सुभागी तुलसी महतो और लक्ष्मी की बेटी है जब वह मात्र 11 वर्ष की थी तब से वह विधवा है| सुभागी बेहद मेहनती और संस्कारी लड़की है |तुलसी महतो का पुत्र रामू आलसी और कामचोर है | रामू पिता से बटवारा करवा लेता है | सुभागी अपने मां-बाप की जिम्मेदारी लेती है |मां- बाप के मरने के बाद उसके जीवन में क्या बदलाव आता है पूरी कहानी जानने के लिए सुनते हैं प्रेमचंद जी के द्वारा लिखी गई कहानी सुभागी भूपेश पांड्या की आवाज में
वैवाहिक जीवन के एकपहलू में जितने जितने सुख हैं अगर उसके दूसरे पहलू को देखा जाए तो वह उतना ही हृदय विदारक और भयानक है | कहानी में नायक के जीवन में अपने वैवाहिक जीवन की इस समस्या के समाधान के लिए नायक कौन-कौन से प्रयत्न करता है | जानने के लिए सुनते हैं प्रेमचंद्र जी के द्वारा लिखी गई कहानी आखिरी हीला भूपेश पांडे जी की आवाज में
मुंशी राम सेवक की सारी धाक मिट्टी में मिल गई। बूढ़ी विधवा, मूंगा के पैसे हड़प करना उन्हें रास ना आया। ब्राह्मणी मूंगा ने उनके द्वार पर प्राण क्या त्यागे, सारे गाँव ने उनसे मुँह मोड़ लिया ।मूंगा के भूत का डर अलग से सताने लगा। पत्नी नागिन चल बसी। बेटा रामगुलाम रिफारमेंट्री स्कूल में भर्ती हो गया ।और खुद रामसेवक साधु हो गए। गरीब की हाय उनके पूरे परिवार को लील गई।
चोखे लाल शर्मा एक रसिक किस्म के संपादक हैं | स्त्रियों के कैसे भी लेख उनकी भूरी- भूरी प्रशंसा चोखे लाल शर्मा जी के द्वारा जरूर होती है |एक बार उग्र प्रेम को झलकाती एक अश्लील कविता प्राप्त हुई | इस कविता के बाद चोखे लाल शर्मा जी का क्या हुआ? क्या अब भी उनका रसिक मिजाज बाकी है ?सुनते हैं प्रेमचंद्र जी के द्वारा लिखी गई कहानी रसिक संपादक भूपेश पांडे की आवाज में
कहानी प्रारंभ से ही उन संकीर्ण मानसिकता वाले पुरुषों और स्त्रियों की मनोदशा से परिचित कराते हुए आगे बढ़ती है कि किस प्रकार एक अकेली युवती को देखकर बिना यथार्थ जाने लोग उसके चरित्र का विश्लेषण करने लग जाते हैं प्रेमचंद द्वारा लिखी गई कहानी मनोवृति मनोवृति सुनते हैं भूपेश पांडे जी की आवाज में
उस दिन से चचा और चची में अक्सर यही चर्चा होती कभी सलाह के ढंग से, कभी मजाक के ढंग से। उस अवसर पर मैं तो शर्माकर बाहर भाग जाता था; पर तारा खुश होती थी। दोनों परिवारों में इतना घराव था कि इस सम्बन्ध का हो जाना कोई असाधारण बात न थी। तारा के माता-पिता को तो इसका पूरा विश्वास था कि तारा से मेरा विवाह होगा। मैं जब उनके घर जाता, तो मेरी बड़ी आवभगत होती। तारा की माँ उसे मेरे साथ छोड़कर किसी बहाने से टल जाती थीं। किसी को अब इसमें शक न था कि तारा ही मेरी ह्रदयेश्वरी होगी। तारा और कृष्णा बचपन से ही एक दूसरे से प्रेम करते थे और कहीं ना कहीं उनके और उनके परिवार के मन में उन्हें पति पत्नी के रूप में स्वीकार किया गया था किंतु जब वास्तव में वे शादी योग्य हुए उस समय कृष्णा के परिवार ने चंद हजार रुपयों की खातिर तारा से शादी का प्रस्ताव ठुकरा दिया | ऐसी परिस्थिति में तारा का विवाह संपन्न परिवार में हुआ | इस बात से कृष्णा आहत हुआ और क्या तारा उस रिश्ते को स्वीकार कर पाई
रात! तारे-तारे, तारे! लूनी के मन में एक विचार उठा, मैं इन्हें देख रही हूँ, वह भी एक बार तो इन्हें देख ही लेगा और पहाड़ों की याद कर लेगा… तारे क्षण-भर झपक लेंगे; जब जागेंगे, तब मैं इन्हें अलपक ही देख रही हूँगी, पर वह-? भाई बहन के निश्छल प्रेम को दर्शाती यह कहानी जिसमें जिसने भाई-बहन अनाथ होते हैं और एक दूसरे के साथ जीवन व्यतीत कर रहे हैं किंतु भाई को मिलता है प्राण दंड मिलता है तो बहन की मनोदशा किस प्रकार हो जाती है भूतकाल में बिताए हर एक क्षण को याद कर रही है
“मन “की प्रसन्नता व्यवहार में उदारता बन जाती है “कहानी “में एक विधवा स्त्री “बूटी” अपने जीवन से खिन्न है और यही खिन्नता उसके व्यवहार में आ जाती है किंतु एक प्रसंग से उसके व्यवहार में परिवर्तन आ जाता है वो कौन सा प्रसंग था ? और उसके बाद क्या हुआ —–जानने के लिए सुनते हैं कहानी “ज्योति”___
सन 1946 में हुए हिंदू-मुस्लिम दंगों पर आधारित यह कहानी कोलकाता शहर की है। स्त्रियों के साथ किए गए दुर्व्यवहार और भेदभाव से संतृप्त हैं उनका तिरस्कार और निरादर होता है। समाज में फैली इस विकृति को देखकर -सुनकर मन व्यथित हो जाता है
कहानी का नायक एक मेहनती गरीब क्लर्क है ,जबकि उसका मित्र ईश्वरी एक बड़े जमीदार का लड़का है |नायक को अपने अमीर दोस्त के साथ कुछ दिन बिताने को मिलते हैं ईश्वरी के ठाठ- बाट, शानो- शौकत से नायक भी अपने को अछूता नहीं रख पाता है |कहीं ना कहीं नायक के मन में भी अमीरी का नशा चढ़ने लगता है| नायक के चरित्र में आए इस बदलाव को जानने के लिए सुनते हैं प्रेमचंद्र जी के द्वारा लिखी गई कहानी नशा भूपेश पांडे जी की आवाज में…
हिंदुस्तान -पाकिस्तान दो झंडो के बीच खड़ा एक व्यक्ति जो लंबी दाढ़ी और फटे हाल में खड़ा हुआ जो मानसिक रूप से अस्वस्थ लग रहा हो
भारत की गरीब बस्तियों में रहने वाली महिलाओं को माहवारी के दौरान होने वाली समस्याओं और सेनेटरी पैड की उपयोगिता एवं जागरूकता फैलाने वाली पैड वूमेन के नाम से मशहूर अमेरिका रिटर्न माया विश्वकर्मा ने किस प्रकार इसके प्रति अपनी एक बड़ी मुहिम छेड़ी? कैसा रहा उनके छोटे से गांव से निकलकर अमेरिका में उच्च शिक्षा प्राप्त करने तक का सफ़र? जानिए आम आदमी की खा़स कहानी में, पूजा श्रीवास्तव की आवाज़ में.
पांडुरंग शास्त्री एक दार्शनिक, आध्यात्मिक नेता, समाज सुधारक के रूप में जाने वाले एक जाना- माना नाम है। उनके द्वारा स्वाध्याय आंदोलन और स्वाध्याय परिवार की स्थापना की गई ।श्री भगवतगीता पर आधारित आत्मज्ञान आंदोलन उनमें से एक है। उनके जन्म दिवस को ‘मनुष्य गौरव दिन’ के रूप में मनाया जाता है 1999 में उन्हें पद्म विभूषण से सम्मानित किया गया।
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pragati sharma