तक तपस्या में लीन रहे सकते थे। ऐसा कठोर तप कर सकते थे कि इन्द्रासन डोल जाए।विक्रमादित्य की कठिन साधना से किस प्रकार इंद्र का आसन भी डोल गया इसे जानने के लिए सुनते हैं सिंहासन बत्तीसी की कहानी में से एक कहानी छब्बीसवीं पुतली मृगनयनी रानी का विश्वासघात ,शिवानी आनंद की आवाज में
राजा विक्रमादित्य ने एक बार अद्भुत- अलौकिक स्वप्न देखा| उस अद्भुत- अलौकिक सपने की उन्होंने ज्योतिषियों से अपने सपने की चर्चा की और उन्हें इसकी व्याख्या करने को कहा। सारे विद्वान और पण्डित इस नतीजे पर पहुँचे कि महाराजाधिराज ने सपने में स्वर्ग का दर्शन किया है तथा सपने का अलौकिक महल स्वर्ग के राजा इन्द्र का महल है। देवता शायद उन्हें वह महल दिखाकर उन्हें सशरीर स्वर्ग आने का निमन्त्रण दे चुके है। किंतु क्या वास्तव में सपने की सत्यता यही साबित हुई इसे जानने के सिंहासन बत्तीसी की कहानियों में से एक कहानी अट्ठाईसवीं पुतली वैदेही स्वर्ग की यात्रा, शिवानी आनंद की आवाज में…
राजा विक्रमादित्य न सिर्फ अपना राजकाज पूरे मनोयोग से चलाते थे, बल्कि त्याग, दानवीरता, दया, वीरता इत्यादि अनेक श्रेष्ठ गुणों के धनी थे। वे किसी तपस्वी की भाँति अन्न-जल का त्याग कर लम्बे समय तक तपस्या में लीन रहे सकते थे। ऐसा कठोर तप कर सकते थे कि इन्द्रासन डोल जाए।विक्रमादित्य की कठिन साधना से किस प्रकार इंद्र का आसन भी डोल गया इसे जानने के लिए सुनते हैं सिंहासन बत्तीसी की कहानी में से एक कहानी छब्बीसवीं पुतली मृगनयनी रानी का विश्वासघात ,शिवानी आनंद की आवाज में
एक युवक एक राजकुमारी से प्रेम करता है और विवाह करना चाहता है किंतु राजकुमारी का विवाह उसी से हो सकता है जो खोलते हुए तेल से सकुशल लौट आए| इस बात से हताश युवक की राजा विक्रमादित्य किस प्रकार मदद करते हैं पूरी कहानी जानने के लिए सुनते हैं शिवानी आनंद की आवाज में सिंहासन बत्तीसी की कहानियों में से एक कहानी सिंहासन बत्तीसी-दसवीं पुतली – प्रभावती
राजा विक्रमादित्य जैसा न्यायप्रिय, दानी और त्यागी और कोई न था | राजा को एक बार दो व्यक्ति दिखाई दिए एक मानव मुण्डों की माला पहने बीभत्स दिखने वाला कापालिक है तथा दूसरा एक बेताल है |उन दोनों में किसके लिए द्वंद चल रहा है और राजा किस प्रकार निर्णय देते हैं इस रोचक कहानी को आवाज दी है शिवानी आनंद में..
चौथी पुतली कामकंदला की कथा से भी विक्रमादित्य की दानवीरता तथा त्याग की भावना का पता चलता है कैसे ?पूरी कहानी जानने के लिए के लिए सुनते हैं सिंहासन बत्तीसी की कहानी सिंहासन बत्तीसी-चौथी पुतली कामकंदला शिवानी आनंद की आवाज में…
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