एक रिश्ता किस तरीके से रंग बदलता है| अपर्णा एक मेधावी छात्रा है और बाद में उसी संस्थान में कार्य करने लग जाती है जहां उसके सर दिनेश जी है| दिनेश उसके सामने प्रेम का प्रस्ताव रखता है किंतु दिनेश किसी और से विवाह करता है |क्या हुआ था दिनेश और अपर्णा के बीच प्रेम संबंधों का |पूरी कहानी जाने के लिए सुनते हैं विनीता शुक्ला की द्वारा लिखी गई कहानी बदलते रंग, पूजा श्रीवास्तव की आवाज में…
योगिता और ऋषभ की नई- नई शादी हुई है| ऋषभ अपने दोस्तों के बीच योगिता को दोस्तों के पत्नियों के समक्ष एक अनजानी सी प्रतिस्पर्धा में खड़ा कर देता है| योगिता को जबरदस्ती के इस थोपे हुए होते हुए संग्राम के ऊपर कैसे विजय हासिल होती है जानते हैं विनीता शुक्ला के द्वारा लिखी गई कहानी एक थोपा हुआ संग्राम ,पूजा श्रीवास्तव की आवाज में..
बड़ी उम्र में शादी होने से क्या अरमान ख़त्म हो जाते है ? क्या शादी का मतलब सिर्फ़ शारीरिक और आर्थिक ज़रूरतों की पूर्ति मात्र होता है ? क्या बड़ी उमर में शादी होने से भावनात्मक जुड़ाव की ज़रूरतें नहीं रह जाती है ? अंजू इन ही सवालों से जूझ रही थी । उमर बढ़ती जा रही थी तो भइया ने दो बच्चों के विधुर पिता से शादी करा के अपनी ज़िम्मेदारी पूरी कर ली। आर्थिक रूप से पूरी तरह आत्मनिर्भर होने के बावजूद समझौते तो उसने भी किए ही थे पर फिर ऐसा क्या हुआ की अंजू को निर्णय लेना ही पड़ा। वो बातें क्या थी जिन्होंने अंजू के स्वाभिमान को झकझोरा था .. सुनिए मालती जोशी कहानी “ बहुरि अकेला”
कुंभ में नागा साधुओं की अनोखी भूमिका
कुंभ मेला केवल आस्था और अध्यात्म का पर्व नहीं, यह नागा साधुओं के साहस, तपस्या और अनूठे जीवन का अद्भुत दर्शन भी है।
नागा साधु:
आत्मसंयम और त्याग के प्रतीक
कठिन तपस्या और ब्रह्मचर्य का मार्ग
आंतरिक शांति और आध्यात्मिक शक्ति का स्रो
वृद्धाश्रम में रहने वाला हर इंसान अपने आप ना जाने कितनी कहानियाँ समेटे होता है। स्वभाव में विपरीत सख़ुबाई और आनंदी की मित्रता होती है एक वृद्धाश्रम , आश्रय में. वृद्धाश्रम के निवासियों के जीवन की कहानी और उनके वहाँ पहुँचने के सफ़र का बड़ा सजीव चित्
यह कहानी एक सांवली सी लड़की फिरदौस की है और फरजाना उसकी अन्य दो बहने गोरी और सुंदर है सब की शादियां खूब धूमधाम से होती है उन्हीं की एक बड़ी बहन है फिरदौस कद काठी नाक नक्श अच्छे हैं किंतु सांवला रंग |घर के कामों में वह निपुण है किंतु उदासीन और सहमी सहमी रहती है उसका सांवला रंग उसके व्यक्तित्व को उदासीन बना रहा है क्या उसके जीवन में भी खुशियां आती हैं पूरी कहानी जाने के लिए सुनते हैं मनीषा कुलश्रेष्ठ के द्वारा लिखी गई कहानी एक सांवली सी परछाई पूजा श्रीवास्तव की आवाज में
जबसे निशीथ साथ चलते- चलते अचानक अजाने मोड पर मुड ग़या था तो ठिठक कर उस चौराहे पर उसके आस-पास फुरसत ही बाकि रह गई थी और एक अंधेरा खाली कोना। बस एक सप्ताह और वह उबर आई थी नई जीजिविषा के साथ कहानी केतकी की है एक ऐसी लड़की जिसने अपने प्रेम निशीथ के अपने जीवन से चले जाने के बावजूद ,अपने आपको रुकने नहीं दिया |क्या है केतकी की जीवन की पूरी कहानी? जानने के लिए सुनते हैं मनीषा कुलश्रेष्ठ की लिखी कहानी एक नदी ठिठकी सी, पूजा श्रीवास्तव की आवाज में
अगर मर्द बिना मूछों के रहे तो वह मर्द नहीं लगता |एक मूंछ ही तो मर्दाना चेहरे के लिए अनिवार्य होती है और मेरे पति ने एक नौकरानी की भूमिका निभाने के लिए अपनी मूंछे कटवा ली |अब तो शायद ने उन्हें प्यार भी ना कर सकूं| और मर्दों में मूछों के बिना कोई आकर्षण नहीं | मर्दों की मूछों को लेकर एक स्त्री अपनी दोस्त से यह सब बातें क्यों कह रही है ?इसके पीछे क्या वजह हो सकती है? इसे जानने के लिए सुनते हैं गाय दी मोपासां की कहानी मूंछ,नयनी दीक्षित की आवाज में …
कहानी का नायक शेखर अपने मां के मृत्यु का समाचार प्राप्त करके दुखी है| शेखर के मानसिक व्यथा को जानने के लिए सुनते हैं अज्ञेय के द्वारा लिखी गई कहानी दुख और तितलियां ,सुमन वैद्य जी की आवाज में
महामाया और राजीव लोचन बचपन के साथी हैं। राजीव महामाया से प्रेम करता है किंतु एक दिन महामाया और राजीव को साथ देख महामाया का भाई उसका विवाह एक मरनासन्न बूढ़े से करवा देता है, जिसके अगले ही दिन महामाया विधवा हो जाती है तथा किसी तरह सती प्रथा के नाम पर जलती हुई चिता से बचकर भागने में सफल हो जाती है। वह राजीव के साथ इस शर्त पर रहना मंजूर करती है कि वह जीवन भर उसका अवगुंठन नहीं हटाएगा। एक रात राजीव खुद को रोक नहीं पाता और महामाया को हमेशा के लिए खो देता है।
पेट में थोड़ी जान पड़ी तो आँखों से आँसू छलछला उठे और अम्मा का रुदन पूरे गाँव में भर गया। नदिया का गाड़ा, जीयतै खाइस, मोइते खाइस।गांव में 90 साल के बब्बा की मृत्यु हो जाती है |मृत्यु के पश्चात क्रिया कर्म करने के लिए भी उनके घर में धन नहीं होता है |बब्बा की वृद्ध पत्नी गोमती अम्मा अभी जीवित है किंतु गरीबी के कारण उनका शरीर भी बेहद कमजोर हो चुका है | ऐसी स्थिति में बब्बा का अंतिम संस्कार कैसे होता है? और उसे कौन कराता है ?पूरी कहानी जानने के लिए सुनते हैं सविता पाठक के द्वारा लिखी गई नीम के आंसू, निधि मिश्रा जी की आवाज में
भगवान कबीर दास जी ने एक जगह लिखा है जियत बाप को पानी न पूछे, मरे गंग नहलाये |जब तक मां बाप जीवित होते हैं तब उनकी कोई सेवा नहीं करना चाहता परंतु उनकी मृत्यु के बाद लोग दिखावे के लिए श्राद्ध का ऐसा विराट आयोजन होता है कि आश्चर्य होता है मालती जी की कथा बुंदेली पुट लिए हुए हैं भाग्यवान बुढ़िया
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