A superstitious man believed that the only purpose of having wife is to ensure his future heir.
He quit his pregnant wife as his maid made a big issue about her character while playing cards with her friends and relatives.
The irony is that many years later when during famine his wife and only son came to him asking for food, he turned them down. But his whole life has been spent in marrying many ladies and pleasing the priests spending enormous amount of money for the sake of having his own kids as a future generation.
The story shows how the groom side of the family used to take upperhand in every area during a marriage settlement. Sometimes it goes to such extent as exploitation and mental torture.
It was a path-breaking short story in form of a letter (the letter itself constitutes the whole story) which a typical Bengali upper middle-class wife “Mrinal” writes to her husband. She’s a poet, a thinker and over all a woman who dared to question, expressing bold and fervent statements with realizations coming from within the course of 15 years of her married life through letter to her husband.
पोस्टमास्टर साहब के तबादले के लिए संघर्ष और उनके चले जाने की बात सुनकर अधीर हो उठी उनकी सेविका रतन की कहानी।
पाषाणी मृगमयी नाम की एक लड़की की कहानी है, जिससे अपूर्व नाम के लड़के को प्रेम होता है तथा वह उससे विवाह भी करता है। किंतु मृगमयी की प्रकृति से बचपना है की जाने का नाम नहीं लेता। परिस्थितियां विपरीत तब होती हैं जब अपूर्व कई वर्षो के लिए कलकत्ता चला जाता है और लौट कर नहीं आता…
कहानी का मुख्य पात्र नरेंद्र एक चित्रकार है |उसे कम समय में ही प्रसिद्धि इसलिए प्राप्त हो गई क्योंकि वह जो भी चित्र बनाता था उसमें अपनी सारी योग्यता लगा देता था |नरेंद्र को चित्रकारी में ऐसी महत्वाकांक्षा थी कि वह ऐसा चित्र बनाना चाहता था जिसमें उसकी भावनाएं और विचारों का अद्भुत संगम नजर आए|नरेंद्र को इस संदर्भ में एक कला प्रदर्शनी में चित्र बनाने का मौका प्राप्त हुआ, उस कला प्रदर्शनी के लिए नरेंद्र कौन सा चित्र बनाएं अमर हो जाए ऐसी महत्वाकांक्षा उस की चरम सीमा पर थी |कहानी के अंत में आखिर नरेंद्र ने ऐसा चित्र बनाया, जिससे वह अमर तो हो गया किंतु उस चित्र को बनाने के लिए उसने अपने जीवन की क्या कीमत चुकाई ? यह कहानी का बेहद मार्मिक प्रसंग है |जिसे जान सकते हैं रविंद्र नाथ ठाकुर के द्वारा लिखी गई कहानी अंतिम प्यार में, शिवानी आनंद की आवाज में….
The story shows how the groom side of the family used to take upperhand in every area during a marriage settlement. Sometimes it goes to such extent as exploitation and mental torture.
The story shows how after giving a shelter to a distressed lady a distinguished man in that village was cornered and became the victim of politics which bound him to lose the legal case which led him to lose his property.
Awoman with great look, good taste was still not getting the attention from her husband. Each day the distance was impacting huge among their relationship that prompted the lady to leave her house.
बद्री प्रसाद अपनी सरकारी नौकरी के कारण मुंबई में रहते हैं जबकि उनकी पत्नी उमा अपने दोनों बच्चों के साथ एक अलग शहर में है उमा एक अध्यापिका है बद्री प्रसाद चाहते हैं अपनी नौकरी छोड़कर उनके साथ मुंबई में रहे किंतु उमा अपनी नौकरी छोड़ना नहीं चाहती है बद्री प्रसाद इन परिस्थितियों में क्या निर्णय लेते हैं जाने के लिए सुनते हैं कहानी फैसले
अकेलापन – गाय दी मोपासां – नयनी दीक्षित
19वीं शताब्दी के बेहद लोकप्रिय लेखक गाय दी मोपासा की कहानी अकेलापन जिसमें व्यक्ति के उस मेंटल डिसऑर्डर की बात की गई है जिसमें व्यक्ति अपने आपको बेहद अकेला महसूस करता है ।कहानी का नायक भी इसी प्रकार की समस्या से उलझ रहा है। कहानी का नायक अपनी शादी सिर्फ़ इस वज़ह से करना चाहता है क्योंकि वह मानसिक रूप से अपने अकेलेपन से बहुत उलझ चुका है जानिए पूरी कहानी अकेलापन नया नयनी दीक्षित की आवाज़ में…
सृष्टि की बागडोर इंसान के हाथों में आ गई. आज वह समय की दी हुई उसी छूट का लाभ अच्छे और बुरे दोनों तरह के कार्यों के लिए करता आ रहा है. ओमप्रकाश कश्यप जी के द्वारा लिखी गई बाल कहानी खेल जिसमें किस प्रकार सृष्टि का निर्माण हुआ ?समय के साथ साथ किस प्रकार के बदलाव आए ?जीव धारियों का निर्माण हुआ और सबसे सुंदर कृति किस प्रकार मनुष्य मनुष्य की रचना हुई| बेहद रोचक ढंग से उल्लेख किया गया है
यह लड़की अपने पिता की मूर्खता, दहेज बचाने के लालच की यातना में, अपने पति से प्यार की याचना में ऐसे रोए जा रही थी, निःशब्द गोया किसी छलनी से आटा गिरा जा रहा हो, झर-झर, झर-झर। उसे कोई राह नहीं मिल रही थी। जानते- बुझते एक पिता अपनी एक बेटी की शादी पहले से शादीशुदा व्यक्ति से करा देता है किंतु अब वह उससे तलाक भी दिलवाना चाहता है ,पर लड़की इस बात के लिए राजी नहीं होती |कहानी में दोनों पक्षों की जिरह को संवादित किया गया है | सारी परिस्थितियों को जानने और समझने के लिए सुनते हैं कहानी संगम के शहर की लड़की
बिन्नी और टीनू की गर्मियों की छुट्टियां हो गई है और दोनों अपने दादा जी के यहां गए हुए हैं| अब दादा जी के यहां मस्ती भरे दिन बिताने के बाद क्या बिन्नी और टीनू को वापस लौटने का मन करेगा? पूरी कहानी जाने के लिए सुनते हैं संजीव ठाकुर के द्वारा लिखी गई कहानी हमें नहीं जाना, निधि मिश्रा की आवाज में
Reviews for: Putro Jogyo