द्रौपदी ‘सत्य की जीत’ खण्डकाव्य की नायिका है |वह केवल दु:शासन ही नहीं वरन् अपने पति को भी प्रश्नों के कटघरे में खड़ा कर स्पष्टीकरण माँगती है। वह भरी सभा में यह सिद्ध कर देती है कि जुए में स्वयं को हारने वाले युधिष्ठिर को मुझे दाँव पर लगाने का कोई अधिकार नहीं है
सत्य की जीत के इस प्रसंग में द्युत सभा में युधिष्ठिर जब द्रौपदी को भी हार जाते हैं तब दुशासन द्वारा द्रौपदी का द्युत सभा में चीरहरण करने के आगे बड़ने पर भी समस्त धर्माचार्य भीष्म पितामह ,द्रोणाचार्य ,विदुर सहित सभी इस दृश्य को देख मौन हैं ऐसे में सिर्फ कौरवों में विकर्ण पुरज़ोर विरोध करता है ऐसे में कर्ण क्या कहता है। द्वारिका प्रसाद महेश्वरी के द्वारा लिखी गई महाभारत में द्युत सभा का वर्णन नयनी दीक्षित की आवाज़ में
दुःशासन द्रौपदी के बाल खींचकर भरी सभा में ले आता है और उसे अपमानित करना चाहता है। तब द्रौपदी बड़े साहस एवं निर्भीकता के साथ दुःशासन को निर्लज्ज और पापी कहकर पुकारती है।द्वारिकाप्रसाद माहेश्वरी जी ने इस खंडकाव्य को जितने प्रभावी ढंग से वर्णन किया है ,उतने ही प्रभावी ढंग से नयनी दीक्षित ने आवाज दी है
द्रौपदी कह रही है कि युधिष्ठिर बहुत सरल-हृदय के व्यक्ति हैं। वे दूसरों को भी सरल-हृदय समझते हैं। इसी सरलता के कारण वे शकुनि और दुर्योधन के कपट जाल में फंस गए हैं|किंतु यहां बैठे सभी धर्मज्ञों से मैं पूछना चाहती हूं कि आज धर्म की विजय हुई या कपट और छल की
भीष्म पितामह द्रौपदी द्वारा उठाए गए प्रश्नों को सर्वथा उचित मानते हैं किंतु साथ में यह कहते हैं कि धर्मराज युधिष्ठिर धर्म से बंधे हुए हैं अतः इस कारण उन्हें अपनी हार स्वीकार करनी होगी |पत्नी ,पति की अर्धांगिनी होती है इस नाते उनका तुम्हारे ऊपर अधिकार बनता है|
द्रौपदी ‘सत्य की जीत’ खण्डकाव्य की नायिका है |राजा द्रुपद की पुत्री, धृष्टद्युम्न की बहन तथा युधिष्ठिर सहित पाँचों पाण्डवों की पत्नी है। अत्यधिक विकट समय होते हुए भी वह बड़े आत्मविश्वास से दु:शासन को अपना परिचय देती हुई कहती है|
व्यंग के बिना होली अधूरी है और हमारे संपादक जी पर क्या बीत रही है इस होली में?काम का बोझ तो बहुत ज्यादा है पर तनख्वाह 3 महीने से नहीं मिली। बीवी अलग परेशान करती है.. बेचारे संपादक जी..
होली के खूबसूरत माहौल को इस उर्दू कविता में बड़े ही सुंदर तरीके से बताया गया है। होली के अवसर पर पिचकारी को कौन भूल सकता है? इस पिचकारी के अनेक रूपों को कितने सुंदर तरीके से बताया गया है जरा आप भी इस रंग में डूब जाइए…
कभी -कभी दूसरे की खुशियां इंसान खुद जब महसूस करता है, तब वह जान पाता है कि अपने अंदर की खाली गुफा से या अपने अंदर के खालीपन से वह कैसे बाहर आ सकता है ? जब इंसान अपने स्टैंडर्ड को बहुत बहुत ही ऊंचा समझने लगता है और उसे लगता है कि उसके साथ तालमेल बैठाने के लिए दूसरे इंसान को उस तक पहुंचना होगा |तो कभी-कभी अपने दंभ से बहुत अकेला पड़ जाता है | इस कहानी का महेंद्र अपने दिल की इस खाली गुफा से कैसे बाहर निकलता है?
मैं उस स्याह रात को कब्रिस्तान में थक कर एक संगमरमर की कब्र के ऊपर बैठ गया | अचानक मैं देखता हूं कि कब्र की संगमरमर की शिला धीरे -धीरे खड़ी हो रही है और उसमें से एक मानव कंकाल अपने खोखले आंखों के कोटर से मुझे घूर रहा है और उसकी कब्र पर जो लिखा हुआ है उसे मिटा रहा है| धीरे-धीरे यह सिलसिला पूरी कब्रिस्तान में शुरू हो गया | कई कब्र खुली ,उनसे मृतक निकले और उन्होंने अपनी कब्र पर से लिखी हुई पंक्तियों को मिटाने लगे |मैंने सोचा कि मेरी मृतक प्रेमिका भी कुछ ऐसा ही कर रही होगी और यह बात सच निकली ,वह भी ऐसा ही कुछ कर रही थी| क्या आप नहीं जानना चाहेंगे ऐसा क्यों हो रहा है ? इन मृतकों के साथ कौन सी अदृश्य सच्चाई दफ़न हो गई है, जो अब भी इन्हें कब्र के अंदर भी चैन से नहीं रहने दे रही ? इस पूरी रोचक कहानी को जानने के लिए सुनते हैं गाय दी मोपासां की कहानी अदृश्य सच्चाई ,नयनी दीक्षित की आवाज में …
दर्वेश जी केअल्फ़ाज़ों ने मानवीय एहसासों को बेहद खूबसूरती से पिरोया है जिसे आवाज दी है नयनी दीक्षित ने
कहानी में आइरिन ,जैक्स की प्रेमिका है| जैक्स का आइरिन के प्रति प्रेम बहुत गहरा और अत्यधिक स्नेह से भरा हुआ है | जैक्स का जीवन के प्रति दृष्टिकोण बहुत ही व्यवहारिक और सकारात्मक है | आइरिन एक शादीशुदा महिला है जो नव वर्ष की पूर्व रात्रि पर अचानक से जैक्स के घर रोते हुए पहुंची है |उसका कहना है कि उसका पति उसके साथ अच्छा व्यवहार नहीं करता है| ऐसे में आइरिन ,जैक्स से क्या चाहती है ?और जैक्स क्या निर्णय लेता है| उन दोनों की प्रेम की पराकाष्ठा कहां तक है ? कहानी जानने के लिए पूरी कहानी जाने के लिए सुनते हैं नव वर्ष का उपहार, नयनी दीक्षित की आवाज में
देश के पहले गैर राजनीतिज्ञ राष्ट्रपति ए.पी.जे अब्दुल कलाम, जिनको उनके विज्ञान और तकनीकी के क्षेत्र में उत्कृष्ट योगदान के लिए हमेशा याद किया जाता रहेगा। भारत के मिसाइल मैन के नाम से जाने जाने वाले अब्दुल कलाम जी ने मिसाइल प्रणाली को उड़ान दी। ‘पद्म भूषण’ और ‘पद्म विभूषण’ से सम्मानित होने वाले वह एक पहले ऐसे राष्ट्रपति बने जिन्हें राष्ट्रपति बनने से पूर्व ही ‘भारत रत्न’ से सम्मानित किया गया गया।
सयानी बुआ का नाम वास्तव में ही सयानी था या उनके सयानेपन को देखकर लोग उन्हें सयानी कहने लगे थे, । बचपन में ही वे समय की जितनी पाबंद थीं, अपना सामान संभालकर रखने में जितनी पटु थीं, और व्यवस्था की जितना कायल थीं, उसे देखकर चकित हो जाना पडता था| कहानी में सयानी बुआ के चरित्र को और अच्छे से समझने के लिए मनु भंडारी जी के द्वारा लिखी गई कहानी सयानी बुआ सुनते हैं माधवी शंकर जी की आवाज में
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हमारे समाज की कितनी बड़ी विडम्बना है की एक तरफ गरीब के सर पर छत नहीं और वहीं दूसरी तरफ हम धार्मिक स्थलों पर पानी के जैसे पैसा बहाते हैं। ऐसी ही कुछ बात कह रही है मेरी यह कहानी ‘ वो टपकती झोपडी ‘
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