“हालात और वक़्त के साथ सबको बदलना पड़ता है। इंसान के बदलाव के बारे में दर्शाती यह कविता जरूर सुनें।
सीने में उठने वाला वो दर्द जब अलग हो जाए हमसे वो इंसान जिससे हम बेहद मोहब्बत करते हैं। उसी दर्द को दर्शाती है यह कविता।
न बुझा तू बत्तिया – Arvind saxena – Priya bhatia
लुटी है एक बेटी, तो लुटा सम्मान सबका है!!
एकता का पाठ घर से ही शुरू होता है तो विषम परिस्थितियों में कैसे परिवार अलग हो जाते हैं ये कविता बखूबी बता रही है।
प्यार में जुदाई के आलम को दशाया गया है इस कविता में
“सूरत को नहीं सीरत को तवज्जो देना सीखें तभी शायद आप असली खूबसूरती का मतलब समझ पाएंगे।
प्यार में जुदाई के आलम को दशाया गया है इस कविता में
कितना सुकून देता है प्यार का एहसाह, और अपने प्यार के पास रहने से कितनी मिलती है ताकत, इस कविता में बखूबी बताया गया है।
साईं की कृपा हम सब पर होती है लेकिन हम उसका शुक्रियादा करना भूल जाते हैं। शुक्र मनाइए हर उस चीज का जो आपको मिली है।
तुम हो या चाँद – Arvind saxena – Priya bhatia
कल मिरे मेहबूब क्या आ गए छत पर, जला चाँद तमाम रात चमक चमक कर।
22- 23 साल कीकी साल कीएकखूबसूरत युवती रेस्तरां में बैली डांसर है |उसकी विवशता ने उसे बेली डांसर बना दिया है किंतु अब यही डांस उसका जीवन है, उसकी रोजी -रोटी है|इसके चलते ही वह अपनी बीमार मां का इलाज करा रही है |बेहद मार्मिक ,संवेदना से भरपूर अंजना वर्मा जी के द्वारा लिखी गई कहानी बेली डांस ,सुनते हैं विनीता श्रीवास्तव की आवाज में…
तुम दिल पर क्यों लगाती हो। कहने दिया करो जो कहते हैं। हम तो अब तिड़के घड़े का पानी ठहरे। आज हैं, कल नहीं रहेगें। फेंकने दो कंकर-पत्थर। जो दिन कट जाएं, अच्छा है।”कहानी में वृद्ध और वृद्धा अपने बेटे -बहु के साथ रह रहे हैं |वृद्धावस्था में क्या है उनकी स्थिति ?जानने के लिए सुनते हंं सुभाष नीरव के द्वारा लिखी गई कहानी तिड़के घड़े , शिवानी आनंद के द्वारा
दर्पण – ममता कालिया – शैफाली कपूर
कितने ही वर्तमान के अरमानों को कुचल कर ,इंसान भविष्य की इमारत बनाने की इच्छा तो रखता है किंतु क्या यह सच नहीं है कि जब भविष्य में जब उन इच्छाओं के पूरा होने का क्षण आता है तब तक उस इच्छा का कोई अस्तित्व नहीं रह जाता। ऐसा ही कुछ हो रहा है नायिका बानी के साथ। बानी जब तक मां-बाप के साथ थी तो उनके कड़े अनुशासन के कारण अपनी छोटी-छोटी इच्छाओं का दमन करना पड़ता था ।आज जब बानी शादीशुदा है तो पति के नियमों के चलते उसे फिर अपनी इच्छाओं पर मौन का चोला पहनाना पड़ रहा है। इतने वर्षों के बाद जब उसकी छोटी-छोटी इच्छाओं का सम्मान किया जा रहा है तो वह क्यों उत्साह विहीन हो चुकी है ?बेहद भावुक कर देने वाली ममता कालिया की कहानी है दर्पण, जिसे आवाज़ दी है शैफ़ाली कपूर ने…
मगध के सम्राट श्रेणिक दरबार में राजकुमार अभय कुमार से प्रश्न करते हैं, कि राजगृह में कितने धर्मात्मा और कितने पापी हैं ?अब राजकुमार अभय किस प्रकार सम्राट को इस प्रश्न का उत्तर दे पाते हैं |बेहद रोचक ढंग से प्रस्तुत की गई इंद्रजीत शास्त्री द्वारा लिखी गई कहानी दो पापी, सुनते हैं सुमन वैद्य की आवाज में
कभी आपने यह अनुभव किया है कि जिंदगी में कुछ रिश्ते जो हमारे खून के नहीं होते ,फिर भी हमारे जीवन में एक विशेष स्थान रखते हैं |उन्हें भूलना असंभव होता है |ऐसे ही एक रिश्ते का अनुभव अंगोना साहा हमारे साथ बांट रही है…
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