कहानी एक राजा और उनके चार पुत्रों की है राजा चाहता है उसके बाद उसका सबसे योग्य पुत्र राजगद्दी संभाले इसके लिए अपने चारों पुत्रों को राज्य से बाहर जाकर धन कमाने को कहता है शर्त के अनुसार जो सबसे अधिक धन अर्जित करेगा वही राजगद्दी का हकदार होगा पूरी कहानी सुनकर जानते हैं उन चारों में से सबसे योग्य पुत्र कौन था और क्यों हरिशंकर परसाई द्वारा लिखी गई कहानी जैसे उनके दिन फिरे”, अमित तिवारी जी की आवाज में
मगर मैं सोचता हूँ – आदमी क्यार चूहे से भी बद्तर हो गया है? चूहा तो अपनी रोटी के हक के लिए मेरे सिर पर चढ़ जाता है, मेरी नींद हराम कर देता है। इस देश का आदमी कब चूहे की तरह आचरण करेगा? लेखक ऐसा क्यों सोच रहा है पूरी कहानी जानने के लिए सुनते हैं हरिशंकर परसाई के द्वारा लिखी गई कहानी चूहा और मैं ,निधि मिश्रा की आवाज में
शोध में पुरातत्व विभाग को एक सन 1950 ईस्वी की स्मारक मिलती है जिसमें खुदी हुई चार पंक्तियां होती है कवि का नाम गोवर्धन दास लिखा होता है पुरातत्व विभाग को गोवर्धन दास के बारे में पहले से कुछ भी ज्ञात नहीं होता है गोवर्धन दास कवि कैसे बना क्या उसका है उसका इतिहास और पुरातत्व विभाग में उनके विषय में क्या लिखा पूरी कहानी जानने के लिए सुनते हैं हरिशंकर परसाई द्वारा लिखी गई कहानी सन् 1950 ईसवी
हरिशंकर परसाई जी का अनुभव ऐसा है कि उन्हें लगता है कि हर कोई किसी ना किसी बीमारी से ग्रस्त है| भाई !सबके अपने-अपने अलग-अलग दुख है, अपने -अपने संघर्ष है| कोई अपनी संपन्नता के कारण दुखी है, कोई अपनी न्यूनतम जीवन भी ना जी पाने के कारण दुखी है |ऐसे में व्यंग्यकार हरिशंकर परसाई जी है किस बीमारी से ग्रसित होना चाहते हैं? आखिर किस लिए ?बेहद व्यंग्यपूर्ण तरीके से लिखी गई कहानी अपनी-अपनी बीमारी, सुनते हैं नयनी दीक्षित की आवाज में..
भोलाराम 60 वर्ष का एक वृद्ध है कि अचानक से मृत्यु हो जाती है धर्मराज के दूत भोलाराम की आत्मा को स्वर्ग ले जाने के लिए आते हैं किंतु रास्ते से ही भोलाराम की आत्मा कहीं गायब हो जाती है यह बात दूत धर्मराज और नारद जी को बतलाते हैं नारद जी पुनः पृथ्वी लोक में भोलाराम की आत्मा को ढूंढने के लिए आते हैं क्या नारद जी को भोलाराम की आत्मा मिल पाती है आखिर भोलाराम की आत्मा गायब कहां हो गई हरिशंकर परसाई द्वारा लिखी रोचक व्यंग कहानी भोलाराम का जीव सुनते हैं अमित तिवारी जी की आवाज में
“यह समाज है मेरी जान… वह समाज जिसके आगे राम विवश नजर आए … जिसने ईशा को सलीब दी… जिसने बुद्ध को विक्षिप्त होने का तमगा दिया …” समाज के इस रूप को जोड़ती कहानी जिसमें एक वृद्ध व्यक्ति और उसकी विधवा बहू के बीच के स्नेह संबंध को bhi समाज गलत नजरों से देखता है……
नेहा ओम बाबू और निरूपा की बेटी है ओम बाबू हद से ज्यादा अपनी बेटी नेहा से प्रेम करते हैं रघु नेहा को स्कूल के दिनों से प्रेम करता है नेहा की खातिर कुछ भी करने को हमेशा तैयार रहता है इधर नेहा की दोस्ती अर्जुन और फिर रघुवीर से हो जाती है परंतु अचानक से एक दिन कोई दोनों के सिर पर वार कर उन्हें घायल कर देता है नेहा को इस बात की शंका है कि यह काम रघु के द्वारा किया गया है क्या नेहा की शंका सत्य है या इसके पीछे कोई और कारण है प्रेम और सस्पेंस से भरी इस मनोरंज क जुनैद के द्वारा लिखी गई कहानी फितूर को सुनते हैं अमित तिवारी जी की आवाज म
द्रौपदी जब अपना शील खो रही थी , तब आप कहां थे कृष्ण ??? कृष्ण और उद्धव जी के बीच में चल रहे संवाद को उस संदर्भ मे उस प्रसंग को प्रेषित करता है जब धर्मराज युधिष्ठिर, दुर्योधन से द्युत क्रीडा में पराजित हो गए थे | भगवान श्री कृष्ण उसी संदर्भ में उद्धव को स्पष्टीकरण देते हैं | सुनते हैं इस संवाद को अमित तिवारी जी की आवाज में……
मनुष्य एक सामाजिक प्राणी है यह कहानी इस बात का एहसास दिला जाती है जिसे जिंदगी में हम बंधन समझते हैं दर असल में वही हमारे जीने की मुख्य वजह होती है दिनकर वाडेकर के द्वारा लिखी गई कहानी अकेलेपन का एहसास अमित तिवारी जी की आवाज में
मगर तुम यह कैसे कह सकती हो कि जहां तुम जाकर रहोगी, वहां हर चीज़ वैसी ही होगी जैसी तुम चाहती हो मैं तो समझता हूं कि इन्सान जहां भी चला जाए, अच्छी और बुरी तरह की चीज़ें उसे अपने आसपास मिलेंगी ही सूचना विभाग में काम करने वाली महिला मिस पाल की कहानी है मिस कॉल को अपने ऑफिस का माहौल कुछ नहीं आता संगीत और चित्रकला की शौकीन मिस कॉल ऑफिस छोड़कर एक नए शांतिप्रिय स्थान जाना चाहती है मिस पाल आती है क्या होता है पूरी कहानी जाने के लिए सुनते हैं मोहन राकेश की लिखी कहानी मिस पाल अमित तिवारी जी की आवाज में
मेला – ममता कालिया – शैफाली कपूर
कहानी में प्रयागराज में लगे कुंभ मेले का दृश्य है जहां दूर-दूर से लाखों की संख्या में लोग अपने पाप को धोने के लिए संगम में डुबकी लगाने आते हैं। क्या मात्र डुबकी लगाकर पाप से मुक्त हुआ जा सकता है ?क्या वास्तव में अध्यात्म को भी एक पेशे की दृष्टि से अपनाया जाता है? आस्था ,परंपरा इन सब बातों का अद्भुत संगम है इस कहानी में। इसी बात को रोचक ढंग से आधार बनाकर ममता कालिया ने कहानी मेला का ताना-बाना बुना है,जिसे शेफ़ाली कपूर ने उतने ही अनोखे अंदाज़ से अपनी आवाज़ से निखारा है।
संपूर्णता की अनुभूति करने के लिए पांच पुराने मित्र एक चिकित्सक, एक लेखक और तीन धनी कुंवारे जो रोजगार रहित है ,खाना खाने के बाद स्वप्न को लेकर चर्चा कर रहे हैं | उनमें से एक दोस्त का कहना है स्वप्न हमेशा सुहावने नहीं होते ,अगर स्वप्न देखना है तो जागते हुए देखना चाहिए किंतु जागते हुए सपनों को पूरा करने के लिए बहुत अधिक ताकत और इच्छाशक्ति की आवश्यकता होती है |इस बात को लेकर चर्चा कहां तक बढ़ती है और आगे क्या होता है ?इसे जानने के लिए सुनते हैं कहानी स्वप्न नयनी दीक्षित की आवाज में
दो मित्र – गाय दी मोपासां – नयनी दीक्षित
कहानी यह दर्शाती है कि चाहे सत्ता की लड़ाई हो ,दो देशों के बीच की लड़ाई हो, या अपने अपने ईगो की लड़ाई हो, सत्ता धारियों को कोई फ़र्क नहीं पड़ता बल्कि इस बात का खामियाजा़ एक आम आदमी ही उठाता है। इस कहानी में लेखक ने दो मित्रों को के द्वारा बेवज़ह मारे जाने वाले लोगों का उल्लेख किया है। वह दो मित्र जो फ्रांस में रह रहे हैं और किस तरह भुखमरी गरीबी और तकलीफ़ से गुजर रहे हैं और किस तरह इस लड़ाई में मारे जाते हैं ?दो मित्रों को केंद्र बनाकर लेखक ने बेवज़ह मारी जा रही जनता का मार्मिक वर्णन किया है,जिसे नयनी दीक्षित ने उसे उतनी ही भाव प्रधान आवाज़ में पेश किया है।
जया एक हिंदुस्तानी महिला है उसके घर के पास किसी व्यक्ति की मृत्यु हो जाती है.| किंतु उसे वहां का दृश्य मानवीय संवेदना से विहीन वहीं लगता है | किसी भी व्यक्ति के आंख में मृत व्यक्ति के लिए की अश्रु भी नहीं दिखाई दे रहा है| जया यह सब देख कर व्यथित हो रही है |क्या विदेशों में रहने वाले व्यक्ति मानवीय संवेदना से अपेक्षित है अपरिचित है पूरी कहानी जानने के लिए सुनते हैं सुदर्शन प्रियदर्शी द्वारा लिखी गई कहानी अखबार वाला निधि की आवाज में…
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