धरोहर उन्नीसवीं शब्दांजलि कीर्तिशेष रचनाकार पं. प्रेमनाथ द्विवेदी “रामायणी”जी की रचनाएँ और संस्मरण सुनिए उनके पुत्र डाॅ.कमलेश द्विवेदी के साथ ।
धरोहर श्रृंखला बाइसवीं और अन्तिम शब्दांजलि कीर्तिशेष गीतकार आत्म प्रकाश शुक्ल जी की रचनाएँ और संस्मरण सुनिए लब्धप्रतिष्ठ साहित्यकार श्रद्धेय डॉ. शिवओम अम्बर जी के साथ
बैसवारा उत्तर प्रदेश की वह भूमि जिसने भारत के इतिहास में कलम और तलवार दोनों से अपना विशेष स्थान बनाया है। मंचीय कविता के लोग कहते हैं कि अगर बैसवारे के श्रोताओं ने आपको मन से सुन लिया तो आप पूरे हिंदुस्तान में कहीं भी बहुत अच्छे से सुने जाएंगे। महाप्राण निराला जी, सुमन जी, आचार्य नंद दुलारे बाजपेयी जी, सनेही जी जैसे अद्भुत साहित्यकारों को अपने अंक में बिठाने वाली इस वसुंधरा के एक अप्रतिम गीतकार से हम परिचय करेंगे #शिवोहम_साहित्यिक_मंच के #धरोहर की द्वितीय शब्दान्जलि में। स्मृतिशेष शिव बहादुर सिंह भदौरिया जी नवगीत के अति विशिष्ट रचनाकर हुए हैं। नवगीत दशक से लेकर नवगीत का कोई भी वृहद समवेत संकलन आपकी उपस्थिति के बिना पूर्ण नहीं माना जाता। उनके गीत ग्राम्यांचल की मिट्टी से लेकर महानगर की अधुनिकता तक को अपने मे समेट कर चलते हैं।
धरोहर बीसवीं शब्दांजलि कीर्तिशेष रचनाकार श्री संतोष कुमार वर्मा “फ़न” जी की रचनाएँ और संस्मरण सुनिए उनकी कवयित्री पुत्री सपना सोनी जी के साथ ।
शिवोहम_साहित्यिक_मंच की प्रस्तुति #गीतों_की_ओर में आइये कल सुनें कानपुर नगर से वरिष्ठ गीतकार श्री हरीलाल मिलन जी को। कानपुर सदैव से साहित्यिक गतिविधियों में उर्वर रहा है। अन्य शहरों के इतर कानपुर की एक अपनी विशेषता है कि कानपुर में अनेक साहित्यिक संस्थाओं के माध्यम से होने वाली कवि गोष्ठियों में आपको ऐसे रचनाकार मिल जाएंगे जिन्हें मंच पर आप दीपक लेकर भी खोजें तो शायद नहीं मिलेंगे। अनेक ऐसे नाम आज भी कानपुर में हैं जिन्हें मंच का कोई लालच नहीं, कोई लिप्सा नहीं परंतु उनकी साहित्य साधना अति उत्कृष्ट है। वे बिना प्रशंसा की आस में सतत अपने सहित्यिक पथ पर गतिमान हैं। श्री हरीलाल मिलन जी कानपुर की साहित्यिक खेप की धरोहर हैं। वे निरंतर अपनी साहित्य साधना के जाज्वल्यमान सूर्य से शब्दों की उर्वरा धरती को जीवन रश्मि प्रदान करते रहे हैं। वे अनेक कालजयी रचनाओं के रचनाकार हैं। उनका राष्ट्रभाषा गान पूरे हिंदुस्तान नें एक स्वर में अनेक रेडियो स्टेशनों के माध्यम से गुनगुनाया है।
धरोहर आठवीं शब्दांजलि कालजयी रचनाकार स्वतंत्रता संग्राम सेनानी कविवर पं़ गोविन्द प्रसाद तिवारी जी की रचनाएं और स्मृतियाँ सुनिये उनके पुत्र श्री अभय तिवारी जी के साथ।
धरोहर सोलहवीं शब्दांजलि यशशेष गीतकार कीर्तिशेष अमन चांदपुरी जी की रचनाएं और स्मृतियाँ सुनिये उनके मित्र श्री राहुल शिवाय जी के साथ।
धरोहर सत्रहवीं शब्दांजलि यशशेष कवि निर्दोष हिसारी की रचनाएँ और संस्मरण सुनिए उनकी सुपुत्री कवयित्री अल्पना सुहासिनी जी साथ
धरोहर श्रृंखला बाइसवीं और अन्तिम शब्दांजलि कीर्तिशेष गीतकार आत्म प्रकाश शुक्ल जी की रचनाएँ और संस्मरण सुनिए लब्धप्रतिष्ठ साहित्यकार श्रद्धेय डॉ. शिवओम अम्बर जी के साथ
बैसवारा उत्तर प्रदेश की वह भूमि जिसने भारत के इतिहास में कलम और तलवार दोनों से अपना विशेष स्थान बनाया है। मंचीय कविता के लोग कहते हैं कि अगर बैसवारे के श्रोताओं ने आपको मन से सुन लिया तो आप पूरे हिंदुस्तान में कहीं भी बहुत अच्छे से सुने जाएंगे। महाप्राण निराला जी, सुमन जी, आचार्य नंद दुलारे बाजपेयी जी, सनेही जी जैसे अद्भुत साहित्यकारों को अपने अंक में बिठाने वाली इस वसुंधरा के एक अप्रतिम गीतकार से हम परिचय करेंगे #शिवोहम_साहित्यिक_मंच के #धरोहर की द्वितीय शब्दान्जलि में। स्मृतिशेष शिव बहादुर सिंह भदौरिया जी नवगीत के अति विशिष्ट रचनाकर हुए हैं। नवगीत दशक से लेकर नवगीत का कोई भी वृहद समवेत संकलन आपकी उपस्थिति के बिना पूर्ण नहीं माना जाता। उनके गीत ग्राम्यांचल की मिट्टी से लेकर महानगर की अधुनिकता तक को अपने मे समेट कर चलते हैं।
Reviews for: रचनाकार पं. प्रेमनाथ द्विवेदी (आवाज़ डाॅ.कमलेश द्विवेदी )