महाभारत के युद्ध में कर्ण और अर्जुन के मध्य घमासान युद्ध हुआ कर्ण के पुत्र इस युद्ध में वीरता पूर्वक लड़े किंतु उनकी मृत्यु किस प्रकार हुई इसे जानने के लिए सुनते हैं महाभारत की कहानी में से एक कहानी के पुत्रों का वध शिवानी आनंद की आवाज में
एक बार महाराज ,राजपुरोहित और तेनालीराम सर्दी के मौसम में अपने राजमहल में टहल रहे थे | महाराज ने सर्दियों की मौसम की सबसे अच्छी मिठाई खाने की इच्छा जाहिर की| ऐसे में तेनाली रामा ने किस मिठाई को सर्दियों की सबसे अच्छी और मनपसंद मिठाई कहा? इस रोचक किस्से को जानने के लिए सुनते हैं शिवानी आनंद की आवाज में तेनाली रामा की कहानियों में से एक कहानी तेनालीराम की मनपसंद मिठाई…
याज्ञवल्क्य नाम के मुनि ने एक एक चुहिया उसे कन्या का रुप दे दिया, और अपने आश्रम में ले आये |अपनी ही लड़की की तरह उसका लालन-पालन किया | कन्या विवाह का समय आया ,तब कन्या ने किसको वर के रूप में चुना ?इस पूरी कहानी को जानने के लिए सुनते हैं पंचतंत्र की कहानी चुहिया का स्वयंवर, शिवानी आनंद की आवाज में…
शल्य पर्व में कर्ण की मृत्यु के पश्चात कृपाचार्य द्वारा सन्धि के लिए दुर्योधन को समझाना, सेनापति पद पर शल्य का अभिषेक, मद्रराज शल्य का अदभुत पराक्रम, युधिष्ठिर द्वारा शल्य और उनके भाई का वध, सहदेव द्वारा शकुनि का वध, बची हुई सेना के साथ दुर्योधन का पलायन, दुर्योधन का ह्रद में प्रवेश, व्याधों द्वारा जानकारी मिलने पर युधिष्ठिर का ह्रद पर जाना, युधिष्ठिर का दुर्योधन से संवाद, श्रीकृष्ण और बलराम का भी वहाँ पहुँचना, दुर्योधन के साथ भीम का वाग्युद्ध और गदा युद्ध और दुर्योधन का धराशायी होना, क्रुद्ध बलराम को श्री कृष्ण द्वारा समझाया जाना, दुर्योधन का विलाप और सेनापति पद पर अश्वत्थामा का अभिषेक आदि वर्णित है|इसे जानने के लिए सुनते हैं महाभारत की कहानियों में से एक कहानीशल्य पर्व ,शिवानी आनंद की आवाज में…
नवीन का कंचन से प्रेम करना किंतु कह ना पाना इस कहानी को प्रेम के शिखर पर ले जाता है।
कहानी में हरिदत्त नाम का एक ब्राह्मण अपने खेत में सांप के बिल के पास प्रतिदिन पूजा कर दूध रखता है और अगले दिन उसे दूध वाले पात्र में एक स्वर्ण मुद्रा प्राप्त होती है | इसके आगे की कहानी जानने के लिए सुनते हैं पंचतंत्र की कहानियों में से एक कहानी ब्राह्मण और सर्प, शिवानी आनंद की आवाज में…
जिससे तुम्हारा नुकसान हो रहा हो, उससे अलग ही रहना अच्छा है, चाहे वह उस समय के लिए तुम्हाहरा दोस्तु भी क्यों न हो।पूरी कहानी जानने के लिए सुनते हैं सूर्यकांत त्रिपाठी जी के द्वारा लिखी गई कहानी दो घड़े, निधि मिश्रा की आवाज में
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