महादेवी वर्मा जी के द्वारा लिखा गया प्रेमचंद्र जी के लिए संस्मरण सुनते हैं नयनी दीक्षित जी की आवाज में
उस दिन मैं बिना कुछ सोचे हुए ही भाई निराला जी से पूछ बैठी थी,” आपके किसी ने राखी नहीं बांधी?” ” कौन बहन हम जैसे भुक्कड़ को भाई बनावेगी?” मे, उत्तर देने वाले के एकांकी जीवन की व्यथा थी, या चुनौती ? यह कहना कठिन है ।पर जान पड़ता है किसी अन्य चुनौती के आभास ने ही मुझे उस हाथ के अभिषेक की प्रेरणा दी। उनके अस्त-व्यस्त जीवन को व्यवस्थित करने के असफल प्रयास का स्मरण कर मुझे आज भी हंसी आ जाती है। संयोग से उन्हें कहीं से ₹300 मिले। उन्होंने मुझे अपने खर्च का बजट बनाने का आदेश दिया। अस्तु : नमक से लेकर नापित तक और चप्पल से लेकर मकान के किराए तक का अनुमान- पत्र मैंने बनाया। उन्हें पसंद आया ।पर दूसरे ही दिन वह सवेरे आ पहुँचे। ₹50 चाहिए किसी विद्यार्थी की परीक्षा शुल्क भरना है वरना—–
उनकी देहयष्टि में ऐसा कुछ उग्र या रौद्र नहीं था, जिसकी हम वीर गीतों की कवियत्री में कल्पना करते हैं। बहन सुभद्रा का चित्र बनाना कुछ सहज नहीं है। गोल मुख , चौड़ा माथा , सरल भ्रकुटियाँ , बड़ी भावस्वात आँखें, छोटी सुडौल नासिका, हँसी को जमा कर गढ़े हुए से होंठ, दृढ़ता सूचक ठुड्डी, सब कुछ मिलकर अत्यंत निश्चल, कोमल, उदार व्यक्तित्व वाली भारतीय नारी। एक बार मृत्यु की चर्चा चल पड़ी थी। उन्होंने कहा ,”मेरे तो मन में मरने के बाद भी धरती छोड़ने की कल्पना नहीं है । मैं चाहती हूँ मेरी समाधि हो। जिसके चारों ओर नित्य मेला लगता रहे। बच्चे खेलते रहे ।स्त्रियाँ गाती रहे और कोलाहल होता रहे।
साधारणत: धोबियों का रंग साँवला पर मुख की गठान सुडौल होती है ।बिबिया ने यह विशेषता गेंहएँ रंग के साथ पाई है । उसका हँसमुख स्वभाव उसे विशेष आकर्षण देता है। सुडौल, गठीली शरीर वाली बिबिया को धोबिन समझना कठिन था। पर थी वह धोबिनों में भी सबसे अभागी धोबिन। अपना ही नहीं वह दूसरों का काम करके भी आनंद का अनुभव करती थी। पाँचवें वर्ष में ब्याह हो गया। पर गौने से पहले ही वर की मृत्यु ने इस संबंध को तोड़ दिया। जिस प्रकार उच्च वर्ग की स्त्री का गृहस्थी बसा लेना कलंक है उसी प्रकार नीच वर्ग की स्त्री का अकेला रहना सामाजिक अपराध है। कन्हैया ने उसका दोबारा ब्याह रचा दिया लेकिन——-
नीलाभ ग्रीवा के कारण मोर का नाम नीलकंठ और उसकी छाया के समान रहने के कारण मोरनी का नामकरण हुआ राधा। नीलकंठ ने अपने आप को चिड़ियाघर का सेनापति और संरक्षक नियुक्त कर लिया ।उसके अपत्य स्नेह का हमें ऐसा प्रमाण मिला कि हम विस्मित रह गए। एक शिशु खरगोश साँप की पकड़ में आ गया। नीलकंठ ने साँप को चोंच से घायल कर दो खंडों में विभाजित कर दिया। नीलकंठ और राधा साथ रहते थे किंतु नई मोरनी, कुब्जा को यह कतई पसंद नहीं था । वह नीलकंठ के साथ रहना चाहती थी । नीलकंठ व्याकुल रहने लगा और अंततः मर गया।
धीरेंद्र अस्थाना के द्वारा लिखी गई एक कहानी जिसमें एक इंसान से जाने- अनजाने एक गलती हुई है जिसका उसे पश्चाताप भी है | उस गलती के कारण वह अपनों से नजर भी नहीं मिला पा रहा और आज उसकी उस गलती के कारण वह एक बड़ी बीमारी से ग्रसित हो चुका है |जिसे वह किसी को बता भी नहीं पा रहा है | ऐसे में वह इंसान क्या करें ?क्या वह इंसान घुट घुट कर यूं ही जीता रहे या फिर उसे फिर एक मौका मिलना चाहिए ?ऐसे ही प्रश्नों को लेकर कहानी का ताना-बाना बुना गया है सुनते हैं कहानी Meri Fernadis क्या तुम तक मेरी आवाज पहुंचती है? नयनी दीक्षित की आवाज में
कहानी में दो कबाड़ उठाने वाले दो दोस्त लिबॉयस और मेलचॉन,एक स्त्री से पांच ट्रेंट में 5 फ्रै़ंक मिनट में एक गधा खरीदते हैं और सिर्फ अपने आमोद -प्रमोद के लिए उस गधे को बड़ी क्रूरतासे उसका वध करते हैं लेकिन इसके बाद कहानी में बहुत मरे हुए गधे से क्या करते हैं? इसे जानने के लिए सुनते हैं गाय दी मोपासां की कहानी गधा ,नयनी दीक्षित की आवाज में …
रक्त मंडल के पिछले भाग में आपने सुना कि मिस्टर कैमिन और गोपाल शंकर मिस रोज़ का पता नहीं लगा पाए। जलालाबाद के किले को उड़ा दिया गया और नगेंद्र नरसिंह अब आगे की कार्यवाही के लिए चिंतित हो गए। क्या मिस रोज़, केमिन और गोपाल शंकर को मिल पायेंगी । जलालाबाद के किले के बाद क्या आगे के किले को रक्त मंडल उड़ाने में कामयाब होगा ? सुनिए इसके आगे का भाग में..।
रक्त मंडल के पिछले भाग में आपने सुना कि पंडित गोपाल शंकर मुरारी को सभी काम समझा कर काशी के लिए रवाना हो जाते हैं ।दूसरी तरफ मिस्टर केमिन गंगा किनारे घूमते हुए एक छोटे से लड़के को डूबने से बचाते हैं। कौन है यह लड़का ?और उसको डूबता हुआ छोड़कर नाव में सवार दो आदमी क्यों भाग गए ?कौन है वह नौजवान जो उन आदमियों से उस डूबते हुए बच्चे के बारे में पूछ रहा है ?नाव को डुबोकर बज़ड़े को कहां ले जाया गया और इसके आगे क्या हुआ जानने के लिए सुनते हैं रक्त मंडल का यह भाग.
अगर मर्द बिना मूछों के रहे तो वह मर्द नहीं लगता |एक मूंछ ही तो मर्दाना चेहरे के लिए अनिवार्य होती है और मेरे पति ने एक नौकरानी की भूमिका निभाने के लिए अपनी मूंछे कटवा ली |अब तो शायद ने उन्हें प्यार भी ना कर सकूं| और मर्दों में मूछों के बिना कोई आकर्षण नहीं | मर्दों की मूछों को लेकर एक स्त्री अपनी दोस्त से यह सब बातें क्यों कह रही है ?इसके पीछे क्या वजह हो सकती है? इसे जानने के लिए सुनते हैं गाय दी मोपासां की कहानी मूंछ,नयनी दीक्षित की आवाज में …
आपकी छोटी बेटी – ममता कालिया – शैफाली कपूर
जबकि एक ही मां -बाप की दो बेटियां हैं पपीहा और टुन्ना। मां-बाप अपनी बड़ी बेटी जो की कॉलेज छात्रा होने के साथ ही साथ स्टेज की नामी कलाकार भी है उसके गुणों का गुणगान करने में कोई कसर नहीं रखते। वहीं दूसरी ओर उनकी 13 साल की छोटी बेटी टुन्ना जो कि पढ़ने में भी अच्छी होने के साथ ही साथ बेहद संस्कारी भी है।उसके इन गुणों के होने के बावजूद कहीं ना कहीं उसे उपेक्षित महसूस कराते रहते हैं ।टुन्ना की मासूमियत इस कारण अपने को बड़ी बहन की तुलना में निम्न ही समझने लगी है। परंतु क्या किसी की पारखी नज़र टुन्ना को इस बात का एहसास दिला पायेगा कि वह भी अपनी दीदी से कुछ कम तो नहीं। दिल को छू लेने वाली ममता कालिया की कहानी सुने आपकी छोटी बेटी, शैफाली कपूर की आवाज़ में…
Nazm Subhash ji ki likhi kahani adhoori khwaahish, badi khoobsoorti se, Umrao Jaan, jinke husn aur adaaon ke laakhon deewaane thei, unke dard aur unki man mein dafn ho chuki khwaahishon ka sajeev chitran karti hai. Unki ekAdhoori khwaahish jo bas un
जयकाली देवी जिसके पौरुष से लोग भय खाते थे और उससे सामने कुछ भी कहने से डरते थे। जो अपने मंदिर की स्वच्छता को सब चीजों से ऊपर रखती थी उसके अपने मंदिर में एक शूकर को स्थान देने सी सभी हैरान थे।
धीरे-धीरे दोनों के बीच का फासला कम होता गया। जगदेई ने बेटी को किनारे कर लिया था। उसका हृदय तेजी से धड़क रहा था। दोनों व्यक्ति बराबर से निकले तो एक चुभती हुई दृष्टि उन्होंने सोनपती के गठे हुए सुडौल, मांसल शरीर पर डाली। सोनपती को शरीर में झुरझुरी-सी अनुभव होने लगी। हल्की-पीली चांदनी में उसके चेहरे का रंग तपे हुए तांबे के समान चमक उठा। बड़ा संभाल-संभालकर उसे कदम रखने पड़ रहे थे ताकि कड़े आपस में टकराने न पाएं। जगदेई और उसकी बेटी सोनपती एक रास्ते से गुजर रही है उसी रास्ते में दो अनजान व्यक्ति उन्हें अपना पीछा करते हुए लग रहे हैं| इससे दोनों भयभीत हो जाती हैं |बाद में क्या होता है पूरी कहानी जाने के लिए सुनते हैं कहानी भय
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