मेला – ममता कालिया – शैफाली कपूर
कहानी में प्रयागराज में लगे कुंभ मेले का दृश्य है जहां दूर-दूर से लाखों की संख्या में लोग अपने पाप को धोने के लिए संगम में डुबकी लगाने आते हैं। क्या मात्र डुबकी लगाकर पाप से मुक्त हुआ जा सकता है ?क्या वास्तव में अध्यात्म को भी एक पेशे की दृष्टि से अपनाया जाता है? आस्था ,परंपरा इन सब बातों का अद्भुत संगम है इस कहानी में। इसी बात को रोचक ढंग से आधार बनाकर ममता कालिया ने कहानी मेला का ताना-बाना बुना है,जिसे शेफ़ाली कपूर ने उतने ही अनोखे अंदाज़ से अपनी आवाज़ से निखारा है।
मेला – ममता कालिया – शैफाली कपूर
कहानी में प्रयागराज में लगे कुंभ मेले का दृश्य है जहां दूर-दूर से लाखों की संख्या में लोग अपने पाप को धोने के लिए संगम में डुबकी लगाने आते हैं। क्या मात्र डुबकी लगाकर पाप से मुक्त हुआ जा सकता है ?क्या वास्तव में अध्यात्म को भी एक पेशे की दृष्टि से अपनाया जाता है? आस्था ,परंपरा इन सब बातों का अद्भुत संगम है इस कहानी में। इसी बात को रोचक ढंग से आधार बनाकर ममता कालिया ने कहानी मेला का ताना-बाना बुना है,जिसे शेफ़ाली कपूर ने उतने ही अनोखे अंदाज़ से अपनी आवाज़ से निखारा है।
मेला – ममता कालिया – शैफाली कपूर
कहानी में प्रयागराज में लगे कुंभ मेले का दृश्य है जहां दूर-दूर से लाखों की संख्या में लोग अपने पाप को धोने के लिए संगम में डुबकी लगाने आते हैं। क्या मात्र डुबकी लगाकर पाप से मुक्त हुआ जा सकता है ?क्या वास्तव में अध्यात्म को भी एक पेशे की दृष्टि से अपनाया जाता है? आस्था ,परंपरा इन सब बातों का अद्भुत संगम है इस कहानी में। इसी बात को रोचक ढंग से आधार बनाकर ममता कालिया ने कहानी मेला का ताना-बाना बुना है,जिसे शेफ़ाली कपूर ने उतने ही अनोखे अंदाज़ से अपनी आवाज़ से निखारा है।
मेला – ममता कालिया – शैफाली कपूर
कहानी में प्रयागराज में लगे कुंभ मेले का दृश्य है जहां दूर-दूर से लाखों की संख्या में लोग अपने पाप को धोने के लिए संगम में डुबकी लगाने आते हैं। क्या मात्र डुबकी लगाकर पाप से मुक्त हुआ जा सकता है ?क्या वास्तव में अध्यात्म को भी एक पेशे की दृष्टि से अपनाया जाता है? आस्था ,परंपरा इन सब बातों का अद्भुत संगम है इस कहानी में। इसी बात को रोचक ढंग से आधार बनाकर ममता कालिया ने कहानी मेला का ताना-बाना बुना है,जिसे शेफ़ाली कपूर ने उतने ही अनोखे अंदाज़ से अपनी आवाज़ से निखारा है।
मेला – ममता कालिया – शैफाली कपूर
कहानी में प्रयागराज में लगे कुंभ मेले का दृश्य है जहां दूर-दूर से लाखों की संख्या में लोग अपने पाप को धोने के लिए संगम में डुबकी लगाने आते हैं। क्या मात्र डुबकी लगाकर पाप से मुक्त हुआ जा सकता है ?क्या वास्तव में अध्यात्म को भी एक पेशे की दृष्टि से अपनाया जाता है? आस्था ,परंपरा इन सब बातों का अद्भुत संगम है इस कहानी में। इसी बात को रोचक ढंग से आधार बनाकर ममता कालिया ने कहानी मेला का ताना-बाना बुना है,जिसे शेफ़ाली कपूर ने उतने ही अनोखे अंदाज़ से अपनी आवाज़ से निखारा है।
मेला – ममता कालिया – शैफाली कपूर
कहानी में प्रयागराज में लगे कुंभ मेले का दृश्य है जहां दूर-दूर से लाखों की संख्या में लोग अपने पाप को धोने के लिए संगम में डुबकी लगाने आते हैं। क्या मात्र डुबकी लगाकर पाप से मुक्त हुआ जा सकता है ?क्या वास्तव में अध्यात्म को भी एक पेशे की दृष्टि से अपनाया जाता है? आस्था ,परंपरा इन सब बातों का अद्भुत संगम है इस कहानी में। इसी बात को रोचक ढंग से आधार बनाकर ममता कालिया ने कहानी मेला का ताना-बाना बुना है,जिसे शेफ़ाली कपूर ने उतने ही अनोखे अंदाज़ से अपनी आवाज़ से निखारा है।
अंगूठी – ममता कालिया – शैफाली कपूर
ऑफिस का एक मित्र रजत गुप्ता अपने सहकर्मी मिस्टर चावला के घर शनिवार दोपहर खाने पर आता है ।खाना -खाने के बाद अचानक उसे लगता है कि उसके हाथ की सोने की अंगूठी शायद सोफे के किनारे फस गई है ।अब क्या था घर में हलचल मच जाती है सोफे को अलट -पलट सभी तरीके से देखा जाता है ,पर वह अंगूठी नहीं मिलती ।ऐसी दशा में मिस्टर चावला को बैठे-बिठाए क्या- क्या मुसीबत सहनी पड़ रही है ?क्या हुआ उस अंगूठी का, क्या वाकई वह अंगूठी मिल पाई ?रजत गुप्ता की अंगूठी क्या वास्तव में सोफे में थी या कहीं और खोई थी? ऐसे बहुत सारे प्रश्नों की गुत्थी को सुलझा पायेंगे, जब सुनेंगे ममता कालिया के द्वारा लिखी गई कहानी अंगूठी ,शैफाली कपूर की आवाज़ में…
मोबाइल मोहब्बत- ममता कालिया – शैफाली कपूर
मुग्धा को अपने बचपन से जब से वह सही से बोल भी नहीं पाती थी तब से उसे मोबाइल फोन से जो मोहब्बत हुई ,उसका असर उसके हर एक क्रियाकलाप में देखा जा सकता है किंतु आज तो मुग्धा की शादी नमित के साथ हो रही है। क्या इन दोनों के जीवन की इस नयी शुरुआत करने पर मोबाइल फोन क्या कोई अपना रंग दिखायेगा?कैसी रहेगी विवाह के बाद की उनकी शुरुआत?पूरी कहानी जानने के लिए सुनते हैं ममता कालिया के द्वारा लिखी गई कहानी मोबाइल मोहब्बत, शेफाली कपूर की आवाज़ में
अंगूठी – ममता कालिया – शैफाली कपूर
ऑफिस का एक मित्र रजत गुप्ता अपने सहकर्मी मिस्टर चावला के घर शनिवार दोपहर खाने पर आता है ।खाना -खाने के बाद अचानक उसे लगता है कि उसके हाथ की सोने की अंगूठी शायद सोफे के किनारे फस गई है ।अब क्या था घर में हलचल मच जाती है सोफे को अलट -पलट सभी तरीके से देखा जाता है ,पर वह अंगूठी नहीं मिलती ।ऐसी दशा में मिस्टर चावला को बैठे-बिठाए क्या- क्या मुसीबत सहनी पड़ रही है ?क्या हुआ उस अंगूठी का, क्या वाकई वह अंगूठी मिल पाई ?रजत गुप्ता की अंगूठी क्या वास्तव में सोफे में थी या कहीं और खोई थी? ऐसे बहुत सारे प्रश्नों की गुत्थी को सुलझा पायेंगे, जब सुनेंगे ममता कालिया के द्वारा लिखी गई कहानी अंगूठी ,शैफाली कपूर की आवाज़ में…
हरि और उसकी पत्नी ,प्रबोध के घर जाते हैं |प्रबोध की अपनी पहली पत्नी के साथ तलाक हुए बिना लीला के साथ संबंध रखना हरि की पत्नी सही नहीं लग रहा है| क्या है पूरी कहानी जाने के लिए सुनते हैं ममता कालिया की द्वारा लिखी गई कहानी और अपत्नी अंगुना की आवाज में
मेला – ममता कालिया – शैफाली कपूर
कहानी में प्रयागराज में लगे कुंभ मेले का दृश्य है जहां दूर-दूर से लाखों की संख्या में लोग अपने पाप को धोने के लिए संगम में डुबकी लगाने आते हैं। क्या मात्र डुबकी लगाकर पाप से मुक्त हुआ जा सकता है ?क्या वास्तव में अध्यात्म को भी एक पेशे की दृष्टि से अपनाया जाता है? आस्था ,परंपरा इन सब बातों का अद्भुत संगम है इस कहानी में। इसी बात को रोचक ढंग से आधार बनाकर ममता कालिया ने कहानी मेला का ताना-बाना बुना है,जिसे शेफ़ाली कपूर ने उतने ही अनोखे अंदाज़ से अपनी आवाज़ से निखारा है।
एकाक्षर – ममता कालिया – शैफाली कपूर
कहानी में संकल्प खन्ना और खुर्शीद पति-पत्नी है। संकल्प खन्ना की आयु करीब साठ वर्ष की है ,जो पेशे से एक प्रोफेसर है। उनका दांपत्य जीवन ठीक-ठाक चल रहा होता है। लेकिन जब से संकल्प खन्ना की रूचि सोशल -मीडिया, फेसबुक व्हाट्सएप पर बढ़ने लगी है, खुर्शीद को संकल्प खन्ना के व्यवहार में परिवर्तन महसूस होने लगा है ।ऐसी क्या वजह हो सकती है कि संकल्प खन्ना को अपनी वास्तविक दुनिया से काल्पनिक दुनिया में रहना ज्यादा पसंद आने लगा है? क्या संकल्प खन्ना के जीवन में खुर्शीद के अलावा किसी और ने जगह बना ली है ?या फिर ऐसा भी हो सकता है कि खुर्शीद बेवज़ह ऐसा- वैसा सोच रही है। कुछ भी हो सकता है। पूरी कहानी जानने के लिए सुने ममता कालिया के द्वारा लिखी गई कहानी एकाक्षर -प्रेम ,जिसे आवाज़ दी है शैफ़ाली कपूर ने…
दूसरा देवदास – ममता कालिया – शैफाली कपूर
एक युवा संभव हरिद्वार हर की पौड़ी अपनी नानी के यहां आया हुआ है। गंगा आरती का विहंगम दृश्य के बाद जब एक मंदिर जाता है तो उस मंदिर में उसे एक गुलाबी साड़ी पहने एक खूबसूरत युवती उसी के बगल में पूजा करती हुई नज़र आती है। संभव के मन में उस युवती के प्रति एक आकर्षण महसूस होता है, किंतु बाद में भीड़ में वह कहीं नज़र नहीं आती है इस पर संभव दुबारा उस युवती से मिलने के लिए बेहद विचलित हो जाता है। क्या पुनः दोनों का आमना-सामना हो पाएगा? क्या संभव अपने दिल की बात उससे कह पाएगा? पूरी कहानी जानने के लिए सुनिए ममता कालिया के द्वारा लिखी गई कहानी दूसरा देवदास, शैफ़ाली कपूर की आवाज़ में…
हेज़ल: क्या तुम्हें मालूम है कि कल रात किसी ने गरीब पीटर को चाकू मार कर कत्ल कर दिया?
एलिज़ाबेथ: मैं यह भी जानती हूँ कि पीटर का कातिल और कोई नहीं, बल्कि तुम्हारा पति रेमंड ही है।
हेज़ल: (हैरान होते हुए) यह नामुमकिन है! मेरे पति तो एक रोड हादसे में मर चुके हैं। वह भला पीटर की हत्या कैसे कर सकते हैं?
वाल्टर: एलिज़ाबेथ! तुम्हें हेज़ल के मरे हुए पति के बारे में ऐसा नहीं कहना चाहिए।
यहां पर कई सवाल उभरते हैं: एलिज़ाबेथ ने हेज़ल के पति रेमंड पर पीटर की हत्या का इल्जाम क्यों लगाया? आखिर यह पीटर कौन है और उसकी हत्या की वजह क्या हो सकती है? रेमंड का पीटर की हत्या से क्या संबंध हो सकता है? अगर रेमंड ने पीटर की हत्या नहीं की, तो असली कातिल कौन है? और एलिज़ाबेथ का रेमंड के साथ क्या रिश्ता है?
इन सभी सवालों के जवाब जानने के लिए सुनिए एरूनिका पार्कर जोन्स द्वारा लिखी गई रहस्यमय कहानी ‘साजिशबाज़ औरत’ शैफ़ाली कपूर की आवाज़ में।
“डैनी: “”एमिला, मैं तुम्हें बहुत प्यार करता हूं। मेरे प्यार की ख़ातिर मैं तुम्हें एक छोटी सी तकलीफ़ देना चाहता हूं।””
एमिला: “”क्या कह रहे हो, डैनी? कैसी तकलीफ़, कैसी मदद? मैं कुछ समझी नहीं।””
डैनी: “”तुम्हें डॉक्टर ड्यूड के यहां से कुछ फाइलें लानी पड़ेगी।””
एमिला: “”पर ऐसा करना तो गलत होगा।””
डैनी डॉक्टर ड्यूड के यहां से एमिला से कुछ फाइलें क्यों मंगवाना चाह रहा है? आखिर इसके पीछे उसका क्या मकसद है? क्या एमिला अपने प्यार की खातिर यह गलत काम करने को राज़ी हो जाती है? क्या है इसके पीछे का राज़? जानने के लिए सुनिए नसरीन हिना के द्वारा लिखी गई कहानी ‘ब्लैकमेल’, शैफ़ाली कपूर की आवाज़ में।
एकाक्षर – ममता कालिया – शैफाली कपूर
कहानी में संकल्प खन्ना और खुर्शीद पति-पत्नी है। संकल्प खन्ना की आयु करीब साठ वर्ष की है ,जो पेशे से एक प्रोफेसर है। उनका दांपत्य जीवन ठीक-ठाक चल रहा होता है। लेकिन जब से संकल्प खन्ना की रूचि सोशल -मीडिया, फेसबुक व्हाट्सएप पर बढ़ने लगी है, खुर्शीद को संकल्प खन्ना के व्यवहार में परिवर्तन महसूस होने लगा है ।ऐसी क्या वजह हो सकती है कि संकल्प खन्ना को अपनी वास्तविक दुनिया से काल्पनिक दुनिया में रहना ज्यादा पसंद आने लगा है? क्या संकल्प खन्ना के जीवन में खुर्शीद के अलावा किसी और ने जगह बना ली है ?या फिर ऐसा भी हो सकता है कि खुर्शीद बेवज़ह ऐसा- वैसा सोच रही है। कुछ भी हो सकता है। पूरी कहानी जानने के लिए सुने ममता कालिया के द्वारा लिखी गई कहानी एकाक्षर -प्रेम ,जिसे आवाज़ दी है शैफ़ाली कपूर ने…
दो मित्र – गाय दी मोपासां – नयनी दीक्षित
कहानी यह दर्शाती है कि चाहे सत्ता की लड़ाई हो ,दो देशों के बीच की लड़ाई हो, या अपने अपने ईगो की लड़ाई हो, सत्ता धारियों को कोई फ़र्क नहीं पड़ता बल्कि इस बात का खामियाजा़ एक आम आदमी ही उठाता है। इस कहानी में लेखक ने दो मित्रों को के द्वारा बेवज़ह मारे जाने वाले लोगों का उल्लेख किया है। वह दो मित्र जो फ्रांस में रह रहे हैं और किस तरह भुखमरी गरीबी और तकलीफ़ से गुजर रहे हैं और किस तरह इस लड़ाई में मारे जाते हैं ?दो मित्रों को केंद्र बनाकर लेखक ने बेवज़ह मारी जा रही जनता का मार्मिक वर्णन किया है,जिसे नयनी दीक्षित ने उसे उतनी ही भाव प्रधान आवाज़ में पेश किया है।
अलग -अलग प्रांत और अलग -अलग स्वभाव वाले राष्ट्रीय स्तर पर आयोजित ‘नशा समस्या’ के सप्ताह भर चलने वाले तीसरे पाठ्यक्रम में भाग लेने 4 लोग चार अपरिचित लोग जब एक साथ मिलते हैं और अपनी 2 दिन की उस मुलाकात में एक दूसरे के निकट आ जाते हैं | सोमसुंदरम केरल से ,महाराष्ट्र से जगदले और एस.पी.हायातंगारकर और मनजीत सिंह झारखंड से की कहानी है उनके बीच में कैसे निकटता आती है ?पूरी कहानी जानने के लिए सुनते हैं कमल के द्वारा लिखी हुई कहानी पिन्ने काणाम्,सुमन वैद्य जी की आवाज में
जवान बेटी विधवा है। कितने मरे हुए सपनों को ढो रही है जया। क्या देख पाई थी वह? कुछ भी तो नहीं। घर-संसार, देह-सुख, कुछ भी तो नहीं। चार दिन बाद वापस आ गई थी जया। सारा श्रृंगार धो लाई थी और साथ में ले आई थी जलते हुए सपने, धुएँ होती उमंगे, कितना टूट गई थी वे। किश्त-दर-किश्त जिंदगी से हारी थी जया एक जवान विधवा बेटी है विनय पंत जया की जिंदगी में आना चाहता है किंतु इस रिश्ते के संदर्भ में निर्मला देवी उदासीन है| अंत में कहानी में क्या निर्मला देवी इस रिश्ते को मान्यता दे पाती हैं ,और क्या कारण है कि वह इस रिश्ते के प्रति उदासीन है ?जाने के लिए सुनते हैं कहानी खोई हुई औरत
जीवन का रसायन कब और कैसे इतना कसैला हो गया जीवन के भौतिक शास्त्र में सारे द्रव्य एकत्र करते-करते शायद वह अपने अस्तित्व का द्रव्य ही गवां बैठी। धरा कैमेस्ट्री में एम.एससी. है | फिर भी घर में कितनी उपेक्षित है इसका धरा को एहसास हो रहा है | अब धरा अपने अस्तित्व के लिए क्या करती है जानते हैं ज्योत्सना सिंह के द्वारा लिखी गई कहानी रसायन में
एक मकान मालिक की व्यथा अपना सारा खर्चा और अपने सारे शौक अपने पेइंग-गेस्ट के जरिए पूरा कर लेता है वह पेइंग-गेस्ट उनके यहां से चला जाता है अब उनके घर का सारा खर्चा और उनके शौक कौन पूरा करें इसी बात को बड़े व्यंग्यात्मक शैली में कमलेश पांडे जी द्वारा लिखी गई कहानी तुम कब आओगे अतिथि सुनते हैं अमित तिवारी जी की आवाज में
Reviews for: Mela (Part -7)