सत्य की खोज में इंसान हमेशा से रहा है और इसे खोजने के लिए कभी उसने धर्म को गहराई से समझने की कोशिश की है तो कभी सामज को और इन सबके अलावा जीवन आसान नहीं होता , मनुष्य को अत्याचार भी सहने पड़ते हैं कई बार ,,, आसान से शब्दों में कहा जाये तो सत्य , धर्म , राजनीति , सामाजिकता और अत्याचार इन सबसे घिरा इंसान सत्य की खोज कैसे करेगा और इन सब का उस पर क्या प्रभाव पड़ेगा ?
सत्य की खोज में इंसान हमेशा से रहा है और इसे खोजने के लिए कभी उसने धर्म को गहराई से समझने की कोशिश की है | आसान से शब्दों में कहा जाये तो सत्य , धर्म , राजनीति , सामाजिकता और अत्याचार इन सबसे घिरा इंसान सत्य की खोज कैसे करेगा और इन सब का उस पर क्या प्रभाव पड़ेगा ?
हिंदुस्तान पाकिस्तान बंटवारे के बाद जो कि अमृतसर जा रही है कुछ मुसाफिर जिसमें तीन पठान, सरदार ,बाबू बैठे हुए हैं एक बुढ़िया बैठी हुई है वजीराबाद स्टेशन में हलचल होने लगती है जैसे कहीं दंगा हुआ हूं पठान चढ़े हुए मुसाफिरों के साथ बदसलूकी करने लगता है बाकी यात्री में बैठे हुए हैं अमृतसर पहुंचती है पठानों से बदला लेने लगता है किस लिए ऐसा क्या कारण है इसके पीछे
ज़िंदगी में बहुत आगे निकल आने पर भी हमें कई बार महसूस होता है कि अतीत हम में आज भी ज़िंदा है| हम उससे कितना ही पीछा छुड़ाने की कोशिश क्यों न कर लें पर वो हमारा पीछा कभी नहीं छोड़ता और रह -रह कर हमारी आँखों के सामने आता रहता है , ऐसे में इंसान क्या करे? कभी अतीत के आगे झुकने का मन करता है तो कभी उससे लड़कर आगे बढ़ने का , इसी कशमकश को बयां करती ये कहानी…
जो देश सोने की चिड़िया हुआ करता था वो अब गरीब होने लगा ,,,और उस देश से बाहर निकल कर गया हुआ इंसान , बाहर के देशो में बहुत खुश होता है ,,,साफ़ सफाई,,,चकाचौंध सब कुछ उसे अच्छा लगता है,,,वो पैसे कमाने में लग जाता है,,,अपने नाम बनाने में लग जाता है, पर वो नाम ही क्या नाम जिसे कोई अपनेपन से पुकार भी न सके , देश से बाहर जाकर अपनी पहचान बना पाना एक गर्व की बात है पर क्या उस पहचान में अपनापन होता है ?
रुकमणी बेहद खूबसूरत एक अनाथ लड़की है जिसका विवाह चालाकी दीवान मयादास अपने पुत्र से कर देता है ,जो मिर्गी ग्रस्त होता है | मयादास की मृत्यु के बाद उसके भतीजे रुक्मणी का जीना दूभर कर देते हैं | रुकमणी अपने बीमार पति का इलाज कराने के लिए उसे लाहौर भेज देती हैं इधर रुकमणी की अमरनाथ यात्रा में मृत्यु हो जाती है |उसका बीमार पति जब वापस आता है तो वह अपने आप को किस स्थिति में पाता है ??इस पूरी कहानी को जानने के लिए सुनते हैं “ एक रोमांटिक कहानी
कहानी में दो गरैया नायक के घर में घोसला बनाने के लिए संघर्ष कर रही है | घर का मालिक उन दोनों गौरैयों को अपने घर से निकालने की कोशिश कर रहा है | क्या कहानी के अंत तक उसकी यह कोशिश सफल होती है या फिर उसका हृदय -परिवर्तन हो जाता है| जानने के लिए सुनते हैं भीष्म साहनी द्वारा लिखी गई कहानी दो गौरैया ,सुमन वैद्य जी की आवाज में
माजुली एक ऐसी जगह है जिसे देखने की लालसा हर किसी के दिल में रहती है लेकिन माजुली के हिस्से के अपने कुछ दुःख भी है। इस द्वीप का साल दर साल सिकुड़नाद्वीप के लिए ही नहीं असम की500 साल पुरानी सांस्कृतिक विरासत के लिए खतरे की घंटी है। ये एक ऐसी जगह है जहां आपको ज़रूर जाना चाहिये
मनुष्य भौतिकवादी जब बनता चला जाता है ,तो वो रिश्तों को भूलता चला जाता है , या दूसरे शब्दों कहें तो इंसान रिश्तों को पैसे से और ताकत से तोलने लगता है |क्या यह सही होगा कि इंसान की ईमानदारी उसके अमीर या गरीब होने से आकी जाये ?
समय बदलने पर आदर्शों की प्रसांगिकता रह जाती है ? जब परिवार आपके आदर्शों का सम्मान ना करे तो और एक रंगकर्मी का जीवन सिर्फ मंच पर ही है या बहार की दुनिया में भी है ,,,बहुत से उलझे हुए सवालों और ज़िंदगी की मुश्किलों को बयान करती ये कहानी ,,ज़रूर सुने ,,, लगेगा जैसे हमारे जैसे ही किसी अपने की कहानी है
जो देश सोने की चिड़िया हुआ करता था वो अब गरीब होने लगा ,,,और उस देश से बाहर निकल कर गया हुआ इंसान , बाहर के देशो में बहुत खुश होता है ,,,साफ़ सफाई,,,चकाचौंध सब कुछ उसे अच्छा लगता है,,,वो पैसे कमाने में लग जाता है,,,अपने नाम बनाने में लग जाता है, पर वो नाम ही क्या नाम जिसे कोई अपनेपन से पुकार भी न सके , देश से बाहर जाकर अपनी पहचान बना पाना एक गर्व की बात है पर क्या उस पहचान में अपनापन होता है ?
ये कहानी है एक ऐसे इंसान की जो एक जानवर को पाल के रखता है , और समय के साथ वो जानवर बड़ा होता जाता है , उस इंसान के घर में उसकी बीवी भी बहुत कलेश करती है क्युकी उसकी अपने पति से कुछ उमीदें और कुछ शक हैं जिनको वो अधूरा पति है , दूसरी और वो जानवर समय के साथ बड़ा होता जाता है , और वो उस इंसान को खाना चाहता है , फिर एक वक्त ऐसा आता है की उस जानवर जिसे कैद किया गया था इंसान में लड़ाई होती है ,,, कौन था वो जानवर ? और क्या हुआ इस लड़ाई में ? जानने के लिए सुनिए ये कहानी
मेरा ह्रदय एक आदमी की हत्या के बोझ से बोझिल हो उठा. घर आकर माँ से सब कुछ कहा- “माँ उसके कफ़न के लिए कोई नया कपड़ा निकाल दो!” माँ अपने सीने वाली पोटली उठा लायीं. नया कपड़ा निकलने के लिए उन्होंने ज्यों हीं पोटली खोली जम्बक की डिबिया खट से गिर पड़ी. बिना सत्यता परखे किसी निर्दोष को दोषी ठहरा देने पर उसकी जिंदगी में किस हद तक प्रभाव पड़ सकता है इसी बात को उजागर करती हुई यह कहानी है| केठानी एक बूढ़ा नौकर है और मात्र एक जंबक डिबिया घर में ना मिलने पर उस पर चोरी का इल्जाम लगाया जाता है और नौकरी से निकाल दिया जाता है कहानी में जानते हैं इस बात का केठानी की जिंदगी में क्या असर होता है ?सुनते इस मार्मिक कहानी को अमित तिवारी जी की आवाज मे
मां हमारे जीवन में क्या महत्व रखती है ये कविता ये बखूबी बताती है। मां जैसा अगर कोई है तो वो मां ही है।
एक दिन जमीलन की लड़की शकीला, दो घण्टे में अपनी मौसी के यहाँ से लौट आने की बात कह, किसी के साथ कहीं चल दी। इस पर घर में चख-चख और तोबा-तोबा मचा, उसे देखने में लोगों को बड़ा मजा आया। दिन-भर बाजार के मनचले दुकानदारों की जबान पर शकीला की ही चर्चा रही और, तीसरे दिन सबेरे, आश्चर्य-सी वह लौट भी आई।अमृतलाल नागर द्वारा लिखी गई कहानी शकीला की माँ,सुमन वैद्य की आवाज में
आकांक्षा – गाय दी मोपासां – नयनी दीक्षित
प्रसिद्ध फ्रेंच लेखक guy de Maupassant के द्वारा लिखी गई कहानी आकांक्षा में ,एक ऐसे किरदार की कहानी है जो बाल्यावस्था से ही प्रतिष्ठित, सम्मानित व्यक्ति बनने की आकांक्षा रखता है किंतु कहते हैं ना कि कभी-कभी यह आकांक्षा अति आकांक्षा में तब्दील हो जाती है। ऐसे ही कुछ इस किरदार के साथ होता है। यह किरदार इस बात से इतना अधिक ग्रसित हो जाता है या यूं कहें अंधा हो जाता है कि उसके घर में ही, उसकी नाक के नीचे कोई सुराग हो रहा है, उसके परिवार में कोई सेंध लगाई जा रही है, उसे पता ही नहीं चलता। ऐसे में उस किरदार के साथ और क्या- क्या घटित होता है। जानिए कुछ गंभीर ,कुछ व्यंग कुछ भावविभोर कर देने वाली यह खूबसूरत कहानी आकांक्षा में जिसे आवाज़ दी है नयनी दीक्षित ने…
Reviews for: Vaad (वाड) – Part-2