इंसान की उस संकीर्ण मानसिकता को दर्शाती यह कहानी जब कभी अपने खून के रिश्ते वास्तव में कोई जिसने गलत काम किया हो और एक ऐसा रिश्ता जो आपके लिए अपना सब कुछ न्योछावर कर देंलेकिन आपका खून का रिश्ता ना हो के बीच में कोई चुनाव करना होता है तो इंसान सहज भाव से अपने खून के रिश्ते का चुनाव कर लेता है और एक पल में ही दूसरे रिश्ते को ठुकरा देता है भीष्म साहनी के द्वारा लिखी गई कहानी साग मीट सुमन वैद्य जी की आवाज में
72 वर्ष के एक वृद्ध की कहानी है जो 20 साल तक अपनी एक जमीन के लिए अदालतों का चक्कर काटता रहता है अब इस उम्र में उसे जमीन मिल भी जाती है किंतु अभी जमीन का कब्जा बाकी होता है वह बेहद कशमकश की स्थिति में है कि अब क्या करें क्या वह वयोवृद्ध जमीन का सुख उठा पाता है क्या होता है उसके साथ पूरी कहानी जानने के लिए सुनते हैं भीष्म साहनी द्वारा लिखी गई कहानी मरने से पहले सुमन वैद्य जी की आवाज में
स्टेशन के प्लेटफार्म में 2 औरतें जोर-जोर से लड़ रही है| उन दोनों औरतों का दावा एक छोटे दूध पीते बच्चे की मां होने का है| इस विषम परिस्थिति में जानने के लिए कि कौन उस बच्चे की वास्तविक मा है मां है? उसके पीछे क्या कहानी है? सुनते हैं भीष्म साहनी द्वारा लिखी गई कहानी माता -विमाता ,सुमन वैद्य जी की आवाज में
सत्य की खोज में इंसान हमेशा से रहा है और इसे खोजने के लिए कभी उसने धर्म को गहराई से समझने की कोशिश की है | आसान से शब्दों में कहा जाये तो सत्य , धर्म , राजनीति , सामाजिकता और अत्याचार इन सबसे घिरा इंसान सत्य की खोज कैसे करेगा और इन सब का उस पर क्या प्रभाव पड़ेगा ?
व्यवहार की दुनिया, वास्तविक दुनिया से अलग होती है |इस संदर्भ में कहानी की रूपरेखा इस प्रकार है कि हीरालाल जी के परम मित्र शुक्ला जी जो कि एकसरकारी कर्मचारी हैं अपनी सत्य निष्ठा और ईमानदारी के कारण जाने जाते हैं| ईमानदारी से किए गए एक फैसले ने उनका जीवन ही बदल दिया| क्या है पूरा वृतांत ?जानने के लिए सुनते हैं भीष्म साहनी के द्वारा लिखी गई कहानी फैसला ,सुमन वैद्य जी की आवाज में…
मनुष्य भौतिकवादी जब बनता चला जाता है ,तो वो रिश्तों को भूलता चला जाता है , या दूसरे शब्दों कहें तो इंसान रिश्तों को पैसे से और ताकत से तोलने लगता है |क्या यह सही होगा कि इंसान की ईमानदारी उसके अमीर या गरीब होने से आकी जाये ?
एक गरीब तेरह चौदह वर्ष के एक लड़के की कहानी जो अनाथ है। उस बच्चे की मनोदशा से अपरचीत कहने को सभ्य समाज द्वारा बेहद बुरा- बर्ताव किया जाता है उसे “मवाली” और”चोर” जैसे शब्दों से पुकारा जाता है । बेहद मार्मिक ढंग से प्रस्तुत किया गया है इस कहानी को …….
कहानी में गंगो एक मजदूरिन है है |गर्भ से होने के कारण ठेकेदार उसे काम से निकाल देता है| इधर गंगो का पति घीसू भी एक मजदूर है| घर का खर्चा चलाने के लिए घीसू अपने छोटे बेटे और रीसा को बूट -पॉलिश का काम कराने भेज देता है| किंतु रीसा गलियों में खो जाता है| आगे कहानी में क्या होता है जानने के लिए सुनते भीष्म साहनी द्वारा लिखी गई कहानी गंगो का जाया, सुमन वैद्य जी की आवाज में…
स्टेशन के प्लेटफार्म में 2 औरतें जोर-जोर से लड़ रही है| उन दोनों औरतों का दावा एक छोटे दूध पीते बच्चे की मां होने का है| इस विषम परिस्थिति में जानने के लिए कि कौन उस बच्चे की वास्तविक मा है मां है? उसके पीछे क्या कहानी है? सुनते हैं भीष्म साहनी द्वारा लिखी गई कहानी माता -विमाता ,सुमन वैद्य जी की आवाज में
नरेंद्र के मन में एक प्रश्न डंक की भांति परेशान कर रहा है| यह प्रश्न उसकी मां सुशीला के स्त्रीत्व की पवित्रता को लेकर है |क्या नरेंद्र अपनी मां से अपने प्रश्नों का उत्तर ले पाएगा ?क्या वास्तव में में सुशीला के जीवन में इसके पीछे कोई कहानी थी ?सुशीला अपनी पवित्रता नरेंद्र को समझा पाएगी ? पूरी कहानी जानने के लिए सुनते हैं गजानन माधव मुक्तिबोध के द्वारा लिखी गई कहानी प्रश्न सुमन वैद्य जी की आवाज में….
पँचकौड़ी मिरदंगिया एक छोटी जात का बूढ़ा कलाकार है |जो मृदंग बजाता है |पहले तो लोग उसी कला को पसंद करते थे ,किंतु धीरे-धीरे लोग उससे अलग होते गए | पँचकौड़ी मिरदंगिया को एक 10 से 12 साल के लड़के मोहना से विशेष लगाव होता है और उसे अपने द्वारा गाए रसप्रिया सुनाना और सिखाना चाहता है |क्या है मोहना और मिरदंगिया का रिश्ता पूरी कहानी जानने के लिए सुनते हैं फणीश्वर नाथ रेणु द्वारा लिखी गई कहानी रसप्रिया , सुमन वैद्य जी की आवाज में
बहुत ज्यादा सुख भी नींद उड़ा देता है ,तो बहुत ज्यादा दुख भी ।कभी मखमल के बिस्तर पर भी नींद नहीं आती ,तो कभी जमीन पर भी चैन की नींद आ जाती है। दिल की गहराई में छुपा कोई जख्म भी कभी सोने नहीं देता और दिल की दबी ख्वाहिश भी नींद चुरा लेती है।
बचपन धर्म-जाति ऊंच-नीच,छोटा बड़ा,अमीर-गरीबी नहीं समझता। उसमें सिर्फ मासूमियत होती है।किंतु जैसे-जैसे हम बड़े होते जाते हैं हमें इन बातों का अंतर करने लग जाते हैं। “गुल्ली-डंडा” कहानी इन्हीं भावनाओं से अवगत कराती है………..गुल्ली डंडा खेलते हुए एक बालक और उसके साथ अन्य साथियोंको चित्रित किया जा सकता है।
ये कहानी एक औरत के जीवन के साथ साथ चलती है .. उस पड़ाव से जहाँ जीवन में बहुत व्यस्तताये होती है से वहाँ तक जब…सुनिए पूजा अग्रवाल की लिखी कहानी उनकी आवाज़ में
निशिकांत ट्रेन से दिल्ली जा रहा है |कहीं ना कहीं उसका निजी अनुभव अहिंदू कौम के लिए कुछ खट्टास पैदा कर रहा है लेकिन ट्रेन में कुछ ऐसी घटना होती है जिससे निशिकांत की सोच में एक बहुत बड़ा परिवर्तन आता है|क्या है वह घटना ?पूरी कहानी जानने के लिए सुनते हैं विष्णु प्रभाकर के द्वारा लिखी गई कहानी परिवर्तन नयनी दीक्षित की आवाज में
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Sumanvaidya