सौप्तिक पर्व में ऐषीक पर्व नामक मात्र एक ही उपपर्व है। इसमें 18 अध्याय हैं। अश्वत्थामा, कृतवर्मा और कृपाचार्य-कौरव पक्ष के शेष इन तीन महारथियों का वन में विश्राम, तीनों की आगे के कार्य के विषय में मत्रणा, अश्वत्थामा द्वारा अपने क्रूर निश्चय से कृपाचार्य और कृतवर्मा को अवगत कराना, तीनों का पाण्डवों के शिविर की ओर प्रस्थान, अश्वत्थामा द्वारा रात्रि में पाण्डवों के शिविर में घुसकर समस्त सोये हुए पांचाल वीरों का संहार, द्रौपदी के पुत्रों का वध, द्रौपदी का विलाप तथा द्रोणपुत्र के वध का आग्रह, भीम द्वारा अश्वत्थामा को मारने के लिए प्रस्थान करना और श्रीकृष्ण अर्जुन तथा युधिष्ठिर का भीम के पीछे जाना, गंगातट पर बैठे अश्वत्थामा को भीम द्वारा ललकारना, अश्वत्थामा द्वारा ब्रह्मास्त्र का प्रयोग, अर्जुन द्वारा भी उस ब्रह्मास्त्र के निवारण के लिए ब्रह्मास्त्र का प्रयोग, व्यास की आज्ञा से अर्जुन द्बारा ब्रह्मास्त्र का उपशमन, अश्वत्थामा की मणि लेना और अश्वत्थामा का मानमर्दित होकर वन में प्रस्थान आदि विषय इस पर्व में वर्णित है। महाभारत की कहानियों में से एक कहानी सौप्तिक पर्व में. जिसे सुनते हैं शिवानी आनंद की आवाज में…
एक बार पुरुषार्थ और भाग्य में इस बात पर ठन गई कि कौन बड़ा है। राजा विक्रमादित्य ने किस प्रकार झगड़े का अंत किया ? पूरी कहानी जानने के लिए सुनते हैं शिवानी आनंद की आवाज में सिंहासन बत्तीसी की कहानियों में से एक कहानी सिंहासन बत्तीसी-तीसरी पुतली चन्द्रकला
एक बार कृष्णदेव राय ने उदारता दिखाते हुए एक बूढ़े भिखारी को शॉल पहनाया| सब ने राजा की बहुत तारीफ करी किंतु तेनाली रामा कुछ नहीं बोले |ऐसे में राजा को क्रोध आ गया |क्या कारण था कि तेनालीरामा ने राजा की उदारता पर प्रसन्नता नहीं नहीं जाहिर की| पूरी कहानी जानने के लिए सुनते हैं तेनाली रामा की कहानियों में से एक कहानी बूढ़ा भिखारी शिवानी आनंद की आवाज में
कौओं और उल्लुओं में स्वाभाविक बैर क्यों चला रहा है ?इसके पीछे एक रोचक कथा है| पंचतंत्र की कहानियों में सुनते हैं कहानी कौवे और उल्लू के बैर की कथा शिवानी आनंद की आवाज में…
Reviews for: Prabhu ki seekh (प्रभु की सीख)