मां बाप के लिए अपने बच्चे ना कोई बोझ होते हैं ना कोई अवसाद होते हैं वह अपने बच्चों को पूरे स्नेह के साथ उनका लालन-पालन करते हैं क्या कभी बच्चे भी अपने मां-बाप कीउसी प्रकार उनकी देखभाल कर पाते हैं इसी भावना से ओतप्रोत है मालती जोशी जी की लिखी कहानी वो तेरा घर यह मेरा घर ,सुनते हैं पूजा श्रीवास्तव की आवाज में
अच्छा वक्त कब बदल जाए कोई नहीं बता सकता। दुल्हन बनने के सपने देखने वाली आँखों में कब आँसू भर जाए ? कब सपने चूर-चूर हो जाए ? कौन बता सकता है ? वक्त के आगे हम सब बेबस हैं ।वक्त की हर शह गुलाम है ।
मीरा ने आनंद का एक अलग ही पहलू देखा । जिसमें उसे दंभी ,तानाशाह, हिप्पोक्रेट व्यक्ति नजर आया । जिसने उसकी कला की प्रशंसा ना करके उसे उससे अलग होने का हुक्म दे डाला । क्या हमारे समाज में शादी के बाद सिर्फ लड़की को ही नए परिवेश में ढलना होता है ?होता होगा। पर अब नहीं। अब जमाना बदल चुका है । यह नए दौर का जमाना है , जिसमें लड़कियाँ लड़कों के कंधे से कंधा मिलाकर चल रही है। तो फिर मीरा कैसे चुप रह सकती है ?
नारी अपना पूरा जीवन घर बनाने में लगा देती है ।फिर भी उस घर में निर्णय लेने का अधिकार उसे क्यों नहीं दिया जाता ? क्यों हमेशा घर का आदमी ही निर्णय लेने का अधिकारी होता है ? लेकिन छाया को यह बात अब गवारा नहीं है। इसलिए उसने निर्णय लिया और पति को जता भी दिया कि जितना अधिकार उसका है घर पर, उतना ही अधिकार छाया का भी है।
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माता-पिता हमें पाल – पोस कर बड़ा करते हैं ।इस काबिल बनाते हैं कि हम समाज में सर उठा कर जी सके। फिर ऐसा क्यों होता है ,कि काबिल होते ही हम माता-पिता को इस्तेमाल की वस्तु समझ लेते हैं ? उन्हें घर का माली ,घर का सामान लाने वाला नौकर, बच्चों की केयर- टेकर, और वॉचमैन मान लेते हैं ?
भगवान कबीर दास जी ने एक जगह लिखा है जियत बाप को पानी न पूछे, मरे गंग नहलाये |जब तक मां बाप जीवित होते हैं तब उनकी कोई सेवा नहीं करना चाहता परंतु उनकी मृत्यु के बाद लोग दिखावे के लिए श्राद्ध का ऐसा विराट आयोजन होता है कि आश्चर्य होता है मालती जी की कथा बुंदेली पुट लिए हुए हैं भाग्यवान बुढ़िया
बड़ी उम्र में शादी होने से क्या अरमान ख़त्म हो जाते है ? क्या शादी का मतलब सिर्फ़ शारीरिक और आर्थिक ज़रूरतों की पूर्ति मात्र होता है ? क्या बड़ी उमर में शादी होने से भावनात्मक जुड़ाव की ज़रूरतें नहीं रह जाती है ? अंजू इन ही सवालों से जूझ रही थी । उमर बढ़ती जा रही थी तो भइया ने दो बच्चों के विधुर पिता से शादी करा के अपनी ज़िम्मेदारी पूरी कर ली। आर्थिक रूप से पूरी तरह आत्मनिर्भर होने के बावजूद समझौते तो उसने भी किए ही थे पर फिर ऐसा क्या हुआ की अंजू को निर्णय लेना ही पड़ा। वो बातें क्या थी जिन्होंने अंजू के स्वाभिमान को झकझोरा था .. सुनिए मल्टी जोशी को कहानी “ बहुरि अकेला”
जब तक बातें होती रहतीं, उन्हें लगता कि वे एक चलती-फिरती, जीती-जागती दुनिया से जुड़े हुए हैं, वरना इस शहर के अनजाने चेहरों के समुद्र में एक भी पहचाना चेहरा उन्हें नजर नहीं आता था। तब उनकी मनःस्थिति एक भटके हुए जहाज की हो जाती। कहाँ जाएँ… क्या करें… सब कुछ अपरिचित… अटूट एकाकीपन| विधुर रविंद्र बाबू अपने बेटे- बहू के पास आए हुए | बेटा और बहू दोनों नौकरी- पेशा है |घर में सारी सुविधाएं होने के बावजूद एकाकीपन परेशान कर रहा है एकाकीपन से बचने के लिए यहां -वहां लोगों से अपना परिचय बढ़ा रहे हैं किंतु क्या यह उनका प्रयास उनका एकाकीपन दूर कर पाता है? क्या होता है आगे रविंद्र बाबू जी की जिंदगी में ?जानने के लिए सुनते हैंअंजना वर्मा जी के द्वारा लिखी गई कहानी यहाँ-वहाँ हर कहीं,पूजा श्रीवास्तव जी की आवाज में…
रूहानी इश्क का नाम सुना है आपने ।ऐसा इश्क जो समय के साथ फीका नहीं पड़ता |जो कभी ना मिलकर भी हमेशा साथ रहता है |उषा राजे सक्सेना जी की कहानी आपको रूबरू कराएगी इससे ऐसी की दास्तान से ,पूजा श्रीवास्तव की आवाज में…
कहानी में दो जिगरी दोस्त मक्खन और प्रवीण एक दूसरे से काफी समय के बाद मिलते हैं | प्रवीर ,मक्खन से उसकी निजी जिंदगी में उसकी पत्नी लाली के बारे में जानना चाह रहा है |मक्खन ,प्रवीर को क्या बतलाता है? पूरी कहानी जानने के लिए सुनते हैं कमलेश भट्ट के द्वारा लिखी गई कहानी, चिट्ठी आई है “”,पूजा श्रीवास्तव की आवाज में …
उस दिन से चचा और चची में अक्सर यही चर्चा होती कभी सलाह के ढंग से, कभी मजाक के ढंग से। उस अवसर पर मैं तो शर्माकर बाहर भाग जाता था; पर तारा खुश होती थी। दोनों परिवारों में इतना घराव था कि इस सम्बन्ध का हो जाना कोई असाधारण बात न थी। तारा के माता-पिता को तो इसका पूरा विश्वास था कि तारा से मेरा विवाह होगा। मैं जब उनके घर जाता, तो मेरी बड़ी आवभगत होती। तारा की माँ उसे मेरे साथ छोड़कर किसी बहाने से टल जाती थीं। किसी को अब इसमें शक न था कि तारा ही मेरी ह्रदयेश्वरी होगी। तारा और कृष्णा बचपन से ही एक दूसरे से प्रेम करते थे और कहीं ना कहीं उनके और उनके परिवार के मन में उन्हें पति पत्नी के रूप में स्वीकार किया गया था किंतु जब वास्तव में वे शादी योग्य हुए उस समय कृष्णा के परिवार ने चंद हजार रुपयों की खातिर तारा से शादी का प्रस्ताव ठुकरा दिया | ऐसी परिस्थिति में तारा का विवाह संपन्न परिवार में हुआ | इस बात से कृष्णा आहत हुआ और क्या तारा उस रिश्ते को स्वीकार कर पाई
पिंगमाल्य एक मूर्तिकार है सौन्दर्य की देवी अपरोदिता का वरदान उसे प्राप्त है-उसके हाथ में असुन्दर कुछ बन ही नहीं सकता। अपरोदिता का वरदान पिंगमाल्य को असमंजस की स्थिति में डाल देता है क्या था वह वरदान और आखिर पिंगमाल्य क्या निर्णय लेता है जानने के लिए सुनते हैं अज्ञेय की जी के द्वारा लिखी गई कहानी कलाकार की मुक्ति अमित तिवारी जी की आवाज में
जीवन में रिश्ते नहीं ,रिश्तो में जीवन ढूंढो| कनक के पिता की मृत्यु हो चुकी है और कनक विदेश से कानपुर अपनी मां के पास आई है, उसके आने का मकसद अपने एक पिता और उनके दोस्त गुप्ता जी के साझा खरीदे हुए प्लॉट को बेचने का भी है |किंतु कहानी के प्रसंग में ऐसा भी आता है कि कनक अपना इरादा बदल देती है| कहानी का वह प्रसंग क्या है ?क्या कनक पर अपने पिता की परवरिश का रंग चढ़ा हुआ है? पूरी कहानी जाने के लिए सुनते हैं नीतू मुकुल के द्वारा लिखी गई कहानी, “रंग जो छूटे नाहि” पूजा श्रीवास्तव की आवाज में….
गौतम के एक गलत फैसले ने पूरे घर को बिखेर कर रख दिया । जीवन में कुछ फसले बहुत सोच-समझ कर लेने चाहिए। उसके फैसले ने न सिर्फ उसके जीवन को नरक बनाया बल्कि उसके परिवार को भी भुगतना पड़ा। अ|खिर क्या था वो फैसला ?
कहानी एक अनोखे चोर की है| गांव वाले चोर को पकड़ लेते हैं |उसके पास से एक पुरानी गीली धोती, लगभग दो सेर चने और एक पीतल का लोटा मिलता है |फिर भी गांव वाले उसे थाने ले जाते हैं| नरायन चोर को भाग जाने के लिए कहता भी है| किंतु चोर नहीं भागता | क्या है इसके पीछे की कहानी जानने के लिए सुनते हैं एक चोर की कहानी ,निधि मिश्रा की आवाज में
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tiwariamit
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