‘सत्य की जीत’ खण्डकाव्य में विकर्ण को एक विवेकशील व्यक्ति के रूप में चित्रित किया गया है। कौरवों की विशाल सभा के मध्य जब दुःशासन शस्त्रबल की महत्ता और शास्त्रबल को निर्बलों का शस्त्र कहकर शास्त्रों के प्रति अपनी अश्रद्धा तथा अनास्था प्रकट करता है तो विकर्ण इस अनीति को सहन नहीं कर पाता है।इसी संदर्भ में यह पंक्तियां लिखी गई है
भीष्म पितामह द्रौपदी द्वारा उठाए गए प्रश्नों को सर्वथा उचित मानते हैं किंतु साथ में यह कहते हैं कि धर्मराज युधिष्ठिर धर्म से बंधे हुए हैं अतः इस कारण उन्हें अपनी हार स्वीकार करनी होगी |पत्नी ,पति की अर्धांगिनी होती है इस नाते उनका तुम्हारे ऊपर अधिकार बनता है|
सत्य की जीत के इस प्रसंग में द्रौपदी द्युत सभा में कौरवों के छल कपट से खेले जाने वाले द्युत क्रीड़ा का पुरज़ोर विरोध कर रही है समस्त धर्माचार्य भीष्म पितामह द्रोणाचार्य विदुर सहित सभी द्रोपदी का साथ देते हुए कौरवों के छल कपट का विरोध कर रहे हैं । द्वारिका प्रसाद महेश्वरी के द्वारा लिखी गई महाभारत में द्युत सभा का वर्णन नयनी दीक्षित की आवाज़ में
द्रौपदी कह रही है कि युधिष्ठिर बहुत सरल-हृदय के व्यक्ति हैं। वे दूसरों को भी सरल-हृदय समझते हैं। इसी सरलता के कारण वे शकुनि और दुर्योधन के कपट जाल में फंस गए हैं|किंतु यहां बैठे सभी धर्मज्ञों से मैं पूछना चाहती हूं कि आज धर्म की विजय हुई या कपट और छल की
द्रौपदी के सत्य, तेज और सतीत्व के आगे निस्तेज हो मदान्ध दुर्योधन, दु:शासन, आदि को द्रौपदी पुनः ललकारती हुई कहती है तुम्हारे भरसक प्रयास करने के बावजूद तुम मेरा बाल बांका भी ना कर सके क्योंकि तुम सब अधर्म अधर्म और छल कर रहे हो और तुम्हारे द्वारा किए गए अधर्म के लिए तुम्हें भविष्य में कभी क्षमा नहीं मिलेगी|
दु:शासन द्वारा केश खींचने के बाद द्रौपदी रौद्र-रूप धारण कर लेती है| वह सिंहनी के समान गरजती हुई दु:शासन को ललकारती है। द्रौपदी की गर्जना से पूरा राजमहल हिल जाता है। और समस्त सभासद स्तब्ध रह जाते हैं| जैसे ही वे द्रौपदी का चीर हरण करने के लिए अपना हाथ आगे बढ़ाता है द्रोपदी की सतीत्व ज्वाला से पराजित हो जाता है|
सत्यान्वेषी – Byomkesh Bakshi (व्योमकेश बक्शी) – Nayani Dixit
सबसे पहले कहानी ब्योमकेश बक्शी के संकलन में है सत्यान्वेषी कहानी में सबसे पहली बार व्योमकेश और अजीत बंदोपाध्याय का एक दूसरे से मिलते हैं और एक दूसरे के दोस्त हो जाते हैं |लेकिन व्योमकेश बख्शी अपना इतना बड़ा घर छोड़कर एक सराय में रहने के लिए जाते हैं उन्हें ऐसा क्या पता करना है उस सराय के चारों ओर जो उन्हें अपना इतना बड़ा घर छोड़कर जाना मजबूर करता है और अजीत इसमें ब्योमकेश बक्शी का साथ कैसे देते हैं ?
धीरेंद्र अस्थाना की कहानी चीख में, एक अबोध बालक के मन पर मारपीट का प्रभाव उसके जीवन को कहां तक उधर- पुथल के रास्ते पर ले जा सकता है ? इन बातों का प्रभाव एक छोटे से बच्चे के मन पर पड़ता है जो युवा होने के बाद भी उसका पीछा नहीं छोड़ता और किस तरफ अपना मानसिक संतुलन खो बैठता है | यह कहानी समाज के सामने एक प्रश्न रखती है कि क्या इस तरह की चीजों से निपटना सामाजिक दायित्व नहीं है?
रक्त मंडल के पिछले भाग में आपने सुना कि मि.ग्रिफ्रि़त और रतन सिंह के बीच बातचीत हुई कि किस प्रकार नेपाल सरकार को भारत सरकार के साथ मिलाया जाए? और किस तरह उस किले पर हमला किया जाए? क्योंकि वह किला जो कि रक्त मंडल का अड्डा बन चुका था। वह किला नेपाल सरकार के अधीन नहीं है और एक स्वतंत्र भूमि पर बना हुआ है ।इसके बाद के केमिन साहब और उनके दल से मि.ग्रिफ्रि़त में क्या बातचीत की? और आगे क्या हुआ? सुनिए इस भाग में…
कहानी का नायक हरीश अपने अतीत से मानसिक रूप से लड़ रहा है |वास्तव में हरीश का अतीत उसे वर्तमान में नहीं रहने दे रहा| क्या है पूरी कहानी जानने के लिए हैं सुनते हैं धीरेंद्र अस्थाना के द्वारा लिखी गई कहानी भूत,नयनी दीक्षित की आवाज में…
क्त मंडल के भाग 7 में आपने सुना था कि किस तरह गोपाल शंकर भेष बदलकर नगेंद्र और केशव के किले तक का रास्ता बनाकर पहुंच जाते हैं? क्या लिखा था उस चिट्ठी में जो गोपाल शंकर ने बुड्ढे के बेस में नगेंद्र के हाथ में दी थी ?और भयानक चार और नगेंद्र सिंह की कमेटी में क्या बातें हुई और नगेंद्र सिंह ने कमेटी को क्या सलाह दी ?क्या यह सलाह देश के हित में थी या अहित में ?जानने के लिए सुनते हैं रक्त मंडल का भाग 8 नयनी दीक्षित की आवाज़में..।
राष्ट्रपिता महात्मा गांधी का जन्म भारतीय इतिहास में सदा अविस्मरणीय रहेगा । गांधी जी के अहिंसक आंदोलन ने भारत को आज़ादी दिलाने में अपनी अभूतपुर भूमिका निभाई। अहिंसा के पुजारी के रूप में पूरी दुनिया ने उन्हें अपना गुरु माना। राजनीतिक और आध्यात्मिक नेता के रूप में वह सदैव याद किए जाएंगे।उनके द्वारा किए गए प्रमुख आंदोलन सत्याग्रह, असहयोग आंदोलन, चंपारन , भारत छोड़ो आंदोलन हैं। दांडी मार्च भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन का एक महत्वपूर्ण पडाव रहा ।इस दिन को अंतरराष्ट्रीय अहिंसा दिवस के रूप में मनाया जाता है।
हमें हर मुमकिन कोशिश करनी है किसी भी जंग को जीतने के लिए |’काश ‘ के लिए कोई गुंजाइश नहीं रखनी है इसी प्रेरणा को अपनी कविता गर तलाश तेरी जारी है के माध्यम से तराशा है अनुपम ध्यानी जी ने अपनी आवाज से
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