अगर मर्द बिना मूछों के रहे तो वह मर्द नहीं लगता |एक मूंछ ही तो मर्दाना चेहरे के लिए अनिवार्य होती है और मेरे पति ने एक नौकरानी की भूमिका निभाने के लिए अपनी मूंछे कटवा ली |अब तो शायद ने उन्हें प्यार भी ना कर सकूं| और मर्दों में मूछों के बिना कोई आकर्षण नहीं | मर्दों की मूछों को लेकर एक स्त्री अपनी दोस्त से यह सब बातें क्यों कह रही है ?इसके पीछे क्या वजह हो सकती है? इसे जानने के लिए सुनते हैं गाय दी मोपासां की कहानी मूंछ,नयनी दीक्षित की आवाज में …
कुवारेपन की वजह – गाय दी मोपासां – नयनी दीक्षित
कई बार कुछ ऐसी घटना एक पुरुष के जीवन में घट जाती हैं जिसके लिए एक महिला जिम्मेदार होती है। उन घटनाओं का यह भी असर होता है जो उसके कुंवारे पन की वजह बन सकता है। हर बार हर मामले में सिर्फ़ पुरुष को ही जिम्मेदार ठहराना यह जरूरी नहीं ।19वीं शताब्दी में फ्रेंच लेखक guy de maupssantने इसी बात को अपनी कहानी का आधार बनाया है ।क्या है पूरी कहानी जानने के लिए सुनिए नयनी दीक्षित की आवाज़ में कहानी कुंवारेपन की वजह..।
कहानी में लेखक द्वारा कुछ ऐसी घटनाओं का जिक्र किया गया है ,जो डर की सारी सीमाओं को भी पार कर जाती है| जो स्वाभाविक भय से भी बहुत ज्यादा है| लेखक ने खौफ़नाक अनुभवों को लिखा है जिसे सुनकर आपके रोंगटें खड़े हो जायेंगे | ऐसा खौफनाक मंजर आखिर क्या हो सकता है ?जिसे लेखक अपने कहानी के माध्यम से पाठकों और सुनने वालों को बांटना चाह रहा है जानने के लिए सुनते हैं दिल दहलाने वाली कहानी खौफ़नाक, नयनी दीक्षित की आवाज में
रेलयात्रा – गाय दी मोपासां – नयनी दीक्षित
एक जवान स्त्री पुरुष का संबंध क्या केवल स्त्री पुरुष के संबंध को ही दर्शाता है या फिर एक जवान स्त्री पुरुष जो लगभग एक ही उम्र के हैं वह अनजाने में मां -बेटे के संबंध में भी बदल सकते हैं। रेल यात्रा कहानी सोसाइटी के स्त्री -पुरुष के संबंध को देखने के नजरिये को चोट करती हुई कहानी है। guy de maupassant द्वारा लिखी कहानी रेल यात्रा में जानिए नयनी दीक्षित की आवाज़ में..
उसकी देखने की अदा बड़ी मोहक थी, किसी को भी आमंत्रित करने वाली |मैंने भी घर के भीतर शीशे के सामने जाकर कई बार उसकी तरह ही इशारा करने का अभ्यास किया और मैं तुमसे क्या कहूं मैं उससे कहीं बेहतर कर पाई| इसके बाद मैं खिड़की के पास उसी अदा से बैठ गयी| शायद ही उसके बाद कोई भी ग्राहक उसकी तरफ गया हो| तुम तो जानती हो मेरी सनक और मेरी जिद्द को |मैं जिस चीज को करने के लिए सोच लेती हूं ,उसे कर के ही रहती हूं |यह सब बातें बॉरोनस अपनी फ्रेंड मॉरसिनस से कह रही है लेकिन बॉरोनस के बिना सोचे समझे की गई किसी की नकल, आज उसे एक बुरे चक्कर में फंसा गई है |क्या आप जानना नहीं चाहेंगे कि बॉरोनस किस चक्कर में फंस गई है? और उसकी फ्रेंड उसे किस बात की सलाह दे रही है पूरी कहानी जानने के लिए सुनते हैं| गाय दी मोपासां की कहानी नकल,नयनी दीक्षित की आवाज में …
अनोखी यात्रा – गाय दी मोपासां – नयनी दीक्षित
कहानी अनोखी यात्रा में, प्यार की एक अनोखी यात्रा पर निकले जो दो लोग उस प्यार में, जिस तरह के बेलौस और बेसाख़्ता मोहब्बत है वह देखने को मिलेगी। प्यार को किसी भाषा, शब्द ,वाक्य किसी की जरूरत नहीं होती क्योंकि प्यार अपने आप में भाषा होता है। चाहे वह दो प्यार करने वाले उसे अनजान ही क्यों ना हो, बेपनाह मोहब्बत की ऐसी दास्तां सुनिए नयनी दीक्षित की आवाज़ में
चट्टानो में आग – Ibnesafi ( इब्नेसफी) – Nayani Dixit
जासूसी कहानी चट्टानों में आग की पूरी कहानी एक मिलिट्री अफ़सर के इर्द-गिर्द घूमती है ।जो नशीली पदार्थों की तस्करी करने वाला गिरोह है। कर्नल ज़रग़ाम उस गिरोह में जब नहीं शामिल होना चाहता तो उसे धमकियाँ मिलनी शुरू हो जाती है ।ऐसे में परेशान ज़रग़ाम ,कैप्टन फ़ैयाज़ से मदद के लिए लिखता है और कैप्टन फ़ैयाज़ ,इमरान को उसकी मदद के लिए भेजता है क्या इमरान अपनी सूझबूझ से नकली दवाइयां बेचने वाले गिरोह को गिरोह का पर्दाफाश कर पाएगा पूरी कहानी जानने के लिए सुनते हैं चट्टानों में आग, नयनी दीक्षित की आवाज में..
कहानी निशिकांत के दफ्तर की है जिसमें निशिकांत और सहकर्मी छोटे -बाबू के बीच में कहा-सुनी हो जाती है |इस कहा-सुनी की क्या वजह रही और यह कहासुनी बहुत हद तक बढ़ जाती है और उसके बाद क्या फिर से उनके बीच दोस्ती हो पाती है ? कहानी में आगे क्या होता है ?इस पूरी कहानी को जानने के लिए सुनते हैं विष्णु प्रभाकर के द्वारा लिखी गई कहानी दफ्तर में नयनी दीक्षित की आवाज में
कहानी एक 86 साल के एक बूढ़े आदमी की है जो अपनी सेहत को लेकर बड़ा सजग है और बेहद चुस्त -दुरुस्त ,तंदुरुस्त और चंचल ,कर्मठ भी है किंतु अपनी वास्तविक उम्र किसी को नहीं बताता| इस उम्र में होने के बावजूद अपने को वृद्ध नहीं समझता इसके पीछे क्या कारण है ? कहानी को जानने के लिए सुनते हैं गाय दी मोपासां की कहानी एक बूढा व्यक्ति,नयनी दीक्षित की आवाज में
शोलागढ़@34km – Kumar Rehman (कुमार रहमान) – Nayani Dixit
श्रेया को अगवा करने वाले लोगों से बचाकर सोहराब ,सलीम और श्रेया कोठी की तरफ चले जाते हैं। मालगाड़ी से सोहराब ,सलीम और श्रेया कहां रवाना हुये ? क्या वज़ह है कि वे टैक्सी से ना जाकर मालगाड़ी से रवाना हुए ?कौन है वह चार लोग जिन्होंने श्रेया को अगवा किया था ?हाशना को किस चीज की तलाश है? श्रेया का पूरे मामले में क्या रोल है ? क्या शेयाली को जंगलियों से आज़ाद कराया जा सका ?ऐसे बहुत से प्रश्नों के राज़ खोलने के लिए सुनते हैं शोलागढ़@34 का यह भाग
रक्त मंडल के पिछले भाग में आपने सुना कि बाबू बटुक चंद की हत्या कर दी और उनका बेटा कहीं गायब है और किस तरह से रक्त मंडल के सिपाहियों ने सरकारी खज़ाने को रास्ते से ही लूट लिया बड़े से बड़े अफसर भी उनका मुकाबला नहीं कर पाए। मृत्यु किरण से छोड़े गए गोले पूरे लश्कर को ले डूबे। रक्त मंडल के सदस्य सरकारी खज़ाने को अपने साथ ले गए आगे क्या हुआ? जानने के लिए सुनते हैं नयनी दीक्षित की आवाज़ में रक्त मंडल का यह भाग…
मंटो की लिखी गयी सबसे ज्यादा मशहूर कहानियो में से एक है काली सलवार , ये कहानी एक ऐसे औरत की जो दिल्ली जैसे बड़े शहर में आ जाती है कुछ सपने सजा के , पर समय के साथ जब वो सपने धुंधले पड़ने लगते हैं तब एक शंकर नाम का आदमी उस के घर आता है और शायद दिल में भी, पर वो आदमी इस औरत को कुछ ऐसा देके जाता है जिसे पाकर वो समझ नहीं पाती की वो खुश हो या दुखी
कहानी की नायिका निरुपमा पांच भाइयों में इकलौती बहन है। पिता रामसुन्दर ने उसका विवाह एक बड़े खानदान में तय किया किंतु ससुराल पक्ष के द्वारा जो दहेज़ की मांग की गई थी वह राम सुंदर जी पूरी नहीं कर पाए ।ऐसे में क्या निरुपमा का विवाह हो पाता है? क्या निरुपमा भी दहेज़ की भेंट चढ़ जाती है? या निरुपमा इस संदर्भ में कोई ठोस कदम उठाती है? बेहद भावुक कर देने वाली रविंद्र नाथ टैगोर जी की कहानी दहेज़ में जानते हैं उतने ही भावुक अंदाज में शिवानी आनंद के द्वारा..
“हालात और वक़्त के साथ सबको बदलना पड़ता है। इंसान के बदलाव के बारे में दर्शाती यह कविता जरूर सुनें।
सहानुभूति और प्रेम के बिना दुनिया में कुछ भी नहीं |जब अपनापन किसी को वास्तव में मिलता है तो दुनिया की किसी भी चुनौती का सामना कर सकता है |कहानी ने कुछ ऐसा ही है निशीकांत घर में अकेला है और ज्वर से पीड़ित है |कमला उसकी देखभाल हेतु आती है फिर क्या निशिकांत को काफी अच्छा लगता है| आखिर क्या है कमला का निशीकांत से क्या रिश्ता है इस रहस्य को समझने के लिए सुनते हैं विष्णु प्रभाकर की कहानी रहस्य नयनी दीक्षित की आवाज में…
जब कवि सम्मेलन में नेताओं की ऐसी फजीहत देखी तो मेरे तन बदन में आग लग गई। मैंने अपनी कहानी द्वारा कवि महाशय को प्रत्युत्तर देने के लिए एक सर्वगुण संपन्न नेता को गरीब परिवार में जन्म दिया। किंतु गरीबी के कारण वह पथ से भ्रष्ट होकर चोर बन गया । मैंने उसको खत्म कर दिया ,और एक बार फिर हौसला करके एक नए नेता की नए परिवेश में रचना की। वह करोड़पति सेठ के घर जन्मा किंतु उसकी रईसी ने उसे पथ से डिगा दिया और मुझे उसको भी खत्म करना पड़ा। लेकिन अब फिर एक बार हिम्मत न जुटा पाई और मैं हार गई।
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