धरोहर बीसवीं शब्दांजलि कीर्तिशेष रचनाकार श्री संतोष कुमार वर्मा “फ़न” जी की रचनाएँ और संस्मरण सुनिए उनकी कवयित्री पुत्री सपना सोनी जी के साथ ।
शिवोहम साहित्यिक मंच की प्रस्तुति #गीतों_की_ओर में कल सुनिये छिंदवाड़ा मध्यप्रदेश से श्री रोहित रूसिया जी को। हम जिस भी कला की ओर देखते हैं, उसमें पारंगत होते हैं या निष्णात होने का प्रयास करते हैं उसे हमारा दैनिक अनुभव और अधिक बेहतर बनाता है। पेंटिंग में लगने वालों रंगों की कीमत तो शायद कुछ हजार में होती होगी परंतु उसका मूल्य लाखों में होने के लिए उसको बनाने वाले के अनुभव का गहन होना आवश्यक है। क्रेता उन रंगों का मूल्य नहीं चुकाता बल्कि उस असीम अमूल्य अनुभव को कुछ देने का प्रयास करता है जो बनाने वाले नें अपने दिन, घण्टे और मिनट उस कला के लिए खर्च करके अर्जित किये हैं। ऐसे ही अनुभवी और जीवन के सार को निचोडकर गीतों में पिरो देने वाले रचनाकार हैं श्री रोहित रूसिया जी। वे बहुआयामी व्यक्तित्व के स्वामी हैं। एक श्रेष्ठ कवि होने के साथ साथ वे सक्रिय और प्रसिद्ध रंगकर्मी भी हैं। उनका अनेक क्षेत्रों का अनुभव उनके गीतों को और अधिक पैनापन भी देता है और भावपक्ष को और अधिक प्रभावी भी बनाता है ।
धरोहर सत्रहवीं शब्दांजलि यशशेष कवि निर्दोष हिसारी की रचनाएँ और संस्मरण सुनिए उनकी सुपुत्री कवयित्री अल्पना सुहासिनी जी साथ
धरोहर सोलहवीं शब्दांजलि यशशेष गीतकार कीर्तिशेष अमन चांदपुरी जी की रचनाएं और स्मृतियाँ सुनिये उनके मित्र श्री राहुल शिवाय जी के साथ।
शिवोहम साहित्यिक मंच की प्रस्तुति #गीतों_की_ओर में आइये आज सुनते हैं वरिष्ठ गीतकार श्री माहेश्वर तिवारी जी को। श्री माहेश्वर तिवारी जी हिंदी गीतकाव्य परम्परा के उन गीतकारों में से हैं जिन्होंने अपना पूरा जीवन गीतों को समर्पित किया। उनके गीतों को पढ़कर, उनकी शैली से प्रेरणा ले न जाने कितने कवि तैयार हुए। आप गीत को मंत्र की भाँति मारक बनाने में निष्णात हैं। आपके नवगीतों का प्रकृति चित्रण इतना सजीव है कि जैसे प्रकृति स्वयं देह धारण होकर वार्तालाप कर रही हो। मंचों पर गीत धारा को निष्कलुष, और जीवंत रखने में आपका योगदान अतुलनीय है।
कानपुर इतिहास से वर्तमान तक सदैव साहित्य का केंद्र रहा है। पत्रकारिता में कानपुर में सदैव अपने को अग्रणी गिनाया है और साथ ही रोज़गार के अवसर प्रदान करने में कानपुर अग्रणी रहा है। कानपुर की विशुद्ध साहित्यिक धरती नें भारतीय साहित्य को कई अनमोल रत्न प्रदान किये हैं श्री वीरेंद्र आस्तिक जी उन्हीं रत्नों में से एक है । उनके गीतो की संप्रेषण सामर्थ्य, उनका अद्भुत शब्द विन्यास और उनकी भाषाई पकड़ अद्भुत है।
शिवोहम सहित्यिक मंच धरोहर की प्रथम शब्दांजलि कालजयी रचनाकार डॉ उर्मिलेश शंखधर जी की कविताएं और स्मृतियाँ सुनिये उनकी पुत्री श्रीमती सोनरूपा विशाल जी के साथ।
धरोहर बाहरवीं शब्दांजलि यशशेष जनकवि विपिन मणि जी की रचनाएं और स्मृतियाँ सुनिये उनके पुत्र डॉ. उदय मणि जी के साथ
धरोहर नवीं शब्दांजलि यशशेष गीतकार देवल आशीष जी की रचनाएं और स्मृतियाँ सुनिये उनके शिष्य श्री धीरज मिश्र जी और समीक्षक मुनेन्द्र कुमार शुक्ल जी के साथ।
धरोहर श्रृंखला बाइसवीं और अन्तिम शब्दांजलि कीर्तिशेष गीतकार आत्म प्रकाश शुक्ल जी की रचनाएँ और संस्मरण सुनिए लब्धप्रतिष्ठ साहित्यकार श्रद्धेय डॉ. शिवओम अम्बर जी के साथ
धरोहर सोलहवीं शब्दांजलि यशशेष गीतकार कीर्तिशेष अमन चांदपुरी जी की रचनाएं और स्मृतियाँ सुनिये उनके मित्र श्री राहुल शिवाय जी के साथ।
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