मनुष्य का मन बड़ा चंचल होता है। उसको वश में करने के लिए ना जाने कितने वर्षों जप- तप किए जाते हैं। सरहपाद ने भी मन को वश में कर लिया था । किंतु एक चौदह वर्षीय बालिका के आगे मन हार बैठे। तो क्या उनकी सारी सिद्धियाँ, सारी तपस्या व्यर्थ हो गई ?
ये कहानी है एक ऐसे इंसान की जो एक जानवर को पाल के रखता है , और समय के साथ वो जानवर बड़ा होता जाता है , उस इंसान के घर में उसकी बीवी भी बहुत कलेश करती है क्युकी उसकी अपने पति से कुछ उमीदें और कुछ शक हैं जिनको वो अधूरा पति है , दूसरी और वो जानवर समय के साथ बड़ा होता जाता है , और वो उस इंसान को खाना चाहता है , फिर एक वक्त ऐसा आता है की उस जानवर जिसे कैद किया गया था इंसान में लड़ाई होती है ,,, कौन था वो जानवर ? और क्या हुआ इस लड़ाई में ? जानने के लिए सुनिए ये कहानी
ये कहानी है एक ऐसे इंसान की जो एक जानवर को पाल के रखता है , और समय के साथ वो जानवर बड़ा होता जाता है , उस इंसान के घर में उसकी बीवी भी बहुत कलेश करती है क्युकी उसकी अपने पति से कुछ उमीदें और कुछ शक हैं जिनको वो अधूरा पति है , दूसरी और वो जानवर समय के साथ बड़ा होता जाता है , और वो उस इंसान को खाना चाहता है , फिर एक वक्त ऐसा आता है की उस जानवर जिसे कैद किया गया था इंसान में लड़ाई होती है ,,, कौन था वो जानवर ? और क्या हुआ इस लड़ाई में ? जानने के लिए सुनिए ये कहानी
प्यार एक एहसास है। प्यार एक जुनून है। वह किसी दायरे में नहीं बाँधा जा सकता । वह कभी भी ,कहीं भी हो जाता है। फिर चाहे उसको मंजिल मिले या ना मिले। प्यार अधूरा रह जाए तो वह उम्र भर याद रहता है । सभी प्यार करने वालों को मंजिल मिले यह जरूरी तो नहीं । सच्चा प्यार तन से नहीं मन से होता है और मन ! वह तो चंचल होता है।
प्यार एक एहसास है। प्यार एक जुनून है। वह किसी दायरे में नहीं बाँधा जा सकता । वह कभी भी ,कहीं भी हो जाता है। फिर चाहे उसको मंजिल मिले या ना मिले। प्यार अधूरा रह जाए तो वह उम्र भर याद रहता है । सभी प्यार करने वालों को मंजिल मिले यह जरूरी तो नहीं । सच्चा प्यार तन से नहीं मन से होता है और मन ! वह तो चंचल होता है।
गर्मी की चिलचिलाती धूप और दूर-दूर तक सपाट सूखी धरती ।पानी का नामोनिशान नहीं।यहाँ वीरान खंडहरों में कुछ नंग-धडंग बच्चे और अम्माएँ। निपट अकेली, बिना किसी सहारे के कैसे रह रही हैं ?ना तन ढकने के लिए कपड़े और ना घर का कोई आदमी !
कभी कभी जीवन में कुछ फैसले लेने में इतनी देर हो जाती है कि फिर सारा जीवन पछताना पड़ता है। वैसे तो माँ-बाप की जिम्मेदारी बेटों पर होती है लेकिन कभी-कभी यह जिम्मेदारी बेटियाँ भी उठाती है या यूँ कहें कि उन्हें उठानी पड़ती है। तब , जब बेटे माँ बाप से मुँह मोड़ लेते हैं। वीणा ने भी अपने माँ-बाप की जिम्मेदारी उठाई और अपने जीवन की सारी खुशियों को ताक पर रख दिया । लेकिन क्या वह वास्तव में जी रही थी ?
रामअवतार लाम पर से वापस आ रहा था। बूढ़ी मेहतरानी अब्बा मियां से चिट्ठी पढ़वाने आई थी। अभी उसकी शादी को रचाए साल भर भी न बीता था कि राम अवतार की पुकार आ गई। ब्याह कर आई तो क्या मसमसी थी गौरी नाम की गौरी थी पर कमबख्त स्याह बहुत थी। हाँ आवाज में बला की कूक थी। गौरी क्या थी, बस एक मरखना लंबे सींग वाला बजार था, कि छुटा फिरता था । रत्तीराम के आने के बाद वह बिल्कुल बदल गई ।लेकिन गाँव वालों को दाल में कुछ काला नजर आ रहा था। सब राम अवतार के लौटने का इंतजार कर रहे थे।
सफर छोटा हो या बड़ा , अगर हम सफर अच्छा हो, तो सफर अच्छा हो जाता है। वरना वास्तव में सफर करना पड़ता है। नई नवेली दुल्हन जब पहली बार पीहर जाती है तो कितने ही मीठे सपने लेकर जाती है लेकिन कई बार यह सपने चूर-चूर हो जाते हैं। तब सवाल उठता है पूरी जिंदगी काटने का।
प्यार एक एहसास है। प्यार एक जुनून है। वह किसी दायरे में नहीं बाँधा जा सकता । वह कभी भी ,कहीं भी हो जाता है। फिर चाहे उसको मंजिल मिले या ना मिले। प्यार अधूरा रह जाए तो वह उम्र भर याद रहता है । सभी प्यार करने वालों को मंजिल मिले यह जरूरी तो नहीं । सच्चा प्यार तन से नहीं मन से होता है और मन ! वह तो चंचल होता है।
ताहदे नज़र एक बयाबान सा क्यू हैं – Malti Joshi (मालती जोशी) – Arti Srivastava
एक औरत जीवन साथी से धोखा खाने के बाद अपनी औलाद से उम्मीदें रखती है । लेकिन वही औलाद जब मुँह मोड़ ले , तो उसके पास जीने के लिए क्या रह जाता है ? रेखा ने हिम्मत नहीं हारी है । उसे उम्मीद है कि शायद एक दिन उसका बेटा ,सक्षम उसके पास लौट आएगा ।
हिमालय की बर्फीली चोटियों को देखने की मंशा से एक पथिक एक वृद्ध की कुटिया मेंमें आश्रय लेता है| वृद्ध की एक बेटी है जिसका नाम है किन्नरी है| अब क्या होता है उस पथिक के साथ ? जानने के लिए सुनते हैं जयशंकर प्रसाद के द्वारा लिखी गई कहानी हिमालय का पथिक ,शिवानी आनंद की आवाज में
अब तुम्हारे पास कुछ काम- धाम तो है नहीं, बीमार पड़े -पड़े बिस्तर ही तो गर्म करते रहते हो | यह मुर्गी के कुछ अंडे हैं ,ध्यान रखना बिना टूटे-फूटे मुर्गी के इन अंडों को लेटे-लेटे तुम्हें सेना है | गुस्से और गंभीर मुद्रा में ट्योने की पत्नी ने ट्योने से कहा | बेचारा अपाहिज ट्योने के आस-पास उसकी पत्नी ने अंडों को सेने के लिए रख दिया |क्या वाकई एक मुर्गी की तरह बिस्तर पर पड़े -पड़े ट्योने ने उन अंडों को सेने का काम किया? और क्या वाकई उन अंडों से चूजे निकल पाए ? इस बात से ट्योने को किस बात का एहसास हुआ ?पूरी कहानी जानने के लिए सुनते हैं गाय दी मोपासां की कहानी अपाहिज की ममता,नयनी दीक्षित की आवाज में …
हेमराज को कन्हैयालाल समझदार मानता था। हेमराज ने समझाया-बहू को प्यार तो करना ही चाहिए, पर प्यार से उसे बिगाड़ देना या सिर चढ़ा लेना भी ठीक नहीं। औरत सरकश हो जाती है, तो आदमी को उम्रभर जोरू का गुलाम ही बना रहना पड़ता है शादी के बाद औरत को काबू में रखने के प्रयोजन से कन्हैयालाल शादी के बाद लाजो पर विभिन्न प्रकार की यातनाएं देने लगता है किंतु जब करवा चौथ का वाले दिन कन्हैयालाल उसी प्रकार लाजो को प्रताड़ित करता है तो लाजो का सब्र टूट जाता है क्या इतना सब कुछ होने के बाद लाजो कन्हैयालाल के लिए व्रत रखेगी? कन्हैयालाल को क्या अपनी गलती का एहसास होगा? क्या होगा उनके वैवाहिक जीवन का ?पूरी कहानी जाने के लिए सुनते हैं यशपाल जी के द्वारा लिखी गई कहानी करवा का व्रत ,सुमन वैद्य की आवाज में
गाय के नेत्रों में हिरन के नेत्रों-जैसा विस्मय न होकर आत्मीय विश्वास रहता है। उस पशु को मनुष्य से यातना ही नहीं, निर्मम मृत्यु तक प्राप्त होती है, परंतु उसकी आंखों के विश्वास का स्थान न विस्मय ले पाता है, न आतंक। महादेवी वर्मा जी के द्वारा लिखित प्रसिद्ध कहानियों में से है कहानी गौरा गाय |महादेवी जी के स्नेह पाकर गौरा गाय हष्ट-पुष्ट हो गई थी, किंतु एक समय ऐसा भी आया गौरा अपने बछड़े को छोड़कर सदा के लिए चल बसी |आखिर क्या हुआ था गौरा के साथ ?जानते हैं नयनी दीक्षित की आवाज में कहानी गौरा गाय….
पाषाणी मृगमयी नाम की एक लड़की की कहानी है, जिससे अपूर्व नाम के लड़के को प्रेम होता है तथा वह उससे विवाह भी करता है। किंतु मृगमयी की प्रकृति से बचपना है की जाने का नाम नहीं लेता। परिस्थितियां विपरीत तब होती हैं जब अपूर्व कई वर्षो के लिए कलकत्ता चला जाता है और लौट कर नहीं आता…
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