पूर्वराग – भाग -1
Dr. Dharmveer भर्ती जी द्वारा रचित कृति कनुप्रिया का ये प्रथम खंड है
पूर्वराग के पांचों गीत राधा के निश्चल मन की सम्वेदना को प्रकट करते हैं.
भोली राधा, प्रतीक्षा में खड़े छायादार अशोक वृक्ष से असमंजस्य से पूछती है कि वह क्यों उसकी, यानी कनुप्रिया की प्रतीक्षा में कई जन्मों से पुष्पहीन खड़े हैं? राधा के सौन्दर्य, नारी सुलभ लज्जा एवं पुलक का खूबसूरत चित्रण है.
कनु अर्थात कृष्ण का प्रेम आत्मा का प्रेम है, समर्पण का प्रेम है.
इन गीतों में राधा के प्रेम की सुन्दर अभिव्यक्ति है. राधा के प्रेम में निश्छल भावनाओं की स्थिति है. प्रकृति के कण कण में कनु की छवि देखना, यमुना में नहाते समय कृष्ण को निहारना, गृहकार्य से अलसाकर कदम्ब की छांह में शिथिल अनमनी पड़ी रहना- जैसे अनेक भाव प्रेषण चित्रण इन गीतों में झिलमिलाए हैं.
चलिए गाथा पर सुनते हैं कनुप्रिया का पहला खंड पूर्वराग, पल्लवी की आवाज़ में
मंजरी परिणय – भाग -2
Dr. Dharmveer भर्ती जी द्वारा रचित कृति कनुप्रिया का ये द्वितीय खंड है
मंजरी परिणय में तीन कविताएँ है।
इन कविताओं में, राधा के प्रश्नों का, कनु की व्याकुलता का, निजता के द्वंद का; मन को द्रवित करने वाला बेहद सुंदर चित्रण है।
राधा, कृष्ण के चले जाने के पश्चात, विव्हल हो कर स्मरण करती है कि किस प्रकार आम्र बौर के नीचे खड़े हो, कनु उसकी प्रतीक्षा करते थे, परंतु लोक लाज से बंधी राधा अपने कनु के पास उस क्षण नही पहुंच पाती थी।
कनु का आम्र बौर की मंजरी से राधा संग परिणय कर लेना, राधा का बेचैन हो जाना और अपने कनु के समीप न आ पाने की व्यथा बताना। और आम्र बौर का ठीक ठीक अर्थ न समझ पाने में अपनी असमर्थता दिखाना… फिर कनु से मासूमियत से पूछ लेना… की तुम मेरे कौन हो ?
मंजरी परिणय की कविताएँ प्रेम में पड़ी राधा की आकुलता का सुंदर चित्रण है
चलिए गाथा पर सुनते हैं कनुप्रिया का द्वितीय खंड- मंजरी परिणय, पल्लवी की आवाज़ में
सृष्टि संकल्प – भाग -3
Dr. Dharmveer भर्ती जी द्वारा रचित कृति कनुप्रिया का ये तृतीय खंड है
सृष्टि संकल्प में तीन कविताएँ हैं
कृष्ण जा चुके हैं
राधा विरह के दर्द से उद्वेलित है। वो नही समझ पा रही है कि अगर वो अपने कनु के मन में बसती है, और निखिल सृष्टि वो खुद है, यदि महासाग, हिमशिखर, मेघ घटाएं, सबमें वो ही व्याप्त है, तो फिर वो एकांत में भयभीत क्यों हो जाती है?
राधा विरह के क्षणों में वेदना से, आग्रह से, दर्द से अपने कनु को बार बार यही ज्ञात करने में प्रयत्नशील रहती है कि समस्त सृष्टि में बस राधा है और उसका कनु
राधा का मानसिक उद्वेलन व द्वंद अत्यंत खूबसूरती से इन तीनो कविताओं से व्यक्त होता है
उन माता-पिता की स्थिति , जिनके बच्चे विदेशों में जा बसे हैं | वृद्ध माता पिता सिर्फ अपने बच्चों के आने का इंतजार करते -करते थक जाते हैं ,किंतु यह इंतजार उनका खत्म नहीं होता | दिल को छू लेने वाली इस मार्मिक कविता में इस एहसास को समझ सकते हैं| भावना तिवारी जी की मधुर आवाज में …
गोपालदास नीरज की कविता संग्रह फिर फिर दीप जलेगा से ली गयी कविता मिट्टी वाले में कवि ने उन सभी पर कटाक्ष किया है जो मिट्टी का मोल लगाते ह़ै कवि का मानना है कोई भी इसका मोल नहीं लगा सकता। क्या इस मिट्टी का इतिहास इतना सस्ता है कि कुछ मोल चुका कर इसे कोई भी खरीद सकता है ?आज इसी मिट्टी के लिए हम युद्ध की स्थिति तक पहुंच जाते हैं, तो क्या ऐसी मिट्टी का कोई मोल हो सकता है ,वह तो अमूल्य है | कवि अपने स्पष्ट शब्दों में समझाना चाह रहा है कि यह मिट्टी अपना मोल नहीं चाहती बल्कि सिर्फ मिट्टी अपनी कुर्बानी चाहती है| कविता के माध्यम से इसका पूर्ण भाव को समझते हैं, भावना तिवारी की आवाज में…
मीराबाई जी किस तरह भगवान श्री कृष्ण की भक्ति में लीन है इस पद में बताया गया है
पड़ती है !|Hindi Kavita |हिंदी कविता | Motivational Hindi Poems by Anupam Dhyani Before starting something new one must shed the old! One must be patient for victory and always understand that all good things come in time.
यह एक ऐसा प्रेम गीत है जिसमें कवि अपनी प्रेमिका को औरउसके प्रेम को हर पल महसूस कर सकता है |कैसे ?जानते हैं डॉ राजीव राज के द्वारा लिखी गई एक खूबसूरत प्रेम गीत उन्हीं की आवाज में….
हमें हर मुमकिन कोशिश करनी है किसी भी जंग को जीतने के लिए |’काश ‘ के लिए कोई गुंजाइश नहीं रखनी है इसी प्रेरणा को अपनी कविता गर तलाश तेरी जारी है के माध्यम से तराशा है अनुपम ध्यानी जी ने अपनी आवाज से
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poojarajnish@yahoo.com
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Surajstoryteller