श्रीमती ने बालपन में ही खेल -खेल में मंदिर के एक मुनि को अपना पति स्वीकार कर लिया | अब श्रीमती सयानी हो चुकी है तो उसके सामने विवाह के कई प्रस्ताव आ रहे हैं और वह सब को अस्वीकार कर रही है| क्या वास्तव में श्रीमती को मुनि पति के रूप में प्राप्त होते हैं? क्या मुनि गृहस्थ जीवन स्वीकार करते हैं ? इंद्र चंद्र शास्त्री जी के द्वारा लिखी गई कहानी प्रेम के धागे जानते हैं सुमन वैद्य जी की आवाज में …
मगध के सम्राट श्रेणिक दरबार में राजकुमार अभय कुमार से प्रश्न करते हैं, कि राजगृह में कितने धर्मात्मा और कितने पापी हैं ?अब राजकुमार अभय किस प्रकार सम्राट को इस प्रश्न का उत्तर दे पाते हैं |बेहद रोचक ढंग से प्रस्तुत की गई इंद्रजीत शास्त्री द्वारा लिखी गई कहानी दो पापी, सुनते हैं सुमन वैद्य की आवाज में
दो सगी बहनों की कहानी जो एक ही युवक से प्रेम करती है किंतु जब छोटी बहन को यह पता लगता है कि मैं युवा उसकी बड़ी बहन से प्रेम करता है ऐसी स्थिति में छोटी बहन की क्या मनोदशा होती है निर्मल वर्मा द्वारा लिखी गई कहानी दहलीज सुनते हैं सुमन वैद्य की आवाज में
हकीम जिला का किसी प्रयोजन से लेखक को अपने घर आने का निमंत्रण दिया जाता है |अब पूरी जगह यह चर्चा होने लगती है कि लेखक और हकीम जिला की बहुत गहरी दोस्ती है| अब इस बात का प्रभाव लेखक के जीवन पर किस प्रकार पड़ता है ,जानने के लिए सुनते हैं प्रेमचंद्र जी के द्वारा लिखी गई कहानी मुफ्त का यश ,सुमन वैद्य जी की आवाज में
कहानी का नायक शेखर अपने मां के मृत्यु का समाचार प्राप्त करके दुखी है| शेखर के मानसिक व्यथा को जानने के लिए सुनते हैं अज्ञेय के द्वारा लिखी गई कहानी दुख और तितलियां ,सुमन वैद्य जी की आवाज में
उसके कॉलर का बटन टूटा हुआ था। शेव की दाढ़ी का हरा रंग गर्दन की गोराई से अलग नज़र आता था। जहाँ से हड्डी शुरू होती थी, वहाँ एक गड्ïढा पड़ जाता था जो थूक निगलने या जबड़े के कसने से गहरा हो जाता था। कभी, जब उसकी ख़ामोशी ज़्यादा गाढ़ी होती, वह गड्ïïढा लगातार काँपता। कॉलर के नीचे के दो बटन हमेशा की तरह खुले थे। अन्दर बनियान नहीं थी, इसलिए घने बालों से ढकी खाल दूर तक नज़र आती थी। इतनी लाल कि जैसे किसी बिच्छू ने वहाँ काटा हो। छाती के कुछ बाल स्याह थे, कुछ सुनहरे। पर जो बटनों को लाँघकर बाहर नज़र आ रहे थे, वे ज़्यादातर सफ़ेद थे।
कहानी में किसान सिरचन को लोग बेकार ही नहीं बल्कि बेगार समझते हैं लेकिन एक समय ऐसा था कि एक सिरचन कुशल कारीगर था लोग उसकी खुशामद करते थे लेकिन वह कलाकार आज बेकार या बेगार क्यों है ?क्या उसे किसी बात की ठेस लगी है? पूरी कहानी जानने के लिए सुनते हैं फणीश्वर नाथ रेणु द्वारा लिखी गई कहानी ठेस सुमन वैद्य जी की आवाज में
गीति और अनिरुद्ध का प्रेम विवाह हुआ था, किंतु आज एक जरा सी बात पर दोनों का जमकर झगड़ा हुआ| गीति इस झगड़े के बाद अनिरुद्ध का घर छोड़ने का निर्णय कर लेती है किंतु कहानी के एक प्रसंग में गीति अपने निर्णय पर विचार करने लग जाती है |क्या है कहानी का वह प्रसंग जो गीति को अपने निर्णय को बदलने पर मजबूर कर देता है |क्या होगा गीति और अनिरुद्ध के वैवाहिक का ?जानने के लिए सुनते हैं मनीषा कुलश्रेष्ठ द्वारा लिखी गई कहानी टिटहरी ,पूजा श्रीवास्तव की आवाज में….
शक्तिसत्य पर विजय पाती हैबात की सार्थकता समझने के लिए सुनते हैं सूर्यकांत त्रिपाठी जी के द्वारा लिखी गई कहानी शिकार को निकला शेर,निधि मिश्रा की आवाज में
कभी कभी जीवन में कुछ फैसले लेने में इतनी देर हो जाती है कि फिर सारा जीवन पछताना पड़ता है। वैसे तो माँ-बाप की जिम्मेदारी बेटों पर होती है लेकिन कभी-कभी यह जिम्मेदारी बेटियाँ भी उठाती है या यूँ कहें कि उन्हें उठानी पड़ती है। तब , जब बेटे माँ बाप से मुँह मोड़ लेते हैं। वीणा ने भी अपने माँ-बाप की जिम्मेदारी उठाई और अपने जीवन की सारी खुशियों को ताक पर रख दिया । लेकिन क्या वह वास्तव में जी रही थी ?
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