दूसरा देवदास – ममता कालिया – शैफाली कपूर
एक युवा संभव हरिद्वार हर की पौड़ी अपनी नानी के यहां आया हुआ है। गंगा आरती का विहंगम दृश्य के बाद जब एक मंदिर जाता है तो उस मंदिर में उसे एक गुलाबी साड़ी पहने एक खूबसूरत युवती उसी के बगल में पूजा करती हुई नज़र आती है। संभव के मन में उस युवती के प्रति एक आकर्षण महसूस होता है, किंतु बाद में भीड़ में वह कहीं नज़र नहीं आती है इस पर संभव दुबारा उस युवती से मिलने के लिए बेहद विचलित हो जाता है। क्या पुनः दोनों का आमना-सामना हो पाएगा? क्या संभव अपने दिल की बात उससे कह पाएगा? पूरी कहानी जानने के लिए सुनिए ममता कालिया के द्वारा लिखी गई कहानी दूसरा देवदास, शैफ़ाली कपूर की आवाज़ में…
दूसरा देवदास – ममता कालिया – शैफाली कपूर
एक युवा संभव हरिद्वार हर की पौड़ी अपनी नानी के यहां आया हुआ है। गंगा आरती का विहंगम दृश्य के बाद जब एक मंदिर जाता है तो उस मंदिर में उसे एक गुलाबी साड़ी पहने एक खूबसूरत युवती उसी के बगल में पूजा करती हुई नज़र आती है। संभव के मन में उस युवती के प्रति एक आकर्षण महसूस होता है, किंतु बाद में भीड़ में वह कहीं नज़र नहीं आती है इस पर संभव दुबारा उस युवती से मिलने के लिए बेहद विचलित हो जाता है। क्या पुनः दोनों का आमना-सामना हो पाएगा? क्या संभव अपने दिल की बात उससे कह पाएगा? पूरी कहानी जानने के लिए सुनिए ममता कालिया के द्वारा लिखी गई कहानी दूसरा देवदास, शैफ़ाली कपूर की आवाज़ में…
दूसरा देवदास – ममता कालिया – शैफाली कपूर
एक युवा संभव हरिद्वार हर की पौड़ी अपनी नानी के यहां आया हुआ है। गंगा आरती का विहंगम दृश्य के बाद जब एक मंदिर जाता है तो उस मंदिर में उसे एक गुलाबी साड़ी पहने एक खूबसूरत युवती उसी के बगल में पूजा करती हुई नज़र आती है। संभव के मन में उस युवती के प्रति एक आकर्षण महसूस होता है, किंतु बाद में भीड़ में वह कहीं नज़र नहीं आती है इस पर संभव दुबारा उस युवती से मिलने के लिए बेहद विचलित हो जाता है। क्या पुनः दोनों का आमना-सामना हो पाएगा? क्या संभव अपने दिल की बात उससे कह पाएगा? पूरी कहानी जानने के लिए सुनिए ममता कालिया के द्वारा लिखी गई कहानी दूसरा देवदास, शैफ़ाली कपूर की आवाज़ में…
दूसरा देवदास – ममता कालिया – शैफाली कपूर
एक युवा संभव हरिद्वार हर की पौड़ी अपनी नानी के यहां आया हुआ है। गंगा आरती का विहंगम दृश्य के बाद जब एक मंदिर जाता है तो उस मंदिर में उसे एक गुलाबी साड़ी पहने एक खूबसूरत युवती उसी के बगल में पूजा करती हुई नज़र आती है। संभव के मन में उस युवती के प्रति एक आकर्षण महसूस होता है, किंतु बाद में भीड़ में वह कहीं नज़र नहीं आती है इस पर संभव दुबारा उस युवती से मिलने के लिए बेहद विचलित हो जाता है। क्या पुनः दोनों का आमना-सामना हो पाएगा? क्या संभव अपने दिल की बात उससे कह पाएगा? पूरी कहानी जानने के लिए सुनिए ममता कालिया के द्वारा लिखी गई कहानी दूसरा देवदास, शैफ़ाली कपूर की आवाज़ में…
दूसरा देवदास – ममता कालिया – शैफाली कपूर
एक युवा संभव हरिद्वार हर की पौड़ी अपनी नानी के यहां आया हुआ है। गंगा आरती का विहंगम दृश्य के बाद जब एक मंदिर जाता है तो उस मंदिर में उसे एक गुलाबी साड़ी पहने एक खूबसूरत युवती उसी के बगल में पूजा करती हुई नज़र आती है। संभव के मन में उस युवती के प्रति एक आकर्षण महसूस होता है, किंतु बाद में भीड़ में वह कहीं नज़र नहीं आती है इस पर संभव दुबारा उस युवती से मिलने के लिए बेहद विचलित हो जाता है। क्या पुनः दोनों का आमना-सामना हो पाएगा? क्या संभव अपने दिल की बात उससे कह पाएगा? पूरी कहानी जानने के लिए सुनिए ममता कालिया के द्वारा लिखी गई कहानी दूसरा देवदास, शैफ़ाली कपूर की आवाज़ में…
आपकी छोटी बेटी – ममता कालिया – शैफाली कपूर
जबकि एक ही मां -बाप की दो बेटियां हैं पपीहा और टुन्ना। मां-बाप अपनी बड़ी बेटी जो की कॉलेज छात्रा होने के साथ ही साथ स्टेज की नामी कलाकार भी है उसके गुणों का गुणगान करने में कोई कसर नहीं रखते। वहीं दूसरी ओर उनकी 13 साल की छोटी बेटी टुन्ना जो कि पढ़ने में भी अच्छी होने के साथ ही साथ बेहद संस्कारी भी है।उसके इन गुणों के होने के बावजूद कहीं ना कहीं उसे उपेक्षित महसूस कराते रहते हैं ।टुन्ना की मासूमियत इस कारण अपने को बड़ी बहन की तुलना में निम्न ही समझने लगी है। परंतु क्या किसी की पारखी नज़र टुन्ना को इस बात का एहसास दिला पायेगा कि वह भी अपनी दीदी से कुछ कम तो नहीं। दिल को छू लेने वाली ममता कालिया की कहानी सुने आपकी छोटी बेटी, शैफाली कपूर की आवाज़ में…
हरि और उसकी पत्नी ,प्रबोध के घर जाते हैं |प्रबोध की अपनी पहली पत्नी के साथ तलाक हुए बिना लीला के साथ संबंध रखना हरि की पत्नी सही नहीं लग रहा है| क्या है पूरी कहानी जाने के लिए सुनते हैं ममता कालिया की द्वारा लिखी गई कहानी और अपत्नी अंगुना की आवाज में
आपकी छोटी बेटी – ममता कालिया – शैफाली कपूर
जबकि एक ही मां -बाप की दो बेटियां हैं पपीहा और टुन्ना। मां-बाप अपनी बड़ी बेटी जो की कॉलेज छात्रा होने के साथ ही साथ स्टेज की नामी कलाकार भी है उसके गुणों का गुणगान करने में कोई कसर नहीं रखते। वहीं दूसरी ओर उनकी 13 साल की छोटी बेटी टुन्ना जो कि पढ़ने में भी अच्छी होने के साथ ही साथ बेहद संस्कारी भी है।उसके इन गुणों के होने के बावजूद कहीं ना कहीं उसे उपेक्षित महसूस कराते रहते हैं ।टुन्ना की मासूमियत इस कारण अपने को बड़ी बहन की तुलना में निम्न ही समझने लगी है। परंतु क्या किसी की पारखी नज़र टुन्ना को इस बात का एहसास दिला पायेगा कि वह भी अपनी दीदी से कुछ कम तो नहीं। दिल को छू लेने वाली ममता कालिया की कहानी सुने आपकी छोटी बेटी, शैफाली कपूर की आवाज़ में…
दूसरा देवदास – ममता कालिया – शैफाली कपूर
एक युवा संभव हरिद्वार हर की पौड़ी अपनी नानी के यहां आया हुआ है। गंगा आरती का विहंगम दृश्य के बाद जब एक मंदिर जाता है तो उस मंदिर में उसे एक गुलाबी साड़ी पहने एक खूबसूरत युवती उसी के बगल में पूजा करती हुई नज़र आती है। संभव के मन में उस युवती के प्रति एक आकर्षण महसूस होता है, किंतु बाद में भीड़ में वह कहीं नज़र नहीं आती है इस पर संभव दुबारा उस युवती से मिलने के लिए बेहद विचलित हो जाता है। क्या पुनः दोनों का आमना-सामना हो पाएगा? क्या संभव अपने दिल की बात उससे कह पाएगा? पूरी कहानी जानने के लिए सुनिए ममता कालिया के द्वारा लिखी गई कहानी दूसरा देवदास, शैफ़ाली कपूर की आवाज़ में…
दूसरा देवदास – ममता कालिया – शैफाली कपूर
एक युवा संभव हरिद्वार हर की पौड़ी अपनी नानी के यहां आया हुआ है। गंगा आरती का विहंगम दृश्य के बाद जब एक मंदिर जाता है तो उस मंदिर में उसे एक गुलाबी साड़ी पहने एक खूबसूरत युवती उसी के बगल में पूजा करती हुई नज़र आती है। संभव के मन में उस युवती के प्रति एक आकर्षण महसूस होता है, किंतु बाद में भीड़ में वह कहीं नज़र नहीं आती है इस पर संभव दुबारा उस युवती से मिलने के लिए बेहद विचलित हो जाता है। क्या पुनः दोनों का आमना-सामना हो पाएगा? क्या संभव अपने दिल की बात उससे कह पाएगा? पूरी कहानी जानने के लिए सुनिए ममता कालिया के द्वारा लिखी गई कहानी दूसरा देवदास, शैफ़ाली कपूर की आवाज़ में…
“डैनी: “”एमिला, मैं तुम्हें बहुत प्यार करता हूं। मेरे प्यार की ख़ातिर मैं तुम्हें एक छोटी सी तकलीफ़ देना चाहता हूं।””
एमिला: “”क्या कह रहे हो, डैनी? कैसी तकलीफ़, कैसी मदद? मैं कुछ समझी नहीं।””
डैनी: “”तुम्हें डॉक्टर ड्यूड के यहां से कुछ फाइलें लानी पड़ेगी।””
एमिला: “”पर ऐसा करना तो गलत होगा।””
डैनी डॉक्टर ड्यूड के यहां से एमिला से कुछ फाइलें क्यों मंगवाना चाह रहा है? आखिर इसके पीछे उसका क्या मकसद है? क्या एमिला अपने प्यार की खातिर यह गलत काम करने को राज़ी हो जाती है? क्या है इसके पीछे का राज़? जानने के लिए सुनिए नसरीन हिना के द्वारा लिखी गई कहानी ‘ब्लैकमेल’, शैफ़ाली कपूर की आवाज़ में।
अंगूठी – ममता कालिया – शैफाली कपूर
ऑफिस का एक मित्र रजत गुप्ता अपने सहकर्मी मिस्टर चावला के घर शनिवार दोपहर खाने पर आता है ।खाना -खाने के बाद अचानक उसे लगता है कि उसके हाथ की सोने की अंगूठी शायद सोफे के किनारे फस गई है ।अब क्या था घर में हलचल मच जाती है सोफे को अलट -पलट सभी तरीके से देखा जाता है ,पर वह अंगूठी नहीं मिलती ।ऐसी दशा में मिस्टर चावला को बैठे-बिठाए क्या- क्या मुसीबत सहनी पड़ रही है ?क्या हुआ उस अंगूठी का, क्या वाकई वह अंगूठी मिल पाई ?रजत गुप्ता की अंगूठी क्या वास्तव में सोफे में थी या कहीं और खोई थी? ऐसे बहुत सारे प्रश्नों की गुत्थी को सुलझा पायेंगे, जब सुनेंगे ममता कालिया के द्वारा लिखी गई कहानी अंगूठी ,शैफाली कपूर की आवाज़ में…
आपकी छोटी बेटी – ममता कालिया – शैफाली कपूर
जबकि एक ही मां -बाप की दो बेटियां हैं पपीहा और टुन्ना। मां-बाप अपनी बड़ी बेटी जो की कॉलेज छात्रा होने के साथ ही साथ स्टेज की नामी कलाकार भी है उसके गुणों का गुणगान करने में कोई कसर नहीं रखते। वहीं दूसरी ओर उनकी 13 साल की छोटी बेटी टुन्ना जो कि पढ़ने में भी अच्छी होने के साथ ही साथ बेहद संस्कारी भी है।उसके इन गुणों के होने के बावजूद कहीं ना कहीं उसे उपेक्षित महसूस कराते रहते हैं ।टुन्ना की मासूमियत इस कारण अपने को बड़ी बहन की तुलना में निम्न ही समझने लगी है। परंतु क्या किसी की पारखी नज़र टुन्ना को इस बात का एहसास दिला पायेगा कि वह भी अपनी दीदी से कुछ कम तो नहीं। दिल को छू लेने वाली ममता कालिया की कहानी सुने आपकी छोटी बेटी, शैफाली कपूर की आवाज़ में…
दूसरा देवदास – ममता कालिया – शैफाली कपूर
एक युवा संभव हरिद्वार हर की पौड़ी अपनी नानी के यहां आया हुआ है। गंगा आरती का विहंगम दृश्य के बाद जब एक मंदिर जाता है तो उस मंदिर में उसे एक गुलाबी साड़ी पहने एक खूबसूरत युवती उसी के बगल में पूजा करती हुई नज़र आती है। संभव के मन में उस युवती के प्रति एक आकर्षण महसूस होता है, किंतु बाद में भीड़ में वह कहीं नज़र नहीं आती है इस पर संभव दुबारा उस युवती से मिलने के लिए बेहद विचलित हो जाता है। क्या पुनः दोनों का आमना-सामना हो पाएगा? क्या संभव अपने दिल की बात उससे कह पाएगा? पूरी कहानी जानने के लिए सुनिए ममता कालिया के द्वारा लिखी गई कहानी दूसरा देवदास, शैफ़ाली कपूर की आवाज़ में…
अंगूठी – ममता कालिया – शैफाली कपूर
ऑफिस का एक मित्र रजत गुप्ता अपने सहकर्मी मिस्टर चावला के घर शनिवार दोपहर खाने पर आता है ।खाना -खाने के बाद अचानक उसे लगता है कि उसके हाथ की सोने की अंगूठी शायद सोफे के किनारे फस गई है ।अब क्या था घर में हलचल मच जाती है सोफे को अलट -पलट सभी तरीके से देखा जाता है ,पर वह अंगूठी नहीं मिलती ।ऐसी दशा में मिस्टर चावला को बैठे-बिठाए क्या- क्या मुसीबत सहनी पड़ रही है ?क्या हुआ उस अंगूठी का, क्या वाकई वह अंगूठी मिल पाई ?रजत गुप्ता की अंगूठी क्या वास्तव में सोफे में थी या कहीं और खोई थी? ऐसे बहुत सारे प्रश्नों की गुत्थी को सुलझा पायेंगे, जब सुनेंगे ममता कालिया के द्वारा लिखी गई कहानी अंगूठी ,शैफाली कपूर की आवाज़ में…
एक अध्यापिका और उसके स्टूडेंट के बीच एक आकर्षण पैदा हो जाता है और इसी आकर्षण के तहत वह अपनी सारी सीमाएं तोड़ देते हैं किंतु इस प्रसंग के बाद कहानी में एक नया मोड़ आता है |क्या उन दोनों की जिंदगी में कुछ बदलाव आता है जानने के लिए सुनते हैं कहानी अफेयर
हरि और उसकी पत्नी ,प्रबोध के घर जाते हैं |प्रबोध की अपनी पहली पत्नी के साथ तलाक हुए बिना लीला के साथ संबंध रखना हरि की पत्नी सही नहीं लग रहा है| क्या है पूरी कहानी जाने के लिए सुनते हैं ममता कालिया की द्वारा लिखी गई कहानी और अपत्नी अंगुना की आवाज में
मेरे बच्चों, मेरे प्रिय बच्चों, कदाचित में कब्र में भी शांति से नहीं सो पाऊंगा |अगर मैंने अपने अपराधों को सबके सामने कुबूल नहीं किया| एक ऐसे गुनाह जिसका मैं पूरी ईमानदारी से, पूरे शिद्दत से पश्चाताप करता रहा और जिस गलती ने मेरी सारी जिंदगी को ज़हर बना दिया|यह सब बातें पॉदान ने मृत्यु से पहले एक खत के जरिए लिख कर रखा था| जिसे आज वसीयत के साथ पढ़ा जा रहा है आखिर पॉदान से अपने जीवन में ऐसी कौन सी गलती की थी ?जिसका पश्चाताप पूरी जिंदगी करता रहा और अंत में अपना एक कुबूल नामा सबके लिए छोड़ कर गया है इस पूरी कहानी को जानने के लिए सुनते हैं गाय दी मोपासां की कहानी कुबूल नामा,नयनी दीक्षित की आवाज में …
Reviews for: Doosra Devdas (Part -2)